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अनजान रीश्ता - 53

विशी और अविनाश दोनो ही नींद में थे । तभी कार जहां पर फंक्शन था वहां पर रुकती है और ड्राइवर विशी को उठाता है । तभी विशी अविनाश को उठाते हुए कहता है ।

विशी: अवि!!। वेक अप हम पहुंच गए है । जल्दी से रेडी हो जाओ कुछ देर में फंक्शन शुरू होने वाला है ।
अविनाश: ( नींद में ) क्या यार परी! सोने दे अभी काफी टाईम है ।
विशी: ( अविनाश को हड़बड़ाते हुए मुस्कराते हुए कहता है ) ओय में परी वरी नहीं हूं तेरा मैनेजर हूं । जल्दी उठ अब ।
अविनाश: ( आंखे खोलते हुए देखता है की विशी उसके सामने था । ) आहहह! शायद मैं कुछ ज्यादा ही थक गया हूं इसलिए गहरी नींद में था ।
विशी: ( कार का दरवाजा खोलते हुए ) हा...आहा... वो तो मुझे भी दिखाई दे रहा है । पर...
अविनाश: ( विशी की बात को काटते हुए ) चल अब बाकी बाते बाद में करेगे अभी मुझे रेड्डी भी होना है ।
विशी: ( मुस्कुराते हुए ) एस यू विश ! ( दोनो होटल की ओर जाते है की तभी आवाज आती है । भाई.... तो विशी और अविनाश दोनो पीछे मुड़ कर देखते है । )
अविनाश: ( मुस्कुराते हुए ) सेम ...।
सेम: ( अविनाश को गले लगाते हुए ) ओह माय गॉड भाई मुझे तो लगा था की आप नही आओगे । में बता नहीं सकता कितना खुश हूं आज ।
अविनाश: ( सेम को गले लगाते हुए कहता है । ) कैसे नही आता तुम्हारे लिए आज इतना खाश दिन जो है ।
सेम: ( मुस्कुराते हुए अविनाश की ओर देखते हुए ) थैंक यू ... थैंक यू सो मच ...।
विशी: गायस ... मै भी हूं यार यहा!।
सेम: ( हंसते हुए ) हाहाहाहाहा... ( हाथ मिलाते हुए विशी को गले लगाते हुए ) विशी मेरे दोस्त .. क्या हाल चाल ..! एंड थैंक यू फॉर कमिंग ..!।
विशी: ( मुस्कुराते हुए सेम को गले लगाते हुए कहता है । ) थैंक गॉड तुम दोनो अपनी ख्याली दुनिया से बहार तो आए । वर्ना मुझे तो ऐसा ही लग रहा था जैसे तुम दोनो की बिदाई हो रही हो । हाहाहाहाहा .... ।
अविनाश: ( विशी को मुक्का मारते हुए ) सब तुम्हारी तरह नहीं होते जहां देखो वहां फ्लर्टिग चालू ..! ।
विशी: ( आउच !!. मुस्कुराते हुए हाथ को सहलाते हुए ) अरे अरे !! इतना गुस्सा ... और देखो तो फ्लर्टिंग की बाते कौन कर रहा है । .. अविनाश खन्ना ... । हाहाहाहाहा...।
सेम: ( जोर जोर से हंसते हुए ) हाहाहाहाहा ... भाई ये तो सही बात है इसकी ...।
अविनाश: ( दोनो की ओर गुस्से से भरी नजरो से देखते हुए ) ...।
विशी: ( हाथ को ऊपर करते हुए ) चिल चिल ड्यूड इससे पहले तुम मुझे यहीं जमीन में जिंदा दफना दो । और शादी साथ साथ मेरा अंतिम संस्कार का भी दिन बन जाए इससे पहले चलो चले अभी तैयार भी होना है ।
सेम: हाहाहाहाहा.... सही है । चलो में तुम लोगो को तुम्हारा कमरा दिखा देता हूं । सगाई की रश्म थोड़ी देर में शुरू ही होने वाली है ।
अविनाश: ( चहेरे पे एक मुस्कुराहट आ जाती है । मानो जैसे श्यतान खुद मुस्कुरा रहा हो । जैसे अभी थोड़ी देर पहले वाला अविनाश कोई और था । अभी कोई और है।)
विशी: ( आवाज करते हुए ) आहहम.... ( अविनाश का बदलता भाव देखकर मानो वह खुद भी डर गया था । ) अवि.. चले ।
अविनाश: ( विशी की ओर देखते हुए ) या... । ( अपने रूम की ओर बढ़ते हुए ) ।
सेम: भाई सच में मै बता नही सकता ... मै कैसा महसूस कर रहा हूं ! आई मीन भगवान ने जैसी मेरी सारी दुआए कबूल ही कर ली ।
अविनाश: ( जोर जोर से हंसते हुए ) हाहाहाहाहा ... अभी इतना भरोसा मत करो उसपे क्योंकि भरोसा तोड़ना काम है उसका । एकबार अगर टूटोगे तो फिर बिखरते ही जाओगे उससे अच्छा .. एक्सपेक्ट ही ना करो कुछ ... दर्द कम होगा ।
सेम: ( सिर को ना में हिलाते हुए ) नॉप भाई इस बात पर में आपसे सहमत नही हूं ... क्योंकि पारो ... आप का आना ये किसी संजोग की बात नहीं है बल्कि वही है जिसने मुझे ये खुशियां दी है । वर्ना मै तो इतनी सारी खुशियों के लायक भी कहां ..! ।
अविनाश: ( मुस्कुराते हुए अपने रूम का लॉक खोलते हुए ) वी विल सी ... फ्यूचर मै भी तुम उनपर इतना भरोसा कर पाते हो या नहीं ... कोंगरेच्युलेशन ... एंड ऑल द बेस्ट ... ।
सेम: थैंक्स भाई आप और पारो मेरे साथ है तो मुझे किसी भी मुसीबत से डरने की क्या जरूरत है भला ..!।
अविनाश: ( हाथ को मुठ्ठी में लाते हुए गुस्से को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था । ) चलो फिर मिलते है । बाय ! ।
सेम: या बाय किसी भी चीज की जरूरत हो मुझे कॉल कर देना ! ।
अविनाश: ( सिर को हां मै हिलाते हुए दरवाजा बंद कर देता है । )

सेम अपने कमरे की ओर आगे बढ़ता है और रेड्डी होने जा रहा होता है । अविनाश कमरे में सोफे पर आंखे बंद करके बैठा था । उसका मन मानो विचलित था । दिल और दिमाग में जैसे लड़ाई हो रही थी । दिमाग गुस्से में आग बबूला हो रहा था । तो दिल मानो उससे समझा रहा था की वह जो भी करेगा वह बिलकुल गलत होगा । उससे ना सिर्फ पारुल और उससे चोंट पहुंचेगी पर बाकी सभी लोग जो उनकी जिंदगी से जुड़े है उससे भी चोंट पहुंचेगी । वह सिर को ना में हिलाते हुए आंखे खोलते हुए छत की ओर देख रहा था । जानता था वह जो भी करेगा उससे काफी लोगो को चौंट पहुंचेगी। पर वह मुस्कुरा रहा था । वह छत की ओर देखकर मानो मुस्कुरा रहा था । क्योंकि वह बेसब्री से इंतजार कर रहा था । जब पारुल पूरी तरह से टूट जाएगी । जब वह गिड़गिड़ाएगि .. जब वह उसी दर्द को महसूस करेगी जिससे अविनाश इतने सालो से महसूस कर रहा है । एक एक पल वह मौत की दुआ करेगी !!! । सारे दर्द सारी सजा जो अविनाश भुगती है । वह उससे दुगनी सजा दर्द पारुल को देना चाहता है । अविनाश टैबलेट में केमेरा ऑन करते हुए देखता है की वह खिलखिला रही थी । उसके चहेरे पे खुशियां समा नही रही थी । वह लहंगा चोली उसकी खूबसूरती को और भी उभार रही थी । एक पल के लिए तो अविनाश की नजरे मानो जैसे पारुल को देखते ही पलक झपकाना भूल गई थी । अविनाश का दिल अभी भी गवाही दे रहा था की वह अभी भी उससे नही भुला पाया नफरत तो दूर की बात है । तभी अविनाश कहता है पारुल व्यास.... लेट्स स्टार्ट गेम बेयबी.... अविनाश मुस्कुराते हुए शीशे की ओर देख रहा था । मानो उसकी आंखो से अंगारे बरस रहे हो !! वह सिर को हिलाते हुए तैयार होने वाशरूम की ओर बढ़ता है । वह कहता है .. योर टाइम स्टार्ट नाउ बेब.. टीक टॉक... टीक टॉक ..... जितनी खुशियां बटोर सकती हो .. उतनी बटोर लो क्योंकि आगे कांटो से भरी जिंदगी है ... पारुल व्यास..... हाहाहाहाहा ...। यह कहते हुए वह वाशरूम में रेडी होने के लिए चला जाता है ।


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