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दूरी न रहे कोई (अंतिम क़िस्त)

"तुमने अपने बारे मे सब कुछ तो बता दीया था।फिर और क्या जानने के लिए रह गया था?"इला की बात सुनकर राजन बोला।
"मैने तुम्हे जो बताया वो झूठ भी तो हो सकता था।तुम्हे इसकी जांच करनी चाहिए थी।"
"क्या यह ज़रूरी है?"
"औरत के बारे में ज्यादा जानने की ज़रूरत नही है।अगर----
"अगर क्या?रुक क्यो गई।बताओ?"इला को बात अधूरी छोड़ते देखकर राजन ने पूछा था
"अगर औरत के साथ एक रात गुज़ारनी हो।अगर उसे सिर्फ हमबिस्तर बनाने का इरादा हो तो उसके बारे में ज्यादा जानने की ज़रूरत नही होती।"इला,राजन की तरफ देखते हुए बोली,"मेरी कहानी सुनकर उस रात तुम मुझे अपने साथ घर लाये तब मैंने सोचा था।"
"तुमने क्या सोचा था?"
"तुम इस्तेमाल करने के लिए मुझे अपने साथ अपने घर ले जा रहे हो।"
"तुमने ऐसा कैसे सोच लिया?"
"ऐसा सोचने की वजह थी ।ऐसा मेरे साथ अक्सर होता रहता था।बार मे आने वाला अक्सर कोई रात के मनोरंजन के लिए मुझे अपने साथ ले जाता था।लेकिन तुमने अपने घर लाकर एक ही बिस्तर पर सुलाने के बाद भी मेरा उपभोग नही किया। तब मुझे हैरानी हुई थी।"
"तुमने सोचा होगा।मैं नपुंसक हूँ।नामर्द हूँ।"इला की बात सुनकर राजन बोला था
"नहीं तुम नपुंसक नही हो।"इला बोली।
"यह तुम कैसे कह सकती हो?"
"राजन,मैं अनेक मर्दो के सम्पर्क में आकर उनकी अंकशायिनी बन चुकी हूँ।इनमें कुछ नपुंसक भी थे।इसलिए मैं नपुंसकता और नामर्द के बारे में अच्छी तरह जानती हूँ।" इला बोली।
"क्या होती है नपुंसकता?नामर्दी?"राजन ने पूछा था
"औरत अगर पास हो तो नपुंसक के मन मे भी कामवासना जाग्रत हो उठती है।वह औरत के शरीर से छेड़छाड़ करने लगता है वह अपनी हरकतों से औरत को उत्तेजित कर देता है।उसकी कामवासना जाग्रत कर देता है।वह औरत के शरीर से खेलने का प्रयास करता जरूर है।औरत के शरीर कज आग भड़का जरूर देता है लेकिन बुझा नही पाता।नामर्द औरत को मंज़िल तक पहुचाने से पहले उसका साथ छोड़ देता है।"
"तुम्हारी नज़र में मैं नामर्द नही हूँ।फिर कौन हूँ?"
"औरत पास होने पर भी अपनी काम इच्छा पर काबू दो ही लोग रख सकते है।पहला परम् तपस्वी जिसने इंद्रियों को अपने वश में कर लिया हो।या फिर चोट खाया हुआ मर्द।"
"तुम बिल्कुल सही कह रही हो।बचपन मे ही अनाथ होने कज वजह से मे माता पिता द्वारा दिखाए हुए रास्ते से भटक गया।गलत सोहबत में पड़कर में गलत काम करने लगा।बड़ा होकर तस्करों के सम्पर्क में आया,"राजन अपने अतीत को याद करके बोला"अवैध तरीके से कमाई दौलत को देखकर अनेक औरते मेरे सम्पर्क में आई।हर औरत का एक ही धेय था।अपना तन सौपकर ज्यादा स ज्यादा पैसा मेरे से ऐंठना।और मेरा मन औरतों से भर गया।"
राजन कहते हुए रुका।इला को देखा फिर बोला,"लेकिन तुम्हे देखकर ऐसा लगा की तुम मेरी जिंदगी में आई सभी औरतो से अलग हो।"
"और औरतो से मुझ में क्या तुम्हें अलग नज़र आया?"
"न जाने क्यों मुझे ऐसा लगा।तुम ही हो जो मेरे दिल की बात समझ सकती हो।"
"एक तरफ मुझे अपना राजदार बनाना चाहते हो दूसरी तरफ अपने घर मे पनाह देकर भी दूरी बनाए हुए हो।"
"घर मे इसलिए रखा ताकि हम एक दूसरे को समझ सके।इससे हमारे बीच की दूरी मिटाना आसान हो जाएगा।"
"फिर देर किस बात की है।"इला,राजन की बाहों में बांहे डालते हुए बोली
"अगर इस तरह दूरी मिटानी होती तो उस रात ही मिटा लेता जब तुम्हे लाया था।"
"फिर कैसे?"
"इला मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ।"
"शादी और मुझसे?"इला बोली,।
"क्या तुम चाहती शादी करना मुझसे?"
"मेरा अतीत जानकर भी?"
"हम अपना अतीत भुलाकर नए जीवन की शुरुआत करेंगे।"

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