Queen of hills मसूरी, यह पहाड़ तो मानो सीधा जाकर सूरज को ही छू रहे थे, हल्की हल्की सी ठंडी हवा बिल्कुल साफ नीला आसमा खुशनुमा सा मौसम था एक खुलापन सा था।
यहां टेढ़े मेढ़े से रास्ते जिनप घूमते घूमते हम आए थे, मैं कवि होता ना तो यहां बैठकर पूरी किताब लिख सकता था। हममें से कोई कुछ बोल ही नहीं रहा था, अभी फिलहाल इन पहाड़ों को ही देख रहे थे नोएडा से यहां तक 6 - 7 घंटे के ट्रेवल से हमें थक जाना चाहिए था ना पर excitement के मारे हम थके ही नहीं थे हम काफी ऊंचाई पे थे और उससे भी ऊंचे पहाड़ हमारा अभी इंतजार कर रहे थे
हमने आगे बढ़ना शुरू किया खुशी की बात और यह थी कि दीपसी और दर्पण और मैं और प्रज्ञा हाथ पकड़ के साथ चल रहे थे। मैं प्रज्ञा को मैं पिछले 1 साल से जानता हूं जब batch Shuffle हुए थे और वो हमारे batch में आई थी।
दर्पण और दीपसी के वह काफी क्लोज है मेरी तो उससे पहले ज्यादा बात भी नहीं होती थी लेकिन एक दिन Truth and dare खेलते टाइम उसे dare मिला कि क्लास में उसे जो सबसे अच्छा लड़का लगता है ना उसे huge करके आना है and guess what उसने मुझे huge किया वह भी पूरी क्लास के सामने तब से हम close भी हो गए और मैंने भी सोच लिया कि आप तो रोज कॉलेज आना है।
अपने ग्रुप में तो वैसे सब से कूल तो दर्पण है, उसकी personality उसके नाम से मैच नहीं थी करती, नाम तो सही में थोड़ा ओल्ड फैशनड है पर किसी चीज की कभी कोई टेंशन ही नहीं लेता exam में फेल भी हो जाए तो हंसते रहता है और हमेशा पता नहीं हर लुक मे अच्छा कैसे दिख सकता है। वो बिना नहाए भी आए तो पूरा दिन fresh लगता है, कभी-कभी जलन होती है मुझे उससे।
आज भी प्रज्ञा ने उसकी तारीफ करी पहले मुझसे, दीपसी को उसने पहले से ही दीवाना बना रखा है उसकी तो एक पल भी नजर नहीं हटती है उससे। हम थोड़ी दूर चले थे एक बहुत अच्छा सा view सामने नजर आ रहा था हमने रुक कर बड़ी सारी photos ली और क्या बताऊं तब वहां कितना मजा आ रहा था। हम होटल गए और पहले 2 rooms बुक कर लिए, सामान कमरे में रखा थोड़ा fresh होकर फिर बाहर चल दिए, अब भूख लगना शुरू हो चुकी थी तो खाना भी भरपेट खाया।
मैं प्रज्ञा के साथ ही बैठा था पर उसे ज्यादा बात मैं कर नहीं पाया। सफर की थकान अब हमारी आंखों में दिखने लगी थी हम वापस होटल पहुंचे एक रूम में बैठे और ठंड भी बढ़ने लगी थी स्पीकर में गाने बज रहे थे और हम सब भी कुछ ना कुछ बातें कर रहे थे, हमने Ludo खेला, UNO खेला, नींद आ रही थी पर हम लोग पता नहीं सो ही नहीं रहे थे हस रहे थे गा रहे थे पागलों की तरह फिर मैं और दर्पण दूसरे रूम में चल दिए जब लेट होने लगा तो।
बीच रात में फिर मेरी नींद खुली 1:00 बज गए थे उसके बाद सोने की कोशिश करी तो यह दो तीन मच्छर सोने ही नहीं दे रहे थे अब नींद टूटी गई थी तो मैंने सोचा थोड़ा बालकनी में जाकर रात का नजारा ही देख लिया जाए।
पार्ट 3 की कहानी पढ़ने के लिए थोड़ा इंतजार करें।।