अनजान रीश्ता - 49 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनजान रीश्ता - 49

पारुल अपनी बालकनी में से आसमान की ऑर देख रही थी और कॉफी पी रही थी । मानो उसके दिल को थोड़ा बहुत सुकून सा मिला था । आखिरकार पारुल ने जो भी दिल ने दर्द था जो भी शिकायते थी अविनाश को जैसे भूल ही गई थी । वह एक नई शुरुआत की कोशिश कर रही थी । और इसमें कोई शक नही था की जिंदगी जैसे खुशियों से भरी हुई थी बिना दर्द बिना चिंता के । लेकिन मानो जैसे कोई कमी खल रही थी । मानो जैसे कुछ ऐसा पारुल ने गवा दिया जो की ऐसा नही होना चाहिए था । पारुल बस सोच ही रही थी की तभी पारुल का फोन बजता है । जिससे वह अपने ख्यालों में से बाहर आती है और अपने रूम में जाते हुए कॉल उठाती है ।


पारुल: हैलो..! कौन!?


सेम: क्या यार पारो तुमने स्क्रीन पे देखा नही क्या बड़े बड़े शब्दो में लिखा है " मेरा क्यूट फ्यूचर हीरो " ..!।


पारुल: सॉरी यार वो मेरा ध्यान कही और था । तुम बताओ किस लिए कॉल किया!!?


सेम: ( रूठते हुए ) क्या अब मेरा इतना भी हक नही बनता की मै अपनी फ्यूचर वाइफ को बिना काम के कॉल भी नही कर सकता । माना मैने की दो दिन में धूमधाम से हमारी सगाई होने वाली है तुम तैयारी में व्यस्त हो । पर तुम मुझे भूल जाओ ये तो गलत नही बहुत ही गलत बात है ।


पारुल: ( मुसकुराते हुए ) ओय सेम के बच्चे ज्यादा उल्लू का पठ्ठा ना बन समझे और ये रूठने मनाने के ड्रामे तो कही और ही करना। सब जानती हूं मै ये तुम्हारे नखरे !!।


सेम: हाहाहाहाहा..…. क्या यार तुम भी मुझे अच्छी तरह पहचानने लगी हो अब तो कुछ नई तरकीब सोचनी पड़ेगी।


पारुल: हां तो आखिर होने वाली बीवी हूं तुम्हारी । तुम्हारी एक एक हरकतों से वाकिफ हूं मै ।


सेम: ( सेम मन ही मन सुनकर खुश हो रहा था । उससे तो सब सपना लग रहा था । ) वैसे यार सच में मुझे तो यकीन नहीं हो रहा । ये सब इतनी जल्दी आई मीन मै सबसे ज्यादा खुश हुं पर मानो जैसे ये सब खुली आंखों से देखा हुआ कोई सपना हो । जो बस पता नही क्या बोलूं पर मै सच में खुशकिस्मत इंसान हूं ।


पारुल: ( मुस्कुराते हुए ) सेम ये बात तुम मुझे लाखो दफा बता चुके हो ।


सेम: पता है । लेकिन जितनी बार यह बात दोहराता हूं उतनी ही बार मुझे एहसास होता रहेगा की तुम मुझे जो मिली हो वो मेरे ख्वाब में भी संभव नहीं था । तो मुझे तुम्हारा खुद से भी ज्यादा ध्यान रखना है ।


पारुल: क्या बात है हुजूर फ्लर्ट करने के नए नए तरीके ढूंढ रहे हो । नोट बेड ...!।


सेम: हेय कम से कम मेरी मासूम सी मोहब्बत को फ्लर्ट कहकर उसकी तौहीन तो ना करो । और अगर ये फ्लर्ट भी तो है तो भी तुम मेरे प्यार के रंग में रंगी तो नही अभी तक जब की में तो पागल ही हो गया हूं !।


पारुल: हा हां पता है मुझे और अगर मै प्यार में ना भी पड़ी हूं तो भी क्या आखिरकार कुछ दिन में शादी भी तो होने वाली है तुमसे । फिर तो सारी जिंदगी तुम्हारे साथ ही बितानी है ।


सेम: सच है की कुछ दिनों में शादी हो जायेगी पर में तुम्हे अभी से किसी भी बंधन में नहीं बांधना चाहता ये भी बात तुम जानती हो ।


पारुल: जानती हूं और इसीलिए तुमसे ज्यादा में खुद को ज्यादा खुशनसीब मानती हूं। चाहे आगे जो भी हो पर खुशी है कि इस जन्म में कम से कम एक ऐसे इंसान से मिलना तो हुआ जो निस्वार्थ प्रेम करता है मुझसे।


सेम: हाहाहाहाहा.... मैडम इसे भी स्वार्थ ही कहते है। किसने कहा मैं नहीं चाहता की तुम मेरी ना हो । इन्फेक्ट मै तो सुबह शाम यही दुआ करता रहता हूं की तुम मेरे अलावा किसी की ना बनो। तो मै सबसे ज्यादा स्वार्थी इंसान हूं।


पारुल: हा चलो ठीक है तुम से तारीफ तो हजम नहीं होगी । अब ये बताओ किस लिए कॉल किया था ।


सेम: कुछ नही बस ऐसे ही तुम्हारी याद आ रही थी तो...!।


पारुल: सीरियसली सेम ... अभी पांच मिनिट पहले तुम पापा से बात कर रहे थे और सिर्फ बहाने ढूंढ रहे थे मुझसे बात करने की । पता है कितनी शर्म आ रही थी पापा के सामने मुझे ।


सेम: हां तो उसमे क्या है अंकल ने भी तो कभी ना कभी ऐसा किया होगा।


पारुल: ( चिल्लाते हुए ) सेम....!?।


सेम: अच्छा ... ओके सॉरी सॉरी गलती हो गई ।


पारुल: दिन ब दिन बिगड़ते जा रहे हो तुम..।


सेम: हां तो अब तुम्हारे सामने ड्रामे करके क्या मिलेगा मुझे । अब जैसा हूं वैसा ही बीहेव करूंगा भला अब में अपने परीवार के सामने नाटक करू अच्छा नहीं लगता ।


पारुल: ओह हैलो तुम्हारा परीवार कब से हो गया !!?।


सेम: जिस दिन मैने तुम्हे देखा था तब से !!।


पारुल: ( शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पाती । ) ।


सेम: अहहम... अच्छा चलो अब बाद में बात करता हूं मॉम को हेल्प भी करनी है । ... सारी तैयारी में वह तो थक ही जाती है ।


पारुल: बाय...।


सेम: बाय.... ( कॉल काटते हुए ) ।


पारुल अपने गाल को छूते हुए खुद को संभालने की कोशिश करती है । और सोच रही होती है की सेम कुछ ज्यादा ही रोमेंटिक हो रहा है । कैसे संभालेगी उसे ना जाने । ऐसे ही सोच रही होती है की तभी उसके उसके मोबाईल पर एक मैसेज आता है । वह कॉफी पीते हुए देख रही होती है । " अविनाश से बदला लेना चाहती हो! तो इस फाइल को इस नंबर ९६३****५६७ पर भेज दो !" । पारुल सोच ही रही होती की कौन है जो उससे ये मैसेज लगातार भेज रहा है । पिछले कुछ दिन से मैसेज आ रहे थे । जैसा की पिछले मैसेज में कहा था आज फाइल भेजी भी है । लेकिन कौन है जो अविनाश को पारुल से भी ज्यादा नफरत करता है । वह बाकी दिनों की तरह आज भी उस नंबर पर कॉल करने की कोशिश करती है लेकिन नंबर बंद बता रहा था । वह मेसेज में आए नंबर पर कॉल करती है ।


पारुल: हैलो...।


..…...: हैलो..


पारुल: जी मै पारुल व्यास बात कर रही हूं आप..! ।


........: मैम हम न्यूज चैनल नेटवर्क से बात कर रहे है । आप...!?।


पारुल: सॉरी गलती से गलत नंबर पर कॉल लग गया ।


यह कहकर पारुल कॉल काट देती है । और फिर उसी अनजान इंसान को मैसेज करती है । जिसने अपना नाम सिर्फ आर बताया था ।


पारुल: तुमने न्यूज वालो के नंबर क्यो भेजा ।
आर: क्योंकि जो फाइल मेने भेजी है अगर तुमने उससे न्यूज वालो को भेज दी फिर तो तुम देखो क्या होता है । अब तुमपे निर्भर करता है । क्या करोगी तुम ...।
पारुल: पर मै तुम पे कैसे भरोसा करूं!?।
आर: हाहाहाहाहा.... जिन भरोसा किया उन्होंने कौन सा भरोसा बरकरार रखा । मै तो तुम्हारी मदद कर रहा हूं !!।
पारुल: देखो मै नहीं चाहती की मेरी वजह से किसी को कोई तकलीफ़ पहुंचे ।
आर: और तुम्हारे मॉम डेड उनके लिए तुम्हे बदला नहीं लेना ।
पारुल: तुम इतना सब कैसे जानते हो ..! ।
आर: मै क्या जानता हूं क्या नही वह महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि तुम क्या करोगी वह महत्वपूर्ण है ।
पारुल: इस फाइल में क्या है । और ये क्यों खुल नहीं रही।
आर: ऐसी भी कोई चीज नहीं है जिससे तुम्हे नुकसान हो । जो भी है अविनाश की जिंदगी बर्बाद कर देगा यह में अच्छी तरह से जानता हूं । और जब तुम उस फाइल को दिए गए नंबर पर भेजोगी उसके बाद वह तुम्हारे फोन में खुल जाएगी । अब तुम जो भी करोगी तुम्हारी मर्जी । ...

पारुल को समझ नही आ रहा था की क्या करे .? । वह अविनाश से नफरत तो करती थी लेकिन क्या उसे चोंट पहुंचाना चाहती है इतनी नफरत करती हैं । पारुल का दिल मना कर रहा था । जब की उसका दिमाग कह रहा था की अविनाश के साथ जितना भी बुरा करो कम है । वह कातिल है और वह कुछ भी गलत नही करेगी अगर वह उसे छोटी सी चोंट पहुचायेगी तो । आखिरकार उससे भी पता चले की दर्द क्या होता है । वह ये सोचते सोचते फाइल भेजे गए नंबर पर भेज देती है । और फिर जैसे ही वह फाइल पर क्लिक करने वाली होती है तभी उसकी मॉम उससे बुलाती है । जिस वजह से मोबाइल उसके हाथ मै से गिर जाता है वह जल्दी से मोबाइल को जमीन पर से उठाते हुए अपने मॉम की आवाज की दिशा की और जाती है । वह फाइल के बारे में भूलकर अपनी मॉम को तैयारी में हाथ बटाने लग जाती है ।