Kya Main Sahi Thi - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

क्या मैं सही थी - 2

भाग 2


पिछले अंक में आपने पढ़ा कि छाया तलाक के बाद बच्चों के साथ अपनी छोटी बहन के यहाँ पर वहां भी वह चैन से नहीं रह सकी , अब आगे ….


कहानी - क्या मैं सही थी

आप सोच रहे होंगे शायद मैं अपने पूर्व पति की तस्वीर देख कर परेशान हुई होगी . नहीं , ऐसी कोई बात नहीं है . मैं तो अब उनका नाम तक नहीं लेना चाहती हूँ . मेरे सामने जो तस्वीर थी वह आभास की थी . वह स्कूल से फेयरवेल के समय का फोटो था जिसमें आभास ठीक मेरे पीछे खड़ा था . वह भी मुझे चाहता था , इतना मैं काफी देर से समझ सकी थी .शादी से कुछ दिन पहले उसने कहा था “ छाया , तुम अपने फैसले पर फिर से विचार करो . मैं अपने स्वार्थ के लिए नहीं बोल रहा हूँ . मुझे तुम्हारे भविष्य की चिंता हो रही है . तुम्हारे लिए आगे का सफर उतना आसान नहीं होगा . ऐसा न हो बाद में तुम्हें दोनों धर्म ठुकरा दे और तुम्हें अपने फैसले पर अफ़सोस हो . “


“ आभास , तुमने अपनी चाहत इजहार करने में बहुत देर कर दी , अब तो मैं इतना आगे बढ़ चुकी हूँ कि वापस लौटना मुमकिन नहीं है . “ मैंने कहा


“ एनीवे , माय बेस्ट विशेज टू बोथ ऑफ़ यू . बट आई विल मिस यू अ लॉट . अगर भविष्य तुम्हारे किसी काम आ सका तो मुझे बेहद ख़ुशी होगी . और जब भी तुम्हें मेरी जरूरत महसूस हो तुम निःसंकोच मुझे बता सकती हो . “


आभास से मैं स्कूल में उतनी फ्रैंक भी नहीं थी . शादी के बाद तो उससे कोई कांटेक्ट न के बराबर था , वैसे भी अब मैं कंज़र्वेटिव फैमिली में थी . कभी कभी पति की मौजूदगी में उस से कुछ बात कर लेती थी . पर आभास से ज्यादा बातचीत मुनासिब नहीं था मेरे लिए . आज न जाने मुझे क्या हुआ कि अनायास मेरी अंगुलियां उसके चेहरे पर घूमने लगी थीं . तभी अचानक माया मेरे पास अपना सेल फोन ले कर आयी और बोली “ दीदी , भैया का अमेरिका से विडिओ कॉल है . तुमसे बात करना चाहता है . “


मैंने फोन लेकर कहा “ हाँ भैया , बोलो . क्या हाल है ? बहुत दिनों पर बहन की याद तुम्हें आयी है ? भाभी कैसी हैं ? “


“ सब ठीक है , एक खुशखबरी है . तुम बुआ बनने वाली हो . “


“ बधाई हो भैया . बहुत दिनों बाद एक अच्छी खबर सुनने को मिली है . “


“ एक और अच्छी खबर है , माया का स्कॉलरशिप अप्रूव हो गया है . उसका सेमेस्टर सितंबर से शुरू होगा . अभी चार महीने बाकी हैं . तुम भी एक बार उसी के साथ आ जाना तो ठीक रहेगा . मुझे और तुम्हारी भाभी को भी तुम्हारे आने से बहुत ख़ुशी होगी . “


“ इतनी जल्द तो संभव नहीं है , बाद में देखती हूँ . पर क्या मम्मा , पापा मेरा वहाँ आना पसंद करेंगे ? “


“ तुम उसकी चिंता न करो . तुम जितने भी दिन चाहो , मैं तुम्हारे और बच्चों के रहने का इंतजाम अच्छे होटल में कर दूंगा . घर में साथ रहने से बेकार कलह होगा . तुम्हें किसी तरह की तकलीफ नहीं होगी . “


भैया से बात कर मैं सीरियस हो गयी . भैया ने कहा कि मैं होटल में रहूँगी और मुझे किसी बात की तकलीफ नहीं होगी . मैं सोचने लगी सबसे बड़ी तकलीफ की बात तो यह है कि मुझे परिवार से अलग समझा जा रहा है - होटल में रहूंगी , घर में नहीं . माया मेरे मन की बात समझ रही थी . उसने कहा “ दी , तुम दुखी न होना . तुम्हारी एक बहन सदा तुम्हारे साथ रहेगी , मैं हूँ न . तुम मेरे साथ हॉस्टल में रहना . तुम जब तक चाहो मेरे साथ रहना . पापा मम्मी तो अमेरिका के पूर्वी छोर में हैं और मेरा कॉलेज पश्चिमी तट पर , तुम्हारा उनसे सामना होने की संभावना न के बराबर है . “


“ बाद की बात है , बाद में सोचेंगे , अगर भविष्य में कभी जाना हुआ तब सोचेंगे . “


“ अगले सप्ताह मुझे वीजा के इंटरव्यू के लिए दिल्ली जाना है . “ माया बोली


“ ओके , गुड लक . वैसे मेरे ख्याल से यह महज एक औपचारिकता ही है . “


माया को वीजा मिल गया और वह एक महीने के अंदर अमेरिका चली गयी . मैं अपने बच्चों के पालन पोषण में लगी रही और उसी में मेरा सुख था . माया जब तक रही थी , कभी कभी वह आ जाती या बातें करती तो माहौल कुछ चेंज हो जाता था . दिल को अच्छा लगता था , लगता था इतनी बड़ी दुनिया में कम से कम कोई एक तो मेरे साथ है . कुछ महीने बाद माया ने फोन कर कहा “ दी , यहाँ बहुत अच्छा लग रहा है . मेरे क्लासेज शुरू हो गए हैं . काफी इंडियन स्टूडेंट्स हैं और कुछ टीचर्स भी इंडियन हैं . मैंने एक कार ले ली है . अब तुमलोगों को छुट्टियों में यहाँ बुलाऊँगी . मुझे उम्मीद है यहाँ आ कर तुम्हें भी बहुत बहुत अच्छा लगेगा , खास कर बच्चों के मनोरंजन के लिए यहाँ बहुत कुछ है . जल्दी आने का प्रोग्राम बनाओ दी . “


“ अभी नहीं आ सकती हूँ . अमेरिका जाने के पहले प्लानिंग करनी होती है . पर एक बार तुझसे मिलने मैं वहां जरूर आऊँगी . आखिर देखूँ तो तुम जितनी प्रसंशा करती हो उतना वहां कुछ है भी या नहीं . “


“ ठीक है , अभी से प्लान करना शुरू करो . अगले साल मेरा कंवोकेशन है . उस मौके पर जरूर आना , मुझे बहुत अच्छा लगेगा . इस बार कोई बहाना नहीं चलेगा दी . “


“ ठीक है बाबा , मैंने तेरे कन्वोकेशन में आऊंगी . अब तो खुश . “


“ हाँ , मोगाम्बो बहुत खुश हुआ . मैं अभी से तुम्हारा इंतजार करना शुरू करुँगी . “


मेरे दोनों बच्चे कबीर और मीना भी अमेरिका जाने की कल्पना मात्र से ही खुशी से झूम उठे . माया मुझे बताया करती कि कॉलेज में उसे एक इंडियन गाइड मिला है जिससे उसे काफी सहायता मिल रही है और वह एक नेक दिल इंसान है .


मैंने उससे पूछा “ क्या वह सिर्फ तुम्हारा गाइड ही है या तुम उससे प्यार भी करती हो ? “


“ अभी तक तो ऐसा नहीं है पर बंदा प्यार करने लायक जरूर है . उसकी हर बात , हर चीज अच्छी लगती है और उसके समीप रहना मन को बहुत अच्छा लगता है . और प्यार में क्या होता है दी ? “


“ पगली , यही तो प्यार है . क्या वह भी तुझे प्यार करता है ? कहीं फ़्लर्ट तो नहीं कर रहा है ? “


“ मैं नहीं जानती , पर जब भी मिलता है खुश दिखता है . आदमी सीधा सादा है ,वह किसी को फ़्लर्ट नहीं कर सकता है . कम से कम मैं तो यही समझती हूँ . “


“ उसने कभी प्रपोज किया है तुम्हें या कभी अपने प्रेम का इजहार किया है उसने ? “


“ नो , दी . तुम तो अब आने वाली हो . देख लेना . तुमसे सलाह के बाद ही कोई फैसला लूंगी . “


देखते देखते माया के कंवोकेशन का समय आ गया और मैं अपने दोनों बच्चों के साथ अमेरिका गयी . माया एयरपोर्ट पर मुझे रिसीव करने आयी थी . प्लेन से उतरने के बाद से ही मुझे महसूस होने लगा कि वाकई हम दूसरी दुनिया में आ गए हैं . हमलोग माया के अपार्टमेंट जा रहे थे , कितनी अच्छी सड़कें , फ्लाई ओवर और डिसिप्लिन्ड ट्रैफिक . ऐसा हमारे यहाँ कम देखने को मिलता है . इतने ज्यादा कार होने के बावजूद एकदम शांति , कहीं भी एक बार भी किसी कार का हॉर्न सुनने को नहीं मिला .


अभी कन्वोकेशन में दो दिन बाकी थे . उसी दिन शाम को माया एक आदमी को साथ लेकर आयी और उससे परिचय कराते हुए उसने कहा “ दी , इनसे मिलो ये हैं मेरे गाइड मिस्टर . . . . “


वह अपनी बात पूरा कर पाती , इसके पहले ही वह बोला “ अरे , छाया तुम यहाँ कैसे ? “


मैं उसे पहचानने की कोशिश करने लगी . उसने दाढ़ी मूंछ और सर के बाल काफी बढ़ा रखे थे . मैं सोच ही रही थी कि शायद यह आभास होगा . तभी माया ने कहा “ ये मिस्टर आभास हैं , दी . “


“ हाँ , मैंने भी अब इन्हें पहचान लिया है . “


“ तुम इन्हें जानती हो ? “


“ अच्छी तरह से , मेरे साथ ही कॉलेज में पढ़ता था . “


“ तुमने कभी बताया नहीं दीदी कि तुम आभास को जानती हो . “


“ कभी ऐसी बात ही नहीं चली कि इसका जिक्र किया जाए . तुमने भी अपने गाइड का नाम पहले कभी नहीं बताया था , सिर्फ कहा था बड़े अच्छे इंडियन गाइड हैं . वो अब मैं भी कह सकती हूँ कि तुम्हें बहुत ही अच्छा गाइड मिला है . “


“ ठीक है , कुछ देर तुम अपने पुराने फ्रेंड से बातें करो . तब तक मैं रेस्टॉरेंट्स से डिनर पैक करा कर आती हूँ . आधा पौन घंटा लग सकता है . “

क्रमशः

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