खत वाला PYAAR - 2 Ek_Gunjati_AAWAZ द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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खत वाला PYAAR - 2

और वह खत लेकर मैं मेरे रूममेंं चली गइ और मेने वह खत बिस्तर के नीचे रख दिया और मैं घर के सारे काम करने चली गई और घर के सारे काम लिपटाकर मैं फिर से अपने रूम में चली गई और मैंने बिस्तर के नीचे से वह खत निकाला । वह खत को पलटा कर देखती हूं तो क्या देखती हूं ? उसने सिर्फ इतना ही लिखा था की,
" मेरी प्यारी सी ज़िंदगी........ "
और पूूरे का पूूरा खत कोरा पड़ा हुआ था । और मैं सोच में ही पड़ गई थी ।
यार, यह खत कौन भेज सकता है ? मैंने वह खत को पलट -पलट कर कई बार देखा पर ना ही उसका नाम लिखा हुआ था और ना ही उसका कोई पता लिखा होता है और मे तो सोच मे ही पड गई कि यह कौन हो सकता हैं ?
फिर मैंने सोचा कि कोई बात नहीं जिसने भी भेजा हो वह मुझे क्या लेना । ऐसे बोलते ही मैंने खत डस्बबिन में फेकने का सोचा पर फिर भी मैं रुक गई और वह खत लेकर वापस अपने ही कमरे में रख दिया।
बहुत रात हो चूकी थी और सोते सोते भी सोचने लग गई कि वह खत किसने भेजा होगा १ फिर से वही सवाल .......। फिर से अपने आपको मैं मनाने लगी कोई भी हो तुझ से क्या लेना देना है किसने भी भेजा हो ऐसा कहते ही सो गई।
सुबह हुई और ठीक उसी टाइम फिर से हमारे दरवाजे पर कोई आया और दरवाजे को खटखटाया । तो मैं खोलने के लिए गई तो देखती हूं तो क्या १ अरे......... आप फिर से आ गए १
हमने आपको एकबार तो कहा था कि, हमारे यहां कोई खत नहीं भेजता क्योंकि अगर किसी को भी हमसे कोई काम हो या हमसे कोई बात करनी हो तो हमें सीधे फोन पर ही बात कर सकते हैं आपको एक बात मे समझते नहीं हो वापस चले जाइए (गुस्से में आकर कहा)
तो वह खत वाले भैया ने कहा : कि मैडम जी, आप इतना गुस्सा मुझ पर ना हो क्योंकि, आज फिर से लेटर आया है और वह लेटर का भी यही के पत्ते का है अगर आपको मुझ पर फिर से यकीन ना हो तो आप खुद देखकर तसल्ली कर सकते हो तो फिर से मैंने देखा और साइन कर दिया और उस खत वाले को रवाना किया और वापिस में वह खत लेकर अपने ही रूम में चली गई.........
मैं सोचने लगी कि लगता है किसी ने मेरे साथ मजाक किया हो कोई बात नहीं फिर भी वह लेटर लेकर अंदर तो चली गई और वह लेटर को खोलकर देखा तो उसमें भी सिर्फ इतना ही लिखा था कि, " मेरी प्यारी सी जिंदगी ........."
और आगे मेने इधर-उधर ध्यान लगा कर देखा तो कुछ सवाल लिखे हुए थे कुछ ऐसा लिखा हुआ था कि ,
मैं कौन हूं १
मैं कहां से हूं १
और
मैं तुम्हें ही क्यों खत भेज रहा हूं १
यह सब मुझे भी मालूम नहीं बस इतना मालूम है की, मैं खत लिख रहा हू और तुम्हें भेज रहा हूं । यह सब जानने की कोशिश भी मत करना बस इतना ही समझना कि कोई तुम्हारा भी शुभचिंतक है ।
और नीचे की एक लाइन में लिखा हुआ था कि,
तुम्हारा "शुभचिंतक"...........

अब आगे क्या होता है यह जानने के लिए मेरे साथ जुड़े रहे और सोचते रहे कि ,
आखिर कौन है वह लड़का १
जो बार-बार एक लड़की को परेशान कर रहा है......