अनजान रीश्ता - 46 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनजान रीश्ता - 46

अविनाश पारुल के लिए कमरे में खाना ले जा रहा था । वह सेम की बात को मन ही मन में दोहरा रहा था । वह सोच रहा था कि क्या करे !??। ऐसा तो कभी होगा नहीं की वह पारुल को किसी ओर का होने दे । चाहे जो भी हो फिर पारुल नफरत ही क्यों ना करे उससे । लेकिन पारुल रहेगी तो उसके साथ ही । तभी उसका मन ही उससे सवाल पूछती है कि जब पारुल ठीक हो जाएगी तब तुम्हे लगता है वह तुम्हारे साथ रहेगी । कभी भी नहीं जो भी अतीत मै हुआ उसके बाद तो कभी नहीं । और तुम्हे तो उससे नफरत करनी चाहिए जो भी तुम्हारी हालत है । उसकी कही ना कहीं जिम्मेदार पारुल है । बदला लेने की बजाय तुम तुम तो पागलों की तरह उसके आगे पीछे घूम रहे हो !!!? अविनाश खन्ना !!! क्या हुआ उस नफरत का जो तुम इतने साल पारुल व्यास से करते थे । या फिर यूं कहूं कि वह सारी बाते सिर्फ नाटक थी । तुम तो उस वक्त भी उससे देखने के लिए तरसते थे । अरे एक एक दिन हर एक पल तुम्हे उसकी कमी महसूस होती थी । क्यो सही कहां ना मैने । नहीं!! बिल्कुल भी नहीं नफरत तो मै अभी भी उससे करता हूं और हमेशा करता रहूंगा। अच्छा फिर ये कैसी नफरत है जो अपने दुश्मन के लिए खाना ले जा रहे हो । वह बीमार है इसलिए । हा तो तुम्हे तो खुश होना चाहिए ना की वह कमजोर है। उल्टा तुम तो परेशान हो । अविनाश का दिल जवाब देते हुए । अविनाश तुम जो भी कर रहे हो सही है । यही एक इंसान की पहचान है और ये मत भूलो वह तुम्हारी बचपन की दोस्त है । अविनाश मन में फिर से सवाल उठता है । अच्छा!! ऐसी दोस्त जो इसे जिंदा लाश बनने के लिए छोड़ के चली गई । अरे दुनिया की छोड़ो उससे तो इसपर भरोसा करना चाहिए था । अविनाश चिल्लाते हुए .... जस्ट शट अप.... । तभी वह आसपास देखता है तो वह चलते चलते पारुल के कमरे के बाहर खड़ा था । और आसपास सभी लोग उसी की ऑर देख रहे थे । वह बिना कुछ कहे खाना लेकर पारुल के रूम मे चला जाता है । वह पारुल को खाने की थाली देकर सोफे पर बैठ जाता है । और अपने मुंह को अपने हाथो से ढककर खुद को कोश रहा होता है । तभी उससे महसूस होता है कोई उसके बगल मे आकर बैठा है । वह जानता था पारुल थी इसलिए वह सिर उठाकर देखना नहीं चाहता था । तभी पारुल कहती है ।

पारुल: अहहहम्म..
अविनाश: ( कोई भी जवाब नहीं देता ! )
पारुल: अहम्ममम....हम्मम...!
अविनाश: ( फिर भी जवाब नहीं देता ! )
पारुल:( सोचते हुए कि इससे क्या हुआ) क्या हुआ भाई किसी लड़की ने रिजेक्ट कर दिया क्या बताओ मुझे अभी उसकी खैर नहीं अभी क्लास लगाती हूं उसकी हाहाहाहा....
अविनाश: .....
पारुल: ( चिल्लाते हुए ) आऊंच्च... ( चाकू फेकते हुए )
अविनाश: ( गभराहट मे पारुल की ऑर देखते हुए ) क्या हुआ...!? चाकू भी कोई खेलने की चीज़ है क्या !!?
पारुल:( मुस्कुराते हुए ) अरे अरे कोई नहीं ये तो सिर्फ लाल चटनी है । जो तुम अभी लाए हो । कुछ ज्यादा नहीं बस तीखी है । ( उंगली पर लगी चटनी को चखते हुए ) ।
अविनाश: ( पारुल की ऑर गुस्से में देखते हुए )...।
पारुल: अच्छा सॉरी ना !! देखो मै कब से तुमसे बात करने की कोशिश कर रही थी पर तुम हो की जवाब ही नहीं दे रहे थे तो मै क्या करती । ( कान पकड़ते हुए ) सॉरी ... सॉरी प्लीज़ ......। ( आंखे जपकाते हुए )।
अविनाश: ( ना चाहते हुए भी उसका गुस्सा गायब हो गया था । ) तुम...
पारुल: हां मै पारुल व्यास तुम्हारी परी !!! है भगवान तुम्हारी यादाश्त चली गई । हाय अब क्या होगा मै तो बेसहारा हो गई । उठा ले रे बाबा । ( ड्रामा करते हुए चुपके चुपके अविनाश की ऑर देखती है कि वह मुस्कुरा रहा है या नहीं ) ।
अविनाश: ( ना चाहते हुए भी उसके चेहरे पे आश्चर्य के साथ मुस्कुराहट आ ही जाती है । वह पारुल की ऑर देखकर सोच ही रहा था कि । ये लड़की कभी नहीं सुधरेगी । )
पारुल: हा तो मुझे सुधर के जाना भी कहां है । मै बिगड़ी हुई शहजादी हूं ।
अविनाश: ( आश्चर्य में पारुल की ऑर ही देखे जा रहा था ) तुम सच मे .... मुझे खुदसे भी ज्यादा जानती हो !!
पारुल: हां तो तुम्हारी बेस्टी हूं । तुम्हारे मन में क्या चल रहा है मुझे पता नहीं होगा तो और किससे होगा ।
अविनाश: फाईन!! तुम जीती और मै हारा खुश अब !!।
पारुल: बिल्कुल वैसे भी बातो मै कोई जीत सका है मुझसे ।
अविनाश: ( जोर जोर से हंसते हुए ) हाहाहाहाहा .... चलो कम से कम तुम्हे पता तो है ... की तुम कुछ ज्यादा ही बोलती हो !! ।
पारुल: ओह ! हैलो उससे ज्यादा बोलना नहीं टैलेंट कहते है उससे समझे। ( मुंह बिगड़ते हुए ) ।
अविनाश: ( मुस्कुराते हुए ) अच्छा और क्या खास बात है आपके इस टैलेंट की जरा आप बताएगी हमे ।
पारुल: (झूठी मुस्कुराहट से अविनाश की ऑर देखते हुए ) खुद को ही देख लो । तुम्हारा सारा मूड बदल दिया मैंने एक पल मै । थोड़ी देर पहले तो जैसे किसी का खून करने पे तुले हुए थे ।
अविनाश: ( गला साफ करते हुए ) अहहम.... वैसे सो... सो... री.... मेरा इरादा तुम पर अपना गुस्सा निकालना नहीं था । मेरा मूड नहीं था बात करने का इसी वजह से मै तुम्हे जवाब नहीं दे रहा था ।
पारुल: कोई बात नहीं ऐसा होता रहता है मेरी चमकचल्लो.... ( अविनाश के गाल खिचते हुए ) और उससे सो.... री.... नहीं सॉरी ... बोलते है । पर छोड़ो ये सब बताओ क्या बात थीं।
अविनाश: ( सोच रहा था कि पारुल इतना कब से बदल गई इतने साल में वह एक नई इंसान ही बन गई है । ) कुछ नहीं बस ऐसे ही !!।
पारुल: बस ! अब हां ये तो कहना ही मत की कुछ बड़ी बात नहीं थी । क्योंकि मै तुम्हे अच्छी तरह जानती थी ।
अविनाश: वो .. में ... ।
पारुल: कह दो क्या पता कोई हल मिल जाए ।
अविनाश: वह .. मेरा एक फ्रेंड है । तो मै और वह दोनो एक ही लड़की को पसंद करते है ... ( पारुल की ऑर देखते हुए ) पर वह लड़की और मै एक दूसरे से नफरत करते है । कुछ ऐसी घटनाएं हो चुकी है कि ना वह मुझे माफ़ कर सकती है ना मै उससे । पर .. ना चाहते हुए भी मेरा दिल उसीके बारे में सोचता है उसकी परवाह करता है। उसकी सगाई हो गई है मेरे फ्रेंड के साथ । पर मै नहीं चाहता वह मुझसे दूर हो ना ही मेरे पास रहे । आह!! पता नहीं मै क्या चाहता हूं ।
पारुल: ( अविनाश की ऑर ही देखे जा रही थी ! उसके दिल में एक जलन हो रही थी । की कौन है जिससे अविनाश प्यार कर बैठा है । अपने भाव को काबू में रखते हुए ।) ये बताओ क्या कोई चांस है वह लड़की तुम्हे माफ़ कर दे ।
अविनाश: ( सिर ना मे हिलाते हुए ) ।
पारुल: ( मन ही मन खुश हो जाती है पर फिर अविनाश के लिए बुरा भी लग रहा था । ) तो फिर मेरी मानो तो तुम्हे उससे दूर ही रहना चाहिए ।
अविनाश: ( गुस्से में पारुल की ऑर देखते हुए ) ..।
पारुल: देखो!! मेरी बातो का गलत मतलब मत लेना। मै इतना ही कह रही हूं कि तुम उससे और वो तुमसे नफरत करती है । तो तुम दोनो एक दूसरे को चोंट ही पहुंचाओगे । और यह प्यार की तौहीन होगी । क्योंकि जिससे प्यार करते हो उससे आप दर्द देने के बारे में सोच नहीं सकते । और वैसे भी ...
अविनाश: ( पारुल की ऑर देखते हुए ) वैसे भी ...? ।
पारुल: उसकी... स... गाई... हो चुकी है तो ... वह तुम्हारे फ्रेंड के साथ खुश होगी तभी तो....।
अविनाश: ( टेबल पर मुक्का मारते हुए ) ( गुस्से में ) कभी भी नहीं !!! ।
पारुल: अविनाश!!! शांत शांत । गहरी सांस लो।
अविनाश: तुम जानती भी हों मुझे क्या करने के लिए कह रही हो ।
पारुल: जानती हूं !!।
अविनाश: मुझे भी अच्छी तरह से जानती हो राईट ! ।
पारुल:( सिर हिलाते हुए हां मै जवाब देते हुए )।
अविनाश: तो फिर ...।
पारुल: मै जो भी कह रही हूं तुम दोनो के भले के लिए कह रही हूं । आगे तुम्हारी मर्जी ।
अविनाश:( पारुल का हाथ पकड़ते हुए ) अगर तुम वो लड़की होती तो क्या करती ।
पारुल: लेकिन...।
अविनाश: बोलो !!?
पारुल: जिस तरह से बात है उस हिसाब से दोनो कभी साथ मै तो रहेंगे नहीं तो एक दूसरे के भले के लिए ... ( अविनाश की ऑर देखते हुए ) दूर रहना ही बेहतर है । और ... ।
अविनाश: ( पारुल की ऑर देखते हुए ) और क्या ... !!।
पारुल: और.... जिसके साथ सगाई हुई है उसे मै धोखा नहीं दे सकती तो तुम मेरा अतीत हो और वह मेरा आने वाला कल तो वह मेरे लिए इंपॉर्टेंट है नकी मेरा अतीत ।
अविनाश: ( दिल तो मानो टूट रहा था । जैसे कमरे में ऑक्सीजन ही ना हो । वह खुद को संभालते हुए गहरी सांस लेते हुए ) ठीक है फिर जब यही सोच है तुम्हारी । तो वैसा ही होगा । पर आखरीबार अब अगर आगे मिलना हुआ हमारा तो प्यार तो मिलने से रहा । नफरत जरूर मिलेगी तो दुआ ही करना हम ना मिले ।
पारुल: हाहाहाहाहा .... यार तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे मै ही वह लड़की हूं !!! ।
अविनाश: ( काच के टेबल को मुक्का हुए उसके हाथ में से खून निकलता है )...।
पारुल: ( आंखे बंद करते हुए ) स्टॉप क्या राक्षस की तरह बिहेव कर रहे हो देखो चोट लग गई तुम्हे पता नहीं क्या होगा तुम्हारा । ( अविनाश का हाथ अपने हाथ में लेते हुए ) ।

अविनाश बस सोच रहा था कि यह आखिरी बार और आखिरी मुलाकात है जब वह खुद को पारुल से बिना नफरत के देखेगा । जिस तरह से वह खून साफ कर रही है । मानो वह बचपन में वापस चला गया हो। वह जब गिर गया था । तब भी वह ऐसे ही उसकी फिक्र कर रही थी । वह यह सारी परिस्थिति को भूलकर उसी यादों में रहना चाहता था । काश!! ऐसा हो पाता !!! वह आंखे बंद करते हुए आख़री बार इस पल को जी रहा था । अविनाश का दिल मानो जैसे यह आख़री सांस ले रहा था । वह इसी पल मै जी रहा था। । तभी पारुल कहती है " हो गया " । वह बिना पारुल की ऑर देखे कमरे से बाहर चला जाता है । वह सेम को कॉल करते हुए कहता है । " सेम मै जा रहा हूं पारुल का ख्याल रखना । नहीं बस इतना ही टाईम था मेरे पास बाय । " इसी के साथ वह अपनी कार ले के चला जाता है ।