नियति ...can’t change by anybody - 3 PRATIK PATHAK द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नियति ...can’t change by anybody - 3

अमित को उसकी सहायक मिल चुकी थी जिसकी वजह से एक तीर से तीन शिकार हुए थे उसके कॉलेज की नौकरी बच गई और उसको अपना रिसर्च में कुछ जान आ गई थी मगर पैसों की कमी अभी भी खल रही थी। मशीन के कुछ हिस्से बहुत महंगे थे और भारत में नहीं मिल रहे थे कुछ हिस्से ऐसे भी थे जो सिर्फ आर्मी और देश की चुनिंदा संस्थाओं के लिए होते हैं उसको ग्रे मार्केट में रशिया या जर्मनी में से ही लाया जा सकता था क्योंकि विश्व युद्ध एक और दो के दरमियान जर्मनी और रशिया में टाइम ट्रावेल के कई सारे असफल प्रयास हुए थे।
“कल से मेरी प्रयोगशाला में आ जाना”, अमित ने कहा
“कहां है आपके प्रयोगशाला?” मालिनी ने पूछा
ऐस.जी रोड फ्लेट नंबर ३०६ अपर्णा अपार्टमेंट मेरे फ्लेट मे ही लेब है। अब तुम जा सकती हो कहके अमीत भी वहां से निकला और सीधा डीन रंगा के पास गया।
“सर आप ठीक कह रहे थे यह टाइम ट्रावेल बकवास थियेरी है, मैं अपने करियर में ध्यान दूंगा और मुझे अपनी स्टूडेंट भी मिल गई है”। अमित ने रंगा सर को बोला। “वही तो मैं कब से तुम को समझा रहा था अमित चलो देर आए दुरुस्त आए” रंगा ने कहा।
अमित मन में शैतानी मुस्कान लेकर वहां से निकला।

दूसरे दिन दोपहर को कॉलेज के बाद अमितने मालिनी को अपना पूरा फ्लेट दिखाया।
“सर मैंने सोचा था यह बड़ी प्रयोगशाला होगी पर यहां तो ऐसा कुछ भी नहीं है”। मायूस और चिड़ी हुई आवाज में मालिनी बोली। अरे सब्र करो थोड़ा अभी हम रिसर्च पेपर बनाएंगे और डिजाइन की ब्लूप्रिंट और उसकी जो खामियां है उस पर काम करेंगे यह कोई सामान्य मशीन नहीं होगा तुम कल्पना भी नहीं कर सकती ऐसा होंगा यह मशीन। साइंस के साथ हमें थोड़ा अपने वेदों का भी अभ्यास करना पड़ेगा दिन में कुल आठ प्रहर होते हैं इसमें चार सुबह को और चार रात को होते हैं। रात के, तीसरे प्रहर यानी रात के ठीक 12:00 बजे समय का एक अलग ही चक्र चलता है वह दो प्रहर के बीच एक समय का अंतराल आता है हमें उस वक़्त पर यह आविष्कार को आजमाना है जोखिम बहुत है अगर वापस नहीं आया तो समय की अनंत यात्रा पर जा सकते हैं और कामयाब हुए तो इतिहास बदल सकते हैं। सफलता का दर बहुत कम है पर उम्मीद है तो कुछ भी हो सकता है। अमितने सब समझाते हुए कहा।
और वह दूसरा प्रोजेक्ट वह किस चीज का है? मालिनी ने पूछा
वह मैं समय आने पर तुमको बताऊंगा अमित ने जवाब दिया और दोनों काम पर लग गए।

प्रोजेक्ट शुरू होने के 2 महीने बीत गए थे प्रोजेक्ट डिजाइनकी ब्लूप्रिंट तैयार थी मगर उसके पार्ट्स के लिए अभी भी पैसों की कमी थी अमित को मालिनी के प्रति कुछ अलग ही महसूस होने लगा था कई बार जूठे बहाने बनाकर उसको यहां वहां छूने की कोशिश करता था। एक दिन की बात है “मालिनी आज रात तुम मेरे फ्लेट पर आ सकती हो डिजाइन में कुछ प्रॉब्लम है और थोड़ा कंप्यूटर में टाइप करना है”
“रात को..... थोड़ा अटकाते हुए और संकोच के बाद मालिनी ने पूछा “रात को क्यू सर ?”
अरे तुम मुझ पर पूरा भरोसा कर सकती हो अमित ने कहा
ठीक है मे आ जाऊँगी मालिनी बोली।
रात को फ्लेट की डोर बेल बजी और अमित सिर्फ अपनी शॉर्ट्स में था सामने हुस्न की परी के रूप में मालिनी । मालिनी ने हल्की पिंक रंगकी नाइटड्रेस पहने हुए आई थी। मालिनी को देखकर अमित के अंदर वासना जाग गई। अंदर आओ बैठो ड्रिंक लोगी? अमित में पूछा, नहीं नहीं सर मालिनी ने नकार में कहा । दोनों ने अपना काम चालू किया अमित की नजरे बार-बार मालिनी के बदन पर जा रही थी वो मालिनी अच्छी तरह से जान चुकी थी अमित बार बार उसके पास आकर उसके कंधे पर तो कभी पीठ पर हाथ फिरने लगता था। एक बार अचानक उठकर मालिनी के पीछे जाकर उसके कान के नीचे चूमने लगा और अपने दोनों हाथों से मालीनिको जकड़ लिया।
“सर आप यह क्या कर रहे हो? तो यह है आपका असली चेहरा अब पता चला के क्यों कोई आपकी स्टूडेंट बनना नहीं चाहते, कब से आपकी नजरों को देख रही थी मुझे पता है आप क्या चाहते हो? कोई प्रयोगशाला नहीं है और सिर्फ अपनी हवस के लिए टाइम मशीन बनाने का नाटक कर रहे हो छोड़ो मुझे मैं सबको बता दूंगी”। मालिनी गुस्सेमे बोली।
मालिनी देखो, समझने की कोशिश करो मैं तुम्हें प्यार करने लगा हूं, तुम्हें देख कर मैं बहक गया था मुझे माफ कर दो और मेरी प्रयोगशाला है मैं टाइम आने पर तुम्हें दिखाऊंगा अमित ने कहा
मुझे अभी देखना है वरना मैं आप पर केस कर दूंगी मालिनी बहुत गुस्से में बोली
अभी देखना है –अमित
हां अभी ही देखना है ॥

क्या सचमें अमित की कोई प्रयोगशाला है ?? सच मे अमित टाइम मशीन का अविष्कार कर रहा है?? जान ने के लिए जुड़े रहिये "नियति" के साथ।