वीर पंजाब की धरती - 2 हेतराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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वीर पंजाब की धरती - 2

महाकाव्य

वीर पंजाब की धरती

(गुरु दशमेश के त्याग बलिदान की शौर्य गाथा)


समर्पित

राष्ट्रनायक
यशस्वी कीर्तिमान
श्री गुरु गोविन्द सिंह महाराज
के पावन चरणों में


आभार
वीर पंजाब के कर्णधार
साहित्यकार
डॉ हरमहेन्द्र सिंह बेदी का

कवि हिन्दी जुड़वाँ
हेतराम भार्गव
हरिराम भार्गव

मंगलाचरण

नत वंदन सर्वदा नमन , हे दशम गुरुवर गौरव महान
श्री गुरुवाणी श्री गुरुग्रंथ साहिब जी महाराज को प्रणाम '
कोटि - कोटि अभिनंदनमयी महान महा यशस्वी सिंह गाथा
समस्त भूमंडल को आलोकित किया धन - धन आप विधाता

आत्मनिवेदन

सौ सौ बार शीश झुकाकर , लिखा है प्रभु स्नेह वश प्यार
आशीर्वाद बनाए रखना हे पिता दशमेश सरकार
क्षमा करना गलती हो सकती है आपके लघु दास हैं
वीर पंजाब की धरती लिखकर जुडवाँ करते अरदास हैं


आत्माभिव्यंजना

हे महान संत दशमेश पिता , हे सिंह गुरु वीर महान
सानी नहीं कोई जग में , जो हो सके आप समान
आप के मुख पर सदा ओज करुणाकर में कृपा प्रसाद
सिंह योद्धा शरण के दाता , आप भारती आशीर्वाद
लिखी यशस्वी महायश कीर्ति , प्रभु श्री दशमेश अवतारी
वीर पंजाब की धरती गाथा लिखकर हुए आभारी

गाथा : -

गुरु कलगीधर दशमेश पिता के महान यशस्वी जीवन पर काव्य में एवं हिन्दी भाषा में लिखी गई पहली शौर्य गाथा। इस महाकाव्य में पन्द्रह भाग हैं। महाकाव्य के भाग को कृपाण कहा गया है अतः यह महाकाव्य पन्द्रह कृपाणों में सुशोभित लिखित हैं तथा इस महाकाव्य में एक हजार पाँच पद लिखित हैं। हिन्दी जुड़वाँ भाईयों की कलम से इस महाकाव्य को लिखने से पूर्व एक हजार के लगभग सिक्ख इतिहास की पुस्तकों को पढा गया और भारत वर्ष में स्थापित अनेक गुरूद्वारों के दर्शन किए गए।
यह शौर्य गाथा पाठकों के मन में गुरु गोविंद सिंह महाराज के समस्त जीवन गाथा का उदाहरण देते हुए उन्हें प्रेरित करेगी तथा जीवन में अनेक आने वाले संकटों से सामना करने का साहस प्रदान करेगी। कलगीधर का जीवन महान प्रेरणा का महासागर है जिससे जितना भी सीखा जाए वह कम है। पाठकों के मन में यह महाकाव्य आत्मविश्वास की भावना और दृढ़ संकल्प की प्रेरणा की भावना जग आएगा।
हम हिंदी जुड़वा भाई "पिता दशमेश" के हमेशा आभारी हैं और रहेंगे । उनके प्रेरणा स्रोत जीवन को पढ़कर हमें बहुत कुछ सीखने को मिला , सदैव आगे बढ़ने की प्रेरणा उनके जीवन से प्राप्त हुई। बचपन में बाल साहेबजादों की बलिदान की गाथा हमारे जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा स्रोत के रूप में हमारा मार्गदर्शन करती है। गुरुपिता का मछीवाड़ा में जो चित्रण पढ़ने को मिला वह एक महान राष्ट्र नायक के रूप में देशभक्ति की भावना जगाता है। हम जुड़वाँ भाई धन्य है हमें गुरु गोविंद सिंह महाराज को पढ़ने का सौभाग्य मिला। आप भी पढ़िए।
धन्यवाद।

कृपाण: -

१. अवतरण- श्री गुरु गोविंद सिंह महाराज

२. अमर शहीद श्री गुरु तेगबहादुर

३. श्री आनंदपुर विजय और संरक्षण अभियान

४. आनंदपुर जन रक्षा के लिए प्रस्थान

५. चमकौर साहिब के शौर्य गाथा

६. चमकौर गढ़ी के बाल योद्धा

७. वीरांगना बीबी हरशरण कौर शाहिदी

८. बाल वीर शहीदी सरहिंद

९. दीवान टोडरमल की श्रद्धा भावना

१०. माच्छीवाडा़ से तलवंडी यात्रा चित्रण

११. माता भागो और चालीस मुक्ते

१२. वीर बंदासिंह बहादुर से भेंट

१३. श्री गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु गद्दी सम्मान

१४. विश्राम वीर वंदना

१५. अभिनंदन