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दूरियाँ

CHAPTER 1

"तुम्हें कुछ नही होगा पायल। मैं तुम्हेंं कुछ होने ही नही दूंगा।"
मेरे आंसू, मानो थम ने का नाम ही नहीं ले रहे थे। कांच के दरवाज़े की उस तरफ, मेरी जान, मेरी पत्नी पायल, बेहोश और लाचार, ICU के बिस्तर पर सो रही थी। ज़िन्दगी में कभी मैंने उसे इस हाल में नहीं देखा था। वो हमेशा से आत्म विश्वासी और ऊंची उड़ान भरने वालों में से थी। लेकिन आज, इतने सारे यंत्र से घिरी हुई और हर तरफ पाइप्स लगे हुए। सिर पर पट्टी, हाथ में प्लास्टर और आंखे सूजी हुई। उसे इस तरह देख कर मन विचलित हो उठा और शरीर में जैसे एक कपकपी छा गई। चाह कर भी मैं उसके लिए कुछ नहीं कर पा रहा था।
"हे भगवान, एक्सीडेंट ने उसकी क्या हालत कर दी थी!"

हताश होकर, फिरसे मैं बेंच पर जा कर बैठ गया। पुरानी यादें ताज़ा होने लगी। आज भी मुझे वो दिन इस तरह याद है, मानो कल की बात हो। सात साल बाद भी हमारी उस दिन की बातचीत, आज भी होंठों पर मुस्कुराहट ले आती हैं।

आज से पहले के सात साल

ग्रेजुएशन, पायल और मैने साथ किया था। वो मुझे कॉलेज के दिनों से ही अच्छी लगती थी। सुंदर तो वो थी ही। पर साथ ही हसमुख और ज़िंदा दिल भी थी। पर उसके लिए मैं सिर्फ एक दोस्त था। कॉलेज के बाद हम अपनी अपनी specialisation करने निकल पड़े। उसे advertising की दुनिया में नाम बनाना था. She wanted to become an art director. और मैं, software engineering पड रहा था। मैं पूरी कोशिश करके उसे मिलता रहता था। कॉलेज के बाद, दो साल यूँही निकल गए।

एक शाम, हम कॉफी के लिए, एक कैफ़े में मिले। बातों बातों में, मैंने अपने मन की बात कह डाली।
"पायल, मुझसे शादी करोगी?"
उसकी आंखें खुली की खुली रह गई। होंठों पर जैसे ताला लग गया। "What!?!"
मैंने अपना सवाल फिरसे दोहराया।
"मुझसे शादी करोगी?"
"Prakash, you can't be serious!"
"Why not? तुम मुझे पहले से अच्छी लगती हो। Sorry, correction. बोहोत अच्छी लगती हो। And I guess I'm also not so bad. हमारी जोड़ी अच्छी रहेगी।"

वो ज़ोरसे हंस पड़ी।
"प्रकाश, ये कोई तरीका है प्रपोज़ करने का?"
आगे बैठते हुए, मैंने अपने दोनों हाथ टेबल पर रखे और कहा,
"देखो, मुझे वो फिलमी स्टाइल से करना नही आता। और घुमा फिरा कर बात करना मुझे पसंद नहीं। तुम बताओ, क्या मैं तुम्हें अच्छा लगता हूँ?"
बिना पलक झपकाएं, मैं उसे देखता रहा। मन का डर मैं चेहरे पर लाना नही चाहता था। उसने साँस भरते हुए आंखें बंद की और बोली,
"हाँ.... लेकिन....?"
"लेकिन क्या पायल?"
वो फिरसे हंस पड़ी।
"ना बबा ना। मुझे तुम्हारे सोने के पिंजरे में कैद होकर नही रहना। मुझे ज़िन्दगी में बोहोत कुछ करना है। Advertising की दुनिया में, मैं अपना नाम सबसे ऊपर लिखा देखना चाहती हूँ। And mister, शादी करके ये सब कुछ नहीं हो सकता।"

"और अगर मैं यह कहूँ, के तुम्हें सोने के पिंजरे में कैद होकर नहीं रहना पड़ेगा, तो? तुम जो चाहे वो कर सकती हो। On the contrary, I will support you and be happy with your progress. मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए। मैं चाहता हूँ, ये ज़िन्दगी हम साथ गुज़ारें।"

वो चुप हो गई और यहाँ वहाँ देखने लगी। ठंडी सांस लेते हुए धीरे से बोली,
"मुझे सोचने के लिए थोड़ा वक़्त दो।"
"Okay, कॉफी टेबल पर आने में दस मिनट हैं, सोचलो।"
"प्रकाश!! क्या बोल रहे हो?"
उसके दोनो हाथ अपने हाथों में लेते हुए, मैंने अनुरोध किया।
"Come on Payal, I love you and I know you like me too. Then what's the problem?"
वो शर्माते हुए मुस्कुराई।

हमने शादी कर ली।

CHAPTER 2

शादी के बाद, पहले दो साल हमारी ज़िंदगी के सबसे हसींन दो साल थे। इससे पहले कभी मुझे घर आने की इतनी उत्सुकता नही होती थी। यूँ लगता था, की जैसे स्वर्ग में रहता हूँ, अपनी अप्सरा के साथ। हम घंटों साथ बैठ कर एक दूसरे के पूरे दिन का विवरण विस्तार से डिसकस करते। घर का हर काम मिल बांट कर करते। और हर रविवार कहीं घूमने निकल जाते।

पायल से किया हुआ वादा मुझे हमेशा याद रहा। मैंने कभी उसके काम और प्रगति को रोकने की कोशिश नहीं की। मैं जनता था के वो अपने काम को लेकर बोहोत passionate थी। काम के सिलसिले में उसे अक्सर बाहर-गांव यात्रा करनी पड़ती। लेकिन जाने से पहले, पायल हमेशा मेरे लिए खाना फ्रिज में भर कर जाती। मैं कई दफा मना करता।
"पायल, इतनी तकलीफ मत लो, I'll manage."
पर हमेशा मुझे गले लगाते हुए कहती,
"मुझे तुम्हारे लिए खाना बनाना अच्छा लगता हैं। और इसी बहाने तुम मुझे याद तो करोगे।"
"Madam, तुम्हेंं याद करने के लिए मुझे किसी बहाने की ज़रूरत नहीं समझी?"
हमारे बीच इतना प्यार था, की देखने वालों को ईर्षा होती थी।

जब पायल की तरक़्क़ी हुई, तो हम दोनों बोहोत खुश थे। Celebrate करने के लिए, हम कुछ दिनों के लिए किसी hill station पर चले गए। It was almost like a second honeymoon.
"प्रकाश, मैं तुम्हारे साथ बोहोत खुश हूं। तुमसे शादी करना, मेरी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत फैसला था।"
उसे चूमते हुए, मैंने पायल को अपनी बाहों में ले लिया।
"I love you Payal."

वो आखिरी बार था, जब हमने इतना सारा संतोषजनक वक़्त साथ बिताया। पता ही नही चला, कब...सब... धीरे धीरे बदल ने लगा।

पायल पहले से ज़्यादा व्यस्त रहने लगी। ऑफिस से देर से आती और काम घर पर भी ले आती। कई बार देर रात तक काम करती, और सुबह जब मैं ऑफिस के लिए निकलता, तो वो सो रही होती। I didn't mind in the least. मैं समझ सकता था, की वो कितनी थक जाती होगी। लेकिन जब पहली बार उसे कुछ कहने के लिए, मैंने फ्रिज पर नोट चिपकाया, तो मुझे बुरा लगा। फिर तो आदत सी हो गई।

हमने खाना बनाने के लिए एक बाबर्ची रख लिया। मैं नही चाहता था के ऑफिस के काम के साथ उसे घर का भी बोझ उठाना पड़े।
"Thanks a ton Prakash. You're the best!"
पायल को अपने पास बिठाते हुए मैंने कहा,
"Thanks की कोई बात ही नही है sweetheart. बस ये खयाल रहे के हम एक दूसरे के लिए समय निकाल पाएं।"
"Of course dear."

CHAPTER 3

"Hi. Don't wait for me over dinner. I'm going out with a client. Will be late. Thanks. Love you."

पायल का मैसेज पड़ते ही मन किया कि मोबाइल उठा कर फेंक दुः। अपने गुस्से पर काबू पाते हुए, जवाब में "okay" भेज दिया। मेरा बिल्कुल मन नही था कि अकेले खाना खाऊँ। सब कुछ फ्रिज में रख कर, बालकनी में जाकर बैठ गया। अब मैं एक गहरी सोच में पड़ गया।

हमारी शादी को चार साल हो चुके थे। कहाँ खो गई थी मेरी वो प्यारी सी पायल? क्या ज़रूरत थी इतना काम करने की? किस चीज़ की कमी थी?
जहाँ हम घंटो बैठ कर बातें किया करते थे, वो अब मिनटों में तब्दील हो गए थे। आमने सामने बातचीत कम ओर फ़ोन या मैसेज में ज़्यादा होती थी। कोई उड़ान कितनी भी ऊँची हो, लेकिन अगर वो घर की तरफ वापसी का रास्ता भुला दे, तो ऐसे पंख का क्या फायदा?

मैं आज भी पायल से उतना ही प्यार करता था। लेकिन अब निराशा बढ़ने लगी थी। क्या हमारा रिश्ता बिखर रहा था? यह सोच कर ही दिल दहल ने लगता था। बस बोहोत हो गया। इससे पहले के ज़्यादा नुकसान हो, मुझे पायल से साफ साफ, दिल खोल कर बात करनी थी।

Next day was a Sunday. Good. मैंने उसे देर तक सोने दिया। और उस समय में, रसोइए के साथ मिलकर एक अच्छा सा नाश्ता बनाया। कॉफी के साथ, सब कुछ एक ट्रे पर रख कर, बैडरूम में ले गया। बड़े प्यार से उसे जगाया। "Good morning love!"
आंखें खोलते ही, पायल के चेहरे पर डर छा गया। उसे लगा के रात को देर से आने की वजह से मैं नाराज़ होऊंगा। लेकिन मुझे प्रफुल्लित देख कर वो हैरान रह गई। हमने साथ बैठ कर नाश्ता किया। मैंने उसे उसकी मीटिंग के बारे में पूछा।

जब हम खा चुके, तब मैंने उसे अपने पास बिठाया और अपनी बाहों में लिया। मुझे इस बात का ध्यान रखना था कि उसे बुरा न लगे और मेरा वादा भी बना रहे।
"पायल, मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।"
वो समझ गई, पर चुप रही। मैंने अपनी बात आगे बढ़ाई।
"हमारी शादी को चार साल हो चुके हैं। तुम्हें नहीं लगता के अब हमें फॅमिली शुरू करने के बारे में सोचना चाहिए?"

पायल ने अपनी नज़र जुकाली और धीमी आवाज़ में बोली,
"मैं खुद भी यही चाहती हूँ। लेकिन अभी मुमकिन नही हैं।"
"क्यों मुमकिन नही हैं?"
उसने मेरी तरफ शिकायत से देखा।
"प्रकाश, तुम देख तो रहे हो मेरे काम का बोझ। घर आने का ठिकाना नही हैं, बच्चे के लिए कहाँ से वक़्त निकालूंगी?"

वो उठ कर जाने लगी। मैंने उसे दुबारा हाथ पकड़ कर बिठा दिया। धीरज बनाये रखना ज़रूरी था। गुस्से से बात और बिगड़ जाती। उसका चेहरा अपने हाथों में लेते हुए, मैंने कहा,
"जान, इस तरह तो काम का बोझ कभी कम नही होगा। हमें अपने बारे में भी सोचना चाहिए। काम अपनी जगह और हमारा परिवार अपनी जगह। क्या ये घर और मैं, तुम्हारे लिए ज़रूरी नहीं?"

मेरी आवाज़ में हताशा साफ छलक रही थी। ओर मैं चाहता भी था कि वो उसे नज़र आए। She was shocked.
"प्रकाश.....!"
मैंने थकी हुई सांस ली और मुंह फेर लिया। बोहोत देर तक एक चुप्पी सी छाई रही। वो मेरे सामने आकर निचे ज़मीन पर बैठ गई। मेरे पैरों पर अपने हाथ रखे और मेरी ओर देखा। उसकी आँखों में आँसू थे।
"I'm sorry Prakash. तुम नाराज़ न हो। मैं वादा तो नहीं कर सकती, लेकिन मैं काम कम करने की कोशिश करूँगी।"
उसके हाथ अपने हाथ में लेते हुए, मैंने उसे अपने पास बिठाया।
"पायल, में तुमसे बोहोत प्यार करता हूं और मुझे तुम्हारे प्यार पर भी कोई शक नहीं हैं। लेकिन, किसी भी रिश्ते को बनाए रखने के लिए, साथ वक़्त बिताना ज़रूरी हैं। तभी वो मज़बूत होगा।"
उसने सिर हिलाते हुए हामी भरी,
"में समझती हूँ। Please be patient with me. अभी काम का pressure थोड़ा ज़्यादा हैं, लेकिन मैं पूरी कोशिश करूँगी।"

CHAPTER 4

लेकिन कुछ बदलाव नहीं आया। दिन और रात की वैसी ही बुरी शकल थी, जैसी पायल के व्यस्त होने के बाद हो गई थी। साथ रहते हुए भी, मुझे उसकी कमी बोहोत ज़्यादा खलने लगी थी। जब भी घर आता, तो सन्नाटे और सुनी दीवारें ही स्वागत में खड़ी मिलती। हर एक दो हफ्ते बाद, मैं पायल को धीरे से काम कम करने को याद दिलाता और वो कहती,
"हाँ प्रकाश, मैं कोशिश कर रही हूँ।"

मेरी समझ के बाहर था के ऐसा कब तक चलता? मुझसे किस किस्म के सबर की उम्मीद की जा रही थी? Drastic times, call for drastic measures. बोहोत सोचने के बाद, मैं एक नतीजे पर पोहंचा। कुछ ज़्यादा ही कठिन बात का फैसला लिया था मैंने। पर अब मुझे लगने लगा था, के ये आवश्यक हैं।

एक शाम जब मैं ऑफिस से घर आया, तो हमेशा की तरह, पायल घर पर नहीं थी। मैंने अपने सारे रात के नियमित कार्य किये, खाना खाया, TV ऑन करके, पायल का इंतज़ार करने लगा। तीन घंटे बाद, तकरीबन 11.30 बजे दरवाज़े में चाबी घूम ने की आवाज़ आई। घर में पांव रखते ही जब उसकी नज़र मुझपर पड़ी तो वो हैरान रह गई।
"अरे प्रकाश! सोए नहीं अब तक?"
में मुस्कुराते हुए बोला,
"मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था।"
वो आकर मेरे पास बैठ गई।
"क्या हुआ? सब ठीक तो हैं?"
"खाना खाओगी?"
"नहीं, मैं खा चुकी। प्रकाश, बात क्या हैं?"

जो मैं अब करने वाला था, उस बात पर बोहोत रो चुका था औऱ बेहिसाब आँसू बहा दिए थे। और अब... शायद दिल के हज़ार टुकड़े होने वाले थे। मैंने टेबल पर से लिफाफा उठाया और पायल के हाथ मे देते हुए कहा,
"I was waiting to give you this."
"ये क्या हैं?"
एक लंबी सांस लेते हुए, मैं चंद सेकण्ड्स चुप हो गया। कहने के अलावा और कोई छुटकारा नहीं था।
"Divorce papers."

पायल जैसे सुन हो गई। एकदम से आंखें भर आईं और आवाज़ मानो हलक में अटक गई हो। न सुनाई दे, इतनी दर्द भरी, धीमी आवाज़ में बोली,
"प्रकाश.......!!! How could you???"
अब मेरा असली इम्तिहान था। दिल चाहता था कि उसे गले लगा लूं और कहुँ के ये सब जूठ हैं। लेकिन दिल पर पत्थर रख कर मैंने कहा,
"पायल, अब मुझसे एक छत के नीचे रहते हुए ये दूरी बर्दाश्त नही होती। बेहतर हैं, की हम अलग हो जायँ।"

इससे पहले की मैं अपने ही plan पर पानी फेर दु, बिना पीछे देखे, अंदर चला गया। न मुझे पायल से अलग होना था और ना ही ये divorce papers असली थे। मुझे सिर्फ और सिर्फ अपनी प्यारी सी पायल वापस चाहिए थी।

CHAPTER 5

वो रात भर रोती रही और मैं रात भर करवट बदलता रहा। उस दिन के बाद, एक महीने तक, पायल ने मुझसे बात नहीं की। इन सब के बावजूद, उसके काम के रूटीन में कोई परिवर्तन नहीं आया।

मैं सोच में पड़ गया। क्या पायल को कोई फर्क नहीं पड़ा था? क्या divorce papers दे कर मैंने गलती की थी? समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ?

एक दिन सुबह, पायल मेरे पास आई और कहा,
"मैं आज शाम को काम के सिलसिले में सिंगापुर जा रही हूँ। तीन चार दिन में वापस आ जाउंगी।"
बोहोत देर तक मैं उसे देखता रहा। क्या सपने लेकर चला था और आज, हममें मिलों की दूरियाँ आ गई थी।
सिर हिलाते हुए okay कहा और ऑफिस के लिए निकल गया।

उन चार दिनों में मैने बोहोत सोचा। घर पायल के बगैर काट ने को दोड़ता था। आखिरकार, मैंने एक निश्चय किया। जब वो वापस आएगी, तो कह दूंगा की वो divorce papers नकली हैं। उसे जैसे रहना है, वैसे रहे। थोड़ा बोहोत ही सही, कम से कम वो मेरे साथ तो है।

जिस दिन वो वापस आने वाली थी, उस दिन शाम को चार बजे मुझे किसी का फ़ोन आया। पायल का एक्सीडेंट हो गया था।

आज का दिन - सात साल बाद

"Mr. Mathur, आपको डॉक्टर साहब बुला रहे हैं।"
नर्स की आवाज़ सुनते ही मेरा ध्यान वर्तमान में वापस आ गया। केबिन के दरवाजे पर हल्की सी दस्तक दी और अंदर गया। डॉक्टर व्यास मुझे देख कर खड़े हो गए। मुझसे हाथ मिलाया और बैठने को कहा।
"Mr. Mathur, the surgery went well. चौबीस घंटों में आपकी पत्नी को होश आ जाना चाहिए।"
"डॉक्टर व्यास, उसका हाथ....?"
"फ्रैक्चर हुआ है। उसे ठीक होने में समय लगेगा। But I have two good news for you. One, all her vitals are intact. There are no internal injuries. And secondly, माँ और बच्चा दोनो सही सलामत है।"
मुझे एक झटका लगा। क्या मैंने सही सुना था?
"बच्चा?? आप किसकी बात कर रहें हैं?"
"आपकी पत्नी पायल माथुर की।"
"बच्चा?"
"Mr. Mathur, क्या आपको नहीं पता, आपकी पत्नी pregnant हैं, तीसरा महीना चल रहा हैं।"

मैं अभी भी शॉक में था। हमने कुछ देर और बात की, उसके बाद मैं वापस बाहर आ गया।
पायल ने इतनी बड़ी बात मुझसे क्यों छुपाई? क्या उसे ये बच्चा नहीं चाहिए था? क्या काम का इतना भूत सवार था उस पर? मेरा गुस्सा आसमान छू रहा था। निकालूँ, तो किस पर? जवाब में पायल का बॉस, ICU के बाहर खड़ा था, हाथों में फूलों का गुलदस्ता लिये हुए। मन कर रहा था, साले का गला दबा दू। लेकिन न ये जगह सही थी और ना ही ये वक़्त। अपने पर नियंत्रण पाने के लिए, मैंने हाथों को मुट्ठी बना कर जेब में डाल दिया।

मुझे देखते ही, वो मेरे पास आया।
"प्रकाश, I'm so sorry. मैंने पायल से कहा भी, के एयरपोर्ट से घर, मैं अपनी गाड़ी में छोड़ देता हूँ, but she said she'll hail a cab."
मैंने ठंडी सांस ली और चुप रहा। मुझे इस आदमी से कोई बात नहीं करनी थी। वो बोलता रहा।
"पायल एक बोहोत ही म्हन्तु औरत है। I'm so proud of all her achievements. आज मेरी कंपनी जिस ऊँचाई पर हैं, उसमे पायल का बोहोत बड़ा हाथ हैं। अफसोस के अब वो हमें छोड़ कर जा रही हैं।"
मेरे कान खड़े हो गए। क्या बकवास कर रहा था ये आदमी? पायल थोड़ी ना मरने वाली थी। में उस पर भड़क गया।
"शितिज, क्या बोले जा रहे हो?"
"तीन महीने से पायल नोटिस पीरियड पर थी, वो मेरी कंपनी छोड़ रही है, तो इतने अच्छे employee के जाने का अफसोस तो होगा ही।"

एक और झटका!! पायल ने resign कर दिया था? लेकिन मुझे बताया क्यों नहीं? खड़े रह पाना मुशिकल हो रहा था। मैं जाकर बेंच पर बैठ गया।
शितिज मेरे पास आया और गुलदस्ता मुझे देते हुए कहा,
"Don't worry, she'll be fine. किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो, तो ब्जिजक मुझे बताना। आप लोगों के कुछ काम आ सकूँ, तो मुझे खुशी होगी।"
मैंने सिर हिला दिया।
"Thanks for coming."

CHAPTER 6

शितिज के जाने के बाद, मैं सुन बैठा रहा। दिमाग ने पूरी तरह काम करना बंद कर दिया था। मैं रोऊँ या हंसु? इन सब नई जानकारी का क्या निष्कर्ष निकालूँ?

माँ - बाप, हम दोनों के नहीं थे। एक दो घंटे बाद पायल की सहेली मधु अस्पताल आई। सवाल मेरी ज़ुबां पर था? पूछूँ तो कैसे? क्या उसे इन सब के बारे में पता था? अगर पूछता तो वो मेरे और पायल के रिश्ते के बारे में क्या सोचती? चुप रहना ज़्यादा मुनासिब था। मधु पास बैठते हुए बोली,
"प्रकाश, तुम कल से यहीं हो। थोड़ी देर घर हो आओ, मैं हूँ यहां पर। तुम थोड़ा आराम करलो।"
"लेकिन पायल?"
"अभी तो वो बेहोश हैं। वैसे भी तुम यहाँ बैठ कर क्या करोगे? अगर ज़रूरत पड़ी, तो मैं तुम्हें कॉल कर लुंगी।"
"Okay. Thanks Madhu."

एक आखरी बार पायल को देखा और घर चला गया। घर में पांव रखते ही सागर से भी गहरे खालीपन ने मुझे चारों ओर से घेर लिया। बोहोत रोया। हॉल में शेल्फ पर हम दोनों की तस्वीरें रखी थी। उन्हें देख कर पुराने अच्छे दिनों की याद ताज़ा हो गई। हमारी शादी की तस्वीर के नीचे एक लिफाफा पड़ा था। खोल कर देखा, तो divorce papers के साथ एक चिट्ठी थी। पायल की चिट्ठी।

सिंगापुर जाने से पहले लिखी थी उसने। लेकिन मुझे उसके बारे में पता ही नहीं था। आज पहली बार पायल के लेटर पर नज़र पड़ी थी। चिट्ठी पड़ कर मैं दंग रह गया। उसने pregnancy और resignation, दोनो के बारे में उल्लेख किया था। आखरी चंद लाइने पड़ कर मैं रो पड़ा।

"मैं तुमसे बोहोत प्यार करती हूं प्रकाश। तुमसे और इस घर से ज़्यादा ज़रूरी कुछ भी नहीं। लेकिन ये बात समझने में मुझे कुछ ज़्यादा ही वक़्त लग गया। I'm sorry Prakash. Please मुझे माफ़ कर दो। जब पता चला कि मैं माँ बन्ने वाली हूँ, तो मैं बोहोत खुश थी और जिस दिन तुम्हेंं बताना चाहती थी, उसी दिन तुमने divorce papers मेरे हाथ में रख दिये।

तुम अपनी जगह बिल्कुल सही हो। तुमने हमेशा मेरा साथ दिया और हमेशा अपना वचन निभाया। क्या मैंने हमारे रिश्ते की कीमत समझने में बोहोत देर करदी? मैं आँसू और पछतावे के साथ नहीं, बल्कि तुम्हारे साथ जीना चाहती हूँ। अब सब ठीक हो जाएगा। Please, मुझे एक मौका दो। I love you Prakash."

पायल समझ कर, मैंने उसकी चिट्ठी सीने से लगा ली और बोहोत बार उसे चूमा। हँसी और आँसू, दोनो एक साथ काम कर रहे थे। divorce papers फाड् कर कचरे में डाल दिये।

अगले दिन जब पायल को होश आया, तब सारे check ups के बाद, उसे रूम में शिफ्ट किया गया। तब जाकर हमें कुछ वक़्त अकेले मिला। आप समझ सकते हो कि हमारी भावनाएं किस मकाम पर थी। पायल की चुम्मी लेते हुए, मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया। हम दोनो बोहोत रोए। एक क्षण के लिए भी मैंने उसे अपने से दूर नही किया। उसे अपनी बाहों में ही रक्खा।
"I'm sorry Prakash..."
"Shh......no sorry. मैंने तुम्हारी चिट्ठी कल ही पड़ी।"
"क्या? मगर क्यों?"
मेरी हसीं फुट पड़ी।
"जान, कल ही उसपर नज़र पड़ी। लेकिन sweetheart, you didn't have to resign. मैं सिर्फ चाहता था कि तुम घर पर भी time दो।"
"नही प्रकाश। बस हो गया। बोहोत भाग लिया मैंने।"
"Are you sure?"
"Yes प्रकाश।"

कुछ संकोच के बाद वो धीरे से बोली,
"प्रकाश, वो divorce papers....?"
"मैंने फाड् कर फेंक दिए। वैसे भी, वो नकली थे।"
मेरे चेहरे पर कृत्रिम मुस्कुराहट छा गई और पायल चोंक गई।
"क्या?? Prakash, how mean was that!?!"
हाथों की मुट्ठी से मुझे सीने पर मारने लगी और चिल्लाई,
"प्रकाश, तुमने मेरी जान निकाल दी थी।"
"Darling, मैं तुमसे अलग होने का सोच भी नहीं सकता। ऐसा कुछ करने से पहले, खुद ही न मर जाऊँ।"
उसे दुबारा बाहों में लेते हुए बड़े प्यार से मैंने कहा,
"So, congratulations mummy!"
वो हंस पड़ी। अपना सिर मेरे सिर से लगा कर मुस्कुराई,
"Congratulations to you too daddy!"

मैंने ऑफिस से दस दिन की छुट्टी लेली और सारा समय पायल के पास अस्पताल में रहा। तीन दिन बाद उसे discharge मिल गया। कुछ दोस्तों की मदद से, मैंने पहले ही घर पर सारा बंदोबस्त कर रखा था। जब हम घर पोहचे, तो मधु ने हमारी आरती उतारी। घर की शक्ल देख कर, पायल दंग रह गई। पूरा घर पायल के स्वागत में सजाया हुआ था और फूलों से महक रहा था।

पायल खुशी से मेरे गले लग गई। मैंने धीरे से उसके कान में कहा,
"Welcome back home sweetheart!"
मेरी आँखों मे देखते हुए मुस्कुराई और खुद ही बोली,
"And welcome back to our new life together!"

तब जाकर मेरी सांस में सांस आई। मुझे मेरी पायल वापस मिल गई थी।

शमीम मर्चन्ट, मुंबई

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