हारा हुआ आदमी (भाग 34) Kishanlal Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

हारा हुआ आदमी (भाग 34)

"गीता मेरी सहेली।मेरे साथ ही टीचर थी।"
",तुम्हारी सहेली की शादी है।अच्छा समाचार है,"देवेन चाय पीते हुए बोला,"तो तुम आगरा कब जाओगी?"
"मैं आगरा अपनी सहेली की शादी में अकेली नही जाऊंगी।"
"मैं कब झ रहा हूँ,तुम अकेली जाओगी?हमारा बेटा राहुल भी तुम्हारे साथ जाएगा।"
"राहुल ही नही।राहुल के पापा भी मेरे साथ जाएंगे।"
"तुम्हारी सहेली की शादी है।मैं क्या करूँगा वहां जाकर।"
"गीता ने अपनी शादी मे तुम्हे भी बुलाया है।उसने फोन करके मुझे बोला है,जीजाजी को साथ ज़रूर लाना।
"मुझे साथ लाने के लिए कहा है।लेकिन मैंने तो तुम्हारी सहेली को देखा भी नही है।मैं उसे जानता भी नही।फिर वह मुझे क्यो बुलाएगी?"
"गीता तुम्हे जानती है।तुमने उसे देखा है और याद भी होगी।वह हमारी शादी में बहुत मजाक कर रही थी।उसने ही तुम्हारे जूते भी छिपाए थे।कैसे कैसे चुटकले सुना रही थी।"
निशा ने पति को याद दिलाया तो देवेन बोला,"वो लाल परी।लाल कपड़ों में आई थी।"
"हाँ। वो ही गीता है।मेरे साथ ही कालेज में पढ़ती थी।हम दोनों सर्विस भी साथ करते थे।हम दोनों का एक दूसरे के घर भी खूब आना जाना था"निशा पति को गीता के बारे में बताते हुए बोली,"यह चिट्ठी पढ़ लो।"
"तुम ही बता दो न क्या लिखा है?"
"मेरी प्यारी निशा,
अपने पति के साथ खुश होगी।मेरी शादी पक्की हो गई है।मैं अपनी शादी का कार्ड भेज रही हूँ तुझे मेरी शादी में ज़रूर आना है।लेकिन अकेले नही।मेरे प्यारे जीजाजी को भी साथ लाना है
पत्र सुनने के बाद देवेन बोला,"आज तक तुमने मुझे बताया नही"।
"क्या नही बताया?"पति की बात सुनकर निशा बोली।
"मैं आज तक समझता था।मुझे जीजाजी कहने वाला कोई नही है।लेकिन आज पता चला।मैं भी किसी का जीजा हूं,"देवेन पत्नी से चुहलबाजी करते हुए बोला,"मैं आज तक समझता था।मेरे लिए पत्नी,प्रेमिका,महबूबा सब कुछ मेरे लिए तुम ही हो।लेकिन आज पता चला।मेरी एक साली भी है।"
"हट्ट,"निशा पति की बात सुनकर बोली,"तुम्हे हर समय मजाक ही सूझती रहती है।"
"तुम इसे मजाक समझ रही हो।"देवेन पत्नी को बाहों में लेते हुए बोला,"हमे इस बात का पहले पता चल जाता तो?"
"तो क्या होता?"निशा की आंखों मे प्रश्न तेर रहा था।
"जिंदगी में लुत्फ आ जाता।"
"कोनसे लुत्फ की बात कर रहे हो?"निशा पति की आंखों में झांकते हुए बोली।
"हाफ वाइफ। प्राणों से प्यारी,जीवन संगनी,घरवाली,पत्नी की बहन यानी साली आधी घरवाली होती है।आधी घर वाली से प्रेम करने का कुछ अलग ही मजा होता है।साली जवान,चुलबुली,हसीन हो तो घरवाली भी फीकी नज़र आने लगती है।"देवेन पत्नी के गालों को थपथपाते हुए बोला।
"चलो हटो,"निशा पति को धकेलते हुए बोली"पराई लड़की पर नज़र रखते हो।"
"गीता पराई कैसे हुई।तुमने ही अभी बताया है।गीता तुम्हारी सहेली ही नही।बहन जैसी है।तुम्हारी बहन मेरी साली हुई।और साली पर तो जीजा का अधिकार होता है।"
"तुम्हारी बातो से लग रहा है।तुम्हारा मन ललचा रहा है।दूसरी लड़की पर नियत है।"
"यह तय मर्द की मनोवर्ती होती है।सूंदर औरतो को देखकर बड़े बड़े ऋषि मुनि भी अपनी तपस्या भंग कर चुके है।विश्वामित्र ने मेनका को देखकर अपना तप भंग कर दिया था।मैं ठहरा साधारण सा आदमी।अगर किसी नवयौवना को देखकर मेरा भी ईमान डग मगा जाए तो इसमें मेरा क्या दोष है।किसी औरत को देख कर मेरी नियत बिगड़ जाए तो भला इसमें मेरा क्या दोष है---
"चुप करो निशा पति की बात बीच मे काटते हुए बोली