"निलेश!? शादी को केवल दो महीने बाकी हैं, और आज तुम मुझे सगाई तोड़ने के लिए कह रहे हो? और वो भी बिना कोई कारण बताए?"
निलेश सायशा की ओर पीठ करके खड़ा हुआ था, मानो उसे सायशा की आंखों में देखना गवारा न हो।
"मुझे कारण देने की आवश्यकता नहीं है।"
सायशा जाकर निलेश के सामने खड़ी हो गई। उसकी आँखों में आंसू थे, लेकिन फिर भी उसने अपने दुःख और शिकायत को छिपाने की कोशिश नहीं की और दर्द भरी आवाज़ में पूछा,
"क्या तुम्हें नहीं लगता, तीन साल के रिश्ते के बाद, कम से कम मैं एक खुलासे की हकदार हूं?"
निलेश ने मुँह फेर लिया।
"बस यह समझ लो कि तुम्हारे साथ रिश्ता कायम करना मेरी सबसे बड़ी गलती थी। अब तुम मुझे पसंद नहीं हो। शादी के बाद पछताने से अच्छा है, हम अभी अलग हो जाए।"
इससे पहले कि सायशा कुछ बोल या पूछ पाती, निलेश उसे समुद्र के किनारे निराश और रोती हुई छोड़ कर चला गया। समुद्र ... दोनों के मिलने की पसंदीदा जगह, आज सायशा को वह तूफानी लग रही थी।
निलेश की कड़वाहट उसके दिल में चुभती रही और सायशा कई दिनों तक सोचती रही। उनके बीच सबकुछ ठीक था। तो इसका क्या कारण हो सकता है? सायशा यह मानने को तैयार नहीं थी कि अब निलेश को वह पसंद नहीं थी। उसे निलेश का बदला हुए व्यवहार समझ में नहीं आ रहा था। रोते हुए उसकी नजर उंगली पर सगाई की अंगूठी पर पड़ी। रोज़ गोल्ड में एक सच्चा हीरा जड़ा हुआ था।
"अब मेरा इस पर कोई अधिकार नहीं है। मैं कल जाकर निलेश को इसे वापस कर दूंगी।"
इस बात को ध्यान में रखते हुए, वह ऑफ़िस का काम करने बैठ गई।
अगले दिन जब वह निलेश के घर पहुंची, सायशा के घंटी बजाने से पहले, दरवाज़ा खुला और एक डॉक्टर बाहर आए। सायशा को देखते ही तुरंत बोले,
"श्रीमती निलेश पटेल, कृपया अपने पति को समझाएं, ज़िद छोड़ें और सर्जरी के लिए तैयार हों जाए। मैं समझता हूं, सर्जरी थोड़ी महेंगी ज़रूर है, लेकिन ज़िन्दगी से बड़ कर कुछ नहीं है।"
सायशा दंग रह गई और ऐसी डर गई कि आवाज़ गले मे अटक गई। कुछ कहे उस्से पहले, डॉक्टर कार में बैठ कर चले गए।
लिविंग रूम में कोई नहीं था। निलेश वैसे भी अकेला रहता था। सायशा सीधे बेडरूम में गई।
निलेश अपने घर में सायशा को देखकर चौंक गया।
साइड टेबल पर अपनी फोटो देखकर, सायशा समझ गई कि डॉक्टर ने उसे श्रीमती निलेश पटेल के रूप में क्यों संबोधित किया था। फोटो फ्रेम के पास रिपोर्ट का एक कवर पड़ा था। सायशा ने जल्दी से कवर उठाया, और निलेश के विरोध करने से पहले पढ़ना शुरू किया। दिल को ऐसा धक्का लगा की हैरानी में वह निलेश के पास बिस्तर पर बैठ गई।
उसे बहुत दुख हुआ, लेकिन गुस्सा भी उतना ही आ रहा था। और इसी कशमकश में सायशा निलेश पर बरस पड़ी।
"तुम्हें मैं पसंद नहीं हूं या फिर अपनी ज़िंदगी? सर्जरी क्यों नहीं करवानी है? आत्महत्या करने की सोच रहे हो क्या? बोलो?!"
कई मौन सेकंड बीत गए। निलेश ने अपनी नज़र जुकाली और धीरे से कहा,
"सर्जरी से ठीक होने की केवल पचास प्रतिशत संभावना है, मैं अंधा भी हो सकता हूं। इसलिए मैं नहीं चाहता था कि तुम मेरे पीछे ..."
"खुद से अलग करके कितना अच्छा सोचा मेरे लिए, राइट!"
निलेश के चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेते हुए सायशा ने कहा,
"मैं दिल से तुम्हारी पत्नी बन चुकी हूं और मुझे इसके लिए शादी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।"
"सायशा ....!"
"हम सबसे अच्छे डॉक्टर को दिखाएंगे और तुम्हें कुछ नहीं होगा, समझ गए?"
निलेश भावुक हो गया और सायशा के माथे को चूम लिया।
सायशा ने अपना पर्स खोला और सगाई की अंगूठी निकालकर निलेश के हाथ रखी। निलेश उलझन में पड़ गया। सायशा हंस पड़ी,
"मैं तुम्हें अंगूठी वापस नहीं दे रही हूं, हालांकि मैं इसे वापस करने ही आई थी। लेकिन अब आपने हाथो से मुझे दुबारा पहनाओ और मुझे दिए हुए सारे वचन याद करो।"
निलेश ने सायशा को अंगूठी पहनाई।
"निलेश, क्या मैं कुछ कहुँ?"
"क्या?"
"तुम्हारा मुझे छोड़ने का कारण प्यार था और मैं तुम्हारे साथ रहना चाह्ती हूँ, इसका कारण भी प्यार ही हैं।"
"हाँ स्वीटहार्ट।"
निलेश ने सायशा को गले लगाते हुए भगवान का शुक्रिया अदा किया, सायशा के लिए और उसे एक भयानक गलती से बचाने के लिए।
शमीम मर्चन्ट, मुंबईFollow me on my blog
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