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🎼🎼कम्पेयर ना करना किसी का 🎼🎼
कम्पेयर ना करना किसी का
मैं खुद मे ही रहती हो
ना मुझ जैसा कोई है
ना किसी जैसी मैं हो
फिर क्यों करना कम्पेयर मुझी का
मैं नहीं चाहती
खुद को बदलना
मैं जैसी हो वैसी ही रहो
ना मैं चाहती
किसी को खुद के लिए बदलना
जो जैसा है वैसे ही रहे
फिर क्यों करना कम्पेयर किसी का
मैं तो रहो मुझ में ही l
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करता कोई जब कम्पैरिंग खुदी का
होता नुकसान उसी का
जिस से करते तुम खुद की कम्पैरिंग
वो तो होता अनजान तुम्ही सा
दुसरो जैसा बनाने लगे जो खुद को
खो देता वो पहचान खुदी का
फिर क्यों करना कम्पैरिंग खुदी का
नुक्सान तो होता उसी का l
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करता कोई कम्पैरिंग जब अपनों का ,
होता नुक्सान रिश्तो का
चाहता वो बनाना खुद के अपनो को ,
जब किसी दुसरो सा
तब देख ना पता वो ,
अपनों के गुणों का ,
चलता जाता वो अपनों को,
दुसरो सा बनाना ,
भूल जाता अपनों की
खूबियों का अपना बनाना,
अंत मे बनाना देता वो ,
अपनों को दुसरो की कमियों सा
तब ना बनाना पाता वो अपनों को ,
खुद का अपना सा
रिश्ते बिखर टूट जाते ,
फिर ना जुड़ पाता वो अपनों सा
फिर क्यों करता कम्पैरिंग अपनों का
नुक्सान तो होता तब अपनों का l
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कम्पेयर करना है ,
तो खुद को करना ,
की खुद जैसा तू है जा नहीं
तुझ मे है जो खूबियाँ
किसी मे वो है कही
तुझ मे है जो
कमियाँ किसी और मे वो है कही
अपनी कमियों को
तू अपनाना ,
खुद को खुद से
बेहतर बनाना ,
अपनी अंदर की
खूबियों को तू सब को दिखाना ,
अपने अंदर छुपी
इन्सानियत को तू जगाना ,
खुद को आगे लेकर तू आना ,
फिर से तू खुद की कम्पैरिंग
खुद से करता जाना ,
हर दिन अपना बेहतरीन बनाना ,
खुल के इस ज़िन्दगी को अपना बनाना ,
फिर क्यों करता तो कम्पैरिंग किसी का
खुद को तू , आईना बन दिखाना ,
खुद की कम्पैरिंग खुदी से करता जाना l
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🎼🎼उम्मीद नहीं छोड़ना 🎼🎼
खुद को खुद के साथ मिलाने की
उम्मीद नहीं छोड़ना...
आखरी साँस तक
उसकी मोहब्बत को अपना बनाने की
उम्मीद नहीं छोड़ना ...
रूह को रूह से मिलाने की
उम्मीद नहीं छोड़ना ...
क्योकि एक दिन तुम्हारा भी होगा
दुनिया को अपना बनाने की
उम्मीद नहीं छोड़ना ....
सब को साथ लेकर चल ,
ज़िन्दगी मे आगे बढ़ते जाने की
उम्मीद नहीं छोड़ना ....
खुद से लड़ कर ,
अपने खाव्बों को अपना बनाने की
उम्मीद नहीं छोड़ना ...
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🎼🎼कर भी क्या सकते थे 🎼🎼
लड़ते हम उन्ह से , वो अगर कोई हमे हक़ तो देते
अब खुद से ही लड़ सकते थे ,
हम और कर भी क्या सकते थे....
समझाते हम उन्हें , वो अगर समझना चाहते
अब खुद को ही समझा सकते थे ,
हम और कर भी क्या सकते थे...
रोक ते हम उन्हें , वो अगर कभी आये होते
अब खुद को ही हम रोक सकते थे ,
हम और कर भी क्या सकते थे ....
मोहब्बत हमने करी,
उन्हों ने तो जिस्मो का ब्यापार था करा ,
अब खुद को ही गुन्हेगार बाता सकते थे
हम और कर भी क्या सकते थे ....
To be countined......✍️✍️✍️✍️
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