Agonizing heart (part 3) (last part) books and stories free download online pdf in Hindi

तड़पता दिल (भाग 3) (अंतिम भाग)

नज़मा जब केवल चार साल की थी।तभी उसके अब्बा रमजान की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी।उसकी माँ सुल्ताना जवान थी।उसके सामने अभी पूरा जीवसं पड़ा था।सुल्ताना के अब्बू और मम्मी ही नही दूसरे रिश्तेदार और परिचित भी चाहते थे।वह फिर से निकाह कर ले।कुछ ने तो उसके सामने निकाह का प्रस्ताव भी रझा था।लेकिन सुल्ताना ने बेटी के भविष्य को ध्यान में रखकर निकाह करने से इनकार कर दिया।
सुल्ताना शिक्षित महिला थी।उसने एक स्कूल मे नौकरी कर ली।शौहर के गुज़र जाने के बाद उसने अपना पूरा ध्यान बेटी के लालन पालन की तरफ लगा दिया।
नज़मा अपनी माँ के त्यागमय जीवन से बहुत प्रभावित थी।वह अपनी माँ से बेइंतहा प्यार करती थी।उसके लिए माँ पहले थी और उसका प्रेमी राजन बाद मेंमाँ की खुशी के लिए कोई भी कुर्बानी दे सकती थी।
काफी दिन गुज़र जाने के बाद एक दिन राजन,नज़मा से मिला।तब उसने पूछा था,"नज़मा तुम्हारी मम्मी हमारी शादी के लिए तैयार हुई या नही?"
"राजन मैने हर तरह से कोशिश करके देख ली है,लेकिन अम्मी मेरा निकाह तुम से करने के लिए तैयार नही है।बेहतर होगा राजन तुम मुझे भूल जाओ।समझ लो हम कभी मिले ही नही थे।"
"नज़मा यह तुम कह रही हों?"नज़मा की बात सुनकर राजन आश्चर्य से बोला,"इसका मतलब तुम मुझे प्यार नही करती।"
"राजन तुम गलत समझ रहे हों।जैसा तुम सोच रहे हो ऐसा नही है,"नज़मा बोली,"तुम मेरी जिंदगी मे आने वाले पहले मर्द हो।मैं तुम्हे दिल से चाहती हूँ।प्यार करती हूँ।"
"अगर तुम सचमुच मुझे चाहती हो।प्यार करती हो,तो चलो हम दोनों कोर्ट में शादी कर लेते है।"
"नही राजन।मैं तुमसे प्यार करती हूँ,लेकिन माँ को भी चाहती हूँ।मा की मर्जी के खिलाफ में तुमसे शादी नही कर सकती।"
"इसका मतलब है तुम्हारी मम्मी जिसे चाहेगी उससे तुम शादी कर लोगी?"
"राजन मेरी तमन्ना तुम्हे अपना शौहर बनाने की है।लेकिन मा की खुशी के लिए अगर मुझे किसी दूसरे मर्द से शादी करनी पड़ी,तो मै जरूर करूंगी।मजबूरी में मुझे चाहे दूसरे की पत्नज बनना पड़े,लेकिन मेरी जिंदगी में आने वाले तुम पहले मर्द हो।जिसे मैंने चाहा, प्यार किया और अपना हमसफर बनाने का ख्याब देखा।दूसरे की बीबी बनकर शरीर से चाहे उसकी हो जाऊं लेकिन दिल से तुम्हे ही चाहती रहूंगी।प्यार करती रहूंगी।"
राजन, नज़मा से कोर्ट मैरिज करने के लिए तैयार था।लेकिन नज़मा माँ के खिलाफ विद्रोह को तैयार नही हुई।तब राजन नाराज होकर चला गया।
राजन ने नज़मा को भुलाने का प्रयास किया।लेकिन नज़मा,राजन के दिलो दिमाग में इस तरह छा चुकी थी कि वह उसे न भुला पाया।न अपने दिल से निकाल पाया।
नज़मा नही चाहती थी कि राजन उससे मिले।लेकिन राजन उसके पास आ ही जाता।नज़मा कहती वह उसे भूल जाये।लेकिन राजन उसे ही अपनी पत्नी बनाना चाहता था।राजन के बार बार समझाने पर भी नज़मा माँ के खिलाफ विद्रोह के लिए तैयार नही हुई।तब राजन, नज़मा के घर जा पहुंचा।नज़मा बाहर लॉन मे बैठी थी।
"तुम्हारी मम्मी कहां है?"राजन ने पूछा था।
"क्यो?"
"उनसे बात करनी है।"
"रूम में है।"
राजन ,सुल्ताना के पास जाकर बोला,"नज़मा मुझसे प्यार करती है।मुझसे शादी के लिए तैयार है।फिर आप क्यो नही चाहती?"
"देखो राजन मैं पहले ही कह चुकी हूँ।मैं अपनी बेटी की शादी अपने धर्म के मर्द से ही करूंगी।"
"फिर मुझे नज़मा से मुझे जबरदस्ती शादी करनी पड़ेगी।"
"मेरे जीते जी तुम कभी अपनी इच्छा पूरी नही कर पाओगे।"
"यह बात है तो लो।,"राजन अपने साथ बन्दूक लाया था।उसने सुल्ताना को गोली मार दी।वह नीचे गिर गयी।गोली की आवाज सुनकर नज़मा दौड़ी चली आई
" यह तुमने क्या किया?"अंदर का दृश्य देखकर वह बोली।
"तुम्हारी माँ हमारी शादी नही होने दे रही थी।मैने उसे मार डाला।
"तुमने मेरी माँ को मार डाला।मैं तुम्हे नही छोडूंगी।"नज़मा,राजन के हाथ से बन्दूक छीनने का प्रयास करने लगी।इस प्रयास में गोली चली और नज़मा के जा लगी।
"यह मैने क्या कर डाला।"प्रेमिका की लाश देखकर बोला,"जब मेरा प्यार ही नही रहा तो मैं जीकर क्या करूँगा।"
और उसने भी गोली मार ली।लेकिन राजन बच गया और जेल मे है


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