MIKHAIL: A SUSPENSE - 21 books and stories free download online pdf in Hindi

मिखाइल: एक रहस्य - भाग २१ - जोनाथन की घर वापसी

"चाहे जो कुछ भी हो जाये यह बात बाहर नही आनी चाहिए।" रामदासने अपने सेक्रेटरी को कहा क्योकि, वो जनता था कि, चुनाव सर पर है और अगर वो वीडियो बाहर आ गया जो उसे और अजित को मिला था तो उसके लिए मुश्किल बढ़ जाएगी और वो ऐसा कभी नही चाहता था, चुनाव के वक़्त तो बिल्कुल भी नही।

"लेकिन, सर हमें पता तो करना होगा न कि इन सब के पीछे कौन है और उसका मक़सद....."

"असित, तुमको जितना कहा जाए सिर्फ उतना करो, अपना दिमाग ज़्यादा न चलाओ। एक बार चुनाव ठीक से हो जाये फिर जो भी होगा देखा जाएगा, और एक काम करो पता करो आई.जी.प्रभु कहा रहता है आज कल। उसके साथ मेरी एक प्राइवेट मीटिंग फिक्स करो। परिस्थितियों की गहराई तो तुम्हे मालूम ही है तो जितना जल्दी हो उतना बेहतर है मेरे लिए भी और तुम्हारे लिए भी।" इससे पहले की रामदास का सेक्रेटरी अपनी बात पूरी कर पाता रामदास ने उसकी बात काटकर बेहद ही गुस्सैल स्वरमें कहा जिसपर असित ने कोई भी प्रतिकिया नही दी और मन ही मन रामदास को कौंसता हुवा वहां से चला गया।

"हमको सीखने चला है मादरचोद। एक बार इस हरामज़ादे का पता चल जाये कि कौन है इसके पीछे, गर माँ न चोद दी उसकी तो नाम बदल दूंगा अपना।" सेक्रेटरी के जाने के बाद उसी गुस्से से भरे लहजे में रामदास ने अपनी दिल की बात एकांत में उड़ेल दी जो उसे मन ही मन सता रही थी। साफ तौर पर ज़ाहिर था कि उसे आनेवाले चुनाव ठीक से हो जाने का टेंशन अपनी हदे पार कर चुका था।

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लक्ष्मी प्रसाद का जन्म एक बेहद ही छोटे परिवार में हुवा था। उसके पिताजी बरसो पहले बिहार से आकर गुजरात के एक छोटे से गांव चोटिलामे बस गए थे। वहां वे गोलगप्पे का ठेला चला कर अपना जीवन यापन किया करते थे। अपने पिता द्वारा की गई मेहनत को लक्ष्मी ने विफल नही होने दिया। गुजरात यूनिवर्सिटी से बीकॉम करने के बाद IBPO की एग्जाम पास करते हुवे उसने "दी स्टैण्डर्ड बैंक" में एक केशियर के तौर पर नौकरी पा ली।

दी स्टैण्डर्ड बैंक की एक शाखा पिछले २ दशकों से चोटिला में कार्यरत थी जो शास्त्रीनगर रोड, नेशनल हाईवे 8b पर स्थित थी।

बैंक के अन्य कर्मचारियों की तुलना में लक्ष्मी हमेशा अपने कार्यस्थल पर पहले पहुंचती थी कभी कभी तो बैंक के सिक्योरिटी गार्ड से भी पहले, और इसी कारण बैंक की एक चाबी हमेशा उसके पास रहती थी।

लेकिन आज जब वो बैंक पहुंची तो उसने देखा कि, बैंक की सेफ्टी ग्रिल पर एक सफेद रंग का लिफाफा चिपका हुवा था जिस पर, " अब्दुल तैयब, आलमगीर हाइट्स, मलेरकोटला रोड, लुधियाना - १४११२२" का अड्रेस लिखा हुआ था।

सेफ्टी ग्रिल का लॉक खोलने से पहले उसने बड़ी ही सावधानी से वो लिफाफा निकाला और बैंक की सेफ्टी ग्रिल का लॉक खोला। जैसे ही उसने आगे बढ़ना चाहा ठीक उसी वक़्त सिक्योरिटी गार्ड भी आ पहुंचा और फिर वे दोनों बैंक के अंदर चले गए।

लक्ष्मी ने अपनी बिखरी हुई डेस्कटॉप को थोड़ा सही किया फिर सेफ्टी ग्रिल पर मील लिफाफे को खोलने लगी। जब उसने लिफाफा खोला तो उसमें से एक लेटर के साथ एक पेन ड्राइव मिली।

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विस्टारा द्वारा संचालित यूनाइटेड एयर की फ्लाइट नंबर UA-5775 जो दिल्ली से ५:५५ मिनट के फ्लाइट ले ओवर के बाद उड़ी थी वो अब शिकागो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आ पहुंची थी। अहमदाबाद से शिकागो की हवाई यात्रा बेहद ही लंबी और थका देनेवाली थी। जब जोनाथन शिकागो पहुंचा तो सुबह के ५:३० बज चुके थे।

मिखाइल के गुम हो जाने के बाद रोबर्ट ने जोनाथन और पैरी के साथ शिकागो छोड़ ऑस्टिन बसा लिया था लेकिन जब हालात फिर से सामान्य हो गए तो वे फिर एक बार शिकागो बस गए। लेकिन, जोनाथन ने ऑस्टिन में ही रहने का फैसला किया था। क्योंकि, शिकागो उसे हर वक़्त अपने पिता को कभी ढूंढ नही पाने का एहसास दिलाता रहता था। आज वो अंकल रोबर्ट के वहां ही रहने वाला था और अगले दिन फिरसे उसे शिकागो से ऑस्टिन तक का 17 घंटे का एक लंबा सफर तय करना था।

★★★★★★★


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