अंजाना इश्क़ (प्रकरण-२) Suresh Pawar द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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अंजाना इश्क़ (प्रकरण-२)

पहले प्रकरण में आपने पढ़ा कि कैसे एक अंजाना शख़्स रिधिमा के कमरे घुस जाता है। जिस कारण रिधिमा को अपने मकान मालिक से बहुत डाट खानी पड़ती है। उसी कारण के चलते रिधिमा को उसका मकान छोड़ना पड़ता है और वो आधी रात को सड़क पर आजाती है। अब कहानी आगे।

रिधिमा और वो अंजाना शख्स अब आधी रात को सुमसाम सड़क पर चल रहे है। उस सड़क पर दोनो अकेले है। रिधिमा के हाथ में बेग है। वो रात काफी डरावनी और गुमनाम है। दोनो को पता नही कि दोनो कहा जा रहे है बस चले जा रहे है। दोनो काफी डरे हुए है।

रिधिमा डरती हुई चुपचाप चल रही है। तभी उसे ख्याल आता है कि जिस शख्स को वो जानती भी नही और जिसके कारण उसे रास्ते पर आना पड़ा वो शख्स भी उसके साथ चल रहा है। वो रुकती है और उस शख्स को डाट लगाती है। वो उसे पूछती है कि कौन हो तुम और मेरे रूम में तुम घुसे कैसे थे? और हिम्मत तो देखो इतना सब होने के बाद भी मेरे साथ चल रहे हो। आखिर तुम अपना मुह खोलोगे और कुछ बोलोगे। अंजाना शख्स थोड़ा सहमा हुआ और डरा हुआ होता है। उसका सर झुका हुआ होता है। वह रिधिमा से माफ़ी मांगता है। मेरा नाम राहुल है। देखो जो कुछ भी हुआ उस के लिए मै माफ़ी चाहता हूँ। मेरा मंतव्य तुम्हें ठेस पहोचाना नही था। रिधिमा कहती है कि यू इस तरह माफ़ी मांगने से हालात अच्छे नही होंगे। लेकिन मै जानना चाहूँगी कि तुम्हारे साथ ऐसा क्या हुआ जो तुम्हें मेरे कमरे में चोरी छुपे घुसना पड़ा?

राहुल कुछ ना छुपाते हुए अपनी कहानी रिधिमा को सुनाता है। वह कहता है कि उसे एक अभिनेता बनना है उसी कारण उसे मुंबई आना पड़ा। उसे मुंबई आते १२ दिन हो गए थे। इतने दिन से ना उसे ठीक से खाना नसीब हुआ ना एक अच्छी नींद। अपने अभिनेता बनने के प्रयास में राहुल सुबह एक जगह ऑडिसन देकर आया था। लेकिन वह असफ़ल रहा था। जिस कारण वह मायूस था। उसके पास पैसे भी काफी नही थे कि वह अब आगे गुजारा कर सके या मुंबई जैसे महंगे शहर में रह सके। मुंबई जैसे शहर में होटल सुविधाए बहुत महंगी है। जिस कारण वह रात स्टेशन पर गुजारता था। लेकिन पुलिस उसे वहा सोने नही देती थी। कभी भी पुलिस वहा आजाती थी जिस कारण उसे वहा से भागना पड़ता था। फ़िर वो रात यहाँ वहाँ भटक कर निकलता था। उस रात भी कुछ ऐसा ही हुआ था। पुलिस के आने के कारण उसे वहाँ से भागना पडा था। फ़िर राहुल रोज कि तरह यहाँ वहा भटकता गुम रहा था। तभी एक जगह उसे चोर चक्को ने घेर लिया और उसका बेग और पैसे उससे छिन लिएफ़िर राहुल ने उनको पुलिस बुलाने की दमकी दी और चोर चक्को ने राहुल को मारने की ठान ली। चोर चक्को से अपनी जान बचाकर भागते हुए राहुल रिधिमा के कमरे में घुस गया।

राहुल की कहानी सुनकर रिधिमा काफी भावुक हो जाती है। रिधिमा उससे माफ़ी मांगती है और कहती है कि माफ कर देना मैने तुम्हे गलत समझा और काफी डाट भी दिया। राहुल कहता है कि कोई बात नही कभी कभी गलतफेमी हो जाती है। तुम्हें माफ़ी मांगने की जरूरत नही। रिधिमा थोड़ी मजबूत होकर राहुल से कहती है कि ठीक है तुम्हारे साथ जो हुआ गलत हुआ। तुम्हारी वजह से मै भी सड़क परगई। मै तुम्हे दोस तो नही दे रही क्युकी हालात ही ऐसे थे। इसका मतलब ये नही कि तुम मेरे गले पड़ जाओ और मेरे पीछे पीछे चलो। देखो तुम्हारी मंजिल अलग है और अब मेरी भी कोई मंजिल है। बहेतर है कि तुम अपने रास्ते जाओ और मै अपने रास्ते। रिधिमा की बात सुनकर राहुल कुछ ज्यादा बोलता नही और ठीक है कहकर आगे बढ़ता है। रिधिमा उसे फ़िर रोकती है और कहती है रुको। राहुल रुक जाता है। रिधिमा उसे फ़िर कहती है कि उस रास्ते तुम नही मै जाउंगी। फ़िर राहुल अपना रास्ता बदलता है और रिधिमा उस रास्ते पर आगे बढ़ती है। रिधिमा कुछ कदम आगे बढ़ती है फ़िर उसे काली रात और डरावना अंधेरा नज़र आता है। कुत्तो की रोने की आवाज़ सुनाई देती है। रिधिमा डर जाती है। वह राहुल को फिर रोकती है। वह भागकर उसके पास जाती है और कहती है। देखो वैसे भी तुम काफी तकलीफ़ में हो और उपर से ये डरावनी रात और सुमसाम सड़क है। और क्या भरोसा वह गुंडे चोर चक्के फिर तुम्हे मारने आ गए तो! तुम्हे बचाने कोई तो तुम्हारे साथ होना चाहिएइसलिए मैने फैसला किया है कि मै तुम्हे अकेले नही छोड़ूंगी। अब सुबह तक हमारी मंजिल एक ही होगी। राहुल कुछ ज्यादा ना बोलते हुए कहता है कि ठीक है। बस वह इतना कहता है और अब दोनो साथ में है और एक साथ चल रहे है। वही काली रात और डरवानी सड़क है। तो सोचिए अब कहानी में आगे क्या होगा? कैसे काटेंगे ये दोनो रात? क्या इन दोनो के नसीब में मिलना लिखा है तो क्या ये आगे अलग भी हो जायेंगे? सुबह तक इनकी मंजिल एक है तो क्या सुबह होने के बाद भी इनकी मंजिल एक रहेगी? या इनका साथ सुबह तक ही लिखा है? बहुत से सवाल होंगे मन में लेकिन जवाब मिलेगा अगले प्रकरण में।