एक फूल दो माली (भाग 2) Kishanlal Sharma द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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एक फूल दो माली (भाग 2)

लेकिन वह औरत कोई अजनबी नही उसके दोस्त की पत्नी यानी उसकी भाभी थी।लेकिन थी तो औरत।और एक कश्मकश उसके दिलोदिमाग में होने लगी।एक तरफ रेवती की देह को पा लेने की लालसा दूसरी तरफ रिश्ते की झिझक।अगर कही रेवती ने उसे झिड़क दिया तो वह उसकी नज़रो में हमेशा के लिए गिर जाएगा।
वासना का ज्वार बड़ा बुरा होता है।कामवासना के आगे नैतिकता,आदर्श सब आदमी भूल जाता है।मोहन भी अपने आप पर काबू नही रख सका और रेवती के बिस्तर पर जा पहुंचा।
मोहन को अपने बिस्तर पर देखकर रेवती अजीब धर्म संकट में फस गई।एक तरफ पतिव्रता धर्म था।दूसरी तरफ पति का दबाव।पतिव्रता धर्म उसे पराये मर्द से सम्बन्ध बनाने की इजाजत नही देता था।लेकिन उसके पति को उसकी कोख से बच्चा चाहिए था।और यह तभी संभव था,जब वह मोहन से संपर्क जोड़े।
वह पतिव्रता धर्म का पालन करे या पति की बात माने।रेवती असमंजस में थी।कोई निर्णय नही कर पा रही थी।और मोहन
उसके शरीर पर छाता चला गया।
मोहन पूर्ण मर्द था।रेवती को शादी के बाद पहली बार पता चला था कि संतुष्टि क्या होती है।सेक्स में कितना मजा आता है।उस दिन रेवती को इतना आनंद आया कि उसके बाद जब भी मोहन ने रेवती से संबंध बनाने का प्रयास किया।रेवती ने कभी मना नही किया।बल्कि रेवती भी जब भी मौका मिलता उसे उकसाती।मोहन से शारीरिक संबंध का ही नतीजा था कि रेवती के दिन चढ़ गए।
"मै माँ बनने वाली हूँ।"रेवती ने अपने गर्भवती होने की बात पति को बताई थी।
"सच".पत्नी के गर्भवती होने की बात सुनकर दीना की खुशी का ठिकाना नही रहा।उसने पत्नी को गोद मे उठा लिया।वह उसे गोद मे उठाकर कमरे में घूमने लगा।उसको खुश देखकर रेवती बोली,"इतना खुश होने की जरूरत नही है।"
"खुश क्यो नही होंऊ?में बाप बननेवाला हूँ।"
"तुम अच्छी तरह जानते हो।मेरे गर्भ में पल रहा बच्चा मोहन का है।"
"इस राज को सिर्फ मैं और तुम ही जानते है।"पत्नी की बात सुनकर दीना बोला,"दुनिया की नज़रों में मैं ही इसका बाप हूँ।इसे मेरा ही नाम मिलेगा।"
पत्नी के गर्भवती होने पर दीना उसका पूरा ख्याल रखने लगा।उसके खान पान का पूरा ख्याल रखने लगा।और नो महीने के बाद रेवती ने एक सुंदर बेटे को जन्म दिया था।
बेटा होने और बाप बनने की खुशी में उसने एक शानदार पार्टी दी थी।
और धीरे धीरे कई महीने गुज़र गए।मोहन का आना पहले की तरह ही जारी रहा।मोहन से रेवती के शारीरिक संबंध पहले की तरह ही जारी रहे।इस बात का पता दीना को भी था।एक दिन दीना पत्नी से बोला,"अब तुम मोहन से संबंध तोड़ लो।उसे अपने घर आने से मना कर दो।"
रेवती ने पति की बात को सुना अनसुना कर दिया।तब दीना पत्नी को रोज रोज टोकने लगा।मोहन से उसके संबंध पर एतराज जताने लगा।तब एक रेवती बोली,"मोहन से संबंध बनाने के लिए मुझ पर दबाव किसने बनाया था।"
"मै बाप बनना चाहता था।मैं बच्चा चाहता था।वो भी सिर्फ तुम्हारी कोख से ही।इसलिए मैंने तुम्हें दूसरे मर्द से शारीरिक संबंध जोड़ने के लिए कहा था,"पत्नी की बात सुनकर दीना बोला,"लेकिन अब बच्चा हो गया है।तुम मा बन चुकी हो और मैं पिता।अब तुम मोहन से संबंध तोड़ लो।