भाग 8
रंजन ने अपनी मम्मी को रत्ना के बारे में पहले ही बताया था और कह दिया था कि उससे ही शादी करूंगा। मौसी के घर से जब वे लौंटी तो रंजन ने कहा, भइया के लिए लड़की क्यों नहीं देखती हो। वह जीवन भर पढ़ता रहेगा तो क्या मैं जीवन भर उसकी शादी के इंतजार में कुंवारा रहूंगा। इक्कीस का हो गया हूं। रत्ना के घर में उसकी शादी की बात चल रही है। मुझे उससे ही शादी करनी है।
जानती हूं तुझे रत्ना पसंद है। बड़े भाई से पहले तेरी शादी कैसे करूंगी? उसकी शादी हो जाती है तो होने दे। तेरी लिए उससे भी अच्छी लड़की ढूंढ दूंगी। वो कास्ट की भी नहीं है। उसकी मम्मी ने समझाया।
मम्मी हमारे कास्ट में न रत्ना के जैसी लड़की कभी मिल ही नहीं सकती है। देखी हो पहले वह कितनी सुंदर है ? कितना अच्छा परिवार है उसका। उसके घर में सबलोग डिसेंट हैं। उसके पापा कितनी अच्छी जॉब करते हैं।
कहां जॉब करते हैं उसके पापा, मम्मी ने पूछा।
कलेक्ट्रेट में और वे लोग सनराइज कॉलोनी में रहते हैं।
वो वर्मा जी की लड़की है?
हां, आप जानती हैं उन्हें?? रंजन को आश्चर्य हुआ।
हां, हमारे घर के बगल वाला प्लॉट एक बार देखने आए थे। एल शेप की है इसलिए खरीदी नहीं। उसी समय बातचीत हुई थी। अच्छा सुन किसी दिन लेकर आना उसे घर।
ठीक है मां, तुम देखकर ही खुश हो जाओगी, रंजन ने कहा।
घर में मरघट का सन्नाटा फैला था। रत्ना के पापा पौने सात बजे ऑफिस से घर आए। दरवाजा खुला था लेकिन अंदर अंधेरा छाया था। उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। अंदर आकर हॉल की लाइट जलाई तो देखा शलभ सोफे पर बैठा था। दीवान पर राशि लेटी थी। रत्ना उसकी पीठ पर सिर रखकर लेटी थी।
ये कैसी चुप्पी ओढ रखी है तुम सबने और लाइट क्यों नहीं जलाई? उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आया।
बेटी, ने जो कर डाला है आप सोच भी नहीं सकते हैं, वे रत्ना को पीठ से नीचे उतारते हुए एकदम मरी सी आवाज में बोलीं।
क्या हुआ बेटा रत्ना? वे बेटी से मुखातिब हुए।
रत्ना चुप रही।
लिंक रोड पर एक साइबर कैफे है हो सकता है आपकी नजर पड़ी हो। उस घर के आवारा लड़के से प्रेम कर रही है आपकी लाडली बेटी और कह रही है उसी से शादी करेगी। चुप पड़ा शलभ बोला।
रत्ना भइया क्या बोल रहा है बेटा, उन्हें यकीन ही नहीं हुआ। दिन भर मम्मी- मम्मी करने वाली उनकी छोटी सी बेटी इतनी बड़ी कब हो गई कि शादी की बात करने लगी।
तुमलोग ऐसे निराश मत हो। बच्ची है यह, समझाऐंगे इसे। समझ जाएगी।
बेटा अभी तुम्हारी उम्र प्रेम करने की है ही नहीं। तुम तो पढ़ाई में इतना मन लगाती थी, ये सब कैसे हो गया, उन्होंने रत्ना की पीठ पर हाथ फेरा।
मैं बोल चुकी हूं अब उसे भूल जाउंगी तब भी कोई यकीन नहीं कर रहा है।
जब ये बोल चुकी है तब विश्वास करो सबलोग, वे बोले। चलो, राशि मेरे लिए चाय बनाओ, उन्होंने रत्ना की मम्मी को उठाते हुए कहा।
फिर रत्ना से पढ़ाई की बात शुरू कर दी। चाय पीकर वे देर तक रत्ना को ऊंच – नीच, शादी विवाह में सावधानी रखने योग्य बातें। कम पढ़े लिखे होने के नुकसान आदि के बारे में बताते रहे। फिर खाना -खाने के बाद रत्ना से कहा, बेटा तुमने मम्मी से वादा किया है उसे भूल जाओगी। उस पर अमल करो।
जी, पापा। रत्ना ने इतना ही कहा।
अमन उस दिन देर रात लौटा। उसे भी सारी बातों की जानकारी हुई तो जाकर उसने रत्ना की पीठ पर तेज धौल जमाया। रत्ना चीख कर रोने लगी। पापा ने अमन को मना किया।
रत्ना ने सोचा था मम्मी सो जाएंगी तो मैं रंजन से चैट कर पांउगी। पर उसने पाया कि मम्मी लगातार सिसक रही है। मम्मी की पहलू में ही थी रत्ना पर वह मम्मी के आंसू नहीं पोछ सकी। उसकी समझ में नहीं आया। रंजन को चाहना क्या इतनी बुरी बात है। फिल्मों में तो दिखाते हैं जीत प्यार की होती है। शादी के बाद भी तो प्यार ही करना होता है फिर मैंने पहले किया तो गड़बड़ी कहां है? रंजन दूसरी जात का है इसलिए? रंजन को घर में सब बार- बार मैट्रिक फेल बोल रहे थे। कितना गलत है यह। उसे पढाई पसंद नहीं है तो इसमें उसकी क्या गलती? बिजनेस तो करेगा ही वह उसने सोचा। इसी तरह मन में तर्क वितर्क करते- करते वह सो गई।
सुबह शलभ ने कहा, फोन दे दे मुझे अपना और आज से तु कॉलेज नहीं जाएगी।
मम्मी देखो भइया को? आपलोग ज्यादा नाटक कर रहे हैं। मैंने बोला कि नहीं बात करूंगी उससे। भूल जाउंगी उसे। उसके बाद कुछ किया मैंने? फिर मुझे ये तंग क्यों कर रहा है, वह चीखी।
मम्मी ने शलभ को चुप रहने का इशारा किया। रत्ना से कहा कि वह अपने कमरे में चली जाए।
दो दिन रत्ना को कॉलेज जाने का मौका नहीं मिला। रंजन से उसने फोन पर भी बात नहीं की। हां चैट खूब होती थी। उसने उसे सारी बात बता दी थी। चौथे दिन वह कॉलेज गई। मम्मी ने उससे वादा लिया वह रंजन से कोई मुलाकाता नहीं करेगी। शलभ की नजर उस पर ही होगी। वादा तोड़ने पर पढ़ाई छुड़ा दी जाएगी। रत्ना ने मम्मी को विश्वास दिलाया और कॉलेज चली गई।
रंजन पहले से ही कॉलेज कैंपस में था। रत्ना से मिलकर उसने उसे मम्मी से मिलने की बात बताई। साथ ही कहा कि कल चलेंगे। आज तुम पढ़ाई कर लो। चेहरे को ढंक कर वह कॉलेज से निकल गया। क्लास खत्म करके रत्ना सीधे अपने घर पहुंची।
अगले दिन कॉलेज पहुंच कर उसने फस्ट क्लास अटेंड किया। फिर बाथरूम में जाकर कपड़े बदले। व्हाइट दुपट्टे से अपना चेहरा ढंका और ऑटो से रंजन के घर पहुंची।
रंजन की मम्मी ने उसे देखकर कहा, वाह सचमुच मेरे घर में उजाला कर देगी। मेरी बहू तो चांद का ही टुकडा है।
रत्ना शरमा गई। फिर उन्होने रंजन से कहा, तु बाहर जा मैं अपनी बहु से जरूरी बात करूंगी।
रंजन चला गया।
उसे बाहर क्यों भेज दी आंटी, रत्ना ने पूछा।
मुझे अब मम्मी बोल बेटी। देख मेरी कोई बेटी नहीं है। भगवान ने मुझे तेरे रूप में इतनी प्यारी बेटी दे दी। उन्होंने कहा तो रत्ना उनके गले लग गई। आप कितनी अच्छी हैं। मेरे घर में मुझे सबने बहुत डांटा, उसने कहा।
बेटा तुम्हारी मम्मी तुम्हें प्यार नहीं करती हैं। इसलिए ऐसा हुआ।
बहुत प्यार करती है मम्मी मुझे, पापा और भइया भी। बस पहली बार ही मुझे मार पड़ रही है। उसने उनकी बात बीच में ही काट कर कहा।
नहीं बेटा। तु बहुत भोली है। बचपन से उस घर में है तो थोड़ा लगाव है उन्हें बस। देखो रंजन का भइया सोहन अभी पढ़ाई कर रहा है। वह बड़ा है लेकिन रंजन तुमसे प्यार करता है और तुम्हारे घरवाले तुम्हारी शादी कहीं और कर दे सकते हैं इसलिए पहले रंजन की शादी करनी होगी। मैं इसके लिए तैयार हूं न, क्योंकि मैं रंजन से बहुत प्यार करती हूं। तुम अलग जाति की हो ऊपर से छोटे का पहले विवाह होगा तो समाज में तो मुझे भी बदनामी झेलनी पड़ेगी पर मेरे लिए रंजन की खुशी पहले है। तुम्हारे घर में सब तुमसे प्यार करते तो उनके लिए तुम्हारी खुशी पहले होती। दस साल से ऊपर के बच्चों को कौन मां-बाप मारते हैं बोलो? तुम्हारे घर वाले तुम्हें चाहते ही नहीं है बेटा। पर चिंता मत करना मैं तुम्हें दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करूंगी। उन्होंने रत्ना के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।
रत्ना को लगा आंटी, नहीं मम्मी ठीक कह रही हैं। सचमुच ये रंजन को कितना प्यार करती हैं और मुझे भी। वह उसी प्रकार उसके गले लग गई जैसे अपनी मम्मी के लगती है।
मम्मी मेरे घर में कोई हमारी शादी होने नहीं देगा। भइया तो रंजन को मारने की ही बात कर रहा था। उसने कहा।
चिंता मत कर मैं हूं न। कानून में लिखा है हर कोई अपनी मर्जी से विवाह कर सकता है। ऐसे कैसे कोई तेरा विवाह नहीं होने देगा। कितने साल की है तू।
अभी बर्थ डे आएगा तो अठ्ठारह की हो जाउंगी।
कब
अगले महीने सात तारीख को।
तो बस उतना ही इंतजार करना है बेटे। तब तक अपने घर में कुछ मत कहना सबकुछ मेरे भरोसे छोड़ दे। जब मौका मिले मुझसे मिलने आना, मैं सब ठीक कर दूंगी। उन्होने कहा।
रत्ना की आंखों में सतरंगी सपने तैरने लगे।