भाग 2
सुबह वह पूर्ववत उठी तैयार होकर स्कूल चली गई। उसकी कई सहेलियां मुझे चांद के पार ले चलो सीरियल, देखा करती थीं। उसने स्पोर्टस ब्रेक में समायरा के प्रेम में पड़ जाने की चर्चा शुरू की और सबको बताया कि उसे लगता है उसके सपनों का कोई राजकुमार है ही नहीं। वह तो कभी उसके बारे में कुछ भी महसूस नहीं करती और कभी भी वह उसके सपनों में भी नहीं आता है।
इसके साथ ही उसके सामने एक नई दुनिया खुलने लगी। ऐसी दुनिया जो उसके बीच ही थी पर उसकी नजरों से बिल्कुल ओझल, उससे छुप कर अपना स्तीत्व बनाए हुए थी और फल- फूल रही थी।
सबसे पहले सौम्या ने कहा, लगता है आज से तुम हमारी मंडली में आ जाओगी। कब से हम चाह रहे थे तुम कभी पढ़ाई- लिखाई और मम्मी- भइया की बातों के अलावे भी कुछ बोलने- सुनने में रूचि दिखाओ पर तुम्हारी सर्द चुप्पी के कारण हमसब तुमसे डरते थे और तुमसे छुपकर अपनी बातें किया करते थे।
रत्ना की कुछ समझ में ही नहीं आया। क्या बोल रही है, तुमलोग मुझसे छुपकर क्या बात करती थी? और तो तुमलोग से रोज ही बात करती हूं। कौन सी रूचि नहीं दिखाई?
इसपर सब हंसने लगी। तभी स्नेह आ गया। क्या बातें हो रही है सौम्या उसने आते ही पूछा।
यार, अब रत्ना को भी प्यार मुहब्बत में रूचि आ गई है। बच्ची अब बड़ी हो गई। सौम्या ने कहा तो सब हंस पड़े।
ऐइ, ये सब क्या मजाक बना रहे हो मेरा, सबको पीटूंगी मैं, कह दे रही हूं। उसने गुस्से से कहा।
कहने का मतलब ये है कि स्नेह मेरे सपनों का राजकुमार है, बहुत प्यार करते हैं हमदोनों एक दूसरे से, सौम्या ने कहा तो रत्ना अवाक् कभी स्नेह की ओर देखती कभी सौम्या की ओर।
ये क्या बात हुई? ऐसा कैसे? वह अचंभित सी बोली।
क्यों शौक लगा। तु है ही इतनी भोली, बेचारा चिरन्मय तुझे कितना पसंद करता था पर तेरा बचपना देख कर वह बहुत उदास हो गया था और आखिर में वह पायल के साथ खुश है। स्नेह ने कहा तो रत्ना जैसे आकाश से गिरी। चिरन्मय तो उसका कितना अच्छा दोस्त है। और क्या दोस्तों के बीच कोई किसी का राजकुमार हो सकता है? उसने खुद से ही प्रश्न किया।
उसे चिंतित देखकर पायल बोली, यार ये नई- नई हमारे क्लब में शामिल हुई है इसे असमंजस में मत डालो आराम से सारी जोड़ियों के बारे में बताओ।
इसके बाद उसे पता चला कि उसकी क्लास में आठ जोड़ियां हैं जो एक दूसरे से प्यार करते हैं। स्कूल के बाद बाहर मिलते हैं। घर में फोन से एक दूसरे से बातें करते हैं। इसके अलावे तीन लोग अभी कोशिश में लगे हैं। सबठीक रहा तो जल्द ही तीन जोड़ियां और बन जाएंगी।
रत्ना के लिए यह सब बिल्कुल नई बात थी। उसे बहुत ज्यादा आश्चर्य हो रहा था कि उसके दोस्त आपस में दोस्ती से आगे बिल्कुल अलग से रिश्ते में थे और उसे कुछ भी पता नहीं था। भला हो उस समायरा का जिसे प्यार हुआ और उसे यह सब दिव्य ज्ञान मिला।
लंच और स्पोट्स ब्रेक में इतनी ही बातें हो पाई। बस में उसकी फ्रेंड्स होती नहीं थी। तो आज बात इतनी ही हुई और रत्ना का प्रश्न अपनी ही जगह खड़ा रह गया। क्या उसके सपनों का भी कोई राजकुमार है? पर उसे तो कोई सपना नहीं आता? क्या मम्मी के साथ सोने के कारण ऐसा होता है? वह कभी भी सपना देखती है मम्मी ही दिखती है कभी- कभी बड़े भइया शलभ और मौसी की लड़की पिंकी बस। पर इन लोगों के सपने में राजकुमार कैसे आता है? और अपने स्कूल के दोस्तों के साथ प्यार कैसे हो जाता है? फिर उसे याद आया कि स्नेह ने कहा था कि चिरन्मय उसे पसंद करता था । पर चिरन्मय उसका इतना अच्छा दोस्त है। सालों से ही तो चिरन्मय को वह पसंद तो करती ही है पर दोस्त ही तो दिखता है। उसने बहुत सोचने की कोशिश की पर चिरन्मय उसे चिरन्मय ही दिखा। कुछ भी अलग सा नहीं लगा। तो क्या उसके सपनों का राजकुमार नहीं है? उसे दोस्तों से ही पूछना पड़ेगा।
घर पहुंचते ही वह पुरानी वाली रत्ना बन गई। दौड़कर पहले मम्मी की बाहों में झूल गई। शलभ भइया घर आए थे़? खाना खाए या नहीं और अमन भइया कहां हैं? उसने रोज की तरह मम्मी से सबके बारे में पूछा। फिर मम्मी के गालों में किस्सू देकर उनसे अलग हुई। ड्रेस चेंज करके जब वह आई तब तक मम्मी ने खाना गर्म कर टेबल पर लगा दिया था। बड़े भइया शलभ कांप्टीटिव एक्जाम की तैयार कर रहे हैं। दिन भर वह ग्रुप स्टडी के लिए दोस्तों के साथ होते हैं। बीच वाले भइया अजय इंजीनियरिंग कर रहे थे तो वह चेन्नई के इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहे थे। छोटे भइया अमन को लेक्चरर बनना था वे अभी ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष में थे। यहीं भोपाल में ही।
रात को फिर से सीरियल देखते समय वही प्रश्न मन में आया पर मम्मी के साथ सोते समय वह मम्मी की रोज वाली प्यारी सी रानी बिटिया बन गई थी। मम्मी के गले में बांहें डालें उनसे इधर- उधर बातें करते हुए सो गई।
संडे को उसने शलभ को सुबह ही बोल दिया, कई सप्ताह से मुझे घुमाने नहीं ले गए हो। आज कोई बहाना मत बनाना, मुझे हर हाल में जाना ही है। तीनों भाइयों में वह सबसे ज्यादा लाड़ शलभ से ही करती थी। यूं अमन उसका पीठिया था तो बनती तो उससे भी थी पर उसके साथ लड़ाई ज्यादा हो जाती थी। अमन भी छोटी कम कंप्टीटर ज्यादा मानता था उसे। अजय शुरू से हॉस्टल में ही रहा था पहले संस्कारशाला में फिर इंजीनियरिंग के हॉस्टल में। उसकी सभी भाइ बहनों से सामान्य ही बनती थी। शलभ उसे बहुत प्यार लाड करता था। उसके खूब नखरे उठाता, जब कहती पैर दबाता, घूमाता, उसकी मन- पसंद की चीजें दिलवाता। अपनी पार्केट मनी भी बचाकर उसे दे देता। आज भी उसने कह दिया कि जैसी तुम्हारी इच्छा। जल्दी खाना- खा लेना, उसके बाद चलेंगे।
वह शलभ के साथ बाइक पर बैठकर बड़ी झील जा रही थी। रास्ते में शलभ का फोन बजा तो वह बाइक साइड में कर के बातें करने लगा। रत्ना पीछे बैठी थी, तभी उसने देखा, सामने बाइक से आते लड़के ने बाइक धीरे की और अचानक रोक ली। वह एकटक उसे ही देखे जा रहा था। रत्ना से जब उसकी नजर मिली तो रत्ना के दिल में एक हलचल मची और पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गई। कौन है वह? जब उसने बाइक धीरे करते हुए रोकी तो उसके सामने के बाल जो तेज हवा में उड रहे थे, पहले मचले फिर धीरे ललाट की ओर सिमट गए। उसके बालों का यूं झूमकर शांत हो जाना रत्ना को बहुत अच्छा लगा। इससे पहले उसका ध्यान कभी किसी लड़के के बालों की ओर गया ही नहीं था। रोड के उस पास था वह पर रत्ना को बिल्कुल अपने सामने बल्कि अपने अंदर महसूस हो रहा था। गेहूआ रंग था उसका। चौड़ा चेहरा। छोटी- छोटी आंखें। हल्की सी मूंछ। उठी- उठी नाक। कुल मिलाकर वह मोहक लग रहा था। नीली जिंस के साथ उसने नीला टीशर्ट पहना हुआ था। रत्ना की नजर उसकी ओर से हट ही नहीं रही थी। न ही उस अजनबी की। कौन हो तुम? रत्ना के मन ने कहा। बार- बार वे एक दूसरे को देख रहे थे। वह तो बीच- बीच में बड़ी- हल्की बड़ी मोहक सी मुस्कान भी बिखेर रहा था। पर रत्ना तो सारे भाव भूल गई थी बस उसे देख रही और सोच रही थी कौन हो तुम?