आजादी - 23 राज कुमार कांदु द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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आजादी - 23



कालू ने दूसरे लडके को करीब बुलाया । पीछे पैसे गिननेवाले ने उसकी भी शिकायत की थी । कालू ने गिरीश नाम के उस दस वर्षीय लडके की तरफ देखा । गिरीश भी ढीठ ही दिखाई पड़ रहा था । बिना डरे बिना पलकें झुकाए कालू की तरफ देखता रहा । कालू ने पीछे खड़े गुंडे को आवाज दी ” अरे साजिद ! क्या हाल है रे इस जमूरे का ? ”
साजिद ने आगे बढ़ कर तुरंत ही जवाब दिया ” भाई ! इस जमूरे की हरकतें अब बढ़ती ही जा रही हैं । कल कम रकम जमा कराया था इसलिए इसको चेतावनी भी दी थी लेकिन आज तो इसने कल से भी कम रकम जमा कराया है । ”
कालू ने आँखें बड़ी करते हुए हैरत से कहा ” अच्छा ! तो कल इसे चेतावनी दी गयी थी । फिर भी इसमे कोई सुधार नहीं हुआ । ठीक है आज हम इसकी ऐसी दवाई करेंगे कि फिर कभी इसे चेतावनी देने की भी जरुरत नहीं पड़ेगी ……………”
अभी कालू आगे और कुछ कहता कि तभी पिछे नगदी गिन चुके गुंडे ने कालू के पास आकर खड़े होते हुए बोला ” भाई ! किस किसका सुधार करेंगे ? करीब करीब सबकी हालत ऐसी ही है भाईजान ! ”
उस गुंडे की बातें सुनकर कालू के तेवर कुछ ढीले पड़े । फिर भी कुछ सोचनेवाले अंदाज में होंठ सिकोड़ते हुए बोला ” लेकिन आखिर हमारी चेतावनी का कुछ तो असर पड़ना ही चाहिए न ? और नहीं पड़ा है तो जमूरे को उसका अंजाम समझाये बिना छोड़ दें यह तो नामुमकिन नहीं है न ? ”
” भाई ! ” साजिद ने समझाने वाले अंदाज में कहा ” लेकिन इससे नुकसान तो अपना ही होगा न ! जमूरे की क्या गलती है ? अब इस नोट बंदी ने तो सबको कंगाल ही कर दिया है और जब लोगों की जेब में ही नगदी नहीं है तो ये अपने आदमी नगदी कहाँ से लायेंगे ? ”
” कह तो तुम ठीक रहे हो ! ऐसा लग रहा है अभी हमें थोड़े दिन तक सब्र से ही काम लेना पड़ेगा । तब तक तुम एक काम करो । कल से इन जमूरों और चूजों के खर्च में कटौती कर दो । इसके पीछे भी दो वजहें हैं । एक तो हमें कमाई कम हो रही है तो खर्च भी कम करना ही पड़ेगा । कोई अनाथ आश्रम नहीं चला रहे और दुसरे कम खाने से चूजों के मेकअप का खर्च भी बच जायेगा । ये सब भूखे नंगे बिलकुल ओरिजिनल भिखारी लगेंगे और तब लोग इनपर तरस खाकर इन्हें भूखा समझ कर भीख भी ज्यादा देंगे । इतना ही नहीं भूख की वजह से ये खुद भी अपना काम दिल लगाकर करेंगे । सभी जमूरों और चूजों को समझा दो ‘ जो अपने कोटे के बराबर कमा कर लायेगा उसे दोनों वक्त की रोटी मिलेगी । नहीं तो एक टाइम से ही काम चलाना पड़ेगा । ” कालू ने अपने आदमियों को विस्तार से समझाया था ।
साजिद नाम के उसी गुंडे ने समझ जाने के से अंदाज में सर हिलाते हुए कहा ” आप ठीक कह रहे हैं भाईजान ! लेकिन आज जो नए चूजे आये हैं उनका क्या करना है ? हमारे तो सभी नाकों, मंदिरों , मजारों और बाजारों में जमूरे लगे हुए हैं । इनको कहाँ लगायेंगे ? ”
अब बारी कालू की थी । मुस्कुराते हुए वह साजिद को देखते हुए बोला ” तुम उसकी फिकर मत करो । सब कुछ सोच समझ कर ही किया गया है । ”
” नहीं भाई ! मेरा ये मतलब नहीं था । आप तो एकदम वो क्या कहते हैं इंग्लिश में ? .. हाँ ! जीनियस हो । आपके दिमाग को तो कंप्यूटर भी साला नहीं हरा सकता । मैं तो बस ये कहना चाह रहा था कि अभी धंदे का माहौल भी नहीं है ऊपर से सरकारी सख्ती बढ़ गयी है । अभी कल शाम को ही हवलदार अर्जुन मिला था । बता रहा था ‘ ऊपर से बड़ी सख्ती हो रही है । कभी भी इलाके में गश्त बढ़ सकती है या फिर छापे वगैरह की कार्रवाई हो सकती है । उसने आपके लिए सन्देश भिजवाया है कि कुछ दिन जरा संभल कर रहें अपना कामकाज संभाल कर करें । मैं तो बस आपको यही बताना चाह रहा था ।” साजिद ने खुशामद भरे स्वर में कालू से कहा था ।
कालू ने संतुष्ट होते हुए साजिद को बताया ” अब तुमने बात छेड़ ही दी है तो तुमको बता ही देता हूँ । वो पड़ोस के शहर में बाबा भोलानंद का एक आश्रम है । जानते हो ? ”
साजिद ने तुरंत ही हामी भरते हुए कहा ” उन्हें कौन नहीं जानता ? बहुत पहुंचे हुए संत हैं । दूर दूर से लोग उनके आश्रम में आते हैं । ”
कालू ने मुस्कुराते हुए साजिद के चेहरे को गौर से देखते हुए कहा ” उन्हीं बाबा भोलानंद से मेरी डील हुई है । ”
अब चौंकने की बारी साजिद की थी । सिर्फ साजिद ही नहीं वहाँ खड़े सभी गुंडे जो उनकी बातचीत सुन रहे थे चौंक पड़े । उन गुंडों के साथ ही अब राहुल भी ध्यान से उनकी बातचीत सुनने का प्रयत्न करने लगा । हालाँकि अपने क्रिया कलापों से वह इन बातों से लापरवाह नजर आ रहा था लेकिन वह पुरी मुस्तैदी से उनकी बातों को ध्यान देकर सुन और कुछ समझने का प्रयास कर रहा था । साजिद ने चेहरे पर आश्चर्य का भाव लाते हुए कहा ” बाबा भोलानंद से ? भला कोई बाबा से आप क्या डील कर सकते हैं ? ”
कालू के चेहरे पर मुस्कान और गहरी हो गयी । बोल पड़ा ” , वही तो ! तुम सोच भी नहीं सकते क्या डील हुई होगी । फिर भी तुम्हारी जानकारी के लिए मैं तुम्हें बता ही देता हूँ । ध्यान से सुनो ! बाबा भोलानंद का आश्रम अब लोगों में काफी मशहूर हो रहा है । आश्रम की स्थापना के कुछ ही दिन बाद बाबा ने आश्रम के मुख्यद्वार पर भिखारियों के रूप में अपने कुछ आदमियों को स्वयं ही बैठाया था । भक्तों की संख्या में वृद्धि होने के बाद बाबा ने हमारी ही तरह से पेशवर तरीके से अपने आदमियों के द्वारा भीख मंगवाना शुरू कर दिया । उसका तरीका चल निकला । बाबा के आश्रम में कोई विशेष दान मांग कर नहीं लिया जाता है जिसकी भरपाई के तौर पर श्रद्धालु भक्त इन भिखारियों को जी खोलकर दान देते हैं और पूण्य कमाते हैं । अब बाबा की आर्थिक स्थिति काफी सुदृढ़ हो गयी है और छोटी कमाई के लिए अब वह इस बड़े खतरे का सामना करने के पक्ष में नहीं है । ” कहते हुए कालू थोड़ी देर के लिए रुका ही था कि साजिद बोल पड़ा ” बाबा अब यह नहीं करना चाहता तो इसमें आपसे क्या डील हो गयी ? ”
कालू ने कहा ” हाँ ! इसीलिए यह डील हुयी क्योंकि वह अब खतरा मोल नहीं लेना चाहता था । और डील यह हुयी है कि मुझे कल से दो साल तक उसके आश्रम के सामने अपने लड़कों से भीख मंगवाने का अधिकार मिल गया है । इसके लिए मुझे उसे दो साल में सिर्फ दस लाख रुपये ही देने हैं । अब सोचो ! हमें कितना फायदा होगा ? रोज के कई हजार मिलेंगे और हमें देना है सिर्फ दस लाख रुपये । इसीलिए तो मैंने इस विपरीत हालात में भी असलम भाई से विनती करके इन दस चूजों का इंतजाम कराया है । अगर मैं कल अपने लडके वहाँ नहीं लगाऊंगा तो वो बाबा यह डील किसी दुसरे से कर लेगा । समझ गए न अब डील के बारे में ? ”


क्रमशः