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हाईड एंड सीक

सौम्या 27 की एक खूबसूरत औऱ जवान लड़की थी औऱ साथ ही आनाथ आश्रम की ओनर भी।

शाम 4 बजे का वक्त था और सौम्या ने फोन निकालकर अपने मेंगेतर नीरव को वीडियो कॉल की।
नीरव 30 साल का जवान लड़का था और काफी सुलझा समझदार भी। लेकिन सिर्फ एक ही परेशानी थी कि वो बोल सुन नही सकता था।
सौम्या का फोन आता देख नीरव ने फोन वीडियो कॉल उठाया। सामने सौम्या को देखकर नीरव मुस्कुरा उठा औऱ सौम्या ने उससे इशारे में बात की।
सौम्या ने इशारे में उससे कहा था कि वो दो दिन के वेकेशन पर फार्म हाउस जाना चाहती है उसके साथ। 2 महीने बाद शादी थी और उन्हें थोड़ा वक्त साथ मे बिताना चाहिये। नीरव ने भी इशारे से उसे कहा कि वो पैकिंग कर रहा है और सौम्या आकर उसे पिक कर ले।
सौम्या ने इशारे से उसे गुड बाय कहा औऱ दो घंटे बाद आने का वादा करके फोन रख दिया।
नीरव पैकिंग में जुट गया। उसने कुछ कपड़े औऱ जरूरत का सामान पैक करने लगा। तभी उसकी नज़र अलमारी के लॉकर में पड़ी गन औऱ बुलेट पर गयी और नीरव ने उसे भी बाकी सामान के साथ रख लिया। जहाँ वो फार्म हाउस था वो जगह जंगल के बीचों बीच थी और वहाँ दूर दूर तक कोई घर नही था। ना तो वहाँ फोन में नेटवर्क आते थे और न ही इंटरनेट काम करता था। सिर्फ एक पति पत्नी टेक केयर करते थे उस फार्म हाउस की वो भी दिन में। शाम के 4 बजते ही वो भी चले जाते थे,क्युकी जंगल मे जंगली जानवरों का खतरा था। नीरव अक्सर अपना ज्यादातर वक्त अपने उसी फार्म हाउस में बिताता था। क्युकी वो एक फेमस राइटर था और लिखने के लिए अकेलापन,खाली जगह,औऱ जंगल से बेहतर कुछ नही हो सकता था उसके लिए। अभी 2 महीने पहले ही वो फार्म हाउस से वापस आया था एक नई बुक लिखकर औऱ उस दौरान उसने सौम्या से 6 महीने में 2 बार बात की थी। वो भी केयर टेकर के जरिये औऱ केयर टेकर ने नीरव के साइन लैग्वेज को समझते हुए सौम्या को उसके बारे में बताया।

वो भी फार्म हाउस की लैंडलाइन से। वहाँ जंगली जानवरों का खतरा था और अक्सर छोटे मोटे जानवर दीवार फांदकर अंदर आ ही जाते थे। अपनी औऱ सौम्या की सुरक्षा को ध्यान में रखकर नीरव ने वो गन अपने साथ रख ली।

वही सौम्या अपनी सारी पैकिंग कर चुकी थी और तभी उसके फोन पर उसकी छोटी बहन का फोन आया। सौम्या उससे बात करने लगी और बताने लगी कि वो नीरव के साथ वीकेंड पर फार्म हाउस जा रही है। सौम्या की छोटी बहन बहुत खुश थी सौम्या औऱ नीरव की शादी को लेकर। क्युकी उन दोनों की लव मैरिज थी और बड़ी ही मुश्किलों का बाद सौम्या के घरवाले माने थे इस शादी के लिए। सौम्या की छोटी बहन अदिति ने उसे अपना औऱ नीरव का ध्यान रखने को कहा और खूब इंजॉय करने का कहकर फोन काट दिया।

सौम्या ने भी अपना सारा सामान गाड़ी में रखा और नीरव को पिक करने उसके घर चली गयी। सौम्या ने नीरव को उसकी बिल्डिंग के बाहर से ही पिक कर लिया और दोनों फार्म की तरफ चल दिये। रास्ते के एक ग्रॉसरी शॉप से उन्होंने जरुरत का कुछ सामान लिया और पास के रेस्टोरेंट से कॉफी पीकर चल पड़े।

लगभग तीन घण्टे लगातार ड्राइव करने के बाद वो दोनों फार्म हाउस पहुँच चुके थे और वहाँ के टेक केयर ने उस बड़े से फार्म हाउस का दरवाजा खोल दिया। टेक केयर की वाइफ शमिली ने सौम्या को सारे खिड़की दरवाजे बंद करके रहने को कहा और किसी भी आवाज़ पर दरवाजा न खोलने की सख्त चेतावनी दी।

शामिली अपने पति के साथ उसी वक्त फॉम हाउस से चली गयी और सौम्या नीरव के सारा सामान लिए अंदर आ गयी।
सौम्या ने लगभग सारे दरवाजे खिड़कियों को बंद कर दिया और ऊपर वाले कमरे में अपना,नीरव का सामान जांचने लगी। सौम्या जब फ्रेश होकर नीचे आयी तब उसने देखा नीरव किचेन में उसका मनपसंद डिनर बना रहा था। डिनर टेबल को छोटी छोटी कैंडिल से सजाया हुआ था और ये देखकर सौम्या बहुत खुश हो गयी।

सौम्या ने जाकर पीछे से नीरव को बाहों में भरा औऱ नीरव के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी। नीरव उसकी तरफ मुड़ा औऱ उसे साइन लैग्वेज में बताने लगा कि उसने बहुत मिस किया सौम्या को। सौम्या उसके गले लग गयी और सौम्या उसे उसकी साइन लैग्वेज के बताने लगी कि वो कितनी खुश है उसके साथ औऱ वो उसे बहुत प्यार करती है। नीरव ने सौम्या का माथा चूमा औऱ खाने की तरफ इशारा करके बताने लगा कि उसने उसकी पसंद का चाइनीज फ़ूड बनाया है। सौम्या ने भी इशारे में उसे बताया कि उसे बहुत भूख लग रही है खाने की खुश्बू और खाने को देखकर।

नीरव हँसने लगा और कुछ देर बाद दोनों प्यार भरे ईशारों के जरिये बात करते हुए डिनर कर रहे थे। डिनर करने के बाद वो दोनों कमरे में आये और एक दूसरे के साथ बहुत ही खूबसूरत वक्त बिताने लगे। रात काफी हो चुकी थी और नीरव सौम्या भी सो रहे थे। तभी किसी आवाज़ से सौम्या की नींद खुल गयी और वो आवाज़ सुनने की कोशिश करने लगी। लेकिन ये आवाज़ तो बॉथरूम के टैब से आ रही थी जिसमे से पानी बह रहा था। सौम्या ने टैब बंद किया और उसने देखा कमरे में पानी की बोतल खाली थी।
उसने नीरव के कंधे को छुआ औऱ नीरव उठ गया। लेकिन वो अब भी नींद में लग रहा था। सौम्या ने उसे बताया कि वो नीचे जा रही है कुछ देर के लिए औऱ वो आराम से सो जाएं। नीरव ने भी सौम्या को समझाया अगर उसे किसी की जरूरत पड़े तो वो उसे बिना झिझक के उठा दे।

सौम्या ने उसे माथे को चूमा औऱ नीरव भी वापस सो गया। सौम्या पानी की बोतल लेकर नीचे बनी किचेन में आ गयी। उसने पानी भरा औऱ तभी उसे हॉल में से कोई आवाज़ आती हुई सुनाई दी। सौम्या ने हॉल की सारी लाइट्स ऑन की औऱ देखा टेबल पर रखे कुछ पन्ने फड़फड़ा रहे थे। सौम्या को नींद नही आ रही थी वो वही बैठकर उन पन्नो को पढ़ने लगी। ये नीरव की अगली बुक की स्क्रिप्ट थी जो अभी अधूरी थी। सौम्या ने धीरे धीरे सारे पन्ने पढ़ लिए औऱ वो खुश हो गयी।
क्युकी ये कहानी उन दोनों की लव स्टोरी थी और नीरव ने पहली बार कोई लव स्टोरी लिखनी शूरु की थी। सौम्या ने उन पन्नों को संभालकर फ़ाइल में रख दिया औऱ पानी की बोतल लेकर ऊपर आ गयी। नीरव अब भी बड़ी गहरी नींद में सो रहा था और सौम्या भी उसे जकड़कर सो गई।

रात के ठीक 2 बजे सौम्या की नींद खुली औऱ उसे किसी के चलने की आवाज़ आयी ऊपर के कमरे में। किसी के कदमो की आहट साफ साफ सुनाई दे रही थी और सौम्या ने नीरव को देखा। नीरव अब भी सो रहा था और उन दोनों के अलावा इस घर मे कोई तीसरा नही था। तो फिर ये कैसे औऱ कौन है उनके घर मे.....?

उसने जल्दी से नीरव को उठाया और उसे इशारे में बताने लगी। कोई है ऊपर वाले कमरे में औऱ किसी के चलने की आवाज़ आ रही है। नीरव न तो बोल सकता था और न ही सुन सकता था। इसलिए उसे तो कुछ महसूस नही हुआ लेकिन उसने सौम्या पर पूरा भरोसा किया।
उसने अपने कपड़े पहने औऱ अलमारी में पड़ी गन निकाल ली। वो दोनों बिना आवाज़ किये कमरे से बाहर आये और एक लाइट्स ऑन करने की कोशिश की। लेकिन पूरे घर की वायरिंग में पहले ही गड़बड़ कर दी थी किसी ने।

लाइट्स को ना ऑन होता हुआ हुए देख उन दोनों अपने फोन की फ्लैश लाइट ऑन कर ली। वो दोनों चुपचाप ऊपर वाले कमरे में आने लगे और सौम्या को एहसास हुआ कोई है उसके पीछे। सौम्या ने मुड़कर देखा तो ऐसे लगा कोई तेज़ रफ़्तार के साथ अभी वहाँ से गुजरा हो। नीरव भी ये सब महसूस कर सकता था और अब उसे भी डर लगने लगा था। नीरव ने अपने गन लोड की और ऊपर वाले कमरे का दरवाजा खोल दिया। दोनों ने बड़ी सावधानी से चैक किया तो ऊपर कोई नही था।

वो दोनों उस कमरे से बाहर ही निकलने वाले थे तभी नीरव की नज़र उस कमरे के फर्श पर गयी। कुछ गीले निशान बने हुए थे जो जूतों के थे और वो ठीक उस जगह थे,जहाँ ठीक नीचे वाले कमरे में उनका बेड था।
सौम्या ने उस गीली मिट्टी के निशानों को छूकर देखा तो वो बिल्कुल ताजे थे। वो लाल मिट्टी जंगल की थी ये बात नीरव मिट्टी का रंग देखते ही पहचान गया।
नीरव औऱ सौम्या ने अपने अपने फोन चैक किये जिनमे नेट्वर्क दूर दूर तक नही था। सौम्या ने नीरव को नीचे चलकर लैंडलाइन से मदद लेने को कहा औऱ वो दोनों चुपचाप फोन की लाइट्स के सहारे नीचे आने लगे।

तभी सौम्या को लगा किसी ने उसके बालो को छुआ है। सौम्या ने मुड़कर पीछे देखा तो वहाँ कोई नही था। उन दोनों के दिल के धड़कने ट्रेन की रफ्तार से चल पड़ी थी और वो दोनों ही सर्दी के इस मौसम में पसीने से भर गये थे। सौम्या जोर से चिल्लाई:: कौन है यहाँ? किसने छुआ मुझे।

लेकिन सामने से कोई आवाज़ नही आई और नीरव ने सौम्या को अपने आगे चलने का इशारा किया। सौम्या औऱ नीरव नीचे आये और तभी पुरे घर की लाइट्स ऑन हो गयी। दोनों ने चैन की सांस ली और सौम्या नीरव का हाथ पकड़कर लैंडलाइन के पास आ गयी।
सौम्या ने लैंडलाइन का रिसीवर उठाया ही था तभी नीरव की नज़र लैंडलाइन के वायर पर गयी। नीरव ने उस वायर को उठाकर देखा तो लैंडलाइन का कनेक्शन पूरी तरह से हटा दिया गया था।

सौम्या के हाथ से रिसीवर गिर गया और वो दोनों कुछ समझ पाते उससे पहले घर की सारी लाइट्स दोबारा ऑफ हो गयी। सौम्या ने डरकर नीरव का हाथ पकद लिया और पूरे घर के अलग अलग हिस्सों से किसी के कदमो की आवाज़ आने लगी।
नीरव ने सौम्या को इशारे से ऊपर चलने को कहा और दोनों कमरे की तरफ भाग गये। अंदर जाते ही दोनों एक कमरे के कोने में बैठ गये औऱ नीरव इशारे से सौम्या से बोला:: तुम यही रहना और जब गोली की आवाज़ आये तभी नीचे आना।
सौम्या नीरव को जाने देना नही चाहती थी लेकिन नीरव की ज़िद ने उसे मजबूर कर दिया। नीरव के हाथ मे फोन की फ्लैश लाइट ऑन थी और दूसरे हाथ मे गन। नीरव ने कमरे से बाहर आते ही सौम्या को इशारे से कमरा बंद करने को कहा और सौम्या कमरा बंद करके बैठ गयी। सौम्या की नज़र कमरे की खिड़की से बाहर की तरफ गयी जहाँ कुछ साये फार्म हाउस की 6 फुट की बनी दीवार कूदकर अंदर आ रहे थे। वो टोटल कितने थे इसका अंदाज़ा नही लगाया जा सकता था क्युकी हर तरफ अजीब सा अंधेरा पसरा हुआ था। सौम्या घबराकर फोन में नेटवर्क ढूढ़ने लगी और उसने अपनी बहन अदिति औऱ पुलिस को कॉल करने की कोशिश की। लेकिन नेटवर्क न होने की वजह से उसकी ये कोशिश नाकाम हो गयी।
सौम्या ने अपनी बहन को एक मैसेज सेंड किया जो डिलेवर नही हुआ था। सौम्या को उम्मीद थी कि जब वो इस घर से बाहर जायेगे या थोड़ा सा भी नेटवर्क आएगा तो उसका ये मैसेज अदिति को मिल ही जायेगा।

सौम्या ने नज़र घुमाकर फार्म के गॉर्डन में देखा जहां दो साये लंगड़ी टांग खेल रहे थे और वो पूरी तरह से ढके हुए थे। सौम्या कुछ समझ पाती उससे पहले ही उसकी नज़र कमरे के नीचे से आती पाइप पर गयी। जहाँ से कोई सरकते हुए ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहा था। सौम्या डर गई और उसने उस कमरे में रखा तेल का पूरा कन्टेनर नीचे गिरा दिया। जिससे फिसलकर वो साया नीचे गिर गया और वापस चला गया जाने कहाँ।
सौम्या मुँह पर हाथ रखकर रोने लगी और उसी कोने में बैठ गयी। सौम्या को अब नीरव की बहुत ज्यादा चिंता हो रही थी और अब हर तरफ एक अजीब सी खामोशी पसरी हुई थी।

वही नीरव हाथ मे गन संभाले हर कमरे को चैक कर रहा था और उसके चेहरे पर भी डर था। लेकिन नीरव इस बात से बिल्कुल अंजान था कि ठीक उसके पीछे ही कोई चल रहा था। तभी नीरव एक जगह रुक गया और किसी की गर्म साँसे उसे अपने जिस्म पर महसूस हुई। नीरव पीछे पलटा लेकिन किसी ने उसके पैर में लोहे की एक रॉड फंसा दी। नीरव की पैर से जोर की आवाज़ आयी जो सिर्फ हम ही सुन सकते थे। उसके पैर की हड्डी टूट चुकी थी और नीरव की आँखों के दर्द भरे आंसू थे। आसपास के माहौल में किसी के ख़िलखिलाकर हँसने की आवाजें आ रही थी। जो नीरव या सौम्या की कानों से दूर थी। नीरव ने बहुत कोशिश की फोन की लाइट से आसपास देखने की लेकिन वहाँ कोई नही था। नीरव किसी तरह घिसडते हुए कमरे की तरफ बढ़ रहा था और उसकी दर्द भरी आवाज़ गले के अंदर ही दब चुकी थी। नीरव को आज पहली बार अफसोस हो रहा था कि कयू वो सुन,बोल नही सकता।

किसी तरह हिम्मत करके नीरव कमरे तक पहुँचा औऱ वो नीचे गिरकर ही दरवाजा खटखटाने लगा। आवाज़ सुनकर सौम्या डर गई और वो दरवाजे के पास आकर बैठ गयी। वो काफी देर तक यही सोचती रही कि उसे दरवाजा खोलना चाहिये या नही। क्युकी नीरव ने साफ साफ मना किया था उसे दरवाजा खोलने पर। तभी दरवाजे के नीचे से सौम्या को नीरव की उंगलियां दिखाई दी,जिसमे से एक उंगली में इंगेजमेंट रिंग थी। ये नीरव ने इसलिए ही किया था क्युकी वो जानता था सौम्या ऐसे दरवाजा नही खोलेंगी। सौम्या ने जल्दी से दरवाजा खोला और नीरव फटाफट अंदर आ गया। सौम्या ने जल्दी से दरवाजा बंद किया और नीरव के पास बैठ गयी। नीरव ने उसे इशारे से बताया कि नीचे उसके साथ क्या हुआ और उसका पैर की हड्डी भी टूट चुकी है।
सौम्या ने जल्दी से उस स्टोर रूम जैसे कमरे में से एक लकड़ी का फट्टा ढूढ़ निकाला और उसे पर्दे की मदद से नीरव के पैर पर बाँध दिया। नीरव अब भी चलने की हालत में नही था और सौम्या ने उसे नीचे दिखाई देने वाले साये के बारे में बताया।

नीरव समझ चुका था ये जो भी है कोई एक नही है। ये पूरा गैंग है शायद। लेकिन ये लोग चाहते क्या है इनसे? लंगड़ी टांग खेलना औऱ ये छुप छुप कर वार करने का मतलब क्या है? क्या चाहते है ये लोग? अगर उनकी जान लेना चाहते तो थोड़ी देर पहले नीरव बिल्कुल निहत्था तो था बाहर। उसकी गन भी कुछ दूर जाकर गिर गयी थी उससे। तब कयू नही मारा और क्या है ये लोग?

नीरव सौम्या को कुछ समझा पाता उससे पहले ही एक कुल्हाड़ी ने दरवाजे के हिस्से को चीर कर रख दिया। सौम्या डर से चीख पड़ी और नीरव भी। नीरव ने पास वाली पुरानी ड्रेसिंग टेबल सरकाकर दरवाजे पर लगाने का इशारा किया सौम्या को औऱ सौम्या ने बिना वक्त गवाये वही किया।

अब थोड़ी देर की शांति हो चुकी थी और नीरव हाथ मे गन का निशाना लगाए दरवाजे के ठीक सामने ही बैठा हुआ था। सौम्या खिड़की से बाहर देखने लगी जहाँ अभी कोई नही था और खिड़की के ठीक नीचे घास औऱ सूखे पत्तों का बड़ा सा ढेर पड़ा हुआ था। सौम्या ने नीरव को समझाया कि उन्हें इस खिड़की से बाहर की तरफ कूदकर भाग जाना चाहिये लेकिन नीरव चलने की हालत में अब नही था।

तभी दरवाजे पर कुछ लोग तेज़ तेज़ हाथ मारने लगे और वो अंदर आना चाहते थे। ये देखकर नीरव भी डर गया और वो किसी तरह हिम्मत करके लंगड़ाते हुए खिड़की के पास पहुँच गया। सिर्फ यही रास्ता था उनके पास घर से बाहर निकलने का औऱ नीरव भी सौम्या को लेकर बहुत परेशान था। सौम्या ने खिड़की से बाहर देखा और बिना आवाज़ किये पूरी खिड़की खोल दी। नीरव कुछ समझ पाता उससे पहले ही सौम्या उसे घसीटते हुए अपने पास लाई और ठीक घास के ऊपर निशाना लगा कर नीरव को धक्का दे दिया।
नीरव घास के ढेर पर जा गिरा और दरवाजे पर आवाजें बढ़नी शूरु हो गयी। सौम्या बिना देर किए नीचे कूद गई और वो भी घास के ढेर पर गिर गयी।
सौम्या ने जल्दी से नीरव को उठाया और उसे सहारा देकर दीवार के पास आ गयी। उस दीवार का एक हिस्सा जंगल की तरफ जाता था और वो दीवार भी सिर्फ लकड़ियों की ही बनी हुई थी।
नीरव ने पास खड़ी अपनी गाड़ी पर नज़र घुमाई जिसके चारों टायर पंचर थे। मतलब अब सिर्फ यही रास्ता बचा था इन लोगो से बचकर निकलने का। सौम्या ने पास रखे घास काटने के सामान से वो दीवार तोड़ दी और एक छोटा सा रास्ता बन ही गया बाहर जाने का।

सौम्या जल्दी से जंगल की तरफ निकली और नीरव को भी निकालने की कोशिश करने लगी। लेकिन वो रास्ता थोड़ी ऊँचाई पर था जिसे नीरव टूटी हड्डी के साथ पार नही कर सकता था। सौम्या अभी कोशिश ही कर रही थी उसे निकालने की तभी कुछ लोग उसे घर के दरवाजे से निकलकर उनकी तरफ आते दिखे।
सौम्या ने चिल्लाकर नीरव को कोशिश करने को कहा लेकिन नीरव वहां से निकल ही नही सकता था। वो कुल 6 लोग थे औऱ पुरे तरह से ढके हुए। वो लोग उनकी तरफ दौड़ पड़े और उनमे से कुछ लोगो की हाइट काफी कम थी।
जैसा सौम्या को दिखाई दे रहा था।

नीरव ने इशारे से सौम्या को वहाँ से जाने को कहा और मदद लाने की बोली। लेकिन सौम्या इन लोगो के बीच उसे छोड़कर नही जा सकती थी और वो लोग नजदीक आते जा रहे थे उनके।

नीरव की बार बार ज़िद करने पर औऱ मदद लाने के लिए सौम्या उसे छोड़कर वहाँ से भागकर जंगल के अंदर चली। उसने पीछे मुड़कर देखा तो वो लोग नीरव के पैर पकडकर उसे अपनी तरफ खींच रहे और नीरव की दर्द भरी आवाज़ किसी को महसूस हुई हो या ना हुई हो लेकिन सौम्या को जरूर हो रही थी। उन सभी के हँसने की आवाजें भी सौम्या सुन पा रही थी और बेतहाशा भागे जा रही थी बिना रुके। नीरव अभी ज़िंदा था और उन्हें मदद की जरूरत थी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वो बस जंगल से बाहर का रास्ता ढूढ़ रही थी। ताकि किसी आती जाती गाड़ी से उन्हें मदद मिल जाये और वक्त रहते नीरव को बचा लिया जाए।

तभी वो एक रोड पर आकर रुक गयी जो बिल्कुल सुनसान था और वहाँ से कोई गाड़ी भी नही आ जा रही थी। सौम्या जोर जोर से हेल्प हेल्प चिल्लाने लगी लेकिन उसकी आवाज़ शायद किसी के कानों तक नही आई।

सौम्या को अपने सामने कोई आता दिखा वो भी पैदल औऱ वो उसकी तरफ दौड़ पड़ी। सौम्या उस आदमी के सामने जाकर हाँफने लगी। वो कुछ कह पाती उससे पहले ही उसके सर पे किसी ने पीछे से वार किया और वो बेहोश हो गयी।


पता नही क्या टाइम था और क्या हो रहा था उस जगह लेकिन कोई बन्द सी जगह थी। जहाँ सौम्या की आँख खुली और उसके सर में तेज दर्द हो रहा था। सौम्या ने आंखे खोलकर अपना सर पकड़ लिया और आसपास देखने लगी। थोड़ी दूरी पर नीरव पड़ा हुआ था और वो मर चुका था। सौम्या भागकर उसके पास गई औऱ उसे उठाने की कोशिश करने लगी। सौम्या ने उसके दिल की धड़कन औऱ नब्ज चेक की जो बन्द हो चुकी थी। सौम्या ने रोते हुए नीरव को ठंडे पड़े शरीर को हिलाने डुलाने की कोशिश लेकिन सब बेकार। सौम्या जोर जोर से रोने औऱ इस जगह से बाहर निकलने के रास्ते के बारे में सोचने लगी।
वो अभी उस जगह से बाहर ही निकली थी तभी उसे एक बच्चा दिखाई दिया। जो दीवार पर कोयले से कुछ बनाने की कोशिश कर रहा था। सौम्या उससे कुछ पूछती उससे पहले ही वो बच्चा बोला:: बाहर आना है तो मेरे पीछे आओ।

वो बच्चा सौम्या का हाथ पकड़कर उसे दूसरे रास्ते पर ले गया और ये जगह बदबू औऱ सीलन से भरी हुई थी। वो लड़का एक जगह आकर रुक गया और ऊपर की तरफ देखने लगा जहाँ से थोड़ी बहुत रोशनी आ रही थी।

वो बच्चा मुँह में लॉलीपॉप रखते हुए बोला:: यहाँ से ऊपर निकल जाओगी तुम।
सौम्या:: तुम भी चलो मेरे साथ।
उस बच्चे ने हाँ में सर हिलाया औऱ सौम्या वहाँ लगी लोहे की सीढ़ियों के सहारे ऊपर चढ़ने लगी। वो बच्चा भी बेफिक्री से उसके पीछे पीछे चढ़ रहा था। तभी उस बच्चे ने अपने पेंट की जेब से हथौड़ा निकाला और सौम्या के पैर पर दे मारा।
सौम्या खुद को संभाल नही पाई और वो सीढ़ियों से सीधा जमीन पर आ गिरी। वो बच्चा अजीब तरह से मुस्कुराते हुए नीचे आया और सौम्या ने उसके हाथ मे हथौड़ा देख लिया।
सौम्या दर्द में रोते हुए:: ये तुमने किया? लेकिन कयू?
वो बच्चा मुस्कुराते हुए:: हाईड एंड सीक खेलो न मेरे साथ,वो अंकल भी नही खेल रहे है। हमने उन्हें खेलने के लिए बोला तो वो चुप हो गये औऱ कुछ बोल ही नही रहे थे।

वो बच्चा ये बोलते हुए सौम्या के औऱ करीब आ गया और सौम्या ने बिना देर किए पास पड़ी मिट्टी उसकी आँखों मे फेंक दी। वो बच्चा कुछ समझ पाता उससे पहले ही सौम्या बिना देर किए उन सीढ़ियों पर चढ़ने लगी और उसने मुड़कर सीढ़ियों की तरफ देखा तो उसका मुँह खुला रह गया।

वो जल्दी से सीढ़ियों पर चढ़ती हुई उस जगह पहुँची जहाँ से वो रोशनी आ रही थी। वो एक बन्द पड़ी हुई सीवर लाइन थी और बाहर से बिल्कुल लॉक। न तो अब सौम्या वापस पीछे जा सकती थी और न ही इस जगह से बाहर का कोई रास्ता उसे दिखाई दे रहा था।
सौम्या उस सीवर लाइन के ढक्कन के पास ही बैठ गयी और बाहर की तरफ चिल्लाने लगी। ये कोई रोड था जो काफी समय से बंद पड़ा था। न तो यहाँ से कोई गाड़ी गुजर रही थी और न ही कोई इंसान।

सौम्या वहाँ बैठकर रोती रही और उसे नीचे से हँसने की आवाज़ आ रही थी और वो भी काफी तेज। सौम्या का पैर पूरी तरह से जख्मी हो गया और खून बहुत ज्यादा बह चुका था उसका। लेकिन सौम्या ने हार नही मानी औऱ वो मदद के लिए रोड की तरफ देखकर जोर जोर से चिल्लाने लगी और उस जाल को खोलने की कोशिश करने लगी। जो बाहर जाने का एकमात्र रास्ता था अब।

तभी कुछ बच्चे हँसते हुए ऊपर आये और सौम्या को जानवरों की तरह घसीटते हुए वापस ले गये। हम्हे सिर्फ सौम्या की चीखे सुनाई दे रही थी और वो बेहद ख़ौफ़नाक थी।

1 महीने बाद
हम अदिति को देख पाते है जो एक कांच के दीवार के उसपार कुछ बच्चो को देख पा रही थी। अदिति एक सीनियर पुलिस ऑफिसर थी और उन बच्चो को गिरफ्तार कर लिया गया था जिन्हें हमने लास्ट टाइम सौम्या के साथ देखा था। कुल मिलाकर 8 बच्चे थे जिनकी उम्र 16 से कम थी। एक डॉक्टर बाहर आई और वो अदिति के पास आकर कांच की दीवार के उस पार बच्चो को देखने लगी।
डॉक्टर बच्चो को देखते हुए:: इन्होंने ही सौम्या औऱ नीरव का मर्डर किया है और ये सब बच्चें पहले भी ऐसा करते आये है। इन्हें लगता है कि इन्हें हाइड एंड सीक खेलनी होती है बड़े लोगो के साथ।
अदिति बच्चों को देखते हुए:: मतलब।
डॉक्टर अदिति के कंधे पर हाथ रखते हुए:: ये आनाथ है और दिमागी रूप से बीमार भी। ये लोगो के साथ खेलते है और खेल खेल में ही लोग मर जाते है। लोगो को डराना,धमकाना,हर पल मौत का ख़ौफ़ देना,मारना पीटना,उनके साथ जबरजस्ती खेलने की ज़िद करना और न खेलने पर मार डालना। कुछ ऐसा दिमाग है इनका जहाँ लोग इनके मुताबिक सरर्वाइव नही कर पाते और मारे जाते है। इनके लिए वो मामूली खेल होता है और लोग इनके बीच ही मारे जाते है। इन्होंने अब से पहले भी बहुत लोगो के साथ ऐसा किया है जिनमे अब नीरव औऱ सौम्या भी शामिल है। इनके लिए बस खेल है और आजतक इन्होंने दर्जनों लोगों को इसी तरह मारा है।
इनकी रिपोर्ट तैयार करके तुम्हे मेल कर दूंगी औऱ तुम इन सबकी फाइल्स में अटैच कर लेना।
डॉक्टर ने अदिति के कंधे को थपथपाया औऱ वहाँ से चली गयी।

अदिति मुँह पर हाथ रखकर रोने लगी और उसे समझ ही नही आया वो क्या करे। उस हादसे के 4 दिन बाद बहुत ढूढ़ने पर सौम्या औऱ नीरव की लाश मिली थी। तब अदिति ने कसम खाई थी कि वो उन लोगो को छोड़ेगी नही जिन्होंने उसके दी जीजू को इस तरह मारा है। अब जाकर पकड़ में आये वो भी ये बच्चें? वो अब इन बच्चो का क्या करे और इन्हें कैसे मारे? कैसे निकाले अपने मन का ग़ुबार औऱ कैसे इंसाफ दिलाये सौम्या नीरव को।

अदिति रोते हुए जमीन पर बैठ गयी,क्युकी वो इसके सिवाय कुछ कर भी नही सकती थी।

((समाप्त))
©शालिनी सिंह


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