जब एक प्लेन हवा में ही गायब हो गया - भाग 1 harshad solanki द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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जब एक प्लेन हवा में ही गायब हो गया - भाग 1

समुद्रविज्ञानी माइकल पुरसेल अपने साथी वैज्ञानिकों सहित एटलान्टिक ओसन के पानी पर डेरा डाले कई हप्तों से पड़ा था. उन्हें किसी चीज की तलाश थी. बहुत दिनों से वे पानी की गहराइयों में उसे धुंध रहे थे पर आज उसे पूरी उम्मीद थी की यह वहीँ है. उनकी केबिन के इर्द गिर्द उसने पड़दे लपेट रखे थे, जिससे की शिप के अन्य कृ मेम्बर्स अन्दर क्या चल रहा है देख न पाए. पर शिप के एक अति जिज्ञाशु कृ मेंबर इन वैज्ञानिकों की हर हरकतों पर चुपके से नजर बनाए हुए था. वह इस केबिन के आस पास ही छुप कर खड़ा रह गया और अन्दर होने वाली गुस्पुस सुनने लगा. थोड़ी देर बाद पड़दे के भीतर से आते ख़ुशी के उदगार सुनकर वह भागा और अपने अन्य साथियों को जा कर बता दिया कि वे जिस चीज की तलाश में आये है उस चीज का पता लग गया..!
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31 मई 2009 की रात को ब्राज़ील के इंटरनेश्नल एरपोर्ट रियो दी जानेरो के फर्नान्डो दी नोरोन्हा ऐरपोर्ट पर यात्री पेरिस की उड़ान के लिए तैयार बैठे थे. उन्हें ऐर फ्रांस की ऐरबस A300 फ्लाईट नं 447 में सवारी करनी थी. फ्लाईट 447 अभी कुछ घंटो पहले ही पेरिस से लौटी थी और उसे फिर पेरिस के लिए उड़ान भरनी थी. पेरिस से फ्लाईट 447 को उड़ाकर लाने वाले पाईलोटो ने कॉकपिट के बाईं ओर एक रेडियो पैनल के साथ परेशानी की बात स्थानीय अधिकारियों को बताई. इस कम्प्लैन के बाद मैकेनिकों ने उस खराब रेडियो पैनल को तुरंत बदल दिया. अब फ्लाईट 447 के साथ कोई टेक्नीकल समस्या रही न थी और वह फिर पेरिस वापस लौटने के लिए बिलकुल तैयार थी.
रियो दी जानेरो के स्थानीय समय साम के छः और युटीसी टाइम नौ बजने के बाद पेरिस जाने वाले यात्री ऐर फ्रांस की फ्लाईट नंबर 447 में सवार होने लगे. अब फ्लाईट 447 उड़ान भरने के लिए बिलकुल तैयार थी. फ्लाईट 447 को सुरक्षित रूप से पेरिस पहुंचाने के लिए इसमें तीन काबिल पाईलोट मौजूद थे. 58 वर्षीय कप्तान मार्क द्युब्वार, जो ग्यारह हजार घंटे प्लेन उड़ाने का अनुभव रखता था. दूसरा मुख्य पाईलोट 37 वर्षीय डेविड रॉबर्ट था जो साड़े छः हजार घंटे प्लेन उड़ा चूका था. और तीसरा 32 वर्षीय पाईलोट पिअर सेड्रिक बोनिन, जिसकी पत्नी भी इसी फ्लाईट में सवार थी, 3 हजार से कम घंटो का अनुभव रखता था, पर इस क्सेत्र की उड़ान के लिए बिलकुल नया था. कप्तान मार्क कोक्पित की लेफ्ट सीट में सवार हुआ. प्लेन को टेक ऑफ़ कराने की जिम्मेदारी उसने संभाली थी. राईट साइड की सीट में सह पाईलोट बोनिन बैठा था. और दूसरा मुख्य पाईलोट रॉबर्ट कोक्पित के पीछे की केबिन में आराम कर रहा था.
करीब डेढ़ घंटे बाद स्थानीय समय साम के साढ़े सात बजे और युटीसी टाइम साढ़े दस बजे फ्लाईट 447 ने अपने 216 पेसेंजर और 12 कृ मेम्बर्स सहित कुल 228 यात्रिओं को साथ लेकर रियो दी जानेरो ऐरपोर्ट को गुडबाय कह दिया. रियो दी जानेरो से पेरिस तक की दूरी यह प्लेन करीब 11 घंटो में तै करने वाला था. यात्रा की शुरुआत सामान्य रही. किसी को कोई अंदाजा नहीं था की इस यात्रा में आगे जा कर उनके साथ क्या होने वाला है! प्लेन ने हवाई अड्डे को छोड़कर उत्तर की दिशा पकड़ी. उसे एटलान्टिक सागर को पार कर पेरिस तक पहुंचना था. एक घंटे की उड़ान के बाद इसने ब्राज़ील के हवाई क्सेत्र को छोड़कर पूर्व में एटलान्टिक महासागर के ऊपर से आफ्रिका का रास्ता पकड़ा.
मध्य रात्री 1 : 35 बजे प्लेन के पाईलोट के साथ ब्राज़ील ATC का संपर्क हुआ. पाईलोट ने फ्लाईट का एल्तित्युद उंचाई और स्थान बताया. फ्लाईट 447 ब्राज़ील की समुद्री सीमा से 350 मील की दूरी पर था. यह करीब करीब मध्य समुद्र तक की दूरी थी और अब वह ऐर ट्राफिक कंट्रोलर (एतीसी) के रडार के मध्य बिंदु के रूप में मौजूद था. अब तक सब कुछ ठीक था. कंट्रोलर के साथ भी हवाई जहांज का संपर्क निर्बाध बना हुआ था. पर एक मिनिट बाद मध्य रात्रि 1 : 36 बजे, ब्राज़ील ATC ने फिर से प्लेन से संपर्क साधा, यह पूछने के लिए की क्या फ्लाईट का कंट्रोल समुद्र पार आफ्रिका में स्थित सेनेगल ATC को सोंप दिया जाए? लेकिन फ्लाईट 447 से संपर्क नहीं हो पाया. पर उस वक्त फ्लाईट से किसी तरह की समस्या का अलार्म भी नहीं मिला था. बारह मिनिट बाद रात्रि 1 : 48 बजे ब्राज़ील के हवाई क्सेत्र को छोड़ने के ढाई घंटे बाद जैसे ही हवाई जहांज समंदर के मध्य पहुँचने आया, एतीसी के रडार से प्लेन दिखना बंध हो गया.
यह भी कोई समस्या की बात नहीं थी. एटलान्टिक ओशन को पार करते वक्त ऐसा होता रहता है. और इस क्सेत्र में प्लेन उड़ाने वाले हर पाईलोट इस बात से भलीभांति परिचित भी होते हैं. ऐसा होना स्वाभाविक है, ATC के रडार कुछ सो किलोमीटर तक प्लेन को ट्रेक कर सकते है पर धरती की गोलाई की वजह से बहुत ज्यादा दूरी पर रडार पर प्लेन को ट्रेक नहीं किया जा सकता. इसके अलावा खराब मौसम के चलते भी ऐसा होना संभव है. लेकिन जैसे ही वे आगे बढ़ते है फिर से वे अगले ATC के रडार पर लौट आते हैं.
थोड़ा वक्त गुजरा. अब तक प्लेन का संपर्क एटलान्टिक के उस पार हवाई यात्राओं पर नजर और नियंत्रण रखने वाले सेनेगल एतीसी के साथ स्थापित हो जाना चाहिए था. पर सेनेगल ATC भी ऐर फ्रांस फ्लाईट 447 को ट्रेक करने में विफल रहा. क्यूँ की ऐर फ्रांस का यह हवाई जहांज उसके रडार की रेंज से भी बाहर था. ऐसे यह प्लेन बिना किसी एतीसी के संपर्क के हवा में अकेला निराधार पड़ गया. समंदर के दोनों छोड़ों से फ्लाईट 447 के साथ संपर्क पुनः स्थापित करने की कोशिश लगातार होती रही. इस उम्मीद में की जैसे ही प्लेन अपने मार्ग में आगे बढ़ेगा, अगले ATC के रडार की रेंज में आ जाएगा और प्लेन के साथ फिर से संपर्क स्थापित हो जायेगा.
क्रमशः