हारा हुआ आदमी(भाग 13) Kishanlal Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हारा हुआ आदमी(भाग 13)

निशा ने उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया तो?अगर उसने देवेन से शादी करने से इनकार कर दिया तो?
देवेन, निशा के मुंह से ना नही सुनना चाहता था।निशा,देवेन के इतने करीब आ चुकी थी कि वह उसे किसी भी हालत में खोना नही चाहता था।देवेन ऐसा कुछ नही करना चाहता था, जिस्से निशा के। दिल को ठेस लगें।
अजीब उलझन थी।कहे तो नाराज़ी का डर।लेकिन कहे बिना चारा नही था।
आज भी याद है उसे वो दिन।वो दिन बहुत सुहाना था।आकाश साफ था।ठंडी हवा चल रही थी,जो इस बात का संकेत थी कि कही आस पास बरसात हुई थी।देवेन और निशा सिकन्दरा घूमने के लिए गए थे।
सिकन्दरा के मकबरे को देखने के बाद वे दोनों बाहर एक पेड़ के नीचे आकर बैठ गए थे।निशा बहुत अच्छे मूड मे लग रही थी।उसके मूड को देखकर देवेन ने उसका दिल टटोलना चाहा था।
"निशा जब भी में आगरा आता हूँ।तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ,Lलेकिन कह नही पाता".
"कह क्यो नही पाते।"
"डरता हूँ।"
"डर।किस बात का डर?"
"कही तुम बुरा न मान जाओ।"
"तो ऐसी बात क्यो कहना चाहते हो जो मुझे बुरी लगे।"
"एक न एक दिन यह बात कहनी तो पड़ेगी।"
"जब कभी कहनी ही पड़ेगी तो फिर और मत टालो आज ही कह डालो।"निशा बोली,"आखिर मैं भी तो सुनु ऐसी कोंन सी बात है।जिसे कहने से तुम डर रहे हो।"
"निशा ऐसा कब तक चलेगा।"
"कैसा?"
"ऐसे हम कब तक मिलते रहेंगे।"
"ऐसे से क्या मतलब है।तुम आखिर कहना क्या चाहते हो?"
"ऐसा नहीं हो सकता कि मैं और तुम---आगे कुछ कहने से पहले ही देवेन की जुबान लड़खड़ा गई।
"तुम तो लड़कियों की तरह घबरा रहे हो।"देवेन की हालत देखकर निशा खिल खिलाकर हँसी थी।उसकी हँसी ऐसी थी मानो सुराहीदार गर्दन से सारी शराब एक ही बार मे उड़ेल दी गई हो,"मर्द होकर औरतो की तरह शरमा रहे हो।मर्द हो,मर्द की तरह बात करो।"
"निशा मुझे तुमसे प्यार हो गया है।मै तुम्हारे बिना नही रह सकता।तुम्हे अपनी बनाना चाहता हु।तुमसे शादी करना चाहता हूँ।"देवेन ने एक ही सांस में आपनी बात कह दी थी।
"मुझे तुम्हारी बात से ऐतराज नही लेकिन इसके लिए मेरी माँ से बात करनी होगी।"
"तुम अपनी माँ से मेरा जिक्र करना।"
"मैं लड़की हूँ।अपनी तरफ से मा से नही कह सकती।यह पहल तुम्हे करनी होगी।"
"चलो मैं ही पहल करूँगा।लेकिन अपनी मम्मी से पहले तुम मिलाओ तो।"
"आज ही मिलवा देती हूँ।चलो।"
निशा,देवेन को अपने साथ ले आयी थी।निशा के साथ एक अपरिचित युवक को देखकर उसकी माँ ने प्रश्न सूचक नज़रो से देखा था।
"मम्मी यह देवेन है।"निशा ने अपनी मम्मी को देवेन का परिचय दिया था।
"मम्मी ,देवेन आपसे मिलना चाहता था।"बात निशा ने ही शुरू की थी।
"मैने कई बार निशा से कहा था।तुम्हे घर लेकर आये।यह तुम्हारी बहुत तारीफ करती थी।"
माया देख रही थी।निशा कभी कभी देर से घर आने लगी थी।एक दिन माया ने उसे टोक ही दिया था।तब निशा ने देवेन के बारे में बताया था।उसकी बात सुनकर माया बोली,"आजकल ज़माना खराब है।किसी लड़के के साथ एक जवान लड़की का घूमना सही नही है।अगर कोई ऊंच नीच हो गई,तो लोग मुझे ही दोष देंगें
"मुझ पर विश्वास नही है"निशा मा की बात काटते हुए बोली,"मम्मी देवेन ऐसा नही है।उसने कोई ऐसी हरकत नही की है।"