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जंगल राज - 1

जंगल राज
एपिसोड वन - खेल की शुरूआत

रात का समय है और रात अपने पूरे चरम पर है.....औरंगाबाद जैसे चैन की नींद सो रहा है.....पूरा शहर शांत सा लग रहा...इस शहर को ऐसे शांत काफी कम बार ही देखने को मिलता है....ये शहर दिखने में जितना खूबसूरत है उतना ही खतरनाक भी....यहाँ पर चरस और गांजे का व्यापार काफी चलता है और ये यहाँ के लोगो के लिये एक आम बात है....।

शहर से कुछ ही दूरी पर एक फार्म हाउस में किसी के दर्द से कराहने की आवाज़ आ रही थी....शहर के बाहुबली राजा भैया और उनके आदमियों ने एक शख़्स को उस फार्म हाउस में बंदी बना कर रखा हुआ था....!

राजा भैया - साला हमने तुमको जिस थाली में खाने को दिया तुमने उसी में छेद कर दिया....! (विजय जिसको बंदी बना रखा था....उसकी उंगलियो को मोड़ते हुए....!

विजय - आह.....राजा भैया गलती हो गयी इस बारी माफी दे दो । (राजा भैया के आदमियों ने उसको पहले ही बहुत मारा हुआ था...उसका शरीर खून से लथपथ था)

राजा भैया - भइया ज़िन्दगी का असूल है....जो एक बार धोखा उसको दोबारा धोखा देने में भी देर नही लगेगी...! (अपनी जेब से गन निकालते हुए...)

विजय - नही भैया इस बारी माफी दे दो...!

(राजा भैया अपनी गन विजय के सीधे हाथ के अंगूठे पर रखते है और ट्रिगर दबा देते है....विजय का अंगूठा गोली लगने की वजह से पूरा फट जाता है....विजय का दर्द के मारे जान निकल जाये ऐसा हाल हो जाता है...उसको अब अपनी गलती पर सच मे पछतावा हो रहा था....!)

राजा भैया - देखो विजय अब तुम हमको उस आदमी का नाम नही बताया जिसने तुमको हमसे दगाबाजी करने का बोले तो अगली गोली तुम्हारी छाती में ठोकेंगे।

(विजय रोते हुए)

विजय - अगर हम बता दिये तो वो हमको ज़िन्दा नही छोड़ेंगे...!

राजा भैया - (हँसते हुए) और नही बताये तो हम तुमको ज़िन्दा नही छोड़ेंगे... अब तुम ही सोचो भइया की का करना है तुमको...!

विजय - राजा भैया वो....वो (हकलाते हुए)

राजा भैया - हकलाओ नही बे....सीधा सीधा बोलो कही हमारा दिल तुम पे तरस खा जाये....!

विजय - वो जयदीप बाबू ने बोला था करने को....(हाथ जोड़ते हुए)

राजा भैया - हम्म.....ये जयदीप का कुछ करना पड़ेगा...!

(जयदीप बक्सर जिले में राजा भैया का दुश्मन था...जयदीप नक्सलियों का नेता था और उसकी नज़र हमेशा औरंगाबाद के गांजे के व्यापार पर थी...मगर राजा भैया के होते हुये वो शहर में गुस भी नही पा रहा था....इन लोगो के बीच ऐसी छोटी मोटी लड़ाइया चलती रहती थी)

विजय - भइया अब में जाऊँ? मुझे माफी मिल गयी?

राजा भैया - उम्म...हमारे दिल को तरस तो आ रहा है तुम्हारे ऊपर चलो एक काम करते है में खुद तुमको भेज देता हूं इस दुनिया से बाहर.....!

विजय - (राजा के पैर में गिर जाता है) नही भैया आप हमको एक मौका दे...हम आपको निराश नही करेंगे...!

राजा भैया - लाला तुम हमको अब तो खुश भी नही कर सकते हो...!

(ये बोलते ही राजा अपनी गन का ट्रिगर दबा देता है)

धाय......

(गोली विजय के छाती से होते हुए निकल जाती है....एक ही झटके में विजय का शरीर नीचे गिर जाता है....दीवार पूरी खूना खून हो जाती है)

अगले दिन.....

(बक्सर जिले में जहाँ पर जयदीप का राज चलता है...उसको ये खबर मिल जाती है कि विजय को राजा ने मार डाला....)


राणा - (जयदीप का सबसे खास आदमी) मालिक अब आगे का क्या प्लान है? हम लोग औरंगाबाद में गुसेगा कैसे?

जयदीप - हम खुद भी वही सोच रहे है...एक तरफ इस देश की सरकार है जो हम नक्सलियों के आगे झुक जाती है....वहाँ दूसरी तरफ हम औरंगाबाद में गुस नही पा रहे है।

राणा - मालिक औरंगाबाद में राजा को मारना ऐसे समझ लो शेर के मुँह में हाथ डालने के बराबर है....उसको वहाँ पे ठोकना बहुत मुश्किल है...!

जयदीप - अगर पूरे बिहार में गांजे का सबसे बड़ा व्यापारी बनना है तो राजा को मारना तो पड़ेगा....अब उसका कोई ना कोई तरीका तो निकालना पड़ेगा...!

राणा - आप चिंता ना करिये हम दिल्ली से बढ़िया वाले शूटर को बुलवाते है....!

(औरंगाबाद में ही राजा भैया का एक छोटा भाई रहता है...जिसका नाम राजवीर है....वो राजा भैया के नीचे काम करता है...और उनके गांजे के व्यापार में मदद करता है....पर उसकी नज़र राजा भैया की गद्दी पर भी होती है...उसका मन राजा भैया को मार के औरंगाबाद पे राज करने का होता है)

ज़िन्दगी में आप जो भी काम करे चाहे वो अच्छा हो या बुरा अगर आप शिखर पर है तो आपके दुश्मन भी बहुत होंगे....और कोई तो आपके दोस्त भी हो सकते है जो मन ही मन आपको शिखर से नीचे गिराने का सोचते होंगे वही हाल औरंगाबाद के किंग राजा भैया का था)

(राजवीर के यहाँ काम करने वाला नौकर आकर विजय की मौत की न्यूज़ राजवीर को देता है)

राजवीर - लगता है उस जयदीप से कुछ नही होगा.... इतना वक़्त हो गया आये दिन कोई ना कोई हमला करवाता है मगर हर बार नाकाम रह जाता है....!

राजवीर का नौकर - तो आप ही काहे नही करते हो कुछ....मरवा दीजिये राजा भैया को फिर पूरा औरंगाबाद आप ही का तो है...!

राजवीर - मै जयदीप जितना पागल और बेवकूफ नही....सही समय का वैट कर रहे है हम...!

नौकर - तो अभी का करना है?

राजवीर - अभी तो तुम भैया के ऑफिस में अटैक करवाओ और जो अककॉउंटेंट है उससे थोड़े पैसे लेके आ जाओ हमे उनकी जरूरत है....और ध्यान रहे हमारे ऊपर ज़रा सा भी शक नी आना चाइए वरना हमारी बन्दूक से पहले तुम मरोगे....!

नौकर - जी भैया....!

(राजवीर का नौकर दो लोकल चोरो को ये काम शौप देता है....वो राजा भैया के ऑफिस में लूट करने चले जाते है)

(इधर दूसरी साइड राजा भैया के अककॉउंटेंट जगदीश का लड़का ऋषि अपने पापा के लिए ऑफिस में टिफ़िन देने निकलता है उसके साथ उसका दोस्त सोनू भी होता है....)

सोनू - आज पहली बार तुम हमको राजा भैया के यहाँ ले जा रहा है...साला खुशी से फुले नी समा रहे...!

ऋषि - ज़्यादा खुश मत हो बे...वरना हार्ट अटैक से यही निपट लोगे....!

सोनू - वैसे उनका ऑफिस कैसा है बे?

ऋषि - ऑफिस जैसा ही है...!

सोनू - कितने लोग रहते है वहाँ....?

ऋषि - अपने पापा ही रहते है...और वो नाम के राजा नही रहते भी राजा जैसे है....!

सोनू - उनके जैसे ज़िन्दगी जीने का मन करता है हमारा....!

ऋषि - हमारा भी करता है पापा को बोले है हम...हमको नौकरी लगा दो...पर मानते नी है....!

(ऐसे ही बाते करते करते वो ऑफिस पहुँच जाते है....ऑफिस आते ही वो देखते है कि दो लोगो ने ऋषि के पापा को गन पॉइंट पर रखा हुआ है...और पैसे लूट रहे है....ये देख ऋषि को गुस्सा आ जाता है...)

(ऋषि अपने हाथ का टिफ़िन एक आदमी पे फेक देता है और दूसरे को पीछे से पकड़ कर मारने लग जाता है....सोनू भी एक को पकड़ कर मारने लग जाता है)

जगदीश - ऋषि बेटा छोड़ो उसको....ये हमारा काम नही है...!

(ऋषि अपने पापा की बात नही सुनता है....और उनको मारना चालू रखता है...एक शूटर सोनू को से अपने को छुड़ा लेता है...और अपनी बंदूक से सोनू के सिर पर मारता है और उसके खून निकल जाता है....वही शूटर फिर ऋषि की तरफ फायर करता है....गोली ऋषि के बिल्कुल पास से निकल जाती है....)

(जगदीश अपने बेटे को बचाने के लिए उस दूसरे शूटर पे चढ़ जाता है और उससे हाथापाई करने लग जाता है....ऋषि पहले शूटर को मार मार कर बेहोश कर देता है....और उसकी गन उठा लेता है....)

(दूसरा शूटर जगदीश को पीछे धक्का देता है...और उसपे फायर करने ही वाला होता है....उतने में ऋषि उसपे फायर कर देता है....ऋषि की गोली सीधी शूटर के सिर में लगती है....पास में खड़े होने की वजह से गोली लगने से उसका पूरा सिर वही फट जाता है...उसके सिर के टुकड़े उछल जाते है....जगदीश पूरी तरह खून से भरा जाता है....)

(ऋषि अपने हाथ मे गन पकड़े हुए ही होता है...मारपीट के कारण वो थक जाता है....हाफ रहा होता है...धीरे धीरे अपनी नज़र अपने पापा के ऊपर डालता है....जो काफी अचम्भित होक खड़े होते है....उनको विश्वास ही नी होता है उनके बेटे ने गन से किसी को गोली मार दी है...और वो मर चुका है...वो ऋषि को कभी ये सब करता हुआ देखना नही चाहते थे....)



बाकी की कहानी अगले एपिसोड में.......







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