ये कैसी राह - 18 Neerja Pandey द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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ये कैसी राह - 18

भाग 18

अरविंद जी के घर वापस आने के बाद अनमोल अपनी पढ़ाई में जुट गया। प्रथम वर्ष में अनमोल अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण हो चुका था। अब उसे दूसरे वर्ष में भी अच्छे नंबर लाने थे। क्लास शुरू हो गई थी।

सब कुछ पिछले वर्ष की भांति ठीक चल रहा था। इस बार उसके रूम के पास ही एक ऐसा लड़के को रूम अलॉट हुए जो अपने में ही गुम रहता, किसी से भी बात नहीं करता। उस लड़के का नाम योगेश था। आते - जाते निगाहें मिल जाती तो भी वो कतरा कर निकल जाता।

जब कभी मेस में भी दिखता तो अपने आप में ही गुम रहता। इस तरह लगभग पूरा सत्र बीतने को आया पर अनमोल की उससे बात नहीं हो पाई।

एग्जाम में एक महीना बाकी होगा तभी एक दिन जब अनमोल क्लास जाने के लिए कमरे से बाहर निकला उसे योगेश के कमरे से कराहने की आवाज सुनाई दी। पहले तो अनमोल ने चाहा कि अनसुना कर आगे बढ़ जाए पर फिर उसकी आत्मा ने उसे इसकी इजाजत नहीं दी। उसे लगा पता करना चाहिए कि क्या बात है ? हो सकता है उसे किसी मदद कि आवश्यकता हो! क्या हुआ मुझसे बात नहीं होती है तो पर रहता तो मेरे बगल में ही है ना! मुझे पता करना चाहिए और अगर जरूरत है तो उसकी मदद भी करनी चाहिए। ऐसा मन में सोचते हुए अनमोल योगेश के कमरे की ओर बढ़ गया।

अनमोल ने धीरे से कुंडी खटकाई कोई पर कोई प्रतियुत्तर नहीं मिला। तब अनमोल ने ज़रा जोर से फिर कुंडी खटकाईं तब,

"कौन है ?" कहता हुआ धीरे से आकर योगेश ने दरवाजा खोल दिया। खुद धीरे - धीरे चल कर योगेश

आकर बिस्तर पर लेट गया।

अनमोल ने पास आकर उसका माथा छुआ तो वो बुखार से तप रहा था। अनमोल ने योगेश से पूछा कोई दवा की या नहीं तो योगेश ने ना में सिर हिला दिया और बोला, "कल दिन भर बदन दर्द कर रहा था तो मैंने सोचा थकान कि वजह से होगा;पर रात में बुखार चढ़ गया। तब से मेरी हिम्मत ही नहीं हुई की मै किसी से मदद मांग पाता।"

इतना कह कर योगेश आंख बंद कर निढाल हो गया।

अनमोल को बुखार बहुत तेज लग रहा था। वो तुरन्त ही

योगेश को शर्ट पहन कर इंतजार करने को बोल कर

ऑटो लेने चला गया।

थोड़ी देर बाद लौटा तो योगेश को सहारा देकर ले आया

और ऑटो में बिठा कर डॉक्टर के पास ले गया। डॉक्टर

ने कई टेस्ट किए और योगेश को हॉस्पिटल में एडमिट

कर लिया। उसे टायफाइड आया टेस्ट रिपोर्ट में।

अब कई दिन रहना होता हॉस्पिटल में तो जब थोड़ा आराम हो गया तो अनमोल ने कहा,

"योगेश अपने घर पे इनफॉर्म कर दो कोई आ जाएगा

देख - भाल के लिए।"

पर योगेश ने कोई जवाब नहीं दिया।

फिर अनमोल ने कहा,

"तो फिर मुझे ही फोन नंबर दे दो मै ही अंकल आंटी को इनफॉर्म कर दूं कि तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है।"

फिर भी योगेश ने कुछ नहीं कहा।

पूरा दिन अनमोल योगेश के साथ ही रहा। उसे इस हाल

में अकेले कैसे छोड़ कर जाता?

दूसरे दिन योगेश को थोड़ा सा आराम हो गया तो उसने

अनमोल को कहा कि वो हॉस्टल जा कर नहा धो कर कुछ खा पी आए अब मै ठीक हूं।

एक नंबर दिया कि इस नम्बर पर कॉल कर दो मेरा साथी है जब तक तुम नहीं रहोगे तब तक वो आकर मेरे साथ रहेगा।

अनमोल ने कॉल कर दिया,लगभग आधे घंटे के अंदर ही कोई चार पांच लड़के आ गए। सब की वेशभूषा थोड़ी अलग थी। सभी ने पीली धोती और कुर्ता पहन रक्खा था। वो योगेश से शिकायत कर रहे थे कि जब इतने दिन से एडमिट हो तो आज क्यों बताया?

अनमोल से योगेश ने सब का परिचय करवाया।

अनमोल को बड़ा अजीब लग रहा था कि आज के जमाने ऐसे कपड़े कौन पहनता है।

सभी आईआईटी कानपुर के ही स्टूडेंट थे । डिपार्मेंट अलग अलग था। कोई सिविल ट्रेड का था, तो कोई मैकेनिकल, कोई इलेक्ट्रिक ट्रेड में था तो कोई केमिकल ट्रेड का था।

सभी बहुत अच्छे थे। अनमोल हॉस्टल चला आया । फ्रेश होकर लंच किया । योगेश ने अपने कमरे से कुछ सामान लाने को कहा था।

अनमोल ने सोचा, 'वो लोग तो है ही मै शाम को आ जाऊगां।'

योगेश का समान लेकर अनमोल शाम को हॉस्पिटल पहुंचा।

सभी दोस्त बहुत ही प्यार से योगेश की देखभाल कर रहे थे। कोई फल काट कर खिला रहा था, तो कोई उसके लिए गरम पानी करवा कर बाहर से ला रहा था।

अनमोल को उन सब का केयरिंग नेचर बहुत अच्छा लगा। अनमोल बात - चीत आगे बढ़ने पर पूछा की,"तुम सब कहां रहते हो कभी दिखे तो नहीं ।"

उन्होंने बताया वो हॉस्टल में नहीं रहते पास में ही पूरा एक मकान सब ने मिल कर लिया है वहीं रहते है।जिसका मकान है वो भी एक संस्था से जुड़े है उसी संस्था के ट्रस्टी का मकान है जिसे हमे नाम - मात्र के किराए पर दिया है। हम सभी वहीं रहते है।

आगे योगेश ने बताया कि वो खुद भी उन्हीं के साथ शिफ्ट होने का विचार बना चुका है। ठीक होते ही वो भी वही चला जाएगा।

हॉस्पिटल आते - जाते सभी से दोस्ती हो गई अनमोल की। सीधे - साधे अनमोल को उन सभी का सादा जीवन बहुत आकर्षित कर रहा था। वो सब पढ़ाई तो कर रहे थे पर उनके जीवन में साधना का विशेष स्थान था। सभी बिना एक निश्चित संख्या में जप लिए कोई भी काम नहीं करते थे। दिन की शुरुआत जप से ही होती।

एक हफ्ते में योगेश ठीक होकर हॉस्टल आ गया। आने के दूसरे हफ्ते में ही हॉस्टल खाली कर वो अपने साथियों के साथ शिफ्ट हो गया।

इन पंद्रह दिनों में अनमोल पूरी तरह प्रभावित हो चुका था योगेश के दोस्तों से। योगेश के हॉस्टल से जाने बाद अनमोल उससे मिलने उसके हॉस्टल जाता। उसी के साथ आश्रम में भी जाता । वहां उसे असीम शांति मिलती। पढ़ाई में गुम रहने वाला अनमोल दुनिया की रंगिनियो में पहले भी इंटरेस्ट नहीं लेता था अब तो वो और भी ज्यादा दुनिया से कट सा गया।

जो अनमोल लगभग दो साल तक अपने कॉलेज और हॉस्टल में किसी से मतलब नहीं रखता था। अब उसका मन बिना योगेश के नहीं लगता था।

अनमोल को पता था कि अगर वो अपने पापा से पूछेगा योगेश के साथ उसके हॉस्टल में जाने के लिए तो वो उसे कभी इजाजत नहीं देंगे। इस लिए अनमोल ने बिना घर पर बताए ही योगेश के साथ रहने का फैसला कर लिया।

योगेश और उसके दोस्तों कि मदद से अनमोल का सारा सामान उन्हीं के हॉस्टल में शिफ्ट हो गया।

अनमोल अब उन्हीं के साथ रहता । योगेश ओर उसके दोस्तों के साथ प्रवचन सुनने भी जाता। आश्रम भी जाता।

अनमोल का जीवन पूर्णतः सात्विक हो गया ।

अब वो बाहर की कोई भी खाने पीने की चीजें ना खाता। हमेशा ध्यान में और जप में लगा रहता।

जब भी अरविंद जी कहते की मै आ कर मिल जाता हूं, तो अनमोल मना कर देता । कहता, "पापा मै ठीक हूं क्यों परेशान होंगे?"

धीरे - धीरे पूरा सत्र बीत गया । अनमोल की परीक्षाएं बीत गई । सारे पेपर ठीक हुए थे। पर अब वो पहले कि भांति सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता था। काफी समय जप और ध्यान में चला जाता था। परीक्षा के बाद भी उसका मन घर जाने का नहीं था।

क्या अनमोल छुट्टियों में घर गया? क्या अरविंद जी को पता चला की अनमोल कॉलेज का हॉस्टल छोड़ कर दूसरी जगह शिफ्ट हो गया है? क्या हुई उनकी प्रतिक्रिया?

जानिए अगले भाग में।

 

अपना अनमोल प्यार देने के लिए आप सभी का हृदय से आभार।