स्कैम 1992, द हर्षद मेहता स्टोरी रिव्यू Mahendra Sharma द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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स्कैम 1992, द हर्षद मेहता स्टोरी रिव्यू

स्कैम 1992, द हर्षद मेहता स्टोरी
"रिस्क है तो इसक है" , इस वेब सीरीज़ के डायलॉग्स आपको याद रह जाएंगे।
सोनी लिव पर प्रसारित स्कैम 1992 वेब्सिरिज़ अभी तक भारत में आए वेब सीरीज़ ब्रॉडकास्ट के सभी रेकॉर्ड तोड़ देने वाली है।
यह वेब सीरीज़ देखने वालों का कहना है कि अभी तक सिर्फ हर्षद मेहता को ही वे विलन और शेर बाजार का चोर समझ रहे थे , वेब सीरीज़ देखने के बाद उन्हें दूसरे बढ़े बढ़े चोर और विलन भी साफ साफ दिख रहे हैं, जो राजनीति , सिस्टम या मार्केट में बैठकर बहुत बड़े कांड कर रहे हैं और एक सामान्य निवेशक उनके हाथ की कठपुतली बन कर रह गया है।

शेयर मार्केट हमेंशा से ही उन लोगों की पसंद रहा है जिन्हें कम समय में बहुत पैसे कमाने का जनून सवार हो जाता है और उसी लालच में लोग हर्षद मेहता जैसे ब्रोकर या फिर कहें ' बिग बुल' के झांसे में आ जाते हैं। पर यहां बात केवल शेयर मार्केट की नहीं , उससे भी बढे मार्केट मनी मार्केट की भी है। मनी मार्केट का कारोबार बैंकों के बीच होता है जिसमें अरबों खरबों की लेन देन होती है।

10 एपिसोड की यह वेब सीरीज़ हर्षद मेहता के जीवन के हर एक पहलू को धीरेधीरे आपके सामने खोलती है, उसके मध्यम वर्गीय जीवन से लेकर भारत के सबसे बढ़े एडवांस टेक्स पेयर तक के सफर को दर्शाती है, साथ ही कैसे उस पर लगे आरोप और उसके साथ हो रही राजनीति को भी बिना नाम व स्थान बदले दिखाया गया है। कहानी सुचेता दलाल और देबाशीष बासु की किताब 'द स्कैम " से प्रेरित है। इस वेब सीरीज़ की एक बड़ी खासियत है कि यहां बैंको के नाम जैसे एसबीआई, सिटी बैंक, यूटीआई वैगेरह बे रोकटोक और पूरी ईमानदारी से लिए गए हैं और साथ ही कैसे इन बैंको ने पूरे स्कैम में हर्षद मेहता को बनाया और गिराया उसका पूरा मामला विस्तार से दिखाया गया है। न सिर्फ बैंक पर उनसे जुड़े बैंक अधिकारियों के नाम के साथ पूरा मामला ईमानदारी से दिखाया गया है।

हर्षद मेहता को एक बड़ा राजनैतिक समर्थन मिल रहा था और अफवा थी कि शायद उन्हें चुनाव में टिकिट भी दिया जाता, इन सभी के बीच हर्षद मेहता शेयर बाजार की हर उस कमज़ोर कड़ी से खेला जिससे उन्हें और उनके निवेशकों को कई गुना मुनाफा हुआ। पहले निजी निवेशकों के पैसे और फिर बैंक के पैसों से शेयर मार्केट में चुनिंदा शेयर्स के दामों को कई गुना ऊंचा उठाया जाता। भारतीय बैंकिंग में भी हर्षद मेहता ने खामियां ढूंढी और उनका भरपूर फायदा उठाया। आखिर भारतीय हाउसिंग बैंक को भी अपनी करतूतों में शामिल कर दिया और उनके पैसों का शेयर मार्केट में उपयोग हुआ।

हर्षद मेहता ने जो किया वो सही नहीं था पर वह यह करने वाला पहला और आखिरी नहीं था। उसकी बढ़ी मंशा और बढे दुश्मन उसे उसके पतन की तरफ ले गए, किस्मत ने भी साथ छोड़ा और दोस्तों ने मुंह फेर दिया, या फिर की जिनको हर्षद मेहता ने ख्वाब दिखाए उन्हीं के बर्बाद होने से उनकी बददुआ हर्षद मेहता को लगी और उसकी जेल में मृत्यु हो गई।

वेब सीरीज़ के प्रॉडक्शन और एक्ट में ज़्यादातर गुजराती हैं जैसे निर्देशक हैं हंसल मेहता, जिन्होंने एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर में क्रिएटिव डाइरेक्शन किया और बोझ डेड ओर अलाइव जैसी वेब सीरीज़ डिरेक्ट की है और साथ ही राजकुमार राव की ओमरेटा भी डिरेक्ट की है।
वैसे जी संगीत दिया है अचिंत ठक्कर ने। प्रतीक गांधी भी गुजराती एक्टर हैं जिन्होंने कई गुजराती हिट फिल्में की हैं। प्रतीक गांधी ने हर्षद मेहता के किरदार को जीवंत कर दिया है। वैसे प्रतीक बहुत प्रसिद्ध थिएटर एक्टर भी रह चुके हैं।
श्रेया धन्वंतरि ने किया है सुचेता दलाल का रोल जो इस फ़िल्म में जर्नलिस्ट हैं और उन्होंने ही हर्षद मेहता पर किताब लिखी थी। श्रेया ने भी दमदार एक्ट किया। इससे पहले श्रेया को आपने द फेमिली मैन वेब सीरीज़ में देखा होगा।
अन्य जाने माने एक्टर हैं अनंत महादेवन, रजत कपूर और सतीश कौशिक। अनंत महादेवन बने हैं RBI के गवर्नर एस वेंकटरामनन , जिन्होंने मीडया का खबरी बनकर हर्षद और उनके साथीयों के घपले मीडिया के माध्यम से लोगों के सामने लाए। शारद कपूर एक मंझे हुए एक्टर हैं जिन्होंने सीबीआइ इंस्पेक्टर माधवन का रोल किया है और हर्षद से वो सब कुछ उगलवाना चाहा जो अगर वो उगलता तो भारत में सरकार गिर सकती थी। सतीश कौशिक बने हैं मनु मुद्रा जो बीअर मार्केट मतलब मंदी वाले मार्केट के किंग हैं, हमेंशा गलियों से बात शुरू करते हैं।

हर्षद मेहता को कम्प्लीट फेमिली मैन दिखाया गया है जो घर का खाना पसंद करता है, बच्चों के साथ खेलता है, बीवी से बहुत प्यार करता है और सिगरेट शराब से दूर रहता है। करीब 6 एपिसोड तक उनके मुंह से एक गाली भी नहीं निकली, मतलब आप उसे एक शातिर बिज़नेस मैन की तरह ही देखेंगे जो रिस्क लेता है और आगे बढ़ता है, पर जब स्कैम समाचार में आता है, उसकी उल्टी गिनती शुरू होती है। सरकार , बैंक, सीबीआई, पुलिस और न जाने कौन कौन उसके पीछे पड़ने लगते हैं, दोस्त भी साथ छोड़ देते हैं। वेब सीरीज़ ने न उसे विलन दिखाया है न हीरो पर यह तय है की उसके नाम का सिक्का शेयर मार्केट में चलता था। बाँये हाथ का पंजा उठाकर वह लोगों में जोश भर देता था। पर आखिर उसे खाली हाथ अकेले ही रुखसत होना पड़ा।

लाला सीरीज़ मजानी छे, जरूर जोजो।