आ घर लौट चलें (एकांकी) - 1 Neelam Saxena द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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आ घर लौट चलें (एकांकी) - 1

(दृश्य - एक घर की लॉबी का दृश्य है जहां पर हवन किया जा रहा है । छोटा सा हवन कुंड है, उसके आसपास सीमा , राजन और परी खड़े हुए हैं ; एक तरफ चार कुर्सियां पड़ी हुई है । )
पर्दा खुलता है ।
( शंखनाद और घंटे की ध्वनि हो रही है, सीमा शंख तथा परी घंटा बजा रही है और डॉ राजन ताली बजा रहे हैं । सीमा शंख बजाकर पूजा के स्थान पर रख देती है और परी भी घंटी को यथा स्थान पर रख देती है । तीनों हाथ जोड़कर खड़े होते हैं ,राजन और सीमा शांति पाठ का वाचन करते हैं ।)
समवेत स्वर में-
ओम सर्वेषाम स्वस्तिर भवतु ,सर्वेषाम शांतिर भवतु ,सर्वषाम मंगलम भवतु ,सर्वेषाम पूर्णम भवतु; लोका समस्ता सुखिनो भवंतु ,सर्वे भवंतु सुखिनः ,सर्वे संतु निरामया ,सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग भवेत् । ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।वनस्पतय: शान्तिर्विश्वेदेवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ।
राजन - ( आरती लेते हुए) इस प्रकार के हवन करने से घर कितना पवित्र और सुगंधित हो जाता है न ।
सीमा - वह तो है, (परी को आरती देकर स्वयं भी लेते हुए) पूरे घर का वातावरण और वायुमंडल शुद्ध हो जाता है। हम सब 'वसुधैव कुटुंबकम' को मानने वाले पूरे विश्व की मंगल कामना के लिए 'शांति पाठ' का वाचन आदि करते ही हैं ,अब तो कोरोनावायरस से त्रस्त पूरे विश्व में भी इस प्रकार की प्रार्थनाएं की जा रही है।
राजन- हां, कोरोना से त्रस्तअमेरिका की संसद में भी हमारे शांति- पाठ का वाचन किया गया है ।
सीमा- हमारी पूजा पद्धति, संस्कृति, मान्यताएं, परंपराएं सब बड़ी वैज्ञानिक है और विज्ञान को तो पूरा विश्व स्वीकार करता ही है।
राजन- आधुनिक विज्ञान भी अब तो हमारी इन मान्यताओं और परंपराओं को उचित मानता है । गाय के गोबर की कंडी का नवरात्र में अग्यारी के रूप में प्रयोग करना , कपूर -लोंग, पान और हवन सामग्री की आहुति तथा आम की लकड़ी से हवन करना, सब में विज्ञान की ही अवधारणा है ।
परी- गाय के गोबर की कंडी का उपला,छी...
वातावरण को भी शुद्ध करती है, इसके धुऍ से छोटे-छोटे कीटाणुओं का स्वत: ही नाश हो जाता है । शंखनाद की महत्ता तो हम सभी जानते हैं, इसे बजाने से तो फेफड़े भी मजबूत होते हैं ।
परी- और पापा, शंख ,थाली ,ताली आदि बजाना डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मी आदि सबको धन्यवाद देने के लिए भी तो होता है ।
सीमा- (हंसते हुए) बिल्कुल सही ।
राजन- ( पास पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए) मां , पापा तो सीरियल में व्यस्त हैं, अपने कमरे में ।
परी - जी ,रामायण जो आ रही है ।
सीमा- अच्छा है ,घर की चारदीवारी में रहने के समय का सर्वोत्तम सदुपयोग कर रहे हैं ।
राजन - घर में रहना, सभी के लिए बेहद जरूरी भी है। 60 साल से ऊपर वालों के लिए तो कोरोनावायरस का संक्रमण जल्दी ही हो जाता है। देखो न, दीदी की सास को ;अच्छी भली थी लेकिन सत्संग और लोगों से मिलना -जुलना उनको ले डूबा।
सीमा - भक्ति ,श्रद्धा सब अपनी जगह हैं लेकिन जब सब कह रहे हैं ; एडवाइजरी में विशेष रूप से सामाजिक दूरी बनाने की बात कही गई है, बार बार समझाया जा रहा है ,उसके बाद भी मंदिर जाना, आस-पड़ोस में मिलना - जुलना कोई समझदारी तो है नहीं; मंदिर जाना तो उन्होंने तब छोड़ा जब मंदिर के कपाट बंद करने के आदेश आ गए थे ।
राजन- हो तो गया संक्रमण, अब पूरा परिवार परेशान है ,स्पष्ट कहा गया है कि छुआछूत की बीमारी है कोरोना, ऐसे मरीज को क्वॉरेंटाइन कर दिया जाता है ,घर में भी पूरी तरह से अलग ही रखा जाता है, सिर्फ घर का एक ही सदस्य उनके पास तक जा सकता है उनकी तीमारदारी के लिए, जिससे संक्रमण का खतरा कम से कम हो।
सीमा- ऐसे ही शर्मा अंकल का हुआ, उनको तो ऐसा संक्रमण हुआ कि मृत्यु ही हो गई ।
राजन - (पूछते हुए) उन्हें कैसे हो गया ? वह तो ज्यादातर घर पर ही रहते थे ।
सीमा - रहते तो घर पर ही थे ,लेकिन सुबह की सैर की नियमितता ने उनको इस बीमारी की चपेट में ले लिया ; आखिरकार जान से ही चले गए।
राजन - असल में ज्यादातर लोग इसे बड़े हल्के में ले रहे हैं । आज सुबह ही अस्पताल में चार युवकों को भर्ती किया गया है, चारों में कोरोनावायरस पाया गया ।
सीमा - (दुख मिश्रित आश्चर्य से) अरे! यह वायरस आया कैसे उनमें ?
राजन - प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं , कंपनी ने घर से काम करने के आदेश दे दिए, शनिवार- रविवार में वे लोग पिकनिक मनाने चले गए , वहीं से संक्रमित हो गए ।
सीमा - बिल्कुल नहीं सोचते यह युवा, क्या गुजर रही होगी उनके परिवार वालों पर !
राजन - घरवालों को सूचना दे दी गई है लेकिन ऐसी बीमारी में मिलने - मिलाने देने का तो प्रश्न ही नहीं उठता है ।
सीमा - सुनिए ,(राजन के पास पड़ी कुर्सी को थोड़ा दूर करके बैठते हुए) आपने आज सुबह अस्पताल से लौटकर आने के बाद अपने पहने हुए कपड़े कहां रख दिए ?
राजन - बाहर वाले बाथरूम में , नहाने से पहले ही डिटाँल डाल कर धो दिए ।
सीमा - क्यों धो दिए ,मैं धो देती न!
राजन - ऐसे काम तत्परता के साथ सावधानीपूर्वक स्वयं ही कर देने चाहिए। प्रत्येक वस्तु बाहर ही सैनिटाइज करके और कपड़े तुरंत स्वयं धोना ही बेहतर है ,वैसे भी कितना करोगी तुम? सब काम वालों की तो छुट्टी कर दी गई है, पूरा काम तुम पर ही पड़ गया है ।
सीमा - (हंसते हुए)अरे वाह! आज तो बड़ा ख्याल आ रहा है मेरा।
परी - ( राजन से) पापा,आप बाहर वाले बाथरूम में क्यों नहाते हैं अब?
राजन - बेटा, यह कोरोनावायरस बहुत खतरनाक वायरस है जो 3 मीटर की दूरी से भी अपना दुष्प्रभाव डाल देता है इसलिए घर में आने से पहले मैं बाहर ही अपना सारा सामान सैनिटाइज करके, अस्पताल के कपड़े वही धोकर, नहा कर, तब अंदर आता हूं जिससे पूरा बचाव किया जा सके , अपना भी और आप सबका भी।
परी - अब आप दादी-बाबा से भी बात नहीं करते हैं और न ही उनके कमरे में जाते हैं, न ही उनके चरण स्पर्श करते हैं; नाराज है क्या उनसे?
राजन - (हंसते हुए ) नहीं बेटा, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है ,उनसे नमस्ते तो करता हूं न । अभिवादन का यह सबसे अच्छा सुरक्षित तरीका है। आपके दादी- बाबा 60 साल से ज्यादा की उम्र के हैं और मैं एक डॉक्टर हूं, अस्पताल से आता हूं मरीजों के बीच से; तब जरूरी हो जाता है कि मै पूरी सावधानी रखूं। यह छुआछूत की बीमारी है ,चरण स्पर्श से, स्पर्श तो होता ही है । यह बीमारी बड़े- बूढ़े लोगों में प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से जल्दी ही उन्हें अपनी चपेट में ले लेती है।(सीमा की तरफ इशारा करते हुए) उधर देखो, आपकी मम्मी ने अपनी कुर्सी मुझसे कितनी दूर डाली है । (कहकर हंसने लगता है)
परी - क्यों, मेरी मम्मी तो बूढ़ी नहीं है ।
राजन - बिल्कुल नहीं है, लेकिन सावधानी तो हर एक को बरतनी ही चाहिए न ।
परी - तो क्या यह कोरोनावायरस आपको भी हो सकता है, मुझे भी हो सकता है ।
सीमा - बिल्कुल हो सकता है, अगर हम लोग सावधानी न बरतें तो !
परी - और अगर ध्यान रखें तो!
राजन - फिर आप को डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है, अगर आप अपना पूरा ध्यान रखें और जो- जो सावधानियां बरतने को कहा जाए वह सब करें तो कोरोनावायरस किसी का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है ।
परी - पापा, मैं तो वह सब करती हूं जो मम्मी कहती है फिर मुझे तो कुछ नहीं होगा न ।
राजन - बिल्कुल कुछ नहीं होगा आपको, आपको बिल्कुल भी डरने की जरूरत नहीं है।वैसे मम्मी आप से क्या-क्या करने के लिए कहती हैं।
परी - हर 2 घंटे बाद 20 सेकंड तक अच्छे से साबुन से हाथ धोने के लिए कहती हैं, खाँसते और छींकते वक्त मुंह पर रुमाल रखने के लिए कहती हैं और हर 2 घंटे बाद गर्म पानी पीने के लिए देती हैं ।
राजन - अच्छा, इसीलिए कुछ दिनों से हमेशा एक रुमाल आपके हाथ में रहता है ।
सीमा - और सुनिए, कल आप की लाडली बिटिया मुझसे कह रही थी कि पापा अब मुझे प्यार नहीं करते हैं।
राजन- क्यों? ऐसा क्यों?
सीमा - मुझे क्या पता! परी से ही पूछ लीजिएगा।
राजन - क्यों परी, आपको ऐसा क्यों लगा ?
परी - आप पहले जब अपने अस्पताल जाते थे तब हमेशा मुझे प्यार करके, गले लगा कर, खूब सारी पुच्ची दे कर जाते थे और अब पास आने पर भी मुझे डांट देते हैं ।
(सीमा और राजन दोनों हंसने लगते हैं)
राजन - सॉरी बेटा, यह मैं इसलिए करता हूं क्योंकि मैं अपनी प्यारी परी से बहुत- बहुत- बहुत ज्यादा प्यार करता हूं । यह कोरोना मनुष्य को मनुष्य के छूने से ही नहीं बल्कि दूर से बात करने पर भी अपना संक्रमण फैला देता है इसीलिए जब तक यह बीमारी हमारे समाज, हमारे देश से पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाती है तब तक आप से दूरी बना कर रखना मेरी मजबूरी है । आपको क्या लगता है मेरा मन नहीं करता है अपनी प्यारी गुड़िया को प्यार करने का ।
परी - लेकिन आपने वीडियो गेम लाकर भी तो नहीं दिया जिसको देने का आपने मुझसे वायदा भी किया था।
राजन - आपको पता है पूरा बाजार बंद रहता है, पूरे देश में लॉकडाउन है।
परी - (जिज्ञासा से) यह लॉकडाउन क्या होता है पापा?
राजन - लॉक डाउन का मतलब होता है कि सबको अपने-अपने घरों में रहना है, कोई बहुत जरूरी काम के लिए ही बाहर निकल सकता है जैसे खाने-पीने का जरूरी सामान,राशन ,दवाई बगैरह । मॉल. थिएटर .होटल. रेस्टोरेंट, बाजार सब बंद रहेंगे केवल बैंक, गैस एजेंसी,मेडिकल स्टोर और किराने की दुकानें ही खुलेंगी । सब कार्यालय बंद रहेंगे ।
परी - फिर आप क्यों जाते हैं?
राजन - हमारे लिए तो जाना जरूरी है क्योंकि जिस बीमारी की वजह से यह सब बंद किया गया है उनके मरीजों को कौन देखेगा! इसलिए चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ,पुलिस, मीडिया वाले, सफाई कर्मी, बैंक कर्मी- केवल इन लोगों के लिए ही छूट है, वरना सब को अपना काम घर से ही करना है ।
परी - ( समझते हुए )अच्छा, इसीलिए मेरे स्कूल भी बंद कर दिए गए हैं।
राजन - जी, अब समझ आया आपको; लेकिन घर में पढ़ना है, घर पर पढ़ना मना नहीं है।(सीमा से) वह दिव्या की शादी भी स्थगित कर दी गई है, आज चाचा जी का फोन आया था।
सीमा - यह तो करना ही चाहिए था, जरूरी था। राजन - सारी बुकिंग कर दी थी, सब तैयारियां हो गई थी ; इसीलिए चाचा जी पहले निर्णय नहीं ले पा रहे थे लेकिन कोरोना के कारण बिगड़े हालात को देखते हुए उन्हें ऐसा निर्णय लेना ही पड़ा ।
सीमा - यह स्थिति तो दिन पर दिन बिगड़ती ही जा रही है, शादी स्थगित करने के अलावा कोई विकल्प भी तो नहीं था ।
राजन - सही बात है। अभी हमारे यहां कुछ डॉक्टर्स को भी संक्रमित व्यक्तियों का इलाज करने के दौरान संक्रमण हो गया,उन्हें पूरी तरह से क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है।
सीमा - इस महामारी ने डॉक्टर की भूमिका को और भी बढ़ा दिया है और हमारे डॉक्टर्स भी दिन- रात एक कर के पूरी जिम्मेदारी और जज्बे के साथ अपना कर्तव्य निभा रहे हैं ।
राजन - (परी से )परी, आप घर से बाहर तो नहीं जाती हैं खेलने के लिए !
परी - नहीं पापा, मम्मी जाने ही नहीं देती हैं, पूरा दिन घर में ही बंद रखती हैं ; आप कहिए न,मम्मी से थोड़ी देर के लिए जाने दिया करें, प्लीज पापा! राजन - नहीं बेटा,( सीमा की तरफ देखते हुए) हाईकमान के आगे तो मैं भी कुछ नहीं कर सकता; (कह कर हंसने लगता है) वैसे आपको घर से बाहर जाना भी नहीं चाहिए जब तक कोरोनावायरस का खतरा बिल्कुल समाप्त न हो जाए ।
सीमा - बाहर नहीं जाती है तो क्या,सारा दिन घर के अंदर गेम्स खेलने पड़ते हैं मुझे इनके साथ।
राजन - मां हो, इतना तो करना ही पड़ेगा; ( कुछ याद करते हुए) और हां, तुमने वह घर के सामान की सूची बना दी क्या?
सीमा - हां, अभी देती हूं। सारा सामान लिख दिया है।
राजन - देख लेना, कुछ रह न जाए। केवल एक बार ही बाजार जाऊंगा,बार-बार बाजार जाने से, एक दूसरे के संपर्क में आने से, कोरोना का खतरा बढ़ जाता है ।
सीमा - सब बहुत ध्यान से लिख दिया है जिससे कोई सामान रह न जाए (पास की एक अलमारी से पर्चा निकालकर राजन को देते हुए) फिर भी कुछ रह जाए तो रह जाए, उसके बिना भी काम चला लेंगे।
राजन - (पर्चा लेकर पढ़ते हुए) कुछ पैसे भी दे दो, इस बार का वेतन मैंने स्वेच्छा से पीएम केयर फंड में डाल दिया है।
सीमा - मेरे पास तो अब नहीं है पैसे !
राजन - क्यों ?अभी 4 दिन पहले ही तो मैंने 10,000 दिए थे।
सीमा - हां ,आप ने दिए थे लेकिन वह तो मैंने झाड़ू- पोछा वाली और बर्तन वाली को दे दिए।
राजन - कितने दे दिए ! उनको तो महीना पूरा होने पर ही दिए जाते हैं न।
सीमा - लेकिन अभी उन दोनों की ही छुट्टी कर रखी है, तो दोनों के लिए महीना पूरा होने से पहले ही पैसे दे दिए जिससे वे अपने घर का राशन आदि खरीद कर आराम से घर पर बैठे ।
राजन - तब भी आठ हजार के करीब बचने चाहिए थे।
सीमा - इस बार दोनों कामवाली बाईयों को दो- दो हजार ज्यादा दे दिए जिससे उनके घर- परिवार में किसी तरह की कोई परेशानी न हो ।
राजन - बहुत खूब! ऐसे तो तुम लुटा दोगी।
सीमा - ( हंसते हुए) कोई बात नहीं, किसी के घर का चूल्हा जलता रहे, इसके लिए हमें लुटना भी पड़े तो वह भी मंजूर है; वैसे कल शाम ड्राइवर से आप क्या बात कर रहे थे ?
राजन - अरे, वह तो उसका गाड़ी-वाड़ी चलाना सब बंद है न, दिन- रात घर पर ही रहता है तो......
सीमा - तो .....
राजन - तो क्या, चूल्हा तो उसके घर भी है न,उसे भी तो जलना चाहिए। ( कहकर दोनों हंसने लगते हैं)
सीमा - इन छोटी-छोटी सहायता से हम लोगों पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता है लेकिन इन काम वालों को, मजदूरों - दिहाड़ी वालों को, बहुत राहत मिल जाती है ।
राजन - ठीक कह रही हो तुम, और यह हम सबका नैतिक - सामाजिक कर्तव्य भी बनता है।
परी - पापा, चूल्हा तो हमारे घर का भी जलना चाहिए न,( सीमा से )मम्मा, मुझे बहुत जोर से भूख लगी है ।
राजन - बिल्कुल ,पूरे देश में लॉकडाउन है ,हमारी रसोई में थोड़ी न है ।
सीमा - हां, हां, चलो तुम्हें दूध और नाश्ता देती हूं( उठकर जाने लगती है,राजन से) आप क्या खाएंगे नाश्ते में ?
राजन - मुझे अभी कुछ नहीं खाना है, अपने और मेरे लिए केवल चाय ही ले आओ ।
सीमा - ठीक है ( कहकर रसोई में चली जाती है)
परी - (राजन से) पापा, मेरा जन्मदिन आने वाला है, आपको याद है न!
राजन - बिल्कुल याद है, अपनी बिटिया का जन्मदिन कैसे भूल सकता हूं!
परी - आपने उस दिन गर्जिया देवी चलने का वायदा किया है।
राजन - हां, लेकिन अब कैसे जा पाएंगे !
परी - कोई बात नहीं, मेरे जन्मदिन पर खर्च होने वाले सब पैसे आप उन अंकल को दे देना, जो अपने घर से दूर मजदूरी करने के लिए आए थे और पैदल ही वापस भूखे अपने घर जा रहे थे।
( तभी सीमा का प्रवेश होता है ,चाय -दूध और नाश्ता लेकर)
राजन - (अनभिज्ञता पूर्वक सीमा से) यह परी क्या कह रही है?
सीमा - कल टीवी पर न्यूज़ में दिखाया जा रहा था कि एक मजदूर भूखे- प्यासे अपने बीवी - बच्चों के साथ पैदल ही अपने घर जा रहा था, तो कल से मुझसे कई बार पूछ चुकी हैं,वह अंकल अब कहां होंगे,कैसे होंगे, खाना खाया होगा या नहीं, उनके बच्चे तो ठीक हैं न... । (परी को दूध और नाश्ता तथा राजन को चाय देकर, एक कुर्सी पर बैठकर स्वयं भी चाय पीने लगती है)
राजन - (चाय पीते हुए )बच्चे बड़े संवेदनशील होते हैं ,वैसे भी परी बहुत समझदार है।(सीमा से पूछते हुए )मां -पापा ने नाश्ता कर लिया क्या ?
सीमा - हां,उन्हें तो सुबह ही करा दिया था। आप भी कुछ खा कर अब आराम कर लीजिएगा , रात की ड्यूटी करके आ रहे हैं।
राजन - मुझे तो अभी 2 घंटे में ही अस्पताल जाना होगा, एक तो स्टाफ कम है और दूसरे फ्रंटलाइन डॉक्टर्स की अब होटल में ही रहने की व्यवस्था की जाएगी।
सीमा - ( आश्चर्य से ) क्या डॉक्टर्स अब घर पर नहीं आ सकेंगे ?
राजन - नहीं, कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण और डॉक्टर के परिवारी जनों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है ।
सीमा - यह तो बड़ी परेशानी वाली बात हो गई! राजन - कोई बात नहीं, सुविधा से अधिक बड़ी सुरक्षा होती है। यह पूरे विश्व में संकट की घड़ी है जिसमें डॉक्टर्स की भूमिका बहुत अहम है बल्कि यह एक चिकित्सक के लिए भी परीक्षा की ही घड़ी है, अपने आप को सिद्ध करने का समय है।
परी - मेरे पापा तो सचमुच के हीरो हैं, मुझे अपने पापा पर गर्व है।
सीमा - ( हंसकर गर्व के साथ ) मुझे भी आपके पापा पर गर्व है।
राजन - धन्यवाद, जीवन में पहली बार अपने पति पर गर्व हो रहा है आपको।
सीमा - ( उठते हुए )तो फिर जल्दी से आपको कुछ खाने के लिए बना देती हूं।
राजन - बैठो बना देना, अब तो तुम से बात करने का, साथ बैठने का, समय ही नहीं मिलेगा।
सीमा - परी, आप नाश्ते से पहले अपने हाथ अच्छी तरह से साबुन से धोकर आईऎ।(परी हाथ धोने चली जाती है, राजन से )आपने मन की बात सुनी क्या?
राजन - नहीं, जल्दी सुनाओ अपने मन की बात, हम तो आपके मन की बात सुनने के लिए हमेशा ही तैयार रहते हैं।
सीमा - आपको ऐसे समय में भी मजाक सूझ
रहा है, मैं आकाशवाणी से प्रसारित होने वाले मोदी जी के कार्यक्रम 'मन की बात' के बारे में बात कर रही हूं ।
राजन - ओह अच्छा, कोई खास बात है क्या उसमें?
सीमा - नहीं, ऐसी तो कोई खास बात नहीं है, पहले जब भी 'मन की बात' में बोलते थे तो कुछ मुद्दों पर बोलते थे लेकिन कल तो पूरा समय कोरोना से संबंधित ही बात कही।
राजन - यह कोरोना का मुद्दा है ही इतने महत्व का, हम लोगों को तो अस्पताल में बिल्कुल भी, कुछ भी देखने-सुनने का समय ही नहीं मिलता है। एक के बाद एक मरीजों का तांता लगा ही रहता है।
( परी का हाथ धोकर प्रवेश)
सीमा - परी, आपने अच्छी तरह से हाथ धोऎ हैं न!
परी - जी मम्मी, पूरे 20 सेकंड।
राजन - अच्छा, आप धोती कैसे हैं?
परी - पहले पानी से हाथ धोकर, साबुन लगाती हूं फिर अच्छे से दोनों हाथों को आपस में रगड़कर, दोनों हाथों के उल्टी तरफ रग़ड़कर, दोनों कलाई पर रगड़ती हूं और उसके बाद उंगलियों के बीच में रग़ड़ कर, धो लेती हूं ।
राजन - इस बीच पानी लगातार चलने देती हैं क्या?
परी - नहीं पापा, टंकी तो केवल हाथ धोते समय ही चलाती हूं । रगड़ते वक्त तो बंद कर देती हूं। राजन - शाबाश, मम्मी ने काफी अच्छी तरह से सिखा दिया है सब कुछ, पानी की बर्बादी तो बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए।(सीमा से पूछते हुए) घर में सैनिटाइजर खत्म हो गया है क्या?
सीमा - नहीं खत्म नहीं हुआ है, मां के पास रख दिया है। घुटनों में दर्द की वजह से उनको बार-बार चलने में दिक्कत होती थी।
राजन - यह तो तुमने बहुत अच्छा किया, वैसे भी साबुन - पानी से हाथ धोना एक बेहतर विकल्प है।
परी - पापा, घर में भी क्या मास्क लगाना चाहिए?
राजन - अगर घर में सब स्वस्थ हैं तो मास्क लगाने की जरूरत नहीं है लेकिन किसी को खांसी- जुकाम या बुखार हो तो सावधानी के तौर पर लगा लेना चाहिए । इसका सबसे अच्छा उपाय है एक दूसरे से थोड़ी दूरी बनाए रखना क्योंकि यह वायरस मनुष्य से मनुष्य में फैलता है इसलिए बात करते समय कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाए रखना चाहिए। खांसते या छीक़ते समय मुंह पर रुमाल रखना चाहिए, वह तो आप करती ही हैं।घर से बाहर तो बिल्कुल भी नहीं जाना चाहिए।
परी- वह तो मम्मी मुझे जाने ही नहीं देती हैं (अपनी नाश्ते की प्लेट में आयुर्वेदिक गिलोय की 2 गोलियां देखकर,सीमा से) यह गोलियां कब तक खिलाएंगी आप?
सीमा- अभी कुछ समय तक तो हल्दी वाला दूध और गिलोय की यह गोलियां लेती रहो । इलाज से सावधानी हमेशा ही बेहतर होती है, जिस रोग की दवा न बनी हो, उसकी दवा केवल सावधानी ही होती है ।
राजन - यह तो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी बहुत कारगर है । तुम मां-पापा को भी तो रोज सुबह गिलोय, नीम और तुलसी के पत्तों का काढ़ा दे रही हो न !
सीमा - हां, मां- पापा तो पी लेते हैं लेकिन यह परी नहीं पी पाती है इसलिए इसे गिलोय की गोलियां दे देती हूं।
राजन - यह काम तो बहुत अच्छा करती हो तुम, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्राणायाम, योगा और गिलोय की महत्ता को स्वीकार किया है । एम्स के डॉक्टर ने तो सबको अपने - अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाने के लिए कहा है।
सीमा - इस बार आकाशवाणी से प्रसारित 'मन की बात' में प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी सभी से स्वस्थ बने रहने के लिए, अपने घर पर ही प्राणायाम- योगा करने की अपील की है, इस से होने वाले फायदे के बारे में भी बताया। इसी तरह से कोरोना से बचने के लिए योग गुरु बाबा रामदेव ने भी भस्त्रिका, अनुलोम विलोम, कपालभाति करने पर विशेष बल दिया है, साथ ही अदरक, काली मिर्च, तुलसी का काढ़ा बनाकर पीने की सलाह भी दी है।
राजन - सूर्य नमस्कार तो शरीर के सभी तंत्रों के लिए सबसे अच्छा आसन है।
सीमा - आकाशवाणी से प्रसारित 'मन की बात' में प्रधानमंत्री मोदी जी ने जनता को हुई परेशानी के लिए, जनता से क्षमा याचना की और कुछ समर्पित डॉक्टर से फोन पर बात भी की। जनता में, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने के लिए, हमारे यहां कही जाने वाली बातों का उदाहरण देकर समझाने का भी प्रयत्न किया जैसे 'एवं एव विकारो अपि तरुण: साध्यते सुखम' अर्थात बीमारी और उसके इलाज से शुरू में ही निपटना चाहिए बाद में रोग असाध्य हो जाता है, इसी प्रकार एक अन्य उदाहरण द्वारा अपनी बात कही कि हमारे यहां कहा जाता है कि 'आरोग्यं परम भाग्यम, स्वास्थम सर्वार्थ साधनम्' अर्थात स्वस्थ रहना सबसे बड़ा भाग्य है और स्वास्थय से ही सब प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है, दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि सबसे बड़ा सुख निरोगी काया है। 40 मिनट की 'मन की बात' का सार कहा जाए तो यह था कि को रोना से निपटने के लिए एकमात्र उपाय सोशल डिस्टेंसिंग ही है, उसके साथ-साथ प्राणायाम- योगा करें और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए खान-पान और जीवन-शैली पर भी ध्यान दें।
राजन - बिल्कुल सही बात है, इसके अलावा कोई रास्ता ही नहीं है क्योंकि न तो इस वायरस से बचने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन ही बनी है और न ही कोई दवाई ही है तो बस बचा क्या सिर्फ सावधानी और सावधानी केवल सोशल डिस्टेंसिंग ही है , बाकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना है- जीवनशैली और खान-पान से । जिम नहीं जा सकते इसलिए घर पर ही योगा - प्राणायाम करना चाहिए ।
सीमा - मोदी जी ने 'मन की बात' में एक और महत्वपूर्ण बात का जिक्र किया कि अगर किसी को कोरोना हो जाता है तो समाज में कुछ लोग उस व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार करने लगते हैं ,जो कि बहुत गलत है उन्होंने कहा सामाजिक दूरी बढ़ाइए लेकिन भावात्मक दूरी घटाइए । संक्रमित व्यक्ति के साथ गलत व्यवहार करना तो धार्मिक, सामाजिक और राष्ट्रीय तीनों ही प्रकार का अपराध है ।
राजन - कई स्थानों पर तो डॉक्टर और नर्सों के साथ भी बहुत बुरा व्यवहार किया जा रहा है, यहां तक कि इन पर पत्थर भी फेंके गए हैं ,मारने के लिए ।
सीमा - हां न्यूज़ में आ तो रहा था, यह तो बहुत ही शर्मनाक बात है जो आप के इलाज के लिए आ रहा है ,आपके जीवन की रक्षा के लिए आ रहा है; उसी के साथ ऐसा दुर्व्यवहार।
राजन - एक तो डॉक्टर और नर्स अपनी जान जोखिम में डालकर इन लोगों का इलाज करने जा रहे हैं, ऊपर से यह लोग उन्हीं के साथ बदसलूकी कर रहे हैं ; उन्हीं पर जानलेवा हमला कर रहे हैं। सीमा - अजीब मानसिकता है।
परी - (बाहर देखते हुए) मम्मी, मेन गेट खुला हुआ है, मैं बंद कर आऊं !
सीमा - नहीं बेटा, आप रहने दो, मैं ही कर दूंगी ।
परी - आप मुझे क्यों नहीं करने देती हैं ? पहले भी तो मैं बंद किया ही करती थी ।
सीमा - ऐसे ही, कोई खास बात नहीं है; धातु पर यह वायरस 9 दिन तक रहता है, आप छोटी बच्ची हो, आपके हाथ धोने में लापरवाही हो सकती है। मैं दस्ताने पहनकर बंद कर दूंगी और फिर हाथ भी अच्छे से धो लूंगी ।
राजन - ( सीमा से) वह रफीक को तो तुम अच्छी तरह से जानती हो न!


क्रमश: