उलझता प्यार Dr Sonika Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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उलझता प्यार

कुछ ऐसी खास तो नहीं थी अर्जुन और प्रिया की पहली मुलाकात बहुत रोमांटिक भी नहीं रही वह मुलाकात बस ऐसे ही जैसे लोग मिलते हैं और मिलकर चले जाते हैं कभी ना मिलने के लिए और शायद वापस दोबारा मिलने के लिए।
उस दिन प्रिया भी स्कूल से शाम के तकरीबन पांच साढ़े पांच बजे लौटी थीं। रिक्शे वाले भैया ने जिम्मेदारी निभाते हुए घर के गेट के सामने रोका और प्रिया भी उतर कर घर की ओर जा रहीं थीं कि तभी रिक्शे वाले भैया बोले बिटिया कल से थोड़ा जल्दी आएंगे तैयार रहना नहीं तो दूसरे स्कूल पहुंचने में देर हो जाती हैं। रिक्शे वाले भैया प्रिया और उसके साथ और बच्चों को स्कूल छोड़ दूसरे स्कूल के बच्चों को घर पहुंचाते थे। प्रिया के स्कूल की ब्वॉयज ब्रांच उसके स्कूल से कुछ ही दूरी पर थीं वह ब्रांच सुबह सात से बारह चलती थीं और प्रिया की साढ़े ग्यारह से साढ़े चार। प्रिया ने रिक्शेवाले भैया को ठीक है बोल कर वापस घर की ओर मुड़ी तभी एक लड़के ने प्रिया के सामने साइकिल रोक कर एक लड़के का नाम लेते हुए उसका पता पूछा था। उस लड़के का नाम शायद अभिषेक था और प्रिया ने भी उस लड़के से पूरी तफ्तीश करने के बाद यहीं कहा यहां कोई अभिषेक नहीं रहता हैं और बिना एड्रेस के कैसे घर ढूंढने आ गए बदले में उस लड़के ने कहा था स्कूल की कॉपी देनी जरूरी है इसलिए आया था तभी प्रिया की मम्मी अंदर से पिंकी (यह प्रिया के घर का नाम) तुम बाहर क्या कर रही हो यह कौन है? प्रिया ने भी बेपरवाही से मां को जवाब दिया मुझे क्या मालूम कौन है? किसी अभिषेक को पूछ रहा था वहीं बता रहे थे तभी मम्मी ने कहा अंदर चलो जिसे सुन बिना देरी प्रिया अन्दर आ गई और वह लड़का भी मौका देख कर खिसक लिया। उस लड़के के जाने की बाद उस दिन खूब डांट पड़ी थीं प्रिया को। डांट इस लिए पड़ी कि अब वह बड़ी हो रही है इस तरह सड़क चलते कोई भी लड़का बात करने लगे तो उसे वहां नहीं रुकना चाहिए। उस दिन समझ आया प्रिया को पहली बार की अब सब लड़को से बात नहीं करना। इससे पहले प्रिया की मम्मी ने कभी किसी से बात करने या दोस्ती के लिए नहीं टोका था शायद तब तक उनके लिए बच्ची थीं पर अचानक ऐसा क्या हुआ वह उस समय उसके लिए समझ के परे था।
उस समय प्रिया नौवीं कक्षा में थीं पर तब के नौवीं और आज के नौवीं कक्षा में बहुत अंतर था। आज के समय को और दौर को देखते हुए उस समय के बच्चे बेवकूफों में गिने जाते थे। उस समय तक के बच्चों के क्रश फिल्मी एक्टर होते थे। उससे नीचे शायद समझ ही नहीं आते थे या यह अलग ही फैंटेसी दुनिया में जीते थे। ऐसे साथ में शाम को खेलने वाले लड़के बहुत दोस्त थे कुछ तो पापा के दोस्त के बेटे थे वह भी दोस्त थे पर कोई कभी क्रश नहीं रहा या कहो कभी भैया के अलावा सोचा ही नहीं।
उस दिन उस लड़के के चक्कर में मम्मी ने फालतू का प्रिया को सुनाया और साथ ही यह भी बोला था मुहल्ले की नेता हो जो सबको एड्रेस बताओगी सीधे अपने काम से काम नहीं रख सकती हो। सच बताएं तो कभी सोचा नहीं था प्रिया ने कि वापस उस लड़के से कभी टकराएगी। उस समय तो इतना गुस्से से भरे बैठे रही कि शायद वह लड़का मिल जाए तो सर ही फोड़ देती क्योंकि उसे पूरे मुहल्ले में अभिषेक का पता पूछने के लिए वह ही मिली थी पर बेशरम ठहरे रात तक सब डांट का असर खत्म सुबह फिर वैसे ही अल्लहड़ मस्त कोई असर नहीं एक कान से सुना दूसरे से निकाल दिया।
सुबह तैयार हो कर स्कूल के लिए निकल लिए पर आज शाम को स्कूल से आते टाइम कल वाले वहीं जो अभिषेक को पूछ रहा था ( तब तक नाम नहीं मालूम था) उस लड़के से नज़रे मिली प्रिया की अपने घर के मोड के चौराहे पर। जहां वह खड़ा था और जब प्रिया की नजर उस पर पड़ी तो वह मुस्कुरा दिया। उसे देख एक बार तो मम्मी की कल की डांट याद आयी पर वह मुस्कुराया क्यों उस सवाल में उलझ गई और घर पहुंच गई। शायद मम्मी ने डांटा न होता तो उससे पूछ लिया होता कि क्या हुआ अभिषेक का घर कल से मिला नहीं क्या? पर कल मम्मी ने बहुत लंबी चौड़ी डांट लगाई थी इसलिए चुपचाप सीधे घर आ गई।
दूसरे दिन भी यहीं हुआ स्कूल से लौटते टाइम वह वहीं अपनी जगह खड़ा मिला और जैसे ही प्रिया और उस लड़के की नज़रे मिलती वह मुस्कुरा दिया अब थोड़ा वह परेशान हुई। दिल कहता मम्मी को बता दूं दिमाग कहता अभी उस दिन बिना मतलब के डांट पड़ी अब अगर यह बताया कि वही लड़का देख कर मुस्कुरा रहा है तो पता नहीं क्या होगा? इसी उधेड़ बुन में करीब - करीब हफ्ता भर निकल गया। इसी बीच हाफ ईयरली एग्जाम के प्रिपेयरेशन के लिए दो दिन की छुट्टी हो गई एक दिन तो नहीं पर दूसरे दिन वह प्रिया के घर के बाहर चक्कर लगाने लगा। उस टाइम p आरएफ प्रिया और उसके सभी दोस्त बाहर खेलने के लिए निकले थे उसे अपनी तरफ आता देख वह डर के कारण वापस घर में आ गई। प्रिया को लगा फिर कहीं कुछ पूछ लिया तो मम्मी अब समझाएंगी नहीं सीधे मार ही लगाएंगी।
अचानक घर में वापस आया देख मम्मी ने तुरंत टोका अभी तो गई अभी वापस क्यों आ गई और बोली एग्जाम है कल तो बस आधे घंटे मूड चेंज करने के लिए खेलने भेजा है और उसमें भी तुम अभी यहीं अंदर बाहर कर रही हो। प्रिया ने कहा जब देखो तब डांटती है अरे अब पानी पीने आए है क्या वह भी पीने नहीं आ सकते। मम्मी ने फिर कहा कितनी बार बोला पानी पी कर खेलने जाया करो पर तुम तो समझती ही नहीं। आगे कुछ मम्मी कहती उससे पहले ही वह बाहर निकल आयी देखा तो वह जा चुका था। उसे बाहर न देख कर चैन कि सांस ली। अभी दोस्तों के साथ खेलने ही वाली थी कि वह पीछे से आया और बोल कर गया कल तुम्हारे कॉलेज के बाहर तुम्हारा वेट करूंगा जब तक वह कुछ कहती तब तक वह जा चुका था।
दूसरे दिन वह सुबह से ही बहुत डरी हुई थी अपने अंदर की पूरी हिम्मत को समेटकर उस दिन वह स्कूल गई थी स्कूल जाने के टाइम में तो बाहर कोई नहीं मिला खड़ा पूरा दिन इसी टेंशन में गुजरा कि उसने बोला तो था कि वह स्कूल के बाहर मिलेगा तो फिर आया क्यों नहीं किसी तरह पूरा दिन स्कूल में काटने के बाद छुट्टी के टाइम वह थोड़ा डरी हुई सहमी हुई बाहर आई तो देखा वह अपने दोस्त के साथ सामने गेट के बाहर खड़ा मिला।अब तक तो वह भी प्रिया को देख चुका था और प्रिया भी उसे देख चुकी थी यहां तक कि उन दोनों की नजरें भी आपस में टकरा चुकी थी फिर भी प्रिया ने अपनी पूरी हिम्मत को समेटते हुए उसे नजरअंदाज करके आगे बढ़ने की कोशिश की पीछे से एक आवाज आई प्रिया एक मिनट रुकना मुझे कुछ बात करनी है तुमसे प्रिया ने उस आवाज को भी अनसुना किया और आगे बढ़ गई फिर उसने तेज कदमों से आगे आकर उसके सामने करीब - करीब उसके आगे आकर बोला तुम्हारा ही नाम प्रिया है तुम्हें ही बुला रहा हूं तुम्हें ही कल बोला था कि आज मैं कॉलेज के बाहर आऊंगा अभी मुझे देखने के बाद भी तुम मुझे नजरअंदाज करके आगे बढ़ती चली जा रही हो।
उसको अपने सामने आया देख कर एक सेकेंड के लिए तो उसके हाथ पैर फूल गए थे यहां तक कि वह ठंडी पड़ चुकी थी पर फिर भी दिखाना था कि वह बहुत शेरनी हूं और वह किसी से डरती नहीं उसने हिम्मत किया और कहा हां तो मैं तो आपको नहीं जानती मैं आप के कहने पर क्यों रुकूंगी मैं आपकी बात को क्यों मानूंगी? वह भी कम नहीं था उसने कहा जानती नहीं हो तो क्या हुआ जान जाओगी दो मिनट का समय तो दो। उसने फिर कहा मुझे तुम्हें जानने में कोई दिलचस्पी नहीं हैं और तुम वहीं हो ना जो उस दिन मुझसे किसी अभिषेक का एड्रेस पूछ रहे थे वह हंसता हुआ अरे तुम्हें याद हैं और नाम भी याद है अभी तक मैंने तो ऐसे ही नाम बोल दिया था। मुझे तो सिर्फ तुमसे बात करने का बहाना चाहिए था और तुम्हें पास से देखना भी था। मैं तुम्हें पंद्रह दिन से देख रहा था पर तुमने कभी ध्यान ही नहीं दिया इसलिए उस दिन पास आ कर एहसास कराया और उस दिन के बाद से तुम मुझे नोटिस करने लगी थीं। उसने उसकी बात को काटते हुए हां बोलो क्या बताना है मुझे यह सब सुनने में मुझे कोई इंट्रेस्ट नहीं हैं। उसने पहले अपना नाम बताया मेरा नाम अर्जुन हैं मैं ट्वेल्थ में हूं साइंस स्ट्रीम से और तुम्हारे घर के पास कोचिंग के लिए आता हूं उस दिन जब पहली बार तुम्हें देखा तो तुमसे दोस्ती करना चाहा और उस दिन से तुम्हारे पीछे भाग रहा हूं पर तुम मुझ पर ध्यान ही नहीं देती और पिछले दो दिन से इंतजार कर रहा था तुम कॉलेज टाइम पर रास्ते में नहीं मिली तब कल वापस तुम्हें मैसेज देने के लिए घर की तरफ आना पड़ा। उसने फिर उसकी बात को रोका हो गया तुम्हारा इंट्रो और यह सब जानने के बाद भी मुझे तुममे कोई इंट्रेस्ट नहीं है अब तुम जा सकते हो मुझे तुमसे दोस्ती भी नहीं करनी हैं पर अर्जुन ने कहा मुझे तुमसे दोस्ती करनी है फिर चाहे जो करना पड़े। प्रिया ने आगे कहा पर कोई जबरदस्ती है क्या मुझे नहीं करनी यह मेरी मर्ज़ी है।
अर्जुन पर इसमें इतना एग्रेसिव होने की क्या बात मैं पसंद करता हूं मुझे दोस्ती करनी है तुम्हें नहीं पसंद तो कोई बात नहीं साथ रहते - रहते पसंद भी करने लगोगी और अच्छे दोस्त भी बन जाएंगे। प्रिया पर मुझे नहीं करनी दोस्ती बोला तो अर्जुन मुझे करनी मैंने भी बोला और यह कह कर उसने प्रिया के हाथ में एक पैकेट पकड़ा दिया और बाय बोल कर निकल गया। प्रिया को वह पैकेट लेना ही पड़ा क्योंकि वह उसके हाथ में था और अर्जुन जा चुका था। उस दिन प्रिया बहुत कन्फ्यूज्ड थी कि वह अर्जुन से मिले इस पैकेट से खुश हो या गुस्सा दिखाएं या घबराए कि क्या मुसीबत आ गई या डरे कि अगर मम्मी ने देख लिया तो क्या होगा?
वह पैकेट लेकर घर पहुंची और किसी को पता चले उससे पहले वह अपने कमरे में चली गई और बैग को पटक वह पैकेट खोल कर देखने लगी उसमें सबसे पहले उसके हाथ एक गुलाब की बड लगी जिसे उसने नाक के पास ले जाकर स्मेल किया फिर पैकेट देखा उसमें चॉकलेट थीं जो कि उसकी फेवरेट थी उसके बाद उसने देखा एक गिफ्ट रैप किया गिफ्ट था उसने पैकेट से निकाला और खोलने लगी गिफ्ट खोला तो पेयर ऑफ टू टेडी बियर थे पिंक कलर के और सी - सॉ पर बैठे थे जिसे देख प्रिया बहुत खुश हुई उसको देख रही थी तभी उसका ध्यान वापस पैकेट पर गया तो उसमें एक कार्ड भी था जिसे देख प्रिया के चेहरे पर अनजाने स्माइल आ गई खोल कर देखा तो वेलकम टू माय लाइफ माई फ्रेंड प्रिया लिखा था और एक लेटर भी था जिसे हाथ में लेते ही प्रिया की धड़कन तेज़ हो गई यह उसकी लाइफ का पहला लेटर था या यूं कहे पहला लव लेटर था अब तक प्रिया भी उसे पढ़ने के लिए एक्साइटेड थी और बिना देरी किए उसने लेटर खोल पढ़ना शुरू किया। जैसे - जैसे वह लेटर पढ़ रही थी उसका चेहरा शर्म से लाल हो रहा था हो भी क्यों न यह सब उसके साथ पहली बार हुआ इससे पहले ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था। प्रिया ने उस लेटर को आधे घण्टे में कम से कम चालीस - पचास बार पढ़ा होगा अब तक तो प्रिया को एक - एक शब्द तक याद हो गए होंगे और हर बार पढ़ते समय भी प्रिया का चेहरा उतना ही लाल होता जितना पहली बार पढ़ कर हुआ था और हर बार पढ़ने के बाद वह मन ही मन मुस्कुराती और जा कर अपने तकिए में चेहरा छुपा लेती। यह सब उसके साथ पहले कभी नहीं हुआ था अचानक कल तक जो अजनबी था आज उसकी बातें प्रिया को रोमांचित कर रही थी और करे भी क्यों न ऐसा कभी भी किसी ने पहले उससे कहा ही नहीं। तभी प्रिया की मम्मी की आवाज़ बाहर से आती है पिंकी कितनी देर लग रही है आज स्कूल ड्रेस बदलने में आओ जल्दी खाना ठंडा हो रहा हैं। तब अचानक से प्रिया उस रंगीन दुनिया से निकल कर बाहर आती और जल्दी से अर्जुन के दिए फूल और गिफ्ट चॉकलेट कार्ड और लेटर को उसी पैकेट में वापस से भर अपनी अलमारी में कपड़ों के बीच छुपा देती है और झट से कपड़े बदल फ्रेश हो कमरे से बाहर निकल कर अपना खाना खाने बैठ जाती हैं। अभी खाना खाना शुरू ही किया था कि प्रिया की मम्मी टोकती है क्या बात है आज कोई बात हुई है क्या? मम्मी के ऐसा पूछने पर प्रिया थोड़ा घबरा गई और हकलाते हुए ननहही नहीं कुछ तो नहीं। प्रिया से फिर मम्मी ने पूछा और आज एग्जाम कैसा हुआ तुमने बताया नहीं तो प्रिया नज़रे नीची कर खाने की ओर देखती हुए अच्छा हुआ। अच्छा हुआ पर अभी तक तो हर पेपर तुम आ कर बिना कपड़े बदले मुझसे डिस्कस करती थी आज न मुझे पेपर दिखाया न बताया पेपर कैसा आया था कैसा हुआ और सीधे अपने कमरे में चली गई। सब ठीक तो है कुछ छुपा तो नहीं रहीं न हमसे। अगर कोई प्रॉब्लम हो तो मुझे जरूर बताना। प्रिया अरे मम्मा अब मैं बड़ी हो गई हूं अब सब मैनेज कर लूंगी और वैसे भी पेपर तो कर आए और उसको डिस्कस करने से क्या होगा अब तो जो होगा रिजल्ट ही बताएगा। मम्मी ने फिर कहा बेटा ये मुझे भी मालूम है पर डिस्कस करने से अपनी गलतियों का पता चलता है और उस गलती को भविष्य में दोबारा न दोहराया जाए ये सीख मिलती हैं और यह सिर्फ पेपर के लिए नहीं हर बात के लिए है इस लिए कुछ भी हो डिस्कस करो कुछ न कुछ सॉल्यूशन निकेलगा ही और अगर तुमसे कोई गलती होगी तो वह भी तुम्हे पता चलेगी और वापस तुम उसे भविष्य में नहीं दोहराओगी।
प्रिया को एक बार को लगा कहीं मम्मी को अर्जुन के दिए पैकेट की खबर तो नहीं लग गई पर दूसरे ही पल उसने सोचा अगर मम्मी को पता होता तो अब तक घर पर बखेड़ा खड़ा हो चुका होता और वापस खाना खाने में लग जाती हैं। तभी उसे वापस अर्जुन के लेटर में लिखी खूबसूरत बातें याद आती है जिसे वह सोच कर मुस्कुराने लगती है पर दूसरे ही पल उसे याद आता है सामने मम्मी बैठी है और उस तरह उसको मुस्कुराते देख उन्हें पक्का यकीन हो जाएगा और वह वापस जांच पड़ताल शुरू कर देंगी। इसलिए वह चुप चाप शांति से खाना खत्म कर वापस अपने कमरे में जाने लगती हैं और मम्मी को बोलती है आज वह बाहर खेलने नहीं जाएगी उसे नींद आ रही है वह सोने जा रही हैं। मम्मी जब तक प्रिया को टोकती कि यह सोने का समय नहीं तब तक प्रिया अपने कमरे में जा चुकी थीं।
आज प्रिया की मां को उसका बर्ताव बहुत बदला बदला लग रहा था पर उन्होंने यह सोच कर जाने दिया कि शायद सच में ही थक गई होगी और वैसे भी तो मैं उसे दिन भर यही कहती हूं कि बड़ी हो गई हो अब अपने काम की जिम्मेदरियां खुद उठाओ तो अगर उसने पेपर डिस्कस नहीं किया तो शायद इसीलिए कि उसने यही से अपने को बड़ा दिखाने की शुरुवात की हो और इस में गलत भी क्या है? यह सोच कर वह बाकी घर के कामों में लग जाती है वहीं प्रिया अपने कमरे में सोने का बोल कर जाती तो है पर सच तो यही है उसे नींद नहीं आ रही थी बल्कि उसे सुकून और अकेला पन चाहिए था उन एहसासों में डूबने के लिए जिसे वह महसूस कर रही थीं। इन एहसासों के बीच वह दिन बीत गया और दूसरे दिन सुबह प्रिया स्कूल जाने के लिए तैयार होने लगी अपने टाइम पर तैयार हो वह रिक्शे वाले भैया का वेट कर ही रही थी पर आज भैया आए नहीं उसे स्कूल के लिए देर हो रही थी क्योंकि एग्जाम चल रहे थे तब प्रिया की मम्मी ने प्रिया को स्कूल जाने के लिए घर के पास के चौराहे से दूसरा रिक्शा करा भेज दिया और प्रिया से बोला स्कूल के गेट के सामने ही रिक्शा रुकवाना और सीधे अंदर चली जाना अब बड़ी हो गई हो अकेले मैनेज करना सीखो और रास्ते में किसी से बात मत करना और किसी की बात का जवाब मत देना। प्रिया ये सब सुनने के बाद ओह फो एक तरफ कहती है मैं बड़ी हो गई और दूसरी तरफ इतना समझाती हैं क्या करूं मैं? प्रिया की मां बेटा अभी तुम नहीं समझोगी पर तुम जिस उम्र में हो वहां तुम्हें सिर्फ मेरी ही बातें सुन और समझ कर आगे बढ़ना हैं जैसा कह रही हूं वहीं करो। प्रिया उस रिक्शे में बैठ स्कूल चली जाती हैं तभी घर से कुछ दूर ही पहुंची होगी सामने अर्जुन अपने दोस्त के साथ खड़ा मिलता है और प्रिया को देख मुस्कुरा कर हैलो बोलता है पर प्रिया सब देख कर भी नज़रे नीची कर लेती हैं अर्जुन उसके रिक्शे के साथ - साथ चलता हुआ क्या हुआ कल मेरा गिफ्ट पसंद नहीं आया तुम्हें? प्रिया ने कोई जवाब नहीं दिया। अर्जुन - कुछ बोलोगी या नहीं प्रिया ने बोला मैंने पहले ही बोला कि मुझे तुमसे कोई दोस्ती नहीं करनी फिर क्यों मेरे पीछे पड़े हो। अर्जुन पर मुझे करनी है आखिर दोस्ती में प्रॉब्लम क्या है प्रिया ने कहा अगर हम साथ पढ़ते होते तो दोस्ती ठीक थी पर हम साथ नहीं पढ़ते और जो कल तुमने जो मुझे पैकेटे दिया वह दोस्त को नहीं दिया जाता। अर्जुन हंसते हुए अरे यार मैं तुम्हें पसंद करता हूं इसलिए दोस्ती करनी है क्योंकि प्यार करता हूं तुम कुछ शायद नॉर्मल फ्रेंड की बात कर रही हो और मैं गर्लफ्रेंड बनने की बात कर रहा हूं। इतना सुन प्रिया शर्म से लाल हो गई ऐसा कुछ उसने कभी किसी से सुना ही नहीं था। उसने फिर भी अर्जुन को बोला मेरे पीछे मत आओ मुझे तुमसे किसी भी तरह की दोस्ती नहीं करनी। इतनी देर में प्रिया अपने स्कूल पहुंच गई और रिक्शे से उतर कर सीधे स्कूल के अंदर चली गई। अब तक प्रिया अर्जुन को लेकर कन्फ्यूज्ड थीं उसे अर्जुन की बातें अच्छी भी लग रही थीं उसे अर्जुन पसंद भी था पर वही दूसरी ओर मम्मी की हिदायतें याद आ रही थी और डर भी लग रहा था कि मम्मी को पता चला तो क्या होगा? इसी उधेड़ बुन में पूरे दिन प्रिया एग्जाम में उलझी रही उसी वज़ह से आज प्रिया का पेपर भी गड़बड़ हो गया अब प्रिया और परेशान हो गई और डर भी गई मम्मी को क्या बताएगी कि पेपर कैसे खराब हो गया।
स्कूल के छुट्टी के टाइम भी अर्जुन वहीं बाहर मिला पर आज रिक्शा ना आने की वजह से प्रिया के पापा उसे स्कूल से लेने आए थे अर्जुन और पापा को आस पास खड़ा देख प्रिया घबरा गई और जल्दी से पापा के पास जा उनकी गाड़ी में बैठने लगी प्रिया को आता देख अर्जुन उसकी ओर बढ़ा पर गाड़ी में जाता देख वह रुक गया और समझ गया कि आज उसके पापा उसे लेने आए और वह वहां से निकल गया। अर्जुन को लगा कि शायद प्रिया ने अपने घर में उसको लेकर कुछ बता दिया इसलिए उसके पापा लेने आने लगे। उस दिन के बाद तकरीबन एक हफ्ते तक अर्जुन न तो प्रिया को स्कूल के बाहर मिला ना तो घर के चौराहे पर ना ही प्रिया को स्कूल जाते टाइम कहीं भी। इसके बाद प्रिया को एक तरफ सुकून था तो कहीं न कहीं मन में बैचेनी भी थी कि आखिर अर्जुन अचानक से गायब कहां हो गया?
एक दिन अचानक प्रिया को स्कूल से आते टाइम अर्जुन दिखता है पर अपने दोस्तों के साथ कोचिंग जाते हुए वह प्रिया को देख कर भी अनदेखा कर देता है और उसकी इस हरकत से प्रिया न चाहते हुए भी बेचैन हो जाती है अब तो उसके मन में अर्जुन को ले कर नए सवाल उठ खड़े होते है पर वह चाह कर भी अर्जुन से पूछ नहीं पातीं। धीरे - धीरे समय बीता अर्जुन की कोचिंग खत्म अब उसने प्रिया के घर की तरफ आना बंद कर दिया। प्रिया पर अर्जुन को कभी भुला नहीं पाई क्योंकि अर्जुन ही वह पहला शख्स था जिसने उसको अलग एहसास कराया था।
इन सब बातों को दो तीन साल बीत गए थे तभी अचानक एक दिन प्रिया अर्जुन वापस एक कंप्यूटर इंस्टीट्यूट में मिलते हैं। अर्जुन ने प्रिया को देखते ही पहचान लिया और प्रिया ने अर्जुन को। अर्जुन ने प्रिया के पास आ कर उसे हैलो बोला और हाल चाल पूछा अब तक प्रिया काफी समझदार हो चुकी थीं प्रिया पूरे कॉन्फिडेंस के साथ अर्जुन से मिली और बात भी की और जाते जाते कल दोबारा मिलने का वादा भी किया। आज प्रिया वापस अर्जुन से मिल कर बहुत खुश थी कहीं न कहीं आज भी अर्जुन उसे दिल में था अब उसे लगा जल्द ही वह जान जाएगी की अर्जुन उस समय अचानक क्यों गायब हो गया था? दूसरे दिन इंस्टीट्यूट पहुंच कर प्रिया अर्जुन का वेट करती पर वह उस दिन आया ही नहीं और उसके बाद कई दिन तक नहीं आया। प्रिया वापस उदास हो गई। कुछ दिनों बाद अचानक कंप्यूटर क्लास में बीच में आता है पर उस बार अकेले नहीं एक लड़की के साथ पहले अर्जुन को देख प्रिया उसे हाथ उठा कर इशारा करने ही वाली थी कि तभी उसके साथ एक लड़की को देख वह रुक गई। क्लास खत्म होने के बाद अर्जुन प्रिया के पास जाता है मिलता है जैसे ही प्रिया उससे पूछने वाली होती है कि वह इतने दिन से कहां था तभी अर्जुन अर्चना को बुला कर अपने पास प्रिया से मिलवाता है और साथ ही बताता है कि अर्चना उसकी गर्लफ्रेंड है और अर्चना को बताता है कि प्रिया उसकी फ्रेंड है। प्रिया अर्चना को हैलो बोल कुछ देर के लिए स्तब्ध रह जाती है। अब प्रिया आगे कुछ बात कर ही नहीं पाती तब अर्जुन वहां से यह बोल कर अर्चना के साथ निकल जाता है कि अभी उन्हें कहीं जाना है फिर मिलेंगे। अर्चना और अर्जुन के जाने के बाद प्रिया काफी देर तक वहीं बैठी रह जाती हैं उसे समझ ही नहीं आता कि अर्जुन का क्या है?
प्रिया तब से जब से अर्जुन ने प्रपोज किया तब से उसे कभी भुला नहीं पाई और कहीं न कहीं अर्जुन को अपनी लाइफ में पहला प्यार ही समझती आयी। प्रिया को जो भी फीलिंग्स समझ आए अर्जुन से ही आए और अर्जुन न जाने कब मूव ऑन कर चुका था और प्रिया को यह अब समझ आया।