रेवती रमन- अधूरे इश्क की पूरी कहानी. - 3 RISHABH PANDEY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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रेवती रमन- अधूरे इश्क की पूरी कहानी. - 3

“डॉक्टर साहब कुछ भी करिये किसी तरह मेरी बिट्टी को बचा लीजिये नही तो मैं भाइया भाभी को क्या मुँह दिखाउँगी प्लीज डॉक्टर साहब”- मालती (रेवती की बुआ)

“देखिये खून बहुत बह चुका है और आपके मरीज का ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटीव है और आस पास के सभी ब्लड बैंक हम पता कर चुके है कहीं पर भी ओ पॉजिटीव ब्लड मौजूद नही है लेकिन हम कोशिश कर रहे है आप परेशान न होइये। क्या आपके परिवार में किसी का ब्लड ग्रुप ओ है?”- डॉक्टर

“नही डॉक्टर हमारे परिवार में तो सभी ए और एबी ब्लड ग्रुप के है हम एक्सचेंज में दे देंगे डॉक्टर प्लीज कुछ भी कर के हमारी बेटी को बचा लीजिये”- कमल (रेवती के फूफा जी)

“हाँ ब्लड आपको एक्सचेंज पर ही मिलेगा मिस्टर कमल लेकिन प्राब्लम इज दैट कि कहीं भी ओ ब्लड ग्रुप है नही शहर के सभी ब्लड बैंक हम कान्टैक्ट कर चुके है और पैसेन्ट की नस कटने से बहुत ब्लड लॉस हुआ है।”- डॉक्टर



“मे मेमेमेरा........ ब्लड ले लीजिये डॉक्टर आई एम ओ पॉजीटिव, आप मेरा 2-4 यूनिट ब्लड ले लीजिये लेकिन मेरी दोस्त को बचा लीजिये”- रमन


(रमन डॉक्टर और रेवती के बुआ फूफा की बाते सुनकर बीच में टोकते हुए बोलता है।)


“ओ गॉड यू हैव बिन आलवेज देयर.................. चलिये जल्दी आपके टेस्ट करने होंगे”- डॉक्टर


(रमन अन्दर जाता है डॉक्टर के साथ बाहर किशन, शुक्ला, मोहनी , रेवती के बुआ-फूफा इन्तेजार कर रहे होते है। रेवती की बुआ मोहनी से रमन और शुक्ला का परिचय पूँछती है तो मोहनी बताती है कि हम सब एक साथ पढते है ये रमन और शुक्ला है मेरे दोस्त। रेवती को चाकू लगा ये सुनकर ये भी यहाँ आ गये। इन सब बातों के बीच में रमन हाथ में कॉटन दबाये बाहर आता है। रमन के चेहरे पर एक सुकून का भाव साफ नजर आ रहा था। ये भाव सिर्फ वही समझ सकता है जिसने खुद कभी किसी से प्यार किया हो और उसके लिये कुछ किया हो।)



“बहुत बहुत धन्यवाद बेटा जुग जुग जियो लाल, भगवान तुम्हे लम्बी उम्र दे”- रमन के सिर पर हाथ फेरते हुए रेवती के बुआ और फूफा जी ने रमन को बहुत सारा आर्शीवाद दिया।


“ब्लड मिल गया........... सी मस्ट बी आऊट ऑफ डेन्जर....थैंक्स टू दिस यंग मैंन.....अगर सभी लोग इसी तरह से ब्लड डोनेट करें तो लाखों लोगो की जान बच सकती है। रमन तुम्हारा नाम अब हमारे हॉस्पिटल के थैंक यू बोर्ड पर लिखा जायेगा हम उन सभी ब्लड डोनर्स का नाम बोर्ड पर लिखकर उनका धन्यवाद करते है जिनकी वजह से हम मुश्किल समय में किसी पेसेन्ट की जान बचा पाते है एन्ड यू आर वन ऑफ देम। थैंक यू डियर”- डॉक्टर ने रमन और मालती- कमल से कहा


“मुझे खुशी है कि मैं ब्लड दे पाया डॉक्टर, बस आप हमारी दोस्त को ठीक कर दीजिये”- रमन

“डॉक्टर साहब अब हमारी बिट्टी ठीक तो है ना ”- मालती
“यस ब्लड दिया जा रहा है लेकिन अभी भी समय थोडा क्रिटिकल है भगवान से प्रे करे कि वो जल्दी रिकवर करे”- डॉक्टर

“अंकल आपने पुलिस में शिकायत की?”-रमन

“नही बेटा लयकी जात का मामला है हमे किसी के खिलाफ कोई रिपोरट नही करानी है बस हमारी बिटिया ठीक हो जाये बाबा से यही विनती है।”- कमल

(रमन इस बात का विरोध करना चाहता है कि रेवती के बुआ फूफा पुलिस को शिकायत नही करना चाहते है लेकिन शुक्ला रमन को आँखों के इशारे से रोक देताहै। अब तक रात हो चुकी होती है मालती कहती है कि अब सारे बच्चों को घर जाना चाहिये। रमन और अन्य अपने अपने घर को रवाना होते है। रमन मोटर साइकिल पर पीछे बैठा होता है और शुक्ला मोटर साइकिल चला रहा होता है।)



“का सोच रहे हो बे? काहे उदास हो कुछ नही होगा भाभी को”- शुक्ला


“हम उदास नही है बे हमको गुस्सा आ रहा है जाने कौन हराम जादा हमारी रेवती को चाकू मार दिया और हम कुछ किये भी नही बे। उसके फूफा कह रहे पुलिस केस भी नहीं करेंगे। कितना दरद हो रहा होगा बेचारी को। हमार आवे(आने) के मन नही हो रहा रहे एक बेर (बार) देख लेते तो सुकून आ जाता”- रमन


“का देख नही पाये, अरे गये तो रहे अन्दर तुम बे”- शुक्ला
“तब तो बैहोश रही उ, हम होश में के बात कर रहे है यार, हे भाय चल न देख के आवा जाय”- रमन


“का पगला गाइला का? रात का 9 बजे वाला बा। और देर भाइ न तो मकान मालिक दरवाजा बन्द करके सो जाइ। हम लोगो का बाहरै सोये के पड़ी। रमन बाबू चिन्ता जिन करा। कल सेबेरे आवा जाइ”- शुक्ला


“अच्छा ठीक बा लेकिन शुक्ला पता करा के चाकू मारिस है हम मारब सारे के।”- रमन

“ठीक बा कल पता करवाइत है कौन इतना बड़ा गुन्डा हो गया है इलाहाबाद में”- शुक्ला

(रमन और शुक्ला दोनों ही रूम पर पहुँचते है। रमन को खाना खाने का मन नही होता है लेकिन जोर जबजस्ती करके शुक्ला उसको खाना खिलाता है। शुक्ला तो सो जाता है लेकिन रमन की रात करवट बदलते ही बीत जाती है। सुबह में फिर रमन हॉस्पिटल जाता है और चुपके से रेवती को बेड पर देखता है उसकी ये हालत देखकर उसके गुस्सा और दुख के मिश्रण से बनी भावना का तूफान उठ जाता है। वो अब बस उस लड़के को पीटना चाहता है जिसने रेवती की ये हालत की थी। रमन किशन को फोन करके बोलता है कि वो मोहनी से पूछे कि कौन लड़का है जिसने रेवती की ये हालत की है।)


“हे रमन कहा हो अभी भाय”- किशन

“यही हूँ हॉस्पिटल के पास चाय के दुकान में, कुछ पता चला कौन रहा हरामजादा?”- रमन

“वहीं रहा हम शुक्ला के साथ वहीं मिलत है तुमसे”- किशन
(थोड़ी देर बाद शुक्ला,किशन और कुछ दोस्त और आते है रमन के पास)


“उस लड़के का पता चल गया है रमन लेकिन सोच ला गुन्डा आये सार बहुत दिन से रेवती के तंग कर रहा है”- किशन
“बहुत दिन से छेड़ रहा है और तुम साला हमको बताये तक नही। रूक आज सारा गुन्डाई निकाल देंगे साले का हमार रेवती पर चाकू मारेंगे”- रमन


“तोहे ऐसा लगात है कि हम छिपायेंगे तुमसे मोहनी और रेवती छिपाई है। अभी वो अपना चौराहे पर चाय पियत बा, ससुर के नाती”- किशन


(किशन के मुँह से ये निकलते ही रमन तेजी से चौराहे की तरफ भागता है और पीछे उसके शुक्ला किशन और अन्य भी जाते है।)

“जो हमार नही वो कोई के नही हो सकत, अबकी तो नस ही काटे है ससुरी के अबो न मानी तो उठा लेब। प्यार से समझाव आही तो नखरा करत बा।”- बच्चा (सिगरेट का छल्ला बनाते हुये रेवती पर चाकू मारने वाला लड़का)
(पीछे से कनपटी पर ताड़ से एक हाथ पड़ता है और बच्चा लड़खडा कर गिर पड़ता है)

“का रे तू बहुत बड़ा गुन्डा बाटे, रेवती के चाकू मारबे उठा लेबे वोका”-रमन




(बच्चा को कॉलर से पकड़ के घसीटते हुये चाय की दूकान में बेंच पर पटक देता है और दुकान की भट्टी के लठ्ठ उठाकर बच्चा को मारना शुरू कर देता है। बच्चा के साथ के लड़के रमन को पकड़ के मारने लगते है कि शुक्ला और अन्य लोग आकर बचाने लगते है। रमन बेताहाशा बच्चा को मारे जा रहा होता है।



“तू कौन है बे काहे मार रहा है कौन है तेरी वो बहिन लगती है का। बहिन है तो हम तोर जीजा आही रे। जीजा के गोड धरे(पैर छुना) के चाही मारे के ना रे”- बच्चा



(इतना कह कर बच्चा चाकू निकाल कर रमन पर वार कर देता है चाकू रमन के हाथ को भेदता हुआ घाव कर देता है लेकिन रमन रेवती के जूनून में मारता है जा रहा था)



“हमार जान है रेवती । तू ओके आस पास भी नजर आया हम तोर जान लेलेब। आज तो कुल गुन्डाई निकाल देब सारे”-रमन


(चारो तरफ भीड़ इकठ्ठा हो जाती है मारपीट का स्तर बढ़ता जा रहा था रमन के हाथ से खून बह रहा था और बच्चा के सर से। भीड़ से किसी ने पुलिस को फोन कर दिया । पुलिस की गाड़ी का सायरन सुनकर कुछ लड़के तो भाग जाते है लेकिन रमन , बच्चा और बच्चा के कुछ लड़के पुलिस की पकड़ में आ जाते है पुलिस उन्हे उठाकर थाने ले जाती है।)




.क्या रेवती के लिये रमन का ये जूनून रेवती को रमन के पास आने पर मजबूर करेगा? या रेवती को और दूर कर देगा रमन का ये व्यवहार?
रमन को पुलिस से अब कौन बचायेगा? क्या होगा अब इस प्रेम कहानी में आगे ?.......जानिये.................शेष अगले अंक में