जैसलमेर बोर्डर - 2 Deeps Gadhvi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जैसलमेर बोर्डर - 2

अधुरे ख्वाब और अधुरी ख्वाहिशे जब तक पुरी नहीं होती तब तक हमें चैन नहीं पड़ता और मेरे साथ भी ऐसे ही हुआ जब में बोर्डर पर पहोचा और देखा की पाकिस्तानी एक मिलिट्रन के पास जयपुर उदयपुर और जैसलमेर का मेप था और उस मेप में कई जगहों पर मार्क कीया हुआ था राउन्ड मार्क्स कीया था जैसे की जयपुर में होटल रोयल पेलेस,जहाँ आइ.पी.एल के खिलाड़ी रूकने वाले होते है,
उदयपुर में बड़ा सा सजाया हुआ रेल्वे स्टेशन और जैसलमेर के बोर्डर पर भी राउन्ड मार्क्स कीया हुआ था,
जब मेने रंजीत सर से पुछा की जब हमने पहले चैकिंग की थी तो हमें कुछ भी नहीं मिला था और युह अचानक यह मेप कहाँ से आया..???
तो उन्होंने बताया की यहीं नहीं इस बोर्डर जेल से कैसे भागे इसका भी प्लान इन्होंने बनाया था,
तो भागने का प्लान कुछ इस तरीके से था की जब रात बिलकुल काली हो और इसमें से एक मिलिट्रन को चिल्लाना था और उनकी चिल्लाहट सुन के हमारे जवान जिनके पास हथियार हे वोह जेल की और आएँगे और उन्हें इन चारो को मिल के एक साथ हमला करना और हथियार लेके सभी जवानो पर उर्री की तरह अटेक करना और बहोत सारे हथियार और गाड़ी चुरा के यहाँ से भाग जाना फ़िर बताएँ गये प्लान पर अमल करना,
मतलब की 26/11 और उर्री तरह चारों ओर तहस नहस करना इन काफ़ीरो का प्लान था मगर जनाब यह गलती कर बैठे जब एक को अचानक पिछवाड़े में दर्द हुआ और सख्त जंजीरों से जकड़ कर हम डॉक्टर के पास ले गए जहाँ इसे नंगा कीया तो पता चला कि पिछवाड़े को कांट गया था और दो मेप की पर्ची को अंदर दालके फ़िर सिला गया था,और यही नहीं हुकुम यहा पर उन काफ़िरो के कुछ लोग है जो इन्हें हथियार सप्लाई करने वाले थे जब यहा से भागने में कामयाब हो जाते तब,
तो रंजीत सर उन लोगों का पता चला जो इनके साथ देने वाले थे,
जी हुकुम कब से पूछताछ कर रहें लेकीन मुँह नहीं खोल रहे है,
अरे हुकुम कुछ कीजिये क्यूँ की यह कैस अब IAID संभालने वाली है और तो और उनका जो ऑफिसर है वोह मेरा कलिंग रह चुका है दिल्ली में,
और उसकी और मेरी जरा सी भी नहीं बनती है,
अरे हुकुम तो में क्यां कर सकता हूँ,हम तो बोर्डर के रक्षक हैं और हमारी ड्यूटी है की इनके जैसे काफ़िरो को पकड़ना और आप या फ़िर दुसरे अफसरों को सोंप देना,
अरे रंजीत सर आप समझ नहीं रहे हे मे क्यां कहना चा रहा हूँ,
हुकुम एक काम करें आज आप अंदर जाईए और ज़रा और बारीक़ी जांच से पता करे की आख़िर इस नक्शे का मतलब क्या है।
पर रंजीत सर आपको कोई बोलेगा तो,,,,????
अजी हुकुम आप हमारी फ़िक्र ना करें,आप जाईए और पूछताछ किजीये,
रंजीत सर के कहेने पर में पूछताछ करने गया और एक एक अलग-अलग कर के पुछा पर मुँह से एक हलक तक ना नीकली और उनकी बयानबाज़ी से लगता था कि वोह पहले से तैयारियां करके आएँ है और इतने में IAID का अफ़सर आ गया और मुझे देखेने लगा और बोला तुम यहाँ क्यां कर रहे हो,
मैंने कहा कुछ नहीं बस एसे ही इन लोगों से बात करने आया था,
तो हो गई बातें आपकी,,,,???(गुस्सा होते बोले)
शांत यार इन्ना गुस्सा,,,,,
ओय तु ना रेण हीं दे समझा,अस्सी ना तेरे वर्गे नहीं हो सकदे,त्वानु तो वही पठानकोट वीच गोली मार देणी चाहिये दि,पर हौर की करा तु ना कभी सादा यार हुआ करता था,
हुआ क्या मतलब है बे,,,,,!!!!!
ओययय छड़ यार,,,,तु हटजा सादे रस्ते तो,,,,,
ओय यार बस भी कर मैं दि,सी,पी आ जयपुर दा,,,,
हा आया वड़ा दिसीपी,,,,एक काम तो होता नी तेरे तो और बणदा फिरदा दिसीपी,,,,,
ओययय बस कर यारा ओय थोड़ी तो इज्ज़त कर लिया कर,भुल गया पहाड़ तो गिर रीया सी ते असी ने बचाया सी त्वानु,,,,,
हा तो अब क्यां मेरा केस लेगा,,,,
ओ नयी यार केस तु ले,मेनु कोई एतराज़ नहीं,बस जे मेप वाली बात इन कुत्तों से उगलवाले होर में कुछ नहीं मांगदा तेरे तो,,,,,,
चल वेखदा मैं,,,,हुण तु परजायी पास जा,,,,,
ओय यार तुझे कुछ मालूम नहीं है तेरी पर्जाइ के साथ की होया,
की होया यार,
ओ त्वानु दिल्ली वालीं वारदात मलुम है की भुल गीया।
ना याद आ,,,,ओ तु दस्त ता सही की होया,
यार वोह ना कीसीको पहेचान नहीं रही है,यहा तक मुझे भी नहीं,गोली लगने के कारण उसका मथा डैमेज हो गया सी,
ते डॉक्टर की बोल देने,
बस उम्मीद दे रहे है की सब थीक हो जाएँगा,यार दस साल हो गए और अभी तक सिर्फ बाते करती है और वोह भी मेरे साथ नहीं अकेले अकेले बाते करती है,
और बच्चा कर्णवीर,
वोह ताऊ जी के यहा है,
यार सानु माफ़ करी यारा,मेनु नहीं पता सी तेरे साथ इतना बड़ा हादसा हो गया सी,
छड़ यार देख प्रावा ये केस बहोत जरुरी है,यदि जयपुर और जैसलमेर में कुछ अनकहीं हो गई तो मेरी बदनामी का डर नहीं पर आवाम का डर हे की उसे कुछ ना हो जाएँ,
ओय तु फ़िकर ना करी असी कठ्ठे मीलके केस नु सोल्व करेंगे,मे हाइ कमान से बात करके तुझे केस में सामील करता हुँ,
यार तब तक तो देर हो सकती हे,तू कमान को इन्फोर्म कर देना मैं काम अभी से शुरु कर देता हुँ,
ओ ना यार तु आराम से घर जा और भाभी नु देख,मैं करदा कुछ,
ओ हा यार खाना भी नहीं खाया होगा उसने,चल मे चलता तु प्लीज जरा बारीक़ी से जांच करना और अपडेट देते रहेना,
थीक हे यारा तु जा अभी,
तेरे को अब्दुल चाहिए,बड़िया इन्वेश्टीगेटर अफसर हे,
ठीक हे छड़ इनु एथे और तु निकल,
थीठ हे जय हिन्द,
जय हिन्द,
अ सर एक मिनट,
हा बोल अब्दुल,
सर मेरा क्या काम होगा,
तुम एक काम करना मुझे एक एक बात को बता ते रहेना, अगर सीटी की कोई बात है तो पहेले मुझे बताना में सेखावत को बोल दूँगा,
जी बहेतर,जय हिंन्द,
और हा एक बात,वो जो कहे एसा ही करना मगर अपने तरीके से कुछ ना करना वरना वो बहोत खतरनाक है,
सर हें कोन यह,,,,????
ये हे जोरावर सिंग धी मास्टर ओफ investigation अफसर from high command in army bases,
और मेरा कलिंग था कमांडर ट्रेनिंग के दौरान,
ओहहह फ़िर आप दोनो के बीच में दिवार क्यूँ खड़ी हो गई,
अब्दुल में तुम्हें बाद में सबकुछ बताऊंगा अभी मुझे जाना पडेगा काजल अकेली है और रात काफ़ी हो चूंकि है और उसने खाना भी नहीं खाया होगा,
ओहहहह सोरी सर,जय हिन्द,
जय हिन्द,
में घर के रास्ते चला और घर पहोचा तो काजल कहीँ दिख नहीं रही थी,मैं आवाजें देता रहाँ मगर उसने सुनी नहीं,
मैं छत उपर गया और देखा तो,,,,,,,,,,