Shayri sangrah - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

शायरी संग्रह भाग 1

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प्यार किसी बेवफ़ा किया था
दर्द आज भी हैं.....
दिल उसने तोड़ा मेरा
पर ज़ख्म आज भी हैं.....
वो चली गई मुझे छोड़ कर
पर एहसास आज भी हैं......
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कैद कर तो तुम मुझे अपनी बाहों में....
तुम मेरी रहो है जन्म, हर राहों में...
कैद कर तुम मुझे, अपने सपनों की
चार दीवारों में...
जहाँ मैं और तुम हो राह गुजारो में....
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नहीं रोक पाएं उसे
दिल तोड़ कर जाने
वाले चलें ही जाते हैं
दिल तोड़ कर
हमें अकेला छोड़ कर
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नहीं रोक पाएं उसे, उसे जाना था इसलिए जाने दिया
वो मुझे अपना बनाना ही नहीं चाहती थी,
इसलिए उसे जाने दिया
दिल में खंजर कब तक रखते इसलिए उसे जाने दिया
वो बेवफ़ा थी वो मुझे अपना कहकर दिल किसी और से लगा रहीं थीं, इसलिए उसे जाने दिया
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उनको याद करते हैं हम.....
कोई मिले तो उनका हालचाल पूछते हैं हम.....
कभी मिले तो उनसे कहना कि
हम उनका आज भी इंतजार करते हैं......
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नहीं मुमकिन तूझे भूल पाना
नहीं मुमकिन तूझे दिल से आजाद कर पाना
नहीं मुमकिन तेरे दिल से दूर हो पाना
बस नहीं मुमकिन तो मुमकिन
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तुम्हें देख लेने से वक्त ठहर सा जाता है...?
सांसे तो रुक सी जाती और
जीवन सँवर सा जाता है....
तुम्हारे देख लेने से
बस दिल धड़क सा जाता है.....
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तुम्हारे देख लेने से
दिल बेचैन हो जाता है....
कुछ कर नहीं पाते
दिल बस घायल हो जाता है......
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अकेला पड़ गया फिर दिल
वो छोड़ चली गई जिस पर था दिल.....
ज़ख्मों का हिसाब तो नहीं
लेकिन आज फिर घायल है दिल.....
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घर मुझे पहचानते हो.....
हूं तेरा, मुझे जानते हों
वैसे हूं भी तेरा ही.....
पर क्या मुझे अपना मानते हो
क्या तुम मुझे पहचानते हो
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ये दूरी अच्छी लगती है......
रात को पूनम का चांद....
दिन को धूप अच्छी लगती है
वैसे तो जी रहे हैं तुम बिन
फिर भी तेरी यादें अच्छी लगती है......
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बड़े काम की हैं ये तन्हाइया
बहुत कुछ सिखाती है ये तन्हाइया
किसी को कवि तो किसी को शायर
बनाती है ये तन्हाइया
बड़े काम की हैं ये तन्हाइया
अपनों की क़दर सिखाती है ये तन्हाइया
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रिश्तों के कारोबार में
मैंने कुछ ऐसे रिश्ते देखे हैं
जो ज़ज्बात से नहीं, पैसों से बिकते देखे हैं
लोगों के सामने सरेआम होते देखे हैं
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रिश्तों के कारोबार में चलो हम एक दूसरे को बैच देते हैं
तुम मुझे और मैं तुम्हें खरीद लेता हूं
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रिश्तों के कारोबार में
यहाँ हर कोई बिकता है
कुछ को जरूरत तो कुछ को
स्वार्थ अपनी ओर खींचता है
कोई नहीं यहाँ अपना, सब
पैसों की ओर टिकता हैं
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रिश्तों के कारोबार में में चलो एक दूसरे को नीलाम देते हैं, कोई हमें खरीद न ले, चलो खुद को एक दूसरे के नाम करते हैं
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रिश्तों के कारोबार में चलो अपने रिश्ते पर पर्दा डाल लेते हैं, हमें कोई बदनाम न कर दे इसलिए चलो खुद को एक दूसरे के नाम करते हैं
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रिश्तों के कारोबार में मैंने
लोगों को दूर होते देखा है
कहने को सब अपने होते हैं
पर जरूरत में मजबूर होते देखा है
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ख्वाब के इंतजार में
बहुत रोये हम तेरे प्यार में
तू मिल जाएगी कभी ख्वाबों में
इसलिए हम नहीं सोये दिन और रात में
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ख्वाब के इंतजार में
कुछ लोग नहीं सोते रात में
कुछ को तन्हाई जीने नहीं देती हैं
कुछ जी नहीं पाते इंतजार में
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