प्रतिशोध - 2 S Sinha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

प्रतिशोध - 2

क्रमशः अंतिम भाग 2 में पढ़िए क्या रूपाली और शिवम फिर मिल सकते हैं !


भाग 2 - कहानी - प्रतिशोध

इसके बाद दोनों में बातचीत तक बंद थी . ट्रेनिंग पूरी होने के बाद शिवम् ने हैदराबाद के एक होटल में नौकरी ज्वाइन किया और रूपाली मुंबई के एक होटल में . रूपाली ने जबलपुर का अपनी माँ का बुटीक और घर बेच दिया था .वह खुद अपना निजी बिजनेस करना चाहती थी .


एक दिन उसने अखबार में एक रेस्टॉरंट की बिक्री का विज्ञापन पढ़ा .उसने मन में उसे खरीदने की ठानी .वह रेस्टॉरंट के मालिक से मिली . वह अपने लॉज के ऑफिस में बैठा था .उसके बगल में सोफे पर एक पांच साल की लड़की अपने आई पैड पर कुछ गेम खेल रही थी .


रूपाली ने अपने आने का कारण बताया तो मालिक बोला " आप दो मिनट बैठें , मैं जरा एक ग्राहक की शिकायत दूर कर आ रहा हूँ ."


रूपाली सोफे पर बच्ची के पास जा कर बैठ गयी .उस समय वह आई पैड में कुछ फोटो देख रही थी .अचानक एक फोटो देख वह चौंक पड़ी . उस फोटो में लॉज मालिक और शिवम् के बीच में वह बच्ची थी .रूपाली के पूछने पर बच्ची बोली " ये मेरे शिवम् चाचू हैं और ये मेरे पापा ."


रूपाली को समझने में कोई कठिनाई नहीं हुई कि यह बिजनेस शिवम् के भाई केतन की है .इतने में केतन आ गया .वह बोला " सॉरी , डॉली आपको तंग तो नहीं कर रही थी ? दरअसल इसकी मम्मी इस दुनिया में नहीं है .आज इसका स्कूल बंद है और आया ने भी छुट्टी ले ली है .सो मैं इसे अपने साथ लेते आया हूँ ."


" अच्छा किया है . इसने मुझे जरा भी तंग नहीं किया है . डॉली तो बड़ी अच्छी लड़की है ."


रूपाली ने अपना परिचय दिया और रेस्टॉरंट की कीमत आदि पर बात होने लगी .केतन ने पूछा " आपने तो होटल मैनेजमेंट किया है और अच्छी नौकरी कर रही हैँ ,फिर आप इतने छोटे होटल में क्यों इंटरेस्टेड हैं . मैं तो डॉली पर ज्यादा ध्यान देना चाहता हूँ , वरना अपना बिजनेस कभी नहीं बेचता ."


" नौकरी के अतिरिक्त मैं कुछ अपना करना चाहती हूँ ,जिसकी स्वामिनी मैं खुद रहूँ .जो करूँ सिर्फ खुद के बिजनेस के लिए करूँ . बल्कि मैं तो आपके इस लॉज को भी कुछ ही दिनों में बिलकुल नया लुक दे सकती हूँ .अपने अनुभव और कुछ पूँजी लगा कर मार्केट में एक चैलेन्ज खड़ा कर दूँगी ."


" मैं अब और पाँव नहीं फैलाना चाहता हूँ . डॉली मेरी प्राथमिकता है ."


" मैं डॉली को भी संभाल लूंगी . मेरा मतलब मैं आप पर काम का बोझ नहीं बढ़ने दूँगी ."


एक साल के अंदर ही अपने अथक परिश्रम से रूपाली ने केतन के पुराने लॉज और रेस्टोरेंट का काया पलट कर प्रतिद्वंदियों के सामने एक चैलेंज खड़ा कर दिया .इस दौरान डॉली पर वह पूरा भी ध्यान देती रही .दोनों बिजनेस अच्छा चल रहा था . इस बीच केतन और रूपाली बहुत निकट आ गए थे .डॉली भी रूपाली से बहुत घुल मिल गयी थी .उसकी ज़बान पर हमेशा रूपाली आंटी की चर्चा रहती थी .


केतन रूपाली को चाहने लगा था .पर वह संकोचवश कोई पहल नहीं कर रहा था .रूपाली भी केतन को पसंद करने लगी थी .वह एक तीर से दो शिकार करने जा रही थी .उसे शिवम् से प्रतिशोध लेने का एक अच्छा अवसर दिख रहा था .


इधर शिवम् जिस होटल में काम करता था उस होटल का नया ब्रांच अफ्रीका में खुलने वाला था. इसके लिए उसे दो साल के लिए अफ्रीका भेज दिया गया . वह इस बीच इतना व्यस्त रहा करता कि उसने फैसला लिया कि काम पूरा करने के बाद ही इंडिया लौटेगा .


एक दिन केतन ने अपने एल्बम में शिवम् की तस्वीर दिखा कर रूपाली से कहा " मैं अपने छोटे भाई का घर बसाना चाहता हूँ .लड़की भी देख रखी है , पर शिवम् को सिर्फ अपने कैरियर की चिंता है ."


" हाँ , इसे मैंने कॉलेज में कई बार देखा है .यह आपका छोटा भाई है ?"


" पर शिवम् ने तुम्हारे बारे में कभी बताया नहीं है . "


" वहां काफी स्टूडेंट्स होते हैं न , लोग सिर्फ दो चार से ही निकटता बना सकते हैं . "


इसके बाद केतन ने उस लड़की की फोटो दिखाई और कहा " ये बेचारी एक साल से इंतजार कर रही है .शिवम् की शादी हो जाए तो मेरी एक ज़िम्मेदारी पूरी हो जाएगी . वह अफ्रीका में बैठा बोल रहा है कि नए होटल के उद्घाटन के बाद ही इंडिया वापस आएगा . "


" खैर , ये तो शिवम की बात हुई और आपने खुद के बारे में कभी सोचा है क्या ? "


" तुम्हारा मतलब शादी से है ."


" हाँ .आप काम से थकने के बाद घर में अकेलापन से घुटन नहीं महसूस करते हैं ? फिर डॉली को भी माँ का प्यार मिल जाता ."


" एक तो मैं विधुर ठहरा , ऊपर से मेरी एक बेटी है और उम्र भी हो चली है .मुझसे अब कोई क्यों शादी करेगी ? हाँ शुरू में कुछ प्रस्ताव आये थे जिन्हें मैंने डॉली के चलते ठुकरा दिया था ."


" क्या उसके बाद कभी आपने दिल से किसी को नहीं चाहा है ? "


" हूँ , अगर चाहा भी तो इजहार करने का साहस नहीं जुटा सका ? "


" क्यों ? "


केतन ने अपनी कनपटी पर आये सफ़ेद बालों को स्पर्श कर कहा " इसके चलते , जिसे चाहा बोल न सका अब तक ."


रूपाली उसके पास आ बैठी और बोली " ये थोड़े से सफ़ेद बाल तो डाई भी किये जा सकते हैं . आप अभी भी स्मार्ट हैं , हैंडसम हैं .जिसे चाहा है उसे न बोलियेगा तो वह कैसे समझेगी ."


केतन कुछ पर खामोश रह सर नीचे झुकाये बोला " मैं तो अभी भी कहने में डर रहा हूँ . पर मुझे माफ़ करना अगर मैं गलत हूँ . जिसे मैंने चाहा वह तो मेरे सामने है ."


रूपाली ने उसके हाथ अपने हाथों में ले कर कहा " आपने इतनी देर क्यों कर दी इतनी सी बात कहने में ."


इतने में दौड़ती हुई डॉली आ गयी .रूपाली ने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा " अच्छा तो मैं चलती हूँ ."


" पापा , आपने आज गेटवे ऑफ़ इंडिया घूमने चलने को कहा था ." डॉली बोली


" हाँ तो चलते हैं , कुछ देर में ."


रूपाली जाने लगी तो डॉली ने उसे रोकते हुए पापा से कहा " आज ऑन्टी को भी साथ ले चलते हैं ."


" तुम्हें ऑन्टी पसंद हैं ? "


" हाँ , मैं तो चाहती हूँ कि ऑन्टी हमलोगों के साथ ही रहें ."


" सच बेटे ? तुम्हें इनसे कोई शिकायत नहीं है ? "


" मगर यह यहाँ रहेंगी तो फिर तुम्हें मम्मी कहना होगा इन्हें ."


" नो प्रॉब्लम पापा , आई विल बी लकी तो हैव ऑन्टी . सॉरी मम्मी ."


केतन बोला " मैं शिवम् को अभी फोन कर बता देता हूँ .वैसे तो उसने कहा है कि अभी छः महीने तक वह नहीं

आ सकता है ."


रूपाली ने उन्हें मना करते हुए कहा " नहीं .अभी उसे नहीं बोलिये , कुछ सरप्राइज रहने दीजिये ."


" पर उसको सिर्फ इतना बता देता हूँ कि मैं शादी करने जा रहा हूँ .अगर उसे ऐतराज होगा तब तो फैसले पर दोबारा सोचना होगा . "


केतन ने फोन पर यह भाई को सूचना दी .शिवम् तो यह सुनकर बहुत खुश हुआ .उसने होने वाली भाभी का फोटो देखना चाहा तो केतन बोला " तुम्हारी भाभी इसे सरप्राइज रखना चाहती हैं . तुम आने पर ही उनसे मिल लेना . "


केतन और रूपाली की शादी हो गयी . कुछ महीने बाद शिवम् अफ्रीका से लौट रहा था .केतन उसे रिसीव करने एयरपोर्ट जा रहा था .उसने रूपाली को भी चलने को कहा तो वह बोली " मेरे एयरपोर्ट जाने से सरप्राइज अधूरा रह जायेगा . थोड़ी देर तक और सरप्राइज रहने दीजिये . आप और डॉली चले जाएँ ."


एयरपोर्ट पर शिवम् ने डॉली को गोद में उठा लिया और भाई से कहा " भाभी नहीं दिख रही हैं ."


" वह घर पर तुम्हारे स्वागत की तैयारी कर रही है ."


टैक्सी से उतर कर घर में प्रवेश करते ही केतन ने भाभी से शिवम् का परिचय कराया . शिवम रूपाली को बहुत देर तक देखता रहा था .रूपाली बोली " देवरजी , सिर्फ देखते ही रहोगे . तुम्हारी भाभी हूँ कुछ दुआ सलाम करोगे भी या नहीं और फिर मेरे लिए गिफ्ट भी जरूर लाये होगे . तुम्हारी बड़ी भाभी हूँ , मेरे पैर नहीं छूओगे ?"


शिवम् ने आगे बढ़ कर उसके पाँव छुए .वह बोली " खुश रहिये देवरजी ."


फिर केतन की तरफ देख कर कहा " देवरजी की शादी जल्दी कर दीजिये वरना क्या पता फिर कहीं बहक न जाएँ ."


“ फिर का क्या मतलब ? “ केतन ने पूछा


“ मतलब कुछ ख़ास नाही था पर कॉलेज में बड़े रंगीन मिजाज आशिक़ कहलाते थे . “


" हाँ, हाँ क्यों नहीं , अब देर नहीं होगी . मैं आज ही लड़की के पिता को फोन करता हूँ . "


रूपाली ने शिवम् को आँख मारी और शिवम् ने शर्म से नजरें झुका लीं .

समाप्त