मिखाइल: एक रहस्य - 16 - बदला -२ Hussain Chauhan द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मिखाइल: एक रहस्य - 16 - बदला -२

रहीम को देख भैयाजी को अपना बरसो पहले किया हुआ कांड याद आ गया जिसमें उसने और उसके आदमियों ने मिलकर रहीम के दो दोस्त फरहाद और ज़फर को रहीम के सामने मौत के घाट उतार दिया था।

"कैसे हो भैयाजी? सब ख़ैरियत?" रहीम ने घुटनो के बल बैठते हुवे भैयाजी से पूछा । रहीम के हाथ मे दरांती देखकर भैयाजी फिरसे एक बार छटपटाते हुवे खुदको रस्सियों के बंधन से आज़ाद कराने की कोशिश करने लगा, लेकिन ठीक पहले की तरह असफल रहा।

कुछ क्षण बाद रहीम खड़ा हुआ और वो दरांती भैयाजी की गर्दन पर रख दी।

"ठीक वैसी ही दरांती है न भैयाजी? जिससे आपने मेरे दोस्त ज़फर का गला कांटा था?" अपनी गर्दन पर दरांती को महसूस करते ही भैयाजी के माथे पर पसीना कुछ ज़्यादा बढ़ गया था।

"रहीम भाई, क्यो बेचारे को डरा रहे हो, यह पहले से ही डरा हुआ है।" यह कहते हुवे हरा लबादा पहना हुआ शख्श हंसने लगा और उसको हंसता हुआ देख रहीम भी हंस पड़ा।

"रहीम, अब और वक़्त नही गवाना चाहिए, जिस काम के लिए हम यहां है, वो कर के हमे यहां से जल्द निकल जाना चाहिए।" हरा लबादा पहना हुआ शख्श अपनी कुर्सी के पास रखे बैकपैक में से कैमरा निकालते हुवे बोला।

"भैयाजी, स्माइल आप कैमरे में आनेवाले हो।" रहीम ने भैयाजी का मज़ाक बनाते हुवे कहा।

"पता है भैयाजी! मैंने कही पढ़ा था, जब तक चिड़िया जिंदा रहती है तब तक वो कीड़ो को खाती है, और जब चिड़िया मर जाती है तब कीड़े उसे खा जाते है।" रहीम ने अपने मुंह पर हिजाब की तरह एक सफेद रंग का कपड़ा बांधते हुवे कहा जिसमे अब सिर्फ उसकी आंखें दिखाई पड़ती थी।

रहीम के मुंह पर हिजाब बांधने के वक़्त के दौरान ही हरा लबादा पहने हुवे शख्श ने कैमरा स्टैंड भैयाजी के बिल्कुल सामने सेट कर दिया था और उस पर कैमरा भी लगा दिया था और अब सब कुछ पूरी तरह सेट था।

"कालू इन्ना लिल्लाहे वइन्ना इलयहे राजेऊन" जैसे ही हरा लबादा पहने हुवे शख्श ने कैमरा ऑन किया रहीम ने यह कलमा पढा जो मुसलमान में किसी के गुज़र जाने पर पढ़ा जाया करता है।

"भैयाजी, अपनी आंखें बंद कीजिये और अपने गुनाहों को याद करके खुदा से रहम तलब कीजिये, अब खुदा से रूबरू होने का वक़्त आ चुका है।" रहीम भैयाजी को बोलते हुवे फातिहा पढ़ने लगा और भैयाजी किस तरह से भी वहां से बच निकलने के लिए पूरजोश कोशिशें करने लगा।

दरांती के एक ज़ोर के प्रहार के साथ रहीम ने भैयाजी का गला काट दिया और खून की फुंवार भैयाजी के गले से निकलने लगी और भैयाजी छटपटाने लगा और हरा लबादा पहना हुआ शख्श बिना कोई ज़ज़्बात के भैयाजी को तड़पता हुवा कैमरे में कैद करता रहा।

"खुदा भैयाजी को जन्नत अता फरमाए, आमीन।" भैयाजी के दम तोड़ देने के बाद रहीम ने उसी दरांती से भैयाजी का गला उनके शरीर से अलग कर दिया और बालों के बल उनको अपने हाथों से उठाते हुवे कहा और हरा लबादा पहने हुवे शख्श ने वीडियो सेव करते हुवे कैमरा ऑफ कर लिया।

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"मिस्टर एंड मिसेज़ ओकले एज़ धिस वास् आवर लास्ट प्लेस टू विजिट लेट मि सर्व यू फेयरवेल लंच ऑफ टुडे।" अकबर के मकबरे की मुलाक़ात लेते हुवे उन्हें दोपहर हो गयी थी और जब वे दक्षिणी गेट से पार्किंग की ओर बढ़ रहे थे तब जय ने ओकले दंपती से कहा।

"ओह! यू आर सो काइंड, वी रियली विल मिस आवर इंडियाज़ टूर" मिसेज़ ओकले ने थोड़ा इमोशनल होते हुवे कहा।

"व्हेर शुड वी गो धेन?" चलते चलते ही मिस्टर ओकले ने जय से पूछा।

"हियर इज़ ध प्लेस कॉल्ड फ़ूड मैट्स, इट इज़ फेमस फ़ॉर इट्स अमेजिंग एंड डिलीशियस फ़ूड, एंड इट्स नॉट मच फार फ्रॉम हियर, इफ यू बोथ आर एग्री टू वाक धेन वी विल बी धेर इन ट्वेंटी मिनट्स।" जय ने मिस्टर ओकले को सिकंदरा के मशहूर फ़ूड रेस्टॉरेंट के बारे में बताते हुवे कहा।

"ओके, लेटस ग्रैब समथिंग डिलीशियस, हैविंग सीन धिस मोन्यूमेंट आई फील क्विट हंगरी।" मिस्टर ओकले ने अपने पेट पर हाथ फिराते हुवे कहा जिस पर मिसेज़ ओकले के साथ जय और माहेरा भी हंस पड़े।

अकबर के मकबरे से बाहर निकलते ही सिकंदरा चौराहा से चलते हुवे वे सब सिकंदरा-बोड़ला रोड से चलते हुवे होटल फ़ूडमैट्स की ओर बढ़ने लगे। रास्ते मे ओकले दंपति को बहुत से मंदिर दिखाई पड़े जैसे कि, प्राचीन शिव मंदिर, श्री पवनपुत्र हनुमान मंदिर, श्री प्राचीन हनुमान मंदिर, श्री महाकालेश्वर महादेव मंदिर। इन सब मंदिर और भारतीय लोगो को देख कर ओकले दंपति को भारतीय सभ्यता का और थोड़ा ज़्यादा परिचय हो गया।

"इंडीड इंडिया इज़ अ कंट्री टू विजिट फ़ॉर अ वन्स।" भारतीय संस्कृति ने ओकले दंपति पर ऐसी असर छोड़ी थी कि उनसे भारत की प्रशंशा किये बग़ैर नही रहा गया।

कुछ ही देर में वे सब फ़ूडमैट्स में थे, वहां का इंटेरिओर डेकोरेशन नए जमाने का था। वो आलीशान लॉबी, सोफा के पास बना डाइनिंग टेबल, दिवालो पर लगे हुवे वॉलपेपर और उसके ऊपर बने आर्टिफीसियल गमले जिनमे साज-सजावट के तौर पर पौधे और फूल प्लांट किये गए थे। ऊपर से मद्धम सी रोशनी मानो दिन में भी रात की प्रतीति करा दे। इतना ही नही फ़ूडमैट्स ने अपनी छत पर भी हल्के-फुल्के नाश्ते के लिए बाग-बगीचे जैसी बैठने की व्यवस्था बनाई थी, जो कही पिकनिक पर गए हो ठीक वैसा एहसास दिलाती थी।

"सो व्हाट वुड यू लाइक टू इट इन इंडियन फूड्स?" एक सोफे पर आराम से बैठने के बाद मेनू को खंगालते हुवे जय ने ओकले दंपति से पूछा।

"आर्डर एनीथिंग व्हिच इस फेमस ऑफ हियर।" ओकले दंपति को इंडियन फ़ूड के बारे में ज़्यादा ज्ञान नही था तो मिस्टर ओकले ने कुछ भी जो अच्छा हो वो लाने का कहते हुवे कहा।

"व्हाई डोंट यू मेक एन आर्डर ऑन बिहाफ ऑफ अस?" मिसेज़ ओकले ने अपने पास पड़ा हुआ एक मेनू कार्ड माहेरा को थमाते हुवे कहा।

"हु आई?" माहेरा ने थोड़े आश्चर्य के साथ पूछा।

"यस ऑफकोर्स!" मिसेज़ ओकले ने हामी भरते हुवे कहा, जिसके बाद माहेरा ने जय की आंखों में देखा और जय ने अपनी आंखों से माहेरा को मूक संमति दी।

ट्रेज़र ऑफ तंदूर, वर्ल्ड ऑफ सूप, रायता, क्विक बाइट्स, हम सब एंड सब्जी, कोल्ड एंड सॉफ्ट बेवरेजेज, हॉट बेवरेजेज, मोमोज़, पास्ता एंड पिज़्ज़ा, साउथ इंडियन, बर्गर, नया-पुराना (देसी-विदेशी), टाकोज़, सलाद, मॉकटाइल्स, स्मूथीज़ एंड शेक्स ऐसी ढेर सारी कैटोगरी में मेनू बटा हुवा था। मेनू कार्ड पढ़ने के बाद खुद माहेरा कंफ्यूज थी कि क्या आर्डर किया जाए या नही।

माहेरा ने जय के साथ मिलकर खाना आर्डर किया और सबने बड़े ही मज़े से खाने का लुत्फ़ उठाया। यकीनन फ़ूडमैट्स थोड़ा महँगा ज़रूर था लेकिन स्वाद में और स्टाफ की बाबत में अव्वल था।

"विजिट अस व्हेनेवेर यू कम टू शिकागो।" मिसेज़ ओकले ने कार में बैठने से पहले बोला जो खाना खाने के बाद जय ने उनके लिए होटल मुग़ल क्वीन ले जाने के लिए बुक की थी। जबकि, मिस्टर ओकले पहले से ही कैब में बैठ चुके थे।

"स्योर, मिसेज़ ओकले।" जय ने कहते हुवे कार का दरवाजा बंद किया और कार अपने गंतव्य स्थान की ओर निकल पड़ी।

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