Samay yatra - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

समय यात्रा.. - 1








सुप्रिया को किताबें और नॉवल पढ़ने का शौक होता है, एक दिन उसे एक कूरियर मिलता है, उस पर भेजने वाले का नाम नहीं लिखा होता है,सुप्रिया सोचती है कि ये कूरियर किस का होगा। कौन भेजेगा मुझे कूरियर मैंने तो ऑनलाइन कुछ मंगवाया भी नहीं है, पता नहीं क्या हैं इसमें, सुप्रिया कूरियर खोलती है, उसमें एक किताब होती है, जिसका नाम होता है... "समय यात्रा " सुप्रिया देख कर हैरान हो जाती है, कि आखिर ये किताब किसने भेजी होगी।



उसे मन ही मन खुशी भी हो रही थी क्युकी किताब का टाइटल बहुत ही इंट्रेस्टिंग लग रहा था।
उसने मन ही मन सोच लिया था कि..... "जो भी हो.. जल्दी से जल्दी काम पूरा कर ये किताब आज ही पढ़ना शुरू कर दूँगी। ये शायद किसी शुभ चिंतक ने ही भेजी होगी। तभी तो उसे मेरी पसंद और नापसंद के बारे में पता हैं।" चलो जल्दी जल्दी काम करके फिर इसे पढ़ना शुरू करती हूँ

सुप्रिया ने जल्दी जल्दी सब काम निपटा दिया। अब वो उस किताब को पढ़ने के लिए उत्साह पूर्वक उसे खोलती है, और जैसे ही पढ़ना शुरू करती है, तो अचानक उसे अपने पीछे कोई आहट सुनाई देती है, वो घबरा जाती है, वो डरते डरते पीछे देखती है, उसके माथे पर पसीने की बूँदे आ जाती है,तभी उस की नजर उसके कुर्सी के पास पड़े गुलदस्ते पर पड़ती है उस गुलदस्ते में उनका दुपट्टा अटका हुआ होता है, जिसे देख वो सामान्य हो जाती है। वो समझ जाती है कि उसके दुपट्टे से वो गुलदस्ता गिरा होगा। जिस की आवाज सुनकर वो घबरा गई।

अब वो सामान्य हो जाती है, और मन ही मन बहुत उत्साहित होती है, उस किताब को पढ़ने के लिए.. जैसे ही वो पढ़ना शुरू करती है, तभी मोबाइल फोन की रिंग बजती है, और वो परेशान होकर फोन उठाती है, वो दो तीन बार हैलो.. हैलो.. बोलती है, फिर भी सामने से कोई रीप्लाय नहीं आता है, और कॉल काट हो जाता है, सुप्रिया फिर से पढ़ना शुरू करती है, तभी दुबारा मोबाइल की घंटी बजी है, लेकिन पहले की तरह इस बार भी कोई रिप्लाय नहीं मिलता है, और फिर से कॉल कट हो जाता है, इस बार सुप्रिया मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर फिर पढ़ने बैठती है।

सुप्रिया फिर से पढ़ना शुरू करती है कि अचानक... उसके चारों ओर अंधेरा सा छा जाता है, और जोर से बिजली कड़कड़ाने की आवाज सुनाई देती है, सुप्रिया कुछ समझ नहीं पाती आखिर हो क्या रहा है, उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा होता है, वो घबरा जाती है और चीखती है... कौन है.. ये सब क्या हो रहा है.... मुझे कुछ दिखी क्यू नहीं दे रहा है... कौन है... ये सब क्या हो रहा है.... वो अपनी आँखों को अपने दोनों हाथों से मसलती है... और जब आँखे खोलती है, तब अचानक.. ..........

............आगे की कहानी जारी रहेगी


.बहुत जल्दी ही अगला भाग पब्लिक होने वाला है ..

कहानी का यह भाग आपको कैसा लगा.. मुझे कॉमेंट करके बताये।


उमा वैष्णव

मौलिक और स्वरचित


अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED