मेरी जिंदगी का सफर - 2 Devesh Gautam द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

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मेरी जिंदगी का सफर - 2

जब मैं 9वी का छात्र था तभी मेरे नाना सेवानिवृत्त हो गए और वापस गांव आ गए और साथ मे आई मेरी मामी।यहां आकर उन्होंने देखा कि ये यहां बहुत चैन से रह रहा है। अपने स्कूल का टॉपर है और उस क्षेत्र में इसकी जान पहचान बहुत है तो उन्होंने मुझे अंदर से खत्म करना चाहा। उस समय उन्होंने मेरे बारे में सिर्फ पता किया। तबतक मेने हाई स्कूल पास कर लिया था। फिर मेने भगवंत पाण्डे इंटर कॉलेज में गणित संकाय से प्रवेश लिया। फिर लगभग 1हफ्ता पढ़ने गया। इसी दौरान मेरी बीमारी बहुत ज्यादा होने लगी। और मैने कॉलेज जाना छोड़ दिया। और मैने बिना परीक्षा दिए ही पेपर दिया और उत्तीर्ण रहा। परंतु मेरे नंबर कम थे। फिर मेने कला संकाय से भगवंत पांडेय पी0 जी0 कालेज में बी0ए0 प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया।जब मैं 11वी में था तब मेरी मामी ने मेरे छोटे मामा के लड़के को मेरे खिलाफ भड़काना शुरू किया। क्योंकि वे जानते थे कि में सबसे स्मार्ट हु और मेरे साथ रह कर वो भी मेरी तरह बन जायेगा। जब मै बी0ए0 प्रथम वर्ष में था तब उन्होंने मेरे नानी को मेरे खिलाफ भड़काना शुरू किया। और नानी की गाली गलौज शुरू जब चाहे मार देती जब चाहे कुछ भी बोल देती देखते देखते नाना भी शुरू हो गए और आज मेरी जिंदगी नरक बन गयी है। मैने हाल ही में प्रथम वर्ष की परीक्षा दी है और समझ नही आ रहा है क्या करूँ। जब में गोरखपुर आया तब मेरा यहां कोई मित्र नही था परंतु कुछ ही समय मे मेरे कई मित्र बन गए। जिनमें सबसे खास गौरव और ओम कृष्ण थे हम आज भी वैसे ही मित्र हैं।जैसे पहले थे। जब मैं 11वी का छात्र था तभी मुझे किसी सोशल साइट पर अपने एक बचपन का दोस्त अमन मिला।उससे मेने रजत का नंबर मांगा ओर उसने दे व दिया लेकिन मुझे तो सपना से बात करनी थी। जो उसकी बहन थी। जब मैने उसे कॉल किया तो निशा ने पिछ किया।जो उसकी बहन थी पहले तो उसने पहचाना नही फिर बाद में हमने काफी बात की।फिर साम को मेरे पास एक आज्ञात नंबर से काल आयी और इस तरह मुझे सपना का नम्बर मिला।मेरे और सतेन्द्र की दोस्ती भी बड़ी अजीब तरह से हुई थी ।किसी ने मुझे कक्षा 1 में मारा मुझे लगा कि सही ने मारा है और मैने उसे दीवार में लगा दिया । और हमारी दोस्ती हो गयी। ऐसे ही ओम से दोस्ती हुई किसी वजह से उसने मुझे मारा ओर हम दोस्त बन गए ।लेकिन मेरी ओर गौरव की दोस्ती पता नही कैसे हुई और आज हम एकदम भाइयो की तरब रहते है।मेरे जितने भी खास दोस्त बने सब दुर्घटना से बने। मेरी जिंदगी में कॉमेडी नाम की चीज नही है।जो भी हुआ सब ट्रेजेडी ही रहा।में आजकल घर से दूर ही रहता हूं सिर्फ सोने आता हूं।दूर इस लिए रहता हूं कि फिर कोई ट्रैजड़ी ना हो जाये।आज की कहानी यही खत्म करना चाहूँगा।आगे की कहानी बाद में ।कुछ दिनों के बाद। धन्यवाद।