dekhna fir milenge - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

देखना फिर मिलेंगे - 1 - वह पहली मुलाकात

पिछले स्टॉप से बस छूटी तो सर पर चढ़ी धूप ठंडी हो चली थी। खिड़की से अब ठंडी हवा आने लगी थी। दिन भर की गर्मी और उमस ने दिमाग में शार्ट सर्किट किया हुआ था। छुट्टन उर्फ छज्जन लाल कभी मौसम को कोसता तो कभी अपने फैसले को जिसने नॉन ऐसी बस में सफर करने का निर्णय लिया था। पैर मुड़े मुड़े उकड़ू हो चले थे पर फैला नहीं सकते थे ना ही इतनी जगह की पालथी मार कर बैठ सकते थे। काहे की साथ में एक मोहतरमा बैठी थकी और तमीज तो उसमे कूट कूट कर भरी हुई थी। वह भी साथ ही चढ़ी थी। अपना बैग सीट के उपर बनी जगह पर ठूंस कर एक किताब ले कर पढ़ते हुए बैठे बैठे सो गई थी। छुट्टन को गुस्सा आ रहा था कि अब पैर फैलाना बड़ा मुश्किल है। मोहतरमा की तरफ देखा तो वो किताब चेहरे पर धर कर सो गई थी। किताब का नाम देखा तो गुस्सा छू हुआ और चेहरे पर मुस्कान छा गई।
लो भाई! यही तो वह किताब है जिसके लिए छुट्टन आज एक किताब वाले से भिड़ आया था। वह तो कहा भी उसको की दाम पर जरा डिस्काउंट मारो, हमे भी पता है यह पाइरेटेड कॉपी है तो किताब वाला बकैती करने लगा था। जब कौनो मुरौवत नहीं किया तो छुट्टन भी कह आया था कि जो मुफ्त में ना पढ़े बेटा तुम्हारी ये "बेस्ट सेलर" तो हमारा नाम भी छज्जन लाल नहीं। उसकी भौकाली वहाँ तो चली नहीं अब जो मोहतरमा से किताब की व्यवस्था हो जाए तो बात बने। पर छुट्टन को उससे पहले टांगों की सहूलियत का जुगाड़ करना पड़ेगा। रात की चादर आलस लपेटे अब पूरे बस पर पसर चुकी थी । बस कंडक्टर द्वारा उद्घोषणा हुई कि आगे छोटे से सराय पर बस रुकेगी काहे की बस में कौनो ख़राबी सी लग रही है और उसमे रिपेयरिंग की जरूरत है। सारे यात्रियों की रुकने की व्यवस्था कर दी गई है। लो! ये नई मुसीबत, अरे तीन घंटे और काट लेते तो गंतव्य तक पहुंच जाते पर इस बस ने इस सफर को और सफरिंग बना दिया था। जो सो गए और कोई लूट पाट कर गया तो क्या हो? छुट्टन ने एक सहयात्री से बारी बारी सोने का सेटलमेंट तो कर लिया था। सामने मोहतरमा ने तो बैठे बैठे अडवांस में नींद पूरी कर अपने बैग को सीट के उपर से निकाल रात के भोजन की तैयारी भी कर ली थी। " बेस्ट सेलर " अब दोनों सीट के बीच में पड़ी हुई थी। छुट्टन का रोग ऐसा की सफर में खाना हज़म ना होता और नींद ढंग से आती नहीं। अब रात काटने के लिए प्रतिष्ठा के साथ किताब मोहतरमा से प्राप्त करने का धांसू आइडिया आया छुट्टन को।
खाना खत्म करके ज्योंही मोहतरमा खड़ी हुई बैग रखने छुट्टन ऐसे लपके जैसे बैग संग उड़न छू हो जाएंगे।
" लाइये हम रख देते है उपर .. आप काहे तकलीफ ले रहीं है"
मोहतरमा भी जवाब में बढ़िया वाला मुस्कान दे कर बैठ गईं। किताब की ओर नज़र गड़ाए हुए छुट्टन बोला
" क्या लगता है आपको? है उस लायक जितना हो हल्ला मचा रखा है "
" जी! हमसे कहा?.. समझे नहीं"
"अरे हम इस किताब का पूछ रहे हैं "
" आप खुद ही पढ़ कर देख लीजिए.. हम वैसे भी दुबारा पढ़ रहे थे"
दुबारा पढ़ रही थीं मोहतरमा। जिसका दो ही मतलब है या तो सच में इस किताब में वो बात है या मोहतरमा के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है। खैर अब जो मिल गई है पढ़ लिया जाए।

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