बाराशिगा
( जो योद्धा भी सिकनादर रोकने के लिआ निक्ले है इनको वो योद्धा कोई ऐसा वैसा योद्धा नाइ हो सकता है .जानिए ऐसे दो योद्धा के बारेमे 1 बारासिंग 2 विक्रम )
बाराशिगा ऐक ऐसी कहानियों मेसे ऐक है जो आज तक दो महान योद्धाओं के बीच हुए सबसे बडी कहानि है .
जीने आधे लोग जानते है ओर आधे पता ही नही कि बाराशिगा कोन है.
चलिए हम बाराशिगा के बारेमे आज जानते है.
एफ ऐसे महान गुरु जो सारी विधा जानता है .इस महान गुरु
का नाम है कृपाचायँ .कृपाचायँ के दो शिष्य थे 1(विक्रम )2(बाराशिगा)
विक्रम जो कृपाचायँ ने। मगध। ने जो आश्चम था वही से विधा लि.
बाराशिगा ने कृपाचायँ फे दुसरे मगध के पास जो आश्चम था वहां से विधा लि.
ओर दोनों कृपाचायँ कि उतनी इजजत करते जितनी अपने मा बाप की .
लेकिन बाराशिगा विक्रम से ताक़वर था और उसेके ऊपर उनके गुरुजी का हाथ था .
उन दोनों की दोनों के राज्य बहोत अछि तराह चल रहे थे लेकिन उस राज्य पर नजर पड़ी दुनियाके सबसे बड़े महान
योद्धा सिकंदर की.
बाराशिगा भी जनता थी कि वो कोई ऐसे बात नाइ है कि सिकंदर को हराया जाए गा.
उनके लिए दोनों का साथ होना जरूरी था विक्रम और बाराशिगा.
और उनके गुरु को भी पता था कि अगर वे दोनो साथ रहे तो
सिकनदर भी नही हर सकता .
लेकिन विक्रम तभी साथ देने के लिए ततैयार नही हुवा.
और सिकंदर पहेली सेना के साथ बाराशिगा अकेल युद्ध किया उन्हें हटाया .लेकिन उनमें सिर्फ सिकन्दर का सेनापति था .(सिकनादर नही ).
बाराशिगा की 31000 सेना और सिकनादर की पहेली सेना करिब 50000 सैंनोको हराया . लेकिन सिकंदर के पास 123000 सेना थी .
और विक्म राज्य बाडा था तो उनके पास 50000 सैन्य था
लेकिन वो साथ देने तयार नही था .
और उसमें उनेक गुरुजी का मन तोड़ नही सकता था .
और उन दोनों को साथ करदी या और फिर सिकनादर की
सेना को उनके साथ लडॉ.
81000 सेना ने सिकनादर सेना को हरया .
लेकिन सिकनादर को हार पसनद नही आई .
क्या सिकनादर वापस आएगा .
और क्या होगा आगए . जिस तरह अब बाराशिगा की असली कहानी स्टाट होती है .
अब हम यहासे आगे जानते है कि किस तरह बारसिंगा और विक्रम दोनो इतँनह काबिल थे लेकिन दोनो में फर्क था तो वो था सिर्फ था ताकतवर था बरसिंगा .
और उनके गुरु जी को पता था बारसिगा अगर सिकंदर के सामने आया तो सिकनादर की हार ही होगी.
लेकिन दोनो में सबसे बड़े सेना में फरकं था .
लेकिन सिकन्दर भी कोई कम योद्धा न ई था .
पर बारा के ऊपर तो सुकराचार्य का याथ था .
बस अब इंतिजार था तो सिकनदर का की अब सिकनादर केसे आत है .
उस तरफ सिकनादर ने मांगोलियों की सेना से उनकी सेना
एक और बार बड़ी की 100000 बड़ी सेना बानाइ और
एक बार फिर वो निकले .
बारासिंग भी उनकी ही इंतजार में था कि कब सिकन्दर से सामना हो .
लेकिन कुदरत का खेल तो खून का था चाहे वो बारासिंग
का या विक्रम का या फिर खुद सिकंदर का कयू न हो.
पार्ट 2 में अपको जान होगा कि विक्रम भी कोई काम योद्धा नाइ था वो भी बरासिंग का भीई जैसा ही था फिर कयू दोनो
अलग पड़े .ये स्टोरी सच्ची कहानी पर आधरित है बस नाम बदले ह....