अणु और मनु - अंतिम भाग Anil Sainger द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अणु और मनु - अंतिम भाग

कुणाल अपनी जेब से फोन निकाल कर मैसेज खोलता है जोकि गौरव ने भेजा था | वह देखता है कि गौरव ने जो पता दिया था वह तो यही है लेकिन यहाँ तो ‘क्लीनक फॉर आल’ लिखा हुआ है | वह समझ नहीं पाता है कि यहाँ कहाँ गौरव मिलेगा और गौरव ने घर क्यों नहीं बुलाया |

‘आज लगभग दस महीने के बाद हम मिल रहे हैं और साले ने बुलाया भी तो क्लिनिक पर | साला पागल है क्या’, कुणाल क्लिनिक का बोर्ड देख अभी अपने आप से बात कर ही रहा था कि किसी ने उसके कंधे को जोर से दबाया | कुणाल पीछे मुड़ कर देखता है | सिम्मी को सामने खड़ा देख उससे हाथ मिलाते हुए बोला “तुम भी.....” |

सिम्मी हँसते हुए बोली “यहाँ क्यों खड़ा अपने आप से बात कर रहा है” |

“यार, मुझे यह नहीं समझ आ रहा है कि गौरव ने हमें यहाँ क्यों बुलाया है | हॉस्पिटल होता तो समझ में आता कि वह बीमार है लेकिन क्लीनिक पर कोई कैसे बुला सकता है” |

“भाई अंदर चलेगा तभी तो राज खुलेगा......”, सिम्मी अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी कि पीछे से रीना की आवाज सुन दोनों एक साथ मुड़ कर देखते हैं | सामने से रीना आते हुए बोली “तुम दोनों और यहाँ.....” |

“यही बात हम तुमसे पूछें तो...”, कुणाल मुंह बिचकाते हुए बोला |

सिम्मी रीना से गले मिलते हुए बोली “रीना यार तू तो और भी निखर गई है” |

रीना सिम्मी से अलग होते हुए मुस्कुरा कर बोली “मेरे से ज्यादा तो तू आज सुन्दर लग रही है” |

सिम्मी इठलाते हुए बोली “अच्छा जी”|

कुणाल रीना से हाथ मिलाते हुए बोला “सिम्मी बात तो सही कह रही है” |

रीना बात को टालते हुए बोली “अंदर चलें” |

“जी, बिलकुल”, कह कर सिम्मी आगे की ओर बढ़ जाती है | रीना और कुणाल भी उसके पीछे-पीछे चल पड़ते हैं |

कुणाल तेजी से आगे बढ़ कर रीना का हाथ पकड़ते हुए बोला “मैडम इतनी चमक कैसे रही हो | भाई से कुछ बात बन गई है क्या”?

“क्यों तुम्हें बताना जरूरी है क्या” ?

“जी बिलकुल, माना कि हम आज दस महीने के बाद मिल रहे हैं | सब के हालात बदल गये होंगे लेकिन फिर भी हमारी आपसी दोस्ती थोड़े ही खत्म हो गई है” |

रीना कर्कश आवाज में बोली “ये दोस्ती दस महीने याद नहीं आई | आज जब सामने पड़ गई हूँ तो तुम दोस्ती की दुहाई देने लगे हो”|

सिम्मी क्लीनिक के अंदर घुसते हुए बोली “कुणाल कुछ देर बाद ये बहस कर लेना | पहले देख तो लें कि भाई ने हमें यहाँ क्लीनिक पर क्यों बुलाया है | सब कुछ ठीक-ठाक है कि नहीं, समझे” |

कुणाल तेज क़दमों से आगे बढ़ कर स्वागतकक्ष में बैठी महिला से बोला “मैडम हम गौरव से मिलना चाहते हैं”|

वह महिला मुस्कुराते हुए बोली “आप लोग गौरव जी के दोस्त हैं क्या” ?

कुणाल मजाकिया अंदाज में बोला “जी, आपको कोई शक है क्या” ?

वह महिला एक बार फिर से मुस्कुराते हुए बोली “कृपया आप लोग बैठिये | मैं अभी उन्हें देख कर आती हूँ” |

“ठीक है”, कह कर कुणाल पीछे मुड़ कर सिम्मी और रीना के साथ सोफे पर बैठ जाता है |

सिम्मी रीना की ओर मुड़ते हुए बोली “कुणाल ने कुछ पूछा था | अब तो बता दे कि तू गौरव से मिलती रही है कि नहीं” ?

“नहीं, मैं भी पिछले आठ महीने से नहीं मिली हूँ | बस फ़ोन पर ही बात हुई है | वह दिल्ली में भी तो नहीं था | MBA की ट्रेनिंग पर मुंबई गया हुआ था | और पिछले एक महीने से न मेरे पास टाइम था और न उसके पास | बस इसीलिए हम मिल नहीं पाए” |

कुणाल उत्सुकतावश जोर से बोला “गौरव कैसा है” |

“ठीक है | वह जैसा पहले था वैसा ही आज है | तुम में से किसी को नहीं भूला | हमारी जब भी बात होती थी तो तुम लोगों की कोई न कोई बात जरूर हो जाती थी” |

कुणाल मुस्कुराते हुए बोला “रीना तुम्हारी शादी हुई कि नहीं” |

“क्यों तुम्हें पता नहीं लगता” |

“क्या पता | हो सकता है तुमने चुपचाप कर ली हो और हमें न बुलाया हो” |

सिम्मी गुस्से से कुणाल को देखते हुए बोली “क्यों फ़िजूल की बात कर रहा है”, कह कर वह रीना को देखते हुए बोली “आज भी गौरव की ‘हाँ’ का इन्तजार कर रही है”|

रीना यह सुन कर गम्भीर स्वर में अटकते हुए बोली “ह......हाँ” |

कुणाल खुश होते हुए बोला “क्या बात है | रीना प्यार हो तो तुम्हारे जैसा हो” |

रीना बात को पलटते हुए बोली “मैं भी यहाँ पहली बार आई हूँ” |

सिम्मी हैरानी से रीना को देखते हुए बोली “ये क्लिनिक है किसका” ?

रीना गंभीर स्वर में बोली “गौरव की मम्मी का है | उन्होंने अस्पताल छोड़ दिया है | वह कुछ डॉक्टर्स के साथ यहाँ पर क्लीनिक चला रही हैं | यहाँ पर अमीर हो या गरीब सब के साथ एक सा बर्ताव होता है | जो पैसे दे सकता है वह देता है और जो नहीं दे सकता उसका भी इलाज उसी तरह होता है जैसे दूसरों का होता है | गौरव यहाँ हफ्ते में एक या दो बार आता है और यहाँ का हिसाब-किताब देखता है | साथ ही वह उन लोगों से भी मिलता है जिन्हें कोई मानसिक परेशानी होती है” |

सिम्मी गंभीर स्वर में बोली “रीना अब तुम पहले जैसी नहीं रही | तुम हँसमुख लड़की हुआ करती थीं | लेकिन अब तुम गम्भीर स्वभाव की हो गई हो | लगता है गौरव की विचार धारा ने तुम पर काफी प्रभाव छोड़ा है | क्या गौरव भी तुम्हारे जैसा हो गया है” |

“अरे ऐसा कुछ नहीं है | हम दोनों जैसे पहले थे वैसे ही आज भी हैं | आज भी जब फ़ोन पर बात होती है तो बहुत मौज मस्ती की बाते होती हैं | कुछ पुराने किस्से निकलते हैं और हम उन पलों को याद कर आज भी उसी तरह खुश होते हैं जैसे उस समय हुआ करते थे”|

सिम्मी हैरान होते हुए बोली “ऐसा लगता तो नहीं है | अच्छा यह बताओ कि जब गौरव के घर जाती हो तो कैसी बातें होती हैं” |

“अरे यार, पूछो मत | कभी आंटी तो कभी अंकल अपनी जिन्दगी के हसीन पल सुनाते हैं कि हँसते-हँसते पेट में दर्द हो.........”, रीना आगे कुछ बोल पाती इससे पहले ही एक बहुत ही सुंदर लड़की उन के पास आ कर खुश होते हुए बोली “आप लोग गौरव जी के दोस्त है”, कह कर वह कुणाल को देखते हुए बोली “आपका नाम कुणाल है न” |

“जी”, कुणाल जब तक कुछ और बोलता | सिम्मी और रीना एक साथ बोलीं “मैडम आपको इसका नाम कैसे मालूम है” |

“जी, मुझे यह भी मालूम है कि आप दोनों रीना और सिम्मी हैं” |

कुणाल हैरान होते हुए बोला “मैडम आपने अभी तक बताया नहीं कि आप हमें कैसे जानती हैं” |

“आप कृपया मुझे मैडम न बोलें | मेरा नाम अक्षरा है” | यह सुनते ही रीना के पैरों तले जमीन खिसक जाती है | वह कस कर सिम्मी का हाथ पकड़ लेती है | सिम्मी, रीना का चेहरा देख कर हैरान होते हुए बोली “तुझे क्या हुआ” |

रीना सकपकाते हुए बोली “कुछ नहीं......” |

कुणाल मुस्कुराते हुए बोला “मैडम जी आपने बताया नहीं कि आपको हमारे नाम कैसे मालूम हैं” |

अक्षरा कुणाल के अंदाज को देखते हुए मुस्कुरा कर बोली “कुणाल जी यहाँ कोई किसी को सर या मैडम नहीं बोलता है | सब को नाम से पुकारा जाता है | आप लोगों के बारे में मुझे गौरव जी ने ही बताया था | वह अभी-अभी किसी काम से गए हैं | वह बोल कर गए थे कि उन्हें आने में शायद आधा घंटा लग सकता है | तब तक आप लोग उनके कमरे में बैठिए | मैं अभी कोला भिजवाती हूँ”, कह कर अक्षरा उन्हें गौरव के कमरे की ओर चलने का इशारा करते हुए आगे की ओर बढ़ जाती है |

अक्षरा एक कमरे का दरवाज़ा खोलते हुए बोली “यह गौरव जी का कमरा है | आप लोग इत्मिनान से बैठिए और बातें करिए आखिर आप लोग आपस में दस महीने बाद मिल रहे हैं” | तीनो में से कोई भी कुछ बोलता इससे पहले ही अक्षरा दरवाज़ा बंद कर चली जाती है|

वह कमरा काफी अच्छा और बड़ा था | कमरे में घुसते ही सामने एक कोने में सोफा और टेबल थी और दूसरे कोने में एक फूल दान रखा था | कमरे के बीचो-बीच एक बड़ी सी टेबल थी जिसके एक ओर चार कुर्सियां रखीं थी | उन्हीं पर वह तीनों बैठ जाते हैं | कुर्सी पर बैठते हुए कुणाल बोला “रीना तुम्हें क्या हुआ” |

रीना आँखें पोंछते हुए बोली “ये यहाँ कैसे आ गई” ? रीना की बात सुन कुणाल और सिम्मी एक आवाज में बोले “कौन कहाँ आ गई | क्या तुम इस अक्षरा के बारे में बात कर रही हो | तुम इसे जानती हो क्या” ?

रीना भर्राई आवाज में बोली “हाँ, ये मुंबई में गौरव के साथ ट्रेनिंग कर रही थी | गौरव जब भी इसके बारे में बात करता था तो मुझे लगता था कि वह जानकार मुझे चिढ़ाने के लिए ऐसा कह रहा है | लेकिन.......” |

कुणाल अपने चेहरे को परेशान हो पोंछते हुए बोला “क्या गौरव का इससे कोई चक्कर चल रहा था” |

रीना भर्राई आवाज में अटकते हुए बोली “शायद | उस समय तो मुझे ऐसा कुछ नहीं लगा | लेकिन अगर ये यहाँ है तो इसका मतलब.....”, कह कर रीना सिसक-सिसक कर रोने लगती है | यह सुन कर सिम्मी और कुणाल दोनों दंग रह जाते हैं | कुणाल सिम्मी को इशारा करता है कि वह रीना को कुछ समझाए | सिम्मी कुणाल का इशारा समझ कर रीना के पास अपनी कुर्सी खींचते हुए बोली “यार तू रो क्यों रही है | हम हैं न | ऐसे कैसे गौरव कर लेगा | साले की ऐसी की तैसी”, कह कर सिम्मी रीना के सिर पर हाथ फेरने लगती है |

“तुम यहाँ क्लीनिक में हो, चिंता मत करो | किसके पेट में दर्द हो रहा है”, कहते हुए गौरव कमरे में प्रवेश करता है | गौरव को देख तीनो उठ कर खड़े हो जाते हैं | रीना अपने आँसू पोंछते हुए जबरदस्ती मुस्कुराते हुए गौरव को देखती है | गौरव सब कुछ समझते बुझते हुए अनजान बन आगे बढ़ कर कुणाल के गले लग जाता है | वह कुणाल से अलग होते हुए उसकी छाती में जोर से मुक्का मारते हुए बोला “साले दस महीने मेरी याद नहीं आई” |

“अबे यार याद तो बहुत आई लेकिन बस परिस्थियाँ ही ऐसी बनती चली गईं कि चाह कर भी निकल नहीं सका”, छाती पर हाथ रखे हुए कुणाल बोला |

“साले तू परिस्थितियों का इतना गुलाम कब से हो गया | कमीने अपने चक्कर में दोस्त और दोस्ती-यारी गई भाड़ में | कुत्ते मुझे ही भूल गया” |

कुणाल गंभीर भाव से बोला “यार घर-परिवार की स्थिति ही कुछ ऐसी थी कि बहुत से काम चाह कर भी नहीं कर पाया | तुझे तो मालूम ही है | तूने जैसा कहा था वैसे ही मैंने किया | माँ-बाप सब कुछ मानने के बाद भी समय-समय पर अपना रंग दिखाते ही रहते हैं | तान्या की भी ट्रान्सफर बंगलुरु ऑफिस में हो गई है इसलिए दिल्ली-बंगलुरु लगा ही रहता है | जब भी वहां जाता हूँ, वहां से आने के बाद घर में पंगा जरूर होता है” |

“भाई सारा पंगा शादी के बाद खत्म हो जाएगा | देर किस बात की है” |

“भाई पता नहीं | तान्या कहती है कि मेरे कारण तुम्हारे माँ-बाप तुम्हारे खिलाफ हो गए हैं | तुम मुझे छोड़ दो | माँ-बाप कहते हैं उम्र से बड़ी औरत से शादी कर कभी कोई खुश नहीं रह पाया है | तू दुबारा सोच | अब तू ही बता कि मैं क्या करूँ” |

“साले प्यार तूने किया है | पूछ मुझ से क्यों रहा है | और फिर तूने प्यार माँ-बाप से पूछ कर किया था | जब प्यार करने चला था तब तुझे समाज और माँ-बाप नहीं दिख रहे थे | अब क्यों दिख रहे हैं | और जहाँ तक तान्या की बात है तो उसके माँ-बाप ने जहाँ उसकी शादी की उसने कर ली | अब अगर उसका आदमी गलत निकला तो इसमें उसका क्या कसूर है | तुम दोनों किस्मत से एक-दूसरे से मिले थे | तान्या ने तेरे हाव-भाव समझ कर तुझे पहले ही सब कुछ बता दिया था | ताकि तू वक्त से पहले ही सम्भल जाए लेकिन तूने सब कुछ जानते-बूझते उसके साथ किया है तो तुझे ही सब कुछ सहना भी पड़ेगा | तेरी ज़िन्दगी है तू फ़ैसला कर किसी के कंधे पर बंदूक रख कर क्यों चलाना चाहता है” |

“माँ-बाप के प्रति भी तो मेरा कुछ फर्ज है” |

“कौन मना कर रहा है | अगर तुझे अपने फैसले पर गर्व है और सचमुच में तू उससे प्यार करता है तो बस शादी कर ले | माँ-बाप तेरे हैं और तेरे ही रहेंगे | तुम दोनों शादी के बाद अपना फर्ज मत भूलना | अगर तुम दोनों ने ऐसा किया तो उनका जो फर्ज है वह हर हालत में निभाएंगे | तेरा फैसला समाज की सोच के विपरीत है और उसमें तेरे माँ-बाप भी शामिल हैं इसलिए तुम्हें कुछ दिन के लिए सबका गुस्सा तो झेलना ही पड़ेगा लेकिन तुम्हारे अच्छे व्यवहार और माँ-बाप के प्रति आदर भाव से सब कुछ जल्द ही ठीक हो जाएगा” |

“भाई मैं मान गया की मैं ही कुत्ता हूँ | भाई मैं पिछले दस महीने से जिस दुविधा से झूझ रहा था तूने एक मिन्ट में दूर कर दी”, कह कर कुणाल की आँखों में आँसू आ जाते हैं | गौरव कुणाल को भावुक हुआ देख उसे गले से लगा लेता है |

गौरव के गले लग कुणाल चाह कर भी अपने आंसू रोक नहीं पाता है | गौरव उससे अलग होते हुए कुणाल के आँसू पोंछते हुए बोला “साले तुम सोचो मुझे तुम्हारी कितनी याद आती होगी | तुम्हारे पास तो तुम्हारा प्यार था फिर भी तुम बिना वजह जूझ रहे थे | यहाँ मेरे पास तो सिवाय तुम लोगों की याद के इलावा कुछ भी नहीं था | तुमने कभी सोचा कि मैं अपने आप को कितना अकेला महसूस करता हूँगा” |

“भाई गलती हो गई | हमने कभी तेरे बारे में तो सोचा ही नहीं”, कह कर सिम्मी भी भावुक हो जाती है |

कुणाल भर्राई आवाज में बोला “साले तू कहाँ से अकेला हो गया | तेरे पास भी तो रीना थी” |

रीना अपनी भावानाओं पर पकड़ बनाते हुए कुणाल की बात को पलटते हुए बोली “गौरव तुम्हारे रिजल्ट का क्या रहा” |

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “अगले महीने रिजल्ट आएगा” |

कुणाल जबरदस्ती मुस्कुराते हुए बोला “मैंने सुना है तू छः महीने के लिए मुंबई ट्रेनिंग पर गया था | वहाँ भी तुझे कोई तेरी पसंद की लड़की मिली की नहीं” |

“नहीं यार, वहाँ मिली भी और नहीं भी लेकिन.......”, गौरव अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि सिम्मी बीच में ही बोल उठी “भाई तूने अपने मैसेज में लिखा था कि तू कोई सरप्राइज देने वाला है | वह क्या है” |

“अबे पहले उसे बात तो पूरी करने दे | लेकिन क्या”, कुणाल सिम्मी को डांटते हुए बोला |

“बहुत समय पहले मेरी मुलाकात एक लड़की से हुई थी | अब मुझे लगने लगा है कि मुझे उससे प्यार....”, गौरव अपनी बात पूरी कर पाता इससे पहले ही रीना उठ कर खड़ी हो जाती है और तेज चाल से चलते हुए दरवाजे के पास पहुँच कर बोली “मैं अभी आई” |

गौरव कड़क आवाज में बोला “मैडम आप बैठ जाइए” | गौरव की तेज आवाज सुन रीना के कदम ठहर जाते हैं और वह वापिस आकर चुपचाप कुर्सी पर बैठ जाती है | कुछ देर के लिए कमरे का माहौल बिलकुल शांत हो जाता है | सिम्मी बात बढ़ाते हुए फिर से बोली “अच्छा तुम बताओ कि सरप्राइज क्या है | क्या तुम आज उस लड़की से मिलवाने वाले हो” |

“हाँ” |

यह सुनते ही सब फटी आँखों से एकटक गौरव को देखने लगते हैं | गौरव की नज़र जैसे ही रीना पर पड़ती है वह अपनी नज़रें झुका लेती है | गौरव उसे नजरअंदाज कर बोला “वो यहीं है मैं अभी उससे आप सबको मिलवाता हूँ”, कह कर वह कमरे से बाहर निकल जाता है |

गौरव के जाते ही सिम्मी और कुणाल दोनों रीना को प्रश्नभरी निगाहों से देखने लगते हैं | कुछ देर तो रीना नजरें झुका कर बैठी रहती है | फिर हिम्मत कर एक लम्बी साँस लेकर चेहरे पर जबरदस्ती की हँसी लाते हुए बोली “तुम लोग मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो”?

कुणाल अपने पर काबू पाते हुए दबी आवाज से बोला “रीना अब तुम क्या करोगी”?

सिम्मी काँपती आवाज में बोली “हम सब तो यही सोचते थे कि वह तुम्हें पसंद करता है | लेकिन वह तो किसी और.....” |

रीना अभी तक अपने पर पूरी तरह से काबू पा चुकी थी | वह सिम्मी की बात बीच में ही काट कर मुस्कुराते हुए बोली “वो आज भी मुझे ही पसंद करता है | अगर वह प्यार किसी और को करता है तो क्या फर्क पड़ता है” |

कुणाल नाराजगी के स्वर में बोला “तुम पागल हो चुकी हो | तुम उससे प्यार करती हो और वो किसी और को प्यार करता है” |

“कुणाल मैं उससे प्यार करती हूँ | प्यार करने का यह मतलब नहीं है कि मैं अपना प्यार उस पर थोप दूँ | मैंने उससे यह सोच कर प्यार नहीं किया था कि वह भी मुझ से प्यार करे | यह मेरी सोच थी और किसी और से प्यार करना उसकी सोच....” |

“ये क्या बात हुई” |

“यही तो तुम लोगों की बेवकूफी है तुम बदले में दूसरे से प्यार मांगते हो | मैं ये नही मानती हूँ | मेरा मानना है कि प्यार हमेशा एकतरफा होना चाहिए उसमे दूसरे से कोई उम्मीद नहीं होनी चाहिए | हमेशा ऐसा प्यार ही कामयाब होता है” |

सिम्मी गम्भीर भाव से बोली “यार तू अभी भी भाषण दे रही है” |

रीना हँसते हुए बोली “सिम्मी यार मैं आज भी गौरव से प्यार करती हूँ और कल भी करती रहूंगी | मुझे तो ख़ुशी है कि कम से कम आज उसने प्यार को स्वीकार तो किया | उसका दिल किसी पर तो आया | जिस पर भी गौरव का दिल आया होगा जरूर वह मुझसे लाख दर्जे अच्छी और खुश किस्मत हो.......गी”, कहते हुए रीना की आवाज भरभरा जाती है|

सिम्मी और कुणाल, रीना की भरभराई आवाज सुन खड़े हो जाते हैं और रीना के पास आ उसके सिर पर हाथ रख कर सहलाने लगते हैं | कुणाल बहुत मुश्किल से हिम्मत जुटा कर बोला “मैं नहीं जानता था कि तुम इतनी हिम्मती लड़की हो | मैं आदमी हो कर भी इस समय टूट जाता | सचमुच में मुझे तुम पर गर्व है” |

सिम्मी बहुत ही धीमे स्वर में बोली “लेकिन तुम तो कह रहीं थी कि अंकल ने तो तुम्हें संकेत दिया था और तुम लोग कहते हो कि वह जो भी कहते हैं वह ज्यादात्तर सच होता है तो फिर......” |

रीना की आँखों के कोने में आंसू की बूँदें साफ़ दिख रही थीं लेकिन फिर भी वह अपनी भावनाओं पर नियंत्रण पाते हुए मुस्कुरा कर बीच में ही बोली “मुझे अंकल पर पूरा भरोसा है और अपने प्यार पर भी | लेकिन यह भी तो हो सकता है कि मैं ही उनकी बात समझ नहीं पाई.....”, वह अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी कि कमरे का दरवाज़ा खुलने की आवाज सुन चुप कर जाती है | गौरव के साथ अक्षरा कमरे में प्रवेश करती है | अक्षरा के हाथ में गुलाब का फूल देख सबके मुँह से एक साथ निकल जाता है “अक्षरा” |

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “हाँ इसका नाम अक्षरा है” |

कुणाल बोला “तो ये है आज का सरप्राइज”|

अक्षरा बोली “जी नहीं” |

कुणाल हैरान होते हुए बोला “तो फिर”?

गौरव मुस्कुराते हुए अक्षरा से गुलाब का फूल लेते हुए बोला “अक्षरा तो मेरे लिए यह फूल लेकर आई है”|

“एक ही बात है | वो तुम्हारे लिए लाए या तुम उसके लिए......” |

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “भाई दोनों अलग-अलग बाते हैं” |

गौरव की बात को नजर अंदाज़ कर रीना आगे बढ़ कर अक्षरा से हाथ मिलाते हुए बोली “मुबारक हो” |

अक्षरा भी मुस्कुराते हुए बोली “दीदी आपको भी बहुत-बहुत मुबारक हो” |

अक्षरा और रीना की बातों को नजरअंदाज करते हुए कमर पर हाथ रख कर कुणाल, गौरव को देख कर बोला “हाँ भाई तू बता कि दोनों बातें अलग-अलग कैसे हैं” |

गौरव हँसते हुए बोला “ये हुई न अक्ल की बात | आज कई सरप्राइज हैं और पहला है”, कह कर वह अक्षरा से गुलाब का फूल ले कर रीना की ओर मुड़ कर घुटनों के बल बैठ कर बोला “रीना I love you”, कह कर रीना के हाथ में गुलाब का फूल थमा देता है |

रीना जो अभी तक अपने पर काबू किये हुई थी गुलाब पकड़ कर फफक कर रो पड़ती है | सिम्मी और कुणाल यह देख कर हैरान हो चिल्ला पड़ते हैं “रीना ये क्या हो गया”, कुणाल फिर गौरव को हैरानी से देखते हुए बोला “भाई ये क्या बात हुई | रीना तो बोल रही थी कि तुम्हारा अक्षरा से कोई...” |

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “भाई इसने लगता है तुम लोगों को मुंबई वाली अक्षरा की कहानी सुनाई है | अबे यार ये वो अक्षरा नहीं है | ये तो मेरी अम्मी की असिस्टेंट....”, गौरव आगे कुछ और बोल पाता इससे पहले ही कमरे का दरवाज़ा खुलता है और तालियाँ बजाते हुए अक्षित और सोनिया कमरे में अंदर आते हुए एक साथ बोले “रीना बेटा देखा, आखिर तुम्हारी प्यार की रस्सी ने मेरे बेटे के दिल पर निशान डाल ही दिया” | रीना भाग कर सोनिया से लिपट जाती है |

गौरव बनावटी गुस्सा दिखाते हुए अप्पा को देख कर बोला “अप्पा आप गलत साबित हुए, देखो ये तो कुछ बोली ही नहीं है” |

रीना धीरे से झिझकते हुए बोली “I love you too” |

अक्षित रीना के सिर पर प्यार से हाथ रखते हुए बोला “सुन लिया मेरी बेटी ने क्या बोला है” |

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “अब ठीक है | मैं तो घबरा गया था” |

कुणाल खुश होते हुए बोला “भाई ये हुआ दूसरा और आखिरी सरप्राइज या अभी और भी कुछ बाकी है” |

गौरव हँसते हुए बोला “आखिरी और आज का सबसे बड़ा सरप्राइज तो अभी बाकी है” |

रीना समेत सभी एक साथ बोले “और क्या.....”, वह अभी बात पूरी भी नहीं कर पाए थे कि कमरे का दरवाज़ा फिर से खुलता है और रीना के पिता एसीपी रमेश कौल अंदर प्रवेश करते हुए चिल्ला कर बोले “गौरव मैंने अभी सुना जो तुमने बोला | आज बोल दिया अब दुबारा यह नहीं बोलना” |

रीना के पिता की कर्कश आवाज सुन और गुस्से से तमतमाया चेहरा देख सब सकपका कर सुन्न हो खड़े के खड़े रह जाते हैं | रीना के पिता के पीछे से रीना की माँ कमरे में आ कर मुस्कुरा कर बोली “ये ठीक कह रहे हैं गौरव आधी-अधूरी बात मत करो | पूरी बात करो और जल्दी से ये कहो कि ‘RINA I LOVE YOU AND WILL YOU MARRY ME”, कह कर रीना की माँ व पिता हँस देते हैं |

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “आंटी जैसी आपकी इच्छा मैं यह भी बोल देता हूँ ‘RINA WILL YOU MARRY ME’ |

यह सुन रीना भाग कर अपनी माँ के गले लग जाती है और सब एक दूसरे को मुबारकबाद देने लगते हैं | अक्षित सब को इशारा करता है और सब रीना और गौरव को एक दूसरे के सामने खड़ा कर देते हैं | रीना और गौरव की जैसे ही एक दूसरे से नजरें मिलती हैं तो वह सब कुछ भूल जाते हैं | वह बाकी सब लोगों को भूल एक दूसरे को एक टक देखने लगते हैं | उन्हें ऐसा करते देख सब धीरे-धीरे कमरे से बाहर निकलने लगते हैं | आखिर में कुणाल बाहर निकलते हुए धीरे से कमरे का दरवाजा बंद कर देता है |

रीना की आँखों से अविरल आँसू बह रहे थे | रीना को रोता देख गौरव आगे बढ़ कर रीना को सीने से लगा लेता है | रीना प्यार से गौरव की छाती पर मुक्का मारते हुए बोली “ये तुम पहले नहीं बोल सकते थे | इतना ड्रामा करने की क्या जरूरत......”, वह अभी अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी कि कमरे का दरवाज़ा अचानक खुलता है और बाहर से सब एक साथ चिल्लाते हैं “ये क्या ड्रामा हो रहा है” | रीना और गौरव सकपका कर अलग-अलग हो जाते हैं |

दोनों की ऐसी हालत देख सब हँस पड़ते हैं | सब को देख कर गौरव हँसते हुए बोला “इस संसार में सबसे पहले मनु आया था | असल में आया नहीं था | अणु से ही मनु बना था और आज एक बार फिर से प्यार के अणु से मनु का मिलन हो रहा है और क्या हो रहा है” |

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