बात करीबन 7 साल पहले की है
जब मैं पूर्णिया से मोतिहारी पढ़ने के लिए गया था,नई जगह नई लोग नई दोस्त,जब जीवन में नए चीज होने लगती है तो,,और उसमें भी अच्छा,जीवन जीने की उमंगऔर बढ़ जाती है,मोतिहारी स्कूल में मेरी दाखिला हो चुका था,स्कूल से कुछ दूरी पर ही मेरी लाँज था, उस लॉज में , मेरे साथ व अन्य और भी कई दोस्त हैं,खुशी की बात यह थी,जिस लाज में रहा करता था,वह लोग असल में लाँज नहीं था,वहीं पर रह रहे परिवार ने हमें अपने रूम किराए पर दिया था,हमारे लाँज से ठीक सामने एक परिवार रहता था,उस समय मैं दसवीं की छाऋा था,मैं पढ़ने में ठीक-ठाक था मेरी लोगों के सामने इमेज भी शीशे की तरह साफ बिल्कुल दिखती थी,,अगर शीशे पर कुछ पड़ जाए दूर से ही धब्बा नजर आती है ,वैसे ही अगर शीशे साफ हो,तो कुछ भी देखना आसान होता,यह मैं नहीं यह राजू की मम्मी कहा करती थी,
लॉज के सामने ही राजू का घर था,उसके परीबार में दो बहन मां पापा थे,राजू मेरे ही साथ मेरे ही स्कूल में मेरे क्लास में साथ में पढ़ता था,यू हम दोनों अच्छे मित्र बन गए थे,
राजू की मम्मी मेरे व्यवहार के लिए बहुत ही खुश हुआ करती थी,हमेशा राजू को बोला करते थे देखो,राहुल कितना अच्छा है राहुल से कुछ सीखो कितना मन लगाकर पढ़ता है,
एक दिन अचानक जब मैं छत पर बैठकर भी किताबों उलट पलट कर रहा था,देखता की राजू की बड़ी बहन,बैडमिंटन खेलने आई है अपनी छोटी बहन के साथ,मुझे उसकी बड़ी बहन बहुत पसंद थी,जब भी कभी गलियों में यूं खेला करती थी ,
यूं ही देखा करता था,ऐसा नहीं कि मैं मजनू की तरह देखा करता था उधर से भी कुछ रिस्पॉन्स आता था,
लेकिन बात यहां कुछ और था, जब भी उसके घर में राजू की मम्मी के द्वारा या राजू के द्वारा,मेरे बारे में चर्चा हुआ करता,राजू की छोटी बहन बहुत ध्यान से सुना करती थी,वह बहुत ही चाहने लगी थी मुझे,
मेरा ऐसा कोई भावना नहीं था उसके प्रति, मेरे लॉज मे जितने लड़के मेरे साथ रहा करते थे,सब मुझसे इस मामले में जलते थे,उनका कहना था क्या बात है राजू मेरा भी तो दोस्त है लेकिन इतनी,आओ भगत हमें तो नहीं होता,
और तो और,घर में भी बुलाया जाता है,
असल में बात यह था कि राजू की दो बहन थी,
दोनों ही सुंदर,दोनों ही सुशील,
मैं ठहरा शामला ना कोई रूप ना कोई रंग,
मेरे सारे दोस्त ऐसा कहा करते थे,क्या बात है इस रोहन में, राजू के सारे परिवार वाले इस पर मरते हैं,देखने में ना सुंदर ,ना कोई बॉडी ,
मेरी नजरें राजू की बड़ी बहन पर रहता था,
यह सिलसिला करीबन चार-पांच दिन तक लगातार चलता रहा,अचानक से मेरी नजर उसके छोटी बहन पर पड़ा एका एक, देखकर काफी मैं असतबध रह गया,मैं कुछ भी करूं कहीं जाऊं,या छत पर यूं ही टहलूं,
मुझे देखा करती थी,
जैसे किसी इंतजार में हो किसी को बरसों से नहीं देखा , अब सामने मिल गया हो तो उसे देखते ही रहे, कुछ इसी प्रकार मुझे देखा करती थी घनटो , मैं बहुत असमंजस में पड़ गया यह क्या हो रहा है भगवान फिर मैंने सोचा नहीं नहीं ऐसे ही देखा करती होगी ऐसी कोई बात नहीं उसकी ऐसी कोई भावना नहीं होगी
,जब वह मुझे देखा करती थी तो यूं ही झटक लिया करते थे मुह फेर लिया करता था, सोचता यूं ही देखती होगी,ऐ सीलसीला 1 हफते तक चला,
मुझे याद है, जब स्कूल में दिवाली की छुट्टीया पडा इसी कारण में अपने गांव लौट वापस आया , 2 दिन के बाद राजू का कॉल आया,जब भि फोन उठाता तो, कुछ सेकंड के अंतराल पर फोन अपने आप कट हो जाते,यह सिलसिला एक दो बार नहीं,कई बार हुआ, आखिर हो क्या रहा है,
कुछ सेकंड बाद फिर से कॉल आई,
मैंने झट से फोन उठाया बोला कौन राजू ,भाई तू इतना बार फोन किया तो कुछ बोला भी तो कर इतनी बार कॉल करता फिर अपने आप यूं ही कट कर देता है बात क्या है आखिर सब ठीक तो है?
इतना कहते ही, उधर से धीमी स्वर में आवाज आई, हाय ,मैं राजू की छोटी बहन बोल रही हूं plz गलत मत समझना लेकिन मैंने आपसे बात करना चाहती हू,
मैं कुछ बोलना चाहा की उधर से ,वह मेरे बात को काटते हुए बोली,प्लीज़ गलत मुझे मत समझना प्लीज आप मुझसे बात करो मैं आपसे बात करना चाहती हूं,पहले तो मुझे कुछ समझ में नहीं आया और जो समझ में आया तो मैंने दिमाग बिल्कुल सुन रह गए,
मैंने बोला उससे हां बताओ क्या बात है,
आपको मजाक लग रही है सच्ची में मैं आपसे बात करना चाहती हूं,आप हां या ना में जवाब दें,अगर आप मुझसे बात नहीं करोगे ना तो मैं अपनी जान दे दूंगी फिर मुझसे बात करो ना,मैं आपको बेइंतहा प्यार करती हूं आपको नहीं पता, यह सुनते ही मेरे सर चकरा गए,मोतिहारी की सारी दृश्य एका एक मेरे सामने आने लगे,अब मैं समझा कि मुझे देखा क्यों करती थी , नहीं यह नहीं हो सकता मैं राजू को धोखा नहीं दे सकता,
वह मेरा दोस्त है और उसकी उसी की बहन के साथ नहीं नहीं ,मैं कुछ बोलना चाहा की तुरंत बीच में वह बोल पड़ी,देखो मैं सच्ची सच्ची बोल रही हु अगर आप मुझसे बात नहीं करोगे मैं जान दे दूंगी अपनी,
कुछ पल के लिए मैं सहम सा गया,मेरे मन में एक यूकती आया,फिलहाल इसको हा में जवाब दे देता हूं और बाद में जब मोतिहारी पहुंच जाऊंगा तो अच्छे से इसको समझा दूंगा ,कम से कम मरने का ख्याल तो नहीं आएगी इसके मन में,और बोला, देखो ठीक है,,,मैं तुमसे बात करूंगा लेकिन मोतिहारी आने के बाद अभी नही,वह भी as friend ,झट से बीच में बोल पड़ी ठीक है आप जैसे बोलेगे मैं वैसा ही करूंगी लेकिन आप बात तो करेंगे ना?,
हां मैं करूंगा बात ,आखिरकार दिवाली की छुट्टियां खत्म हुई और फिर से मुझे मोतिहारी जाना पड़ा,
एक पल के लिए सोचा कि राजू को सब बता दु, मैने देखा कि यह तो मेरे लिए पागल हो रखी है अगर ऐसा कुछ कदम उठाया तो पता नहीं क्या कर बैठेगी, नहीं नहीं यह रिस्क मैं नहीं ले सकता, धीरे धीरे धीरे धीरे बातें होती चली गई और दिन बढ़ते चले गऐ , अब तो मुझे राजू और राजू की मम्मी से आंखें मिलाने में भी शर्म आती थी,ऐसा लगता था जैसे मानो मैंने कुछ बहुत गलत काम किया हो, मेरी लाँज की खिड़की,उसके बरामदे की खिड़की से बिल्कुल मिलती थी,कोई घर में ना हो तो हम दोनों घंटों यूं ही बातें किया करते थे,यह सिलसिला 6 महीने तक लगातार चलता रहा!
यूं ही हम घंटों बातें कर रहे थे,तभी मैंने राजू को गलियों से गुजरता हुआ देखा, शायद उसने हमारे बीच की वार्तालाप सुन चुका है,राजू उस समय ट्यूशन से घर आ रहा था, मेरा अशंका बिल्कुल सही निकला,
राजू ने अपनी छोटी बहन को बहुत ही बेरहमी से मारा,
शायद उसकी मम्मी पापा ने भी,
राजू और राजू की मां की नजरिया मेरे प्रति,बिल्कुल बदल चुके थे, हमारे बीच कुछ दिन बातचीत बंद हो चुकी थी
बिल्कुल घबराया हुआ था क्या हुआ उसके साथ वह ठीक तो है ना,
मैं अपनी जान जोखिम में डालकर उसके घर में ताक झाक किया करता था,उसको देखने के लिए,
मेरे कारण यातायात ही,वह घर में मार खाया करती थी,हालांकि मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता !
राजू और मेरे दोस्ती बिल्कुल वैसे ही थे जैसे पहले थे,
राजू ने एक दिन अचानक से मुझे बोला,रोहित कमरा क्यों नहीं बदल देते,राजू आखिरकार कहना क्या चाहता है वह मुझे समझ में आ गया!
मैंने भी बोला, हां भाई कमरा देख तो रहा हूं लेकिन मिल नहीं रहा है ,जैसे ही मिल जाए मैं चला जाऊंगा, राजू को लगता था ,इन सब में मेरी कोई गलती नहीं थी,सारे दोस्उ सकी बहन की है, मैंने पहले भी कई बार चर्चा कर चुका हूं,राजू के घर में कुछ भी बातें हो अगर ध्यान से सुना जाए तो सारे बातें सुनाई पड़ता था, मेरी और राजू के बीच जो कुछ भी बात हुआ सब कुछ सुन चुकी थी,
हमारे बीच एक सिगरेट प्लेस हुआ करता था,जब भी हम दोनों को कुछ कहना चाहते,कागजों में लिख कर वया करते थे,और उस कागज को उसी सिगरेट जगह पे रखा करते थे ,
अगले दिन मुझे भी वहां एक चिट्ठी मिला,पढ़कर मैं अचंभित हो गया,चिट्ठी रक्त से लिखा हुआ था,यह किसी और का नहीं उसी की थी, आप मुझसे बात मत करो चलेगा लेकिन आप यहां से नहीं जाओगे,अगर आप गऐ तो आप मेरी मरे हुए मुंह देखोगे,, मैंने भी हां में जवाब दिया ठीक है ,अगले ही दिन मैंने राजू के सर पर हाथ रखकर कसम खाया,
भाई मेरे दोस्त तुम उसे कुछ मत करना,
मैं वादा करता हूं मैं कभी भी बात नहीं करूंगा,, ,
हमारे बीच की बातें कुछ दिन थम सी गए, कभी कभार छत पर गलियों में यूं ही सिर्फ देखा करते थे,जो भी बातें होती थी हमारे बीच,वह सिर्फ बातें ,आंखों ही आंखों से हालचाल लिया जाता था ,यह सिलसिला करीब 15 दिन तक चला,
छत पर बैठकर यूं ही किताबों के पन्ने को उलट पलट कर रहा थे! तभी देखा कि वह आई और अपने हाथों से एक पूरजे निकाल कर मेरे हाथों में थमा कर झट से चली गई,
उसमें लिखा हुआ था मुझे नहीं पता मुझे बात करनी है ,मुझसे बात किए हुए नहीं रहा जाता आपसे चाहे कुछ भी हो जाए चाहे मेरी जान ही क्यों न ले कोइ ,फिर भी मुझे बात करनी है आपसे, अब हालात काफी बदल चुके थे, राजू के घर में आना-जाना कभी कबार हो जाया करता था, पुन: हमारी बातें शुरू हो गई,
उसकी किसी मामा या फुआ की रिश्तेदारो में शादी था,जिसके कारण शादी में उसे जाना पड़ा ! जब शादी से लौट कर घर आई वह बात करना ही बंद कर दी ,मैं बहुत आश्चर्य मे था आखिर बात क्या है वह मुझसे बात क्यों नहीं कर रही है?
पता चला कि उसके घर वाले ने बहुत पीटा मेरे वजह से,अंदर से टूट चुकी थी वह , उसकी मम्मी ने उससे कसम ली थी तुम बात नहीं करोगी अब उससे कोई नाता नहीं रखोगे उससे,
राजू की मम्मी ने मुझे भी बहुत समझाया,बेटा तुम अभी बहुत छोटे हो तुम दोनों ,यह उमर पठने व खाने की होती है,
यह सब चीज करने की नहीं,मेरी तो बेटी जीदी है ,
आखिर तुम ही मान जाओ,तुम बड़े होते तो शादी शायद करवा देते और हमारी जाति भी तो अलग है ना, हम चाह कर भी यह अधर्म नहीं कर सकते,
हैरत की बात है ना,कुछ समय पहले यही रोहन हर तरह से बहुत ही अच्छा हुआ करता था सबके नजरों में,राजू की मम्मी मेरी गुणगान करती हुई नहीं थकती थी,यहां तक कि अपने बेटे को समझाने के लिए ,मेरा उदाहरण दिया करती थी,
यह पहले उनके घर में आ जाए करता था और बहुत ही प्यार से अपने हाथों से खिलाती थी,अपने बेटे से भी ज्यादा मान किया करती थी,यहां तक कि जब मोतीहार ,आया पढ़ने के लिए तब से मुझे अपनी मेरी मा की ख्याल तक नही आया इतना प्यार करती थी!
अगर शादी की बात आई तो जात पात बात हॊती है, मुझे इस समाज का,एक बात आज तक अभी भी समझ में नहीं आया,
अलग जात के लोगों को आप अपने घर में खा रहे हो उसके साथ घूम रहे हो, कहीं जा रहे हो,तो आपको कोई दिक्कत नहीं है!
जैसे ही कहीं शादी की बात हो गई, जात पात कहां से आ जाती है बीच में,जब मैं राजू के घर जाया करता था खाना भी खाता था उसी के साथ उसी की प्लेट में,,तब तो कोई जात पात की बात नहीं आई,तब तो कुछ छुआछूत नहीं हुआ,तब तो किसी का धर्म अधर्म में नहीं बदला,,
मैंने कई बार उससे बात करने की कोशिश की,लेकिन वह छटक कर निकल जाती थी ,वही लड़की जो मुझसे बात करने के लिए मरा करती थी,कहा करती थी अगर आप मुझसे बात नहीं करोगे तो फिर मैं इस दुनिया में रहने के काबिल नहीं हूं इत्यादि इत्यादि, हर दिन मैं उससे प्रयास करता,पूछने की, बता भी दो आखिर बात क्या है?
वे बिना कुछ बोले,मुझे अनदेखा करके यूं ही चली जाती,
जब वह ट्यूशन से पढ़ कर घर की तरफ जा ही रही थी कि मैंने झट से बिना बोले उसके हाथ अपने हाथों में कसकर थाम रखा,
मैंने पूछा उससे, आखिर बात क्या है ? तुम बात क्यों नहीं बताती ? एक पल के लिए रुक तो जाओ, उसने सारे वृत्तांत कह डाली, आश्चर्य की बात यह था, जहां उसका हाथ मैं अपने हाथों में थाम कर खड़ा था, ठीक उसके सामने,उसके मुंह बोली बुआ रहती थी, और यह दृश्य देखकर उसने झट से उसके मम्मी को फोन लगा दिया और सारी वृत्तांत कह डाला!
जैसे ही वह घर पहुंची,उसकी मम्मी ने पूछा क्यों रे वह रोहन था ना?, हा में सर हिलाई, फिर क्या था उसके पूरे परिवार में जिसके जो हाथ में आए उसे पकड़कर को बुरी तरह से पीटा,मैं उससे बात करने के बाद डायरेक्ट क्रिकेट खेलने चला गया था,
जैसे वापस आया तो मेरे ही लॉज के एक दोस्त ने कॉल किया, हेलो रोहन कहां है तू ?
क्यों क्या हुआ मैंने बोला!,
भाई तू आज इधर मत आना बहुत बुरी वाली पंगा हो गई है भाई सच्ची में मत आना मजाक नहीं कर रहा हु , उसने मुझे सारी बात बताया, हालांकि मुझे यह सब सुनने के बाद और भी ज्यादा गुस्सा हो गया, फॉरेन उसकी मम्मी को कॉल लगाया आंटी जी मैं आपको बहुत पसंद करता हु ,लेकिन अगर,कुछ भी हुआ ना तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!
मेरे लॉज के सामने मंजू आंटी रहती थी,वह भी राजू की मम्मी की तरह मुझे बहुत प्यार करती थी और उनका बेटा मेरे काफी अच्छे दोस्त बन गया था ,राहुल ने अपने प्रिय दोस्तों को इकट्ठा करके मेरे साथ हो लिया,मेरे अंदर और जोश आ गया लड़ने की, मंजू आंटी ने मुझे रोक लिया
बेटा मत जा उधर बहुत ही दिक्कत हो गी, मुझे जरा भी रिस्पेक्ट करता है ,ना तो बात मेरी मान! लेकिन आंटी उसको नहीं छोड़ेंगे,क्या उसको रट लगा रखा है,कुछ नहीं होगा उसे मैं समझा लूंगा जाकर मैं बताऊंगी सबकुछ,
जब महौल शांत पड़ जाएंगे तो खुद आकर बात कर लेना,
कुछ दिन के लिए जा अभी तू यहां मत आना,समझे मेरी बात!
मुझे 12वीं की परीक्षा की घड़ी नजदीक आती जा रही थी, अगले ही दिन मेैं स्टेशन कि तरफ बढ़ा!
तभी अचानक से मंजू आंटी की कौल आई,
हेलो बेटा
रोहन सॉरी तुझे परेशान किया,
तुम्हारा फोन में रिया की फोटो थी ना, लड़कों को दिखाने के लिए खिचाया था ,याद है?
जी आंटी जी याद है,बेटा बहुत जरूरी काम आ गया है ,जब घर जाओगे तो देख कर जाना बेटा!,मैं तुरंत आंटी के घर गया स्टेशन से ,आंटी को हाथों में अपनी फोन की मेमोरी थमा कर चलता बना,
तभी अचानक
ओ नो ऐ क्या हो गया, उस मेमोरी में तो मेरी और उसकी फोटो थी अनगिनत, कही आंटी देख तो नहीं लिया, हाए तो क्या बोलूंगी क्या समझेंगे मेरे बारे में, फिर क्या था आंटी राजू के घर गई और बोली कि रोहन बोल रहा है,अगर उसको कुछ किया तो सारी फोटोस और वीडियो बायरल कर देगा,
यह बात राजू के घर ऊससे पूछा गया, सच-सच बताओ छोकरी सही बोल रहा है,उसकी जवाब हां में थी,
फिर क्या था,
कितनी बार समझाया इस लड़की को पर मानती ही नहीं,
देखा तुम्हारे सारे फोटो वीडियोस वायरल करने को बोल रहा है,
यही प्यार करता था तुमसे,
मैंने तो कहीं नहीं सुना जिसको प्यार करता हूं को पूरी दुनिया में उछलते हैं,
यह बात उसके मन में घर कर गई,
उसके मम्मी ने मुझे कॉल किया,बेटा देख मेरी बात मान अच्छे से समझ तू फोटो वीडियोस मत वायरल करना, मंजू आंटी
बता रही थी' कि तू यह सब बोल रहा है,
मैंने सोचा, मैंने कब कहा वीडियो वायरल करने के लिए ,फिर सोचा अगर सच बता दु तो मंजू आंटी बुरा मान जाएगी, और वह मेरी दुश्मन बन जाएंगी,
हेलो रोहन कुछ तो बोल,
नहीं आंटी गुस्से में बोल रहा था लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा,
अब हमारे बीच बातें नहीं होती, हालांकि मैंने कई बार उसको समझाने रोकने,और अपनी बातें बताने को चाहा,लेकिन उसने एक न मानी,
जब भी उसे रोकना चाहा और कई बार रोका भी,लेकिन वह मुझे देखकर ही रोने लगती और हाथ छुड़ाकर चली जाती,
ऐसे हालात में मैं कर भी क्या सकता था!
मुझे बस आज तक मेरे दिल में एक पश्चताप है,
मैं गलत नहीं था और ना ही मैंने ऐसा कोई काम किया था,वह अपने घर वाले के बहकावे और बातों में आकर मुझे गलत समझ बैठी,
मैंने कभी भी ऐसा कोई विकृत बातें नहीं सोचा ,
बस मैं खुद को यही समझाता हूं कि,शायद वह मुझे माफ कर दे जो मैंने कुछ ऐसा किया ही नहीं है, , सोच भी कैसे सकता था,अपने फोटो वायरल करेंगे,
वह किसी घर की लक्ष्मी है लक्ष्मी के साथ वह एक लड़की है,
बस इसी गिल्ट में मैं आज तक जीता आ रहा हूं,
कि काश वो मुझे माफ कर दे जो मैंने ऐसा कुछ किया ही नहीं!
माया