अणु और मनु - भाग-18 Anil Sainger द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अणु और मनु - भाग-18

रीना स्कूटी खड़ी कर कॉफ़ी शॉप के अंदर आकर चारों तरफ़ देखती है | कुणाल उसे कहीं नहीं दिखता है तो कोने में खाली पड़ी टेबल के पास कुर्सी पर बैठ जाती है | वह अभी बैठती ही है कि आर्डर लेने के लिए एक सुंदर-सी लड़की आ जाती है | वह बहुत सलीके से बोली “गुड इवनिंग मैडम, आप क्या लेना पसंद करेंगी” | रीना उसे देख मुस्कुरा कर बोली “गुड इवनिंग | मैं अपने दोस्त का इन्तेजार कर रही हूँ | वह जैसे ही आएगा तो हम आर्डर कर देंगे | थैंक्स” | यह सुन कर वह लड़की सिर झुका कर बोली “थैंक यू”|

ये कुणाल भी कभी सुधरेगा नहीं | इसकी शुरू से आदत है टाइम देकर कभी भी टाइम से पहले या टाइम पर नहीं आता | हमेशा लेट ही आता है | अब ऑफिसर बनेगा तो पता चलेगा | पता नहीं प्राइवेट कंपनी में कैसे इतना टाइम नौकरी कर ली | वहाँ भी टाइम पर जाता था कि नहीं | अब जब बैंक वाले दिल्ली से बाहर भेजेंगे और अकेला रहना पड़ेगा तो पता नहीं क्या करेगा | अभी आएगा तो छत्तीस बहाने बनाएगा | अभी अगर दस-पन्द्रह मिन्ट और नहीं आया तो मैं चली......’,रीना बैठे हुए सोच ही रही थी कि कुणाल की आवाज सुन सोच से बाहर आते हुए बोली “ये टाइम है आने का” |

“अरे यार बस क्या बताऊँ मैं घर से निकलने.....”, कुणाल की बात को बीच में ही काटते हुए रीना बोली “अच्छा अब सफाई देने की जरूरत नहीं है | मैं पिछले चार साल से तुझे जानती हूँ | आज तक कभी कहीं भी टाइम पर पहुँचा है | ये बोलते ही तेरे बहाने शुरू हो जाते हैं” |

कुणाल हँसते हुए बोला “अच्छा बाबा गलती हो गई | सॉरी”, कह कर कान पकड़ लेता है |

रीना मुस्कुराते हुए बोली “कमाल है तूने तो बहस करने की बजाय हथियार ही डाल दिए | अच्छा है बेटा अब तू आशिकी में जरूर तरक्की करेगा” |

कुणाल लम्बी साँस लेते हुए बोला “शुक्र है तुम्हें कुछ तो मुझ में अच्छा दिखा”, कुणाल इससे आगे कुछ बोल पाता वह लड़की आर्डर लेने के लिए फिर से आ जाती है | कुणाल कुछ बोलता इससे पहले ही रीना उसे दो कोल्ड कॉफ़ी का आर्डर दे देती है | वह आर्डर लेने के बाद थैंक यू कर चली जाती है | कुणाल उस लड़की को जाते देख बोला “यार क्या लड़की है” |

रीना कुणाल को घूरते हुए बोली “कुछ तो शर्म कर किसी को तो छोड़ दिया करो | सब मर्द एक से ही होते हैं | लड़की देखते ही जुबान बाहर आ जाती है” |

“मर्द हूँ | मर्द की जात ऐसी ही होती है | आज मैं तुझे वो बताता हूँ जो मैंने आज तक नहीं बताया | मेरा सबसे पहले दिल तुझ पर ही आया था | देख ले अगर कोई चांस है तो मैं आज भी तैयार हूँ” |

रीना कुणाल को घूरते हुए बोली “अबे कुत्ते तू तो कुत्ते को भी बदनाम कर रहा है वो भी पेट भरा होने पर इधर-उधर मुँह नहीं मारता है” |

कुणाल मुस्कुराते हुए बोला “मैडम मैं कुत्ते जैसा इंसान हूँ | भरे पेट ज्यादा मुँह मारने की कोशिश करता हूँ | अब बोल क्या बोलती है | मुँह मारने देगी कि नहीं” |

रीना बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली “पिछवाड़े पर ऐसी लात मारूंगी कि न मुँह रहेगा न लार टपकेगी” |

कुणाल मुस्कुराते हुए बोला “अबे यार गुस्सा क्यों होती हो | जो मेरे दिल में था तुझे बता दिया | और मैंने बोला भी इसलिए कि अभी भी मौका है तू सोच ले | जिस पर तेरा दिल आया है | वह मर्द नहीं साधू है | शादी के बाद तू बहुत पछताने वाली है | वो साधू कुछ नहीं करने वाला” |

रीना मुस्कुराते हुए बोली “सच बोल तू झूठ तो नहीं बोल रहा है” |

“हाँ ! हाँ सच बोल रहा हूँ” |

“चल, आज मैं भी तुझे सच बताती हूँ | सबसे पहले मेरा भी दिल तुझ पर ही आया था लेकिन तेरी आदतें देख कर मैं पीछे हट गई | जहाँ तक गौरव की बात है तो मुझे भी लगता है कि तू जो कह रहा है शायद वह सच हो लेकिन अब क्या हो सकता है | अब तो तेरा भी दिल किसी ओर पर आ गया है | अब तो मेरे लिए कुछ बचा ही नहीं है” |

“सही बोल मज़ाक तो नहीं कर रही है” |

“कमीने मज़ाक तो तूने ही शुरू किया था” |

कुणाल मुस्कुराते हुए बोला “आज बहुत दिन बाद ऐसे बात करते हुए अच्छा लग रहा है | साला ऑफिस और ऑफिस के दोस्त सब पकाऊ होते हैं | एक उस दिन मजा आया था जब हम सिम्मी के भाई की शादी में गये थे और एक आज तुम से ऐसे मज़ाक कर कॉलेज के दिन याद आ गए | वो भी यार क्या दिन थे” |

रीना भी यादों में खोती हुई बोली “वो यादगार दिन इसलिए थे कि हम सब दोस्त एक ही स्वाभाव के थे | दोस्ती भी उनके साथ अच्छी निभती है जहाँ विचार मिलते हों” |

“तुम लोगों से अलग हो कर मुझे पहली बार एक और अच्छा दोस्त तान्या के रूप में मिला | उससे मिल कर पहली बार मैं जिन्दगी को समझने लगा हूँ | अभी तक मैं भटक रहा था | लड़कियों के पीछे | आनन्द के पीछे | असली आनन्द प्यार में है | सच्चे प्यार में जो मुझे सिर्फ और सिर्फ तान्या ने सिखाया है” |

“अच्छा | बहुत अच्छा | कमाल है उसने ऐसा क्या जादू कर दिया कि मौज-मस्ती और जिन्दगी को मजाक समझने वाला हमारा दोस्त ही छीन लिया | इससे तो लगता है वो बहुत ही अच्छी और सही पसंद है तुम्हारे लिए” |

“हाँ ये बात तो है” |

“अच्छा अब काम की बात कर | मुझे किस लिए बुलाया है” |

“वो तो मैं अभी कर ही लूँगा लेकिन पहले एक बात बताओ कि तुम्हारी और गौरव की दोस्ती आगे बढ़ी या वहीं की वहीं अटकी खड़ी है जहाँ पहले थी” |

“मेरा और गौरव का कुछ नहीं चल रहा है | हाँ बस दोस्ती है | एक दोस्त की तरह मिलते रहते हैं” |

“दोस्ती से आगे कुछ ......”, कुणाल आगे कुछ बोल पाता इससे पहले ही कॉफ़ी लेकर वह लड़की आ जाती है | कोल्ड कॉफ़ी के दो गिलास रख कर वह बोली “सर कुछ और चाहिए” | कुणाल नहीं में सिर हिला देता है | वह ‘थैंक यू”, कह कर चली जाती है | उसके जाते ही कुणाल थोड़ी तेज आवाज में बोला “सिर्फ दोस्ती” |

“हाँ सिर्फ दोस्ती | वह इससे आगे न बोलने देता है और न खुद कुछ बोलता है” |

“रीना आखिर ये कब तक चलेगा” |

“मुझे उस पर भरोसा है | हम दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं | वह भी जानता है और मैं भी | बस उस समय का इन्तजार है जब वह खुद इस बात को समझेगा और बोलेगा”|

“अगर उसने नहीं बोला तो..” |

“मैं उसका जिन्दगी भर इन्तजार करुँगी” |

“कहीं उसका चक्कर किसी और से तो नहीं चल रहा है” |

“नहीं चल रहा है और न चल सकता है” |

“तुम इतने विश्वास से कैसे कह सकती हो” |

“क्योंकि उसके पापा ने ही मुझे यह कहा है कि तुम दोनों एक दूसरे के लिए बने हो | उन्होंने ने ही कहा था कि बेटा तुम उसका इन्तजार जरूर करना | एक दिन वह खुद तुम्हारे पास आएगा | इससे पहले वह कुछ और बोल पाते गौरव आ गया था” |

“गौरव के पापा ने यदि यह कहा है तो फिर कोई घबराने की बात नहीं है | समझो कि गौरव तुम्हारा है और तुम्हारा ही रहेगा”, कह कर कुणाल हँस देता है | रीना उसकी बात सुन न चाहते हुए भी मुस्कुरा देती है | कुणाल कॉफ़ी का एक गिलास रीना की ओर बढ़ा देता है | दोनों चुपचाप कॉफ़ी पीने लगते हैं | कॉफ़ी पीते हुए रीना बोली “अब बोल क्या बात करनी है” |

कुणाल कॉफ़ी का गिलास रखते हुए बोला “वो यार मैं पिछले पंद्रह-बीस दिन से गौरव को फ़ोन कर रहा हूँ | वह कभी उठाता है तो कभी नहीं | जब बात होती है तो कहता है कि बस मैं फ्री होते ही तुझ से बात करता हूँ | आज तक तो उसका फ़ोन आया नहीं | क्या बात है | वो कहाँ बिजी है | सोचा तुम से ही बात कर लेता हूँ | बस इसलिए ही तुम्हें यहाँ बुलाया है” |

“वो जरूर किसी काम में बीजी होगा इसीलिए ऐसा कर रहा होगा” |

“ऐसा क्या काम कर रहा होगा”, रीना इससे आगे कुछ बोल पाती कि कुणाल का फ़ोन बज उठा | गौरव का नाम देख कुणाल जल्दी से फ़ोन उठा कर बोला “हेलो, हाँ भाई बोल” | दूसरी तरफ से गौरव बोला “भाई तू अगले एक घंटे तक मेरे घर आ सकता है | तुम्हें एक दोस्त से मिलवाना है” |

“किस से” ?

“वो तो जब आएगा तभी बताऊंगा | ठीक है | अभी मुझे यह खबर रीना को भी देनी है” |

“वो मेरे ही साथ है” |

“अच्छा जी | ये चमत्कार कैसे हुआ” |

“मैंने ही उसे बुलाया था | साले तू तो फ़ोन उठा ही नहीं रहा था तो मैंने सोचा कि उसी से बात कर लूँ” |

“ठीक है साले | मैं जानता हूँ तू कोई मौका नहीं छोड़ता | खैर कोई बात नहीं तूने उससे बात की या मुझ से, एक ही बात है | लेकिन मेरी बात का ध्यान रखना | एक घंटे का मतलब एक घंटा | ठीक है | अब मैं फ़ोन रखता हूँ”, कह कर गौरव फ़ोन रख देता है | फ़ोन बंद करने के बाद भी कुणाल फ़ोन पकड़े-पकड़े सोचता कि आखिर गौरव किस की बात कर रहा है |

कुणाल को देख रीना बोली “क्या हुआ | क्या गौरव का फ़ोन था” |

“हाँ उसी का था वह कह रहा था कि एक घंटे में मेरे घर पहुँचो मैंने तुम्हें एक दोस्त से मिलवाना है” |

“तो इसमें इतनी सोचने वाली क्या बात है” |

“कुछ नहीं | मैं तो ये सोच रहा था कि वो कौन है जिससे वो मिलवाना चाहता है”|

“वो तो वहीं पता चलेगा | उसके दिलो-दिमाग में बहुत से राज रहते हैं | हम में से कोई नहीं समझ सकता | वहीं जा कर ही समझ आएगा | तुम छोड़ो इस बात को | तुम अपनी बात करो | तुम तान्या के बारे में क्या सलाह लेना चाहते थे”|

कुणाल रीना की बात सुना-अनसुना करते हुए बोला “तुम ऐसे कैसे रह लेती हो उसके साथ | वह कभी भी पूरी बात नहीं करता | उसकी हर बात एक राज की तरह होती है”|

“तुम उसे गलत समझ रहे हो | वह हर बात पूरी करता है वह कभी भी कोई बात किसी से नहीं छुपाता है | वह वही बात छुपाता या अधूरी करता है जो बताना वह ठीक नहीं समझता है | उसकी समझ और सोच हम सब से कहीं अच्छी और ऊँची है” |

“यार तुम तो उसकी अंध भक्त हो” |

“इसमें अंधों वाली क्या बात है | जिस पर तुम्हें विश्वास है तो है” |

“काश की सारे तुम्हारे जैसे हो पाते | अगर वो साला ये बता देता कि वह किस से मिलवा रहा है तो ज्यादा अच्छा नहीं होता | इसमें छुपाने वाली क्या बात है” |

“मिलने का मजा खराब हो जाता | बस इतनी-सी बात होगी उसके दिमाग में और कुछ नहीं” |

“तुम्हें तो पता होगा कि वो किस से मिलवाने वाला है” |

“हाँ भी और नहीं भी” |

“कौन है वो | बताओ न प्लीज्” |

रीना हँसते हुए बोली “अभी एक घंटे में पता चल जाएगा | तुम अभी अपनी बात करो | क्यों समय खराब कर रहे हो” |

कुणाल सिर खुजाते हुए बोला “चलो मारो गोली उसकी बात को | रीना मैं तान्या से प्यार करने लगा हूँ लेकिन आने वाले समय में हम दोनों की दूरी बढ़ जाएगी बस यही सोच-सोच कर मैं हर समय स्ट्रेस में रहता हूँ” |

“ऐसे प्यार करने का क्या फायदा जो तुम्हें स्ट्रेस दे” |

“नहीं यार ये बात नहीं है | बस मुझे भविष्य में उससे होने वाली दूरी सता रही है | मुझे मेरे घर और समाज से होने वाले विरोध की कोई चिंता नहीं है” |

“कमाल है तुम्हें अपने परिवार और समाज की कोई परवाह नहीं है | खैर उसकी क्या राय है | वह क्या कहती या सोचती है” |

कुणाल गंभीर भाव से बोला “एक दिन जब मैं उसके घर नॉएडा गया तो बातों ही बातों में उसने बोला ‘मुझे भी आप पसंद हो | आप बाकी सब लोगों से अलग हो इसमें कोई शक नहीं | आपने अभी तक कभी भी मेरी मजबूरी या अकेलेपन का फायदा नहीं उठाया | आज के जमाने में ऐसे दोस्त मिलते कहाँ है | कौन आप जैसे दोस्त को छोड़ना चाहेगा | लेकिन फिर भी मैंने आज तक जो कुछ भी अपने परिवार और अपने अतीत के बारे में बताया है वह सब हमारे आने वाले कल पर हावी हो सकता है | इसलिए जो भी फैसला लो बहुत सोच-समझ कर लो | अब हम उम्र के उस मोड़ पर हैं जहाँ लड़कपन नहीं चलता’ | इसके बाद मैंने उसे काफी समझाने की कोशिश की लेकिन वह इसी बात पर अटक गई कि कुछ समय लो और सब कुछ सोचो-समझो फिर बात करना’, कह कर वह आगे कुछ भी नहीं बोली और हार कर मुझे घर वापिस आना पड़ा | बस उसी दिन से मैं गौरव से मिलना चाह रहा था कि अब मुझे क्या करना चाहिए” |

“गौरव से मिल कर तुम आखिर क्या पूछना चाहते थे | इसमें वह क्या बताएगा | सोचना और फैसला तो तुम्हें करना है कि आगे बढ़ना है या नहीं” |

कुणाल गुस्से में बोला “कमाल करती हो | दोस्त होते किस लिए हैं | मैं मझधार में फंस गया हूँ तो तुम लोग निकालोगे नहीं | बाहर खड़े बस तमाशा देखते रहोगे” |

रीना कुणाल की हालत देख कर मुस्कुराते हुए बोली “ठीक है मैं गौरव के हिसाब से तुम से बात करती हूँ | ये बताओ कि तुमने यह सब सुन कर अभी तक क्या सोचा” |

“सोच ही तो नहीं पा रहा हूँ | मेरी आज कल ट्रेनिंग चल रही है | रात को आठ बजे तक घर पहुँचता हूँ | उस पर सारी-सारी रात नींद नहीं आती” |

“ये तो मेरी बात का जवाब नहीं हुआ” |

“तुम समझ नहीं रही हो | उसने जो बोला उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता | मैं तो इस समय यह सोच कर परेशान हूँ कि अभी हम दोनों की कुछ बात बढ़ी ही थी कि उसने अपना हाल सुना दिया और ऊपर से मेरी बैंक में जॉब लग गई | और दो महीने की ट्रेनिंग के बाद मेरी पोस्टिंग दिल्ली से दूर किसी गाँव में हो जाएगी तो फिर क्या होगा” |

“मतलब जो दो महीने के बाद होने वाला है उससे ज्यादा परेशान हो और जो फैसला अभी लेना है उससे तुम परेशान नहीं हो” |

“वो भी है | पापा-मम्मी तो मानने वाले हैं नहीं | समाज की ऐसी की तैसी | मुझे जो करना है वो तो मैं करके रहूँगा” |

“जब तुम सब कुछ सोच समझ चुके हो तो फिर हम से क्या सुनना चाहते हो” |

“यही कि क्या मैं सब ठीक कर रहा हूँ या सोच रहा हूँ” |

“तुम पागल हो क्या | अभी कह रहे हो कि सब की ऐसी की तैसी | मुझे जो करना है वो करना है | फिर कह रहे हो कि क्या मैं ठीक कर रहा हूँ | तुम चाहते क्या हो” |

कुणाल खीजते हुए जोर से बोला “मैं पागल ही हो चुका हूँ | मुझे आज तक ऐसी सुलझी हुई लड़की कभी नहीं मिली | वह देखने में भी सुंदर है | उसके पास गौरव की तरह हर समस्या का हल है | वह कभी भी स्ट्रेस नहीं लेती | वह वह....” |

रीना बीच में ही बोली “तुम उसके बारे में जो भी बातें बता रहे हो वो प्यार नहीं उसके प्रति आकर्षण बोल रहा है | जब यह भूत उतरेगा तब यही सब बुरा लगने लगेगा”|

कुणाल गम्भीर भाव से कुछ सोचते हुए बोला “मैं उसे छोड़ना नहीं चाहता हूँ”|

“ठीक है मैं तुम्हें कोई भी सुझाव देने से पहले एक आखिरी सवाल पूछना चाहती हूँ कि उसने जब से तुम्हें यह सब बताया है | तब से तुमने उससे कितनी बार और क्या बात की और उसका उसने क्या जवाब दिया” |

“मेरी लगभग हर तीन-चार दिन में उससे बात हो ही जाती है | लेकिन अब वह पहले की तरह बात नहीं करती | मैंने उसे कई बार कहा कि मैं घर आता हूँ फिर आमने-सामने बैठ कर बात कर लेते हैं | लेकिन हर बार वह टाल जाती है” |

“तुमने बोला क्या और उसने जवाब क्या दिया” |

“मैंने उसे कई बार बोला कि मुझे तुम्हारे पास्ट से कोई लेना-देना नहीं है | मुझे तुम्हारे धर्म और उम्र से भी कोई लेना-देना नहीं है | मुझे सिर्फ और सिर्फ तुम चाहिए और कुछ नहीं | वह यह सुन कर हर बार बोलती है कि तुमने अभी तक कुछ भी गंभीरता से नहीं सोचा है | पहले सोच लो फिर बात करेंगे” |

“उसका यह जवाब सुन कर तो लगता है कि वह काफी समझदार है और तुम्हारे हवाई फैसले से सहमत नहीं है | वो जो कुछ भी कह रही है बिलकुल ठीक है | तुमने उसको कोई भी ठोस जवाब नहीं दिया है | वह तुम से उम्र, धर्म और जाति के बारे में सुनना चाहती है कि जब समाज और तुम्हारा परिवार यह प्रश्न उठाएगा तो तुम इनका कैसे सामना करोगे | एक बात याद रखो कि वह पहले भी एक बार धोखा खा चुकी है इसलिए वह दूसरी बार बहुत सोच-समझ कर चल रही है | वह यह भी जानती है कि तुम दोनों को मिले हुए अभी एक साल भी नहीं हुआ है | दो प्यार करने वालों के आपसी प्यार का पहला साल तो सिर्फ शरीरिक आकर्षण में ही बीत जाता है | वह जमीनी हकीकत यानी एक दूसरे की बुरी आदतें या मजबूरियाँ तो देख ही नहीं पाते हैं | जैसे-जैसे समय बीतता है आकर्षण कम होने लगता और फिर शुरू होती है रिश्ते में टूटन | अगर शरीरिक आकर्षण नहीं प्यार है तो वह समय के साथ बढ़ता जाएगा | प्यार करने वालों को हमेशा एक दूसरे को समझने के लिए कम से कम तीन-चार साल देने ही चाहिए | तुमने सुना भी होगा कि जितनी जल्दी प्यार का भूत चड़ता है उतनी ही जल्दी उतर भी जाता है | असल में इस कहावत में प्यार की जगह आकर्षण शब्द होना चाहिए | क्योंकि आकर्षण का भूत जल्द उतरता है प्यार का तो दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जाता है | और दो प्यार करने वालों में कितनी भी दूरी हो जाए | कितना भी समय बीत जाए | प्यार करने वालों को कोई फर्क नहीं पड़ता” |

“अरे वाह तुम तो सही में बहुत समझदार हो गई हो | यार मैंने ये बात तो सोची ही नहीं | तुम सही कह रही हो कि वो जान बूझ कर मुझ से दूरी बढ़ा रही है | अच्छा एक बात और बताओ कि अगर तुम्हारे सामने ऐसी समस्या आती तो तुम क्या करतीं” |

“मेरी अपनी राय में हमारा धर्म हमारे पैदा होने वाले घर पर निर्भर करता है | हमारी कोई भी राय नहीं पूछी जाती कि हम कौन सा धर्म अपनाना चाहते हैं | इसलिए हमें हर धर्म की इज्जत करनी चाहिए | प्यार उम्र धर्म जाति कुछ नहीं देखता है क्योंकि प्यार इंसानियत को देखता है | इसलिए मुझे इन सब बातों का कोई फर्क नहीं पड़ता” |

“O...K... thanks alot, तुमने तो मेरी सब परेशानियों का हल दे दिया”|

रीना घड़ी देखते हुए बोली “आशिक साहिब समय देख रहे हो”|

“अबे यार | समय तो देखा ही नहीं | चलो”, कह कर कुणाल जल्दी से वेटर को बुला कर बिल चुकाता है और रीना को चलने का इशारा कर तेज और लम्बे क़दमों से बाहर की ओर चल देता है |

*

गौरव और रीना चुपचाप चाय पी रहे थे लेकिन कुणाल चाय पीते हुए कभी गौरव और कभी रीना को देख रहा था | कुणाल घड़ी देख कर जल्दी से बाकी बची चाय पी कर बोला “भाई आधा घंटा तूने चाय लाने और पीने में लगा दिया है | क्या इसीलिए तू हमें समय पर आने के लिए बार-बार कह रहा था” |

गौरव चाय का कप रख कर बेड से उठता है और कुणाल के पास आकर धीरे से एक थप्पड़ उसके सिर पर मारते हुए बोला “साले तू फिर कहता है कि रीना और तुझ में क्या फर्क है | यही फर्क है | मैं बस तेरे सब्र के बाँध टूटने का ही इन्तजार कर रहा था | मुझे पता था तुझसे नहीं रहा जाएगा” |

कुणाल अपना सिर सहलाते हुए बोला “अच्छा अब अपनी जगह जा कर बैठ और चुपचाप बोल कि किस लिए हमें यहाँ बुलाया है” |

गौरव हँसते हुए बोला “चुपचाप कैसे बोलते हैं | पहले तो ये बता” |

कुणाल झुंझलाते हुए बोला “बकवास मत कर जो असली बात है वो बोल” |

“मैंने तुम्हें यहाँ समय पर इसलिए बुलाया था ताकि मैं तुम्हें मोहित के बारे में पहले ही सब कुछ बता दूँ” |

कुणाल ख़ुशी से झूमता हुआ बोला “क्या मोहित आ रहा है | अरे वाह | ये तो मजा ही आ...”, गौरव मोहित की बात बीच में ही काटते हुए बोला “नहीं | यहाँ नहीं आ रहा है | हम उससे एयरपोर्ट पर मिलने जाएंगे” |

“क्या..”, अब रीना के हैरान होने की बारी थी |

“वो आज पोर्ट ब्लेयर जा रहा है | अप्पा उसे लेने गए हैं | वह उसे लेकर सीधे एयरपोर्ट जाएंगे” |

“अंकल उसे कहाँ से लेने गए हैं” |

“अप्पा उसे जेल से लेने गए.....”, गौरव अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि कुणाल और रीना दोनों एक साथ बोल पड़ते हैं “जेल से....” |

“हाँ मोहित पिछले लगभग एक साल से जेल में ही था” |

रीना और कुणाल दोनों फिर से एक साथ बोले “क्यों क्या हुआ” |

“उस दिन हमारा आखिरी पेपर था | मैं पहली बार इम्तिहान देने के लिए लेट आया था | मैं लेट इसलिए हो गया था कि मुझे रात भर ठीक से नींद नहीं आई थी | बार-बार मुझे न जाने क्यों एक अनजान-सा डर लग रहा था | मैंने पेपर भी अनमने ढंग से दिया और पेपर खत्म होने से कुछ देर पहले ही मैं पेपर देकर बाहर आ गया | मैं तुम लोगों का इन्तजार में इधर-उधर घूमता रहा | फिर जब मैंने घड़ी देखी तो एहसास हुआ कि अभी पेपर खत्म होने में दस मिन्ट हैं | यह सोच कर कि तुम लोग अभी आते ही होगे मैं गाड़ी में बैठ कर तुम्हारा इन्तजार करने लगा | अचानक पास की कार के पीछे से मोहित तेजी से निकल कर आया और दरवाज़ा खोल कर पीछे की सीट पर लेट गया ...........”, गौरव ने उस दिन उसके साथ जो कुछ भी हुआ वह बता दिया |

यह सब सुन कर कुणाल और रीना दंग रह जाते हैं | वह फटी आँखों से गौरव को देख रहे थे और गौरव चुपचाप बैठा उनके बोलने का इन्तजार कर रहा था | कुणाल होश में आते हुए अटक कर बोला “क...क्या.. मो...हित मर गया था | नहीं....नहीं मर नहीं सकता क्योंकि तूने अभी तो कहा कि हम उससे मिलने जा रहे हैं | जल्दी बोल कि उसे क्या हुआ था और फिर तूने क्या किया”?

गौरव गंभीर स्वर में बोला “वह बेहोश हो गया था | जब मैंने उसकी ऐसी हालत देखी तो मेरे हाथ-पैर फूल गये | मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि उसे कहाँ ले कर जाऊं | अचानक मुझे अप्पा की बात याद आई तो मैंने कांपते हाथों से अप्पा को फ़ोन मिलाया | मैंने अप्पा को फ़ोन पर सारी बात बताई तो उन्होंने मुझे सलाह दी कि मैं उसे अम्मी के हॉस्पिटल गुरुग्राम में ले जाऊं | वहां पर किसी प्रकार का कोई खतरा भी नहीं होगा और उसका इलाज भी हो पाएगा | मैं रात भर उसके साथ रहा | मोहित को सुबह जब थोड़ा-बहुत होश आया तो मैं अभी उससे बात करने ही वाला था कि अचानक उसे सिर और पेट में तेज दर्द होने लगा | मैंने भाग कर डियूटी डॉक्टर को बुलाया तो उन्होंने उसकी हालत देखते हुए जल्दी से एक इंजेक्शन उसे लगाया और दो इंजेक्शन उसकी ग्लूकोज की बोतल में लगाए | कुछ देर तो वह दर्द से तड़पता रहा लेकिन फिर धीरे-धीरे उसका दर्द कम होने लगा तो वह फिर से सो गया | मैं अभी हैरान-परेशान उसके पास बैठा ही था कि किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा | मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो अम्मी और अप्पा दोनों आ गये थे और अम्मी ने ही मेरे कंधे पर हाथ रखा था | उन्होंने मुझे इशारे से बाहर आने को कहा | मैं उनके साथ जब बाहर आया तो अप्पा ने बोला कि बेटा मैंने पुलिस को सब बता दिया है | वह लोग अब इसका ध्यान रखेंगे | तुम हमारे साथ घर चलो | मैं अप्पा की बात सुन कर हैरान था | अप्पा मेरी परिस्थिति देख बोले ‘बेटा जो लोग इसके पीछे पड़े हैं उनसे बचने का सिर्फ एक यही तरीका था कि यह पुलिस के सरंक्षण में रहे’ |

वह लगभग बीस दिन हॉस्पिटल में रहा | इस बीच उससे बातचीत कर मुझे उसके बारे में बहुत कुछ पता लगा और बाकी अप्पा ने उसे हिप्नोटाइज कर पता किया | उसकी जिन्दगी की कहानी काफी दर्दनाक और दुःख भरी सामने आई | मोहित को बहुत ज्यादा तो नहीं लेकिन काफी हद तक ड्रग्स की आदत पड़ गई थी जिसके कारण ही वह हॉस्पिटल में भी रहा और जेल में भी काफी समय ड्रग्स रिहैबिलिटेशन सेंटर में रहा |

अप्पा उसे अपने एक दोस्त के पास पोर्ट ब्लेयर भेज रहे हैं ताकि वह इन सब से दूर अपनी नई जिन्दगी शुरू कर सके | मेरी तुम दोनों से हाथ जोड़ कर प्रार्थना है कि इस बारे में कुछ भी बात उस से नहीं करना | हम सब उस से ऐसे मिलेंगे जैसे बहुत दिन के बिछुड़े दोस्त मिलते हैं” |

“भाई तूने कह दिया समझो हो गया | हम उस से ऐसे ही मिलेंगे लेकिन उसकी कहानी क्या है यह तो बता” |

“मैंने काफी कुछ तो फ़ोन में रिकॉर्ड कर रखा है और बाकी जो कुछ भी है मैं अभी एयरपोर्ट चलने से पहले तुम्हें सुना दूंगा | जो कुछ बचेगा वो मैं तुम्हें रास्ते में बता दूंगा | ठीक है | तुम लोग थोड़ा सा इन्तजार करो मैं तैयार हो कर आता हूँ फिर एयरपोर्ट चलते हैं”, कह कर गौरव चाय के कप उठा कर कमरे से बाहर निकल जाता है | कुणाल और रीना दोनों गुमसुम अपने-अपने विचारों में खो जाते हैं |

✽✽✽