शाम के छः बज चुके थे | कुणाल बाथरूम से नहा कर निकलता है और जल्दी से बेड पर पड़े कपड़े पहनने लगता है | वह शाम चार बजे थोड़ा आराम करने के लिए लेटा था लेकिन लेटते ही वह कब सो गया उसे पता ही नहीं लगा | वह मन ही मन धन्यवाद दे रहा था उस अनजान आदमी को जिसने बेल बजा कर उसे उठा दिया था | उस आदमी को पड़ोस में जाना था और गलती से उसने कुणाल के घर की बेल बजा दी थी | यह सोच कर कि अभी तो काफी टाइम है वह वापिस आ कर फिर से बेड पर लेट गया था | अचानक उसकी नजर जब दीवार पर लगी घड़ी पर गई थी तब समय देख कर उसकी हालत खराब हो गई थी | शाम के साढ़े पांच बज गये थे यह देख वह जल्दी से बाथरूम में नहाने के लिए घुस गया था|
आज सुबह से ही लगातार बारिश हो रही है | दिल्ली में अगस्त के महीने में ज्यादात्तर बारिश होती ही है | लेकिन पिछले कुछ साल से दिल्ली में बारिश कुछ कम होने लगी है | कपड़े पहनते हुए कुणाल सोच रहा था कि इस बारिश के चलते वह सब सिम्मी के घर पालम विहार कैसे समय पर पहुँच पाएंगे | रास्ते में अगर बारिश का पानी जमा हो गया होगा तो दो-तीन घंटे तो ट्रैफिक-जाम में ही लग जाएंगे | वह घड़ी देख कर और भी चिंतित हो जाता है | उसने गौरव को पांच बजे का टाइम दिया था और वह भी अभी तक पहुंचा नहीं था | गौरव को उसने इसीलिए जल्दी बुलाया था कि वह तान्या के बारे में उससे बात कर सके | रीना अगर आ गई तो वह उसके सामने कैसे बात कर पाएगा | यही सोच कर वह फ़ोन उठा कर गौरव कर नंबर मिलाने ही लगता है कि घर की बेल बज उठती है | गौरव ही होगा यह सोच कर वह भाग कर दरवाज़ा खोलने जाता है |
“अरे ! तुम.....”
रीना घर में घुसते हुए बोली “क्यों क्या हुआ | अगर तुम्हें मेरा आना पसंद नहीं है तो मैं चली जाती हूँ” |
“नहीं यार | मैंने सोचा कि गौरव होगा”, कुणाल दरवाज़ा बंद करते हुए बोला |
“मतलब मेरे आने की तुम्हें कोई ख़ुशी नहीं | इतने समय बाद मिल रहे हैं फिर भी मुझ से ज्यादा तुम्हें गौरव का इन्तजार है | ऐसी बात है तो मैं चली जाती हूँ” |
“यार तुम तो बुरा मान गई | ऐसी कोई बात नहीं है” |
“बुरा मानने वाली बात ही है | इतने समय बाद मिले हैं | और तुम.....” |
“देखो तुम तुम हो, गौरव गौरव है | तुम्हारा और गौरव का कोई मुकाबला नहीं”|
“मतलब मुकाबला नहीं है” |
“मैडम मुकाबला दो अलग-अलग स्वाभाव और सोच के लोगों में होता है और तुम दोनों एक ही सिक्के के दो पहलु हो | तुम दोनों सोच और स्वाभाव में दिखते अलग जरूर हो लेकिन जो भी तुम दोनों को पास से जानता है वह मानता है कि तुम दोनों एक ही हो” |
रीना अन्दर आ कर सोफ़े पर बैठती हुई बोली “अच्छा अब अपनी बात और सोच को छुपाने की जरूरत नहीं है | मैं सब समझ रही हूँ | बेफ़िजूल की चापलूसी मत करो और ये बताओ कि आंटी अंकल घर पर नहीं है क्या”?
“मम्मी पापा आज सुबह ही चंडीगढ़ शादी अटेंड करने गये हैं कल वापिस आएंगे” |
“तभी मैं कहूँ कि ये बदबू-सी क्यों आ रही है”, रीना इधर-उधर देखते हुए बोली |
“तुम जैसा सोच रही हो ऐसा कुछ नहीं है” |
“यानी जैसा मैं सोच रही हूँ वैसा तो जरूर है”, रीना मुस्कुराते हुए बोली |
“बकवास मत......”, कुणाल आगे कुछ बोल पाता उससे पहले बेल फिर से बज उठती है |
“गौरव आया होगा”, कह कर कुणाल दरवाज़ा खोलने के लिए चला जाता है | रीना सोफे से उठ कर घर में इधर-उधर घूमते हुए देखने लगती है | गौरव अंदर बैठक में आते ही बोला “भाई आज घर में अकेला है क्या”?
“हाँ, क्यों” ? कुणाल का जवाब सुन कर गौरव कुछ बोलता इससे पहले ही बैठक से सटे कमरे से रीना को बीयर की बोतल लेकर आते देख कुणाल भाग कर रीना से बीयर की बोतल छीनते हुए बोला “ये तुम्हें कहाँ से मिली” |
रीना मुस्कुराते हुए बोली “वहीं... जहाँ... तुमने पी कर छुपाई थी” |
गौरव मुस्कुराते हुए बोला “रीना तुम से ऐसी उम्मीद नहीं थी | उसकी छुपाई बीयर तुम पी गईं” |
रीना मुंह चिढ़ाते हुए बोली “क्यों तुम लोग ही पी सकते हो | लड़कियाँ क्यों नहीं” ?
गौरव मुस्कुराते हुए बोला “हाँ, हाँ क्यों नहीं | आज कल तो सब चलता है | लेकिन सालो तुम दोनों को शर्म नहीं आई अकेले-अकेले पीते हुए | कमीनो मेरे आने का तो इन्तजार कर लेते | मैं भी थोड़ी-सी पी लेता” |
कुणाल बोतल वापिस कमरे में ले जाते हुए बोला “मुझे क्या पता था कि तू भी पिएगा वरना तेरे लिए भी ले आता”|
“आज मौसम अच्छा है और पार्टी का माहौल भी है| सोचा जा सकता था | लेकिन अब क्या हो सकता है | तुम दोनों ने तो जो करना था वो तो कर ही लिया”, गौरव सोफ़े पर बैठते हुए बोला |
“तुम क्या सच में बीयर पीना चाहते हो”, रीना गौरव के सामने सोफ़े पर बैठते हुए बोली |
“इसमें हर्ज ही क्या है | कभी-कभी कुछ अलग भी करना चाहिए” |
रीना गुस्से में बोली “अलग करने के लिए बीयर ही रह गई है” |
गौरव सामने बैठी रीना की आँखों में झाँकते हुए बोला “तुम्हारी बात भी सही है | अलग करने के लिए बीयर ही क्यों दारु होनी चाहिए थी” |
“मेरा ये मतलब नहीं था” |
“मैडम मैं आपका मतलब सब समझता हूँ | खुद पी कर दूसरों को भाषण झाड़ रही हो | तुमने सही कहा है | मैं आज बीयर नहीं पीयूँगा | मैं आज दारु पीयूँगा” |
“ठीक है भाई | मैं वहाँ पार्टी में तेरे लिए कुछ न कुछ इंतजाम कर ही दूंगा”, खुश होते हुए कुणाल बोला |
रीना अपने चेहरे पर आये बालों को झटके से पीछे करते हुए बोली “ठीक है फिर मैं भी आज दारु पीयूंगी” |
गौरव उसकी अदा देख मुस्कुराते हुए बोला “पक्का है न” |
“हाँ पक्का है” |
गौरव मुस्कुराते हुए बोला “मतलब | अभी और पीने का इरादा है” |
रीना कंधे हिलाते हुए बोली “आज.... हम...बहुत पीयेंगे.....कोई एतराज” |
गौरव भी अपने कंधे हिलाते हुए बोला “क्यों नहीं | किसने रोका है | जो दिल चाहे वो करो | डार्लिंग कुछ तो करो | खाली एक्टिंग करने से कुछ नहीं होने वाला | खैर, छोड़ो इस बात को”, कह कर वह फिर से मुस्कुराते हुए बोला “आज तुम सुंदर और सेक्सी लग रही हो” |
“तुमने कभी ध्यान से मुझे देखा ही नहीं | मैं तो हमेशा ऐसे ही दिखती हूँ” |
गौरव मुस्कुराते हुए बोला “जरा सी तारीफ़ क्या कर दी तुम तो सातवें आसमान पर ही पहुँच गईं | मैडम आज जरूर ब्यूटी पारलर हो कर आई होंगी | तभी पुराना माल नए रेपर में पैक हुआ अच्छा लग रहा है” |
रीना मुंह बिचकाते हुए तोतली आवाज में बोली “जी नहीं | ऐसा कुछ नहीं है” |
गौरव कुछ बोल पाता इससे पहले कुणाल सोफ़े पर बैठते हुए बोला “क्या बात हो रही है” | गौरव कुणाल को आँख मारते हुए बोला “ध्यान से देख रीना को | दिल की नजर से नहीं दिमाग की नजर से देख कर बता कि आज मैडम कुछ अलग-सी नहीं, दिख रही है” ?
कुणाल रीना को देख कर इशारे से बताता है कि गौरव चाहता है कि मैं तुम्हें कुछ गंदा बोलूं लेकिन मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा | फिर सीधा बैठते हुए रीना को झुक कर ध्यान से देखने की एक्टिंग करते हुए बोला “गौरव आँख मारने से मैं सच को झूठ या झूठ को सच नहीं बोल दूंगा | मुझे तो रीना जैसी पहले दिखती थी वैसी ही दिख रही है” |
यह सुन कर रीना गौरव को जुबान निकाल कर चिढ़ाते हुए बोली “सुन लिया” |
गौरव दोनों को देख कर हाथ झटकते हुए बोला “मिल गये हैं साले | छिपकली को देख कर छिपकले ने रंग बदल लिया है” |
रीना हैरान हो आँखें फाड़ कर गौरव को देखते हुए बोली “ये कौन-सी कहावत है” |
कुणाल मुस्कुराते हुए बोला “छिपकला ये कौन होता है” |
गौरव हँसते हुए बोला “अब तुमने ये कहावत नहीं सुनी तो इसमें मेरा क्या कसूर है | और तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ ये तुम्हारे गौरव सर के द्वारा बनाई कहावत है” | दोनों को यह बात सुन कर हँसते और हाथ झटकते देख गौरव कुछ देर चुप कर फिर से बोलता है “और...और तुम जैसे अनपढ़ और गँवार लोगों की जानकारी बढ़ाते हुए मैं बताना चाहता हूँ कि मर्द छिपकली को छिपकला कहते हैं” |
कुणाल हँसते हुए बोला “भाई बीयर मैंने पी है और नशा तुझे हो गया है | खैर, छोड़ ये छोड़ा-छाड़ी और ये बता कि साले मैंने तुझे जब पांच बजे आने को कहा था तो तू इतनी देर से क्यों आया” ?
“तुमने मुझे तो छः बजे आने को बोला था”, रीना गुस्सा दिखाते हुए बोली |
कुणाल झिझकते हुए बोला “वो मैंने इसलिए बोला था क्योंकि मुझे गौरव से कुछ बात करनी थी”
गौरव मुस्कुराते हुए बोला “भाई फिर कोई चक्कर चल रहा है क्या” |
“न.........नहीं ऐसी तो....कोई बात नहीं है” |
“जिस तरह से तूने ‘नहीं’ बोला है उससे तो लगता है कि कुछ तो चल रहा है” |
कुणाल जवाब में कुछ कह पाता इससे पहले ही रीना बोल उठी “कुणाल तुमने बताया नहीं कि सिम्मी से तुम्हारी इतने दिनों के बाद मुलाकात कैसे हुई और कैसे उसने तुम्हें अपने भाई.......”, रीना आगे कुछ कह पाती इससे पहले ही गौरव बोला “हाँ यार बात तो सही है तूने सिम्मी के बारे में कुछ बताया ही नहीं | उसके पास जाने से पहले हमें उसके बारे में कुछ तो बता दे” |
कुणाल के चेहरे से लग रहा था कि वह इस समय अपनी बात करना चाहता था लेकिन रीना ने सब कुछ बिगाड़ दिया था | वह असमंजस था कि वह पहले अपनी बात करे या फिर सिम्मी की | गौरव उसके चेहरे को पढ़ते हुए बोला “भाई पहले उसके बारे में बता दे फिर रास्ते में अपने बारे में बता देना | मैं तेरी मुश्किल हल करके ही जाऊँगा | ज्यादा देर हो गई तो रात तेरे पास रुक जाऊँगा या फिर तू मेरे साथ मेरे घर चलना” |
यह सुन कर कुणाल खुश होते हुए बोला “यह ठीक रहेगा | एक मिन्ट में आया”, कह कर वह उठ कर बाथरूम की ओर चल देता है | उसे जाते देख रीना धीरे से बोली “तुम्हें भी दूसरों के किस्से सुनने में बहुत मजा आता है” |
गौरव मुस्कुराते हुए बोला “मैडम आज के जमाने में दूसरों की सुनता कौन है | सब अपने आप में इतना बिजी हैं कि उनको फुर्सत ही नहीं किसी के बारे में कुछ सुनने की | वह सिर्फ उनकी सुनते या उन्हें सुनाते हैं जिन से उन्हें मतलब है या जिन से उनका मुकाबला है वरना तू कौन मैं खामखाँ | फिर कहते फिरते है कि कोई उनकी मदद नहीं करता लेकिन ये कहने वाले कभी अपनी ओर नहीं देखते कि वह कितनों की मदद करते हैं” |
रीना लम्बा साँस खींचते हुए बोली “अच्छा जनाब आप जो कर रहे हैं वह ठीक है” |
गौरव रीना की आँखों में झांकते हुए बोला “अगर आपको नहीं पसंद तो नहीं करते”|
रीना बात बदलते हुए बोली “कह तो ऐसे रहे हो जैसे मैं मना करुँगी और जनाब मान जाएंगे” |
गौरव मुस्कुराते हुए बोला “जी बिलकुल | आप एक बार बोल कर तो देखिये” |
रीना बात बदलते हुए बोली “आधा-आधा कप चाय हो.......” |
कुणाल बाथरूम से आते हुए रीना की बात सुन बीच में ही बोल पड़ता है “रीना तुम्हारा आईडिया तो अच्छा है | लेकिन पहले सिम्मी से हुई मुलाकात के बारे में सुन लो फिर में तुम्हें रसोई दिखा देता हूँ”, कह कर वह और रीना दोनों गौरव के पास आ कर सोफे पर बैठ जाते हैं |
“मैं एक दिन अपनी माँ के साथ सरोजिनी नगर मार्किट में शौपिंग करने गया था तो रीना मुझे वहीं अपने भाई और माँ के साथ घूमते हुए मिली थी | वह बहुत ही पतली हो गई है | उसकी आँखों के नीचे काले दाग भी पड़ गये हैं | पहले तो मैं उसे पहचाना ही नहीं लेकिन जब वह मेरे सामने आ कर खड़ी हो गई और मेरा नाम ले कर हँसते हुए बोली तो मैंने उस पर ध्यान दिया था | उसने मुझे अपनी माँ और भाई से भी मिलवाया था | उस दिन तो बस हेलो-हाय ही हुई थी | हम दोनों के साथ परिवार वाले थे इसलिए ज्यादा बात हो भी नहीं सकती थी | उसने मुझे अपना फ़ोन नंबर देते हुए बोला था कि ये मेरा नया नंबर है इसे अपने फ़ोन में सेव कर लो | हम फिर बात करेंगे कह वह चली गई | उस दिन के बाद से उसने मुझे कई बार फ़ोन किया | वह अब पहले की तरह नहीं रह गई है | उसकी बातों से लग रहा था कि अब वह काफी बदल चुकी है | उसने हम सब के बारे में पूछा था | उसने बताया कि उसके पिता की रिटायरमेंट के बाद वह लोग पालम विहार में शिफ्ट कर गये थे इसीलिए वह किसी से मिल नहीं पाई थी | पहले घर बदलने और फिर भाई के रिश्ते के चक्कर में वह इतनी बिज़ी रही कि समय ही नहीं मिलता था कुछ और सोचने को | अब जब सब कुछ ठीक-ठाक हो गया है तो वह जब भी अकेली होती है तो हम सब की बहुत याद आती है | अभी कुछ दिन पहले ही उसने अपने भाई की शादी का कार्ड भेजा था | वह उस दिन भर्राई आवाज में बोली थी कि शादी में तुम सब जरूर आना उसे अच्छा लगेगा | बस यही सब कुछ है सिम्मी के बारे में”, कह कर कुणाल रीना और गौरव को देखता है | रीना कुछ सोचते हुए बोली “उसने मोहित के बारे में कोई बात की या नहीं” |
“हाँ मुझे भी हैरानी हुई कि वह हर बार तुम सब के बारे में पूछती थी लेकिन उसने कभी भी मोहित के बारे में कुछ नहीं पूछा” |
रीना लम्बा साँस खींचते हुए बोली “अच्छा है कि उसने नहीं पूछा | अगर वह पूछ भी लेती तो तेरे पास था ही क्या उसे बताने को” |
गौरव जो अभी तक सब कुछ बहुत गंभीरता से सुन रहा था वह बोला “पिछले एक महीने में उसने मुझे भी दो-तीन बार फ़ोन किया था | हर बार वह एक ही बात पर जोर देती रही कि भाई की शादी में जरूर आना | इसी बहाने हम सब मिल लेंगे | मैंने तो उसे बोला भी था कि अब तुमने कहा है तो हम लोग अवश्य आएंगे लेकिन उस दिन तुम्हारे पास टाइम ही कहाँ होगा हम से बैठ कर बात करने का | यह सुन कर वह गुस्से में बोली थी कि तुम लोग आओ तो सही टाइम तो मैं निकाल ही लूंगी | इसके इलावा और कोई बात नहीं की थी”|
कुणाल अपनी जगह से उठते हुए बोला “कह तो रही थी कि मेरे पास जिस-जिस का भी नंबर है मैंने सब को बोला तो है आने के लिए | देखो कौन-कौन आता है फिर हँसते हुए बोली कि कोई और आए या नहीं आए लेकिन तुम लोग जरूर आना”, कह कर वह रीना को देखते हुए बोला “आओ मैं तुम्हें रसोई में सब चीजें दे देता हूँ” | रीना गौरव को देखते हुए कुणाल के साथ रसोई की ओर चल देती है |
*
गाड़ी अभी कुछ ही दूर चली थी कि कुणाल बोला “मैं कुछ अपने बारे में बोलूं” |
रीना हँसते हुए बोली “हमारे मना करने से क्या तुम नहीं बोलोगे” |
गौरव बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोला “रीना मज़ाक नहीं करो | आज हम एक साल के बाद मिल रहे हैं और भाई अगर इतना उतावला है तो जरूर कोई गंभीर समस्या ही होगी | तू बोल भाई क्या समस्या है” |
“यही तो.... मैं कहना चाह रहा था | अगर आप लोग सीरियस हो तो मैं अपनी कहानी सुनाऊं” | रीना और गौरव एक स्वर में बोले “हाँ, हाँ” |
कुणाल एक लम्बी साँस लेते हुए बोला “यार तुम लोग तो जानते ही हो मेरा मन पढ़ाई में ज्यादा नहीं लगता था | मुझे उस समय लगता था कि आज के जमाने में पढ़ाई से ज्यादा किस्मत या बाप का पैसा काम करता है | किस्मत अच्छी थी नहीं और बाप पैसा देगा नहीं और न ही कुछ करने देगा सो मैंने मन मार कर कॉम्पीटिशन की तैयारी शुरू कर दी | उस सरकारी नौकरी की कोशिश करनी शुरू की जिससे मुझे बचपन से नफ़रत थी | कॉम्पीटिशन के फॉर्म भरने की खबर जब मैंने घर पर दी तो सबसे ज्यादा खुश मेरे पिता जी थे | मैंने पहली बार पापा को इतना खुश देखा था | उन्होंने ही मुझे सलाह दी कि किसी इंस्टिट्यूट में एडमिशन ले लो | मैं शाम को क्लास में जाता और दिन भर घर बैठ कर पढ़ता | कुछ ही दिनों में पढ़ने का उत्साह खत्म होता दिखा तो मैंने सोचा कि यदि किसी कम्पनी में नौकरी कर लूं तो पढ़ने का उत्साह भी बना रहेगा और घर में रह कर डिप्रेशन भी नहीं होगा | जब मैंने पिताजी को अपना इरादा बताया तो उन्होंने खुश हो कर अपनी जान-पहचान के एक दोस्त की कम्पनी में मेरी नौकरी लगवा दी | पिताजी का दोस्त उस कम्पनी में जनरल मैनेजर था इसलिए वहाँ काम करते हुए मुझे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं थी | सुबह नौकरी पर जाता और शाम को इंस्टिट्यूट जाता और घर आने के बाद रात को देर तक पढ़ता | दिन हवा की तरह उड़ने लगे | हमारी ही कम्पनी में तान्या जूनियर मैनेजर की पोस्ट पर मुझ से दो महीने पहले ही नौकरी पर लगी थी | कम्पनी में उसके साथ काम करते-करते कब वह मेरे नजदीक आ गई पता ही नहीं लगा |
हमें अभी साथ-साथ काम करते हुए लगभग आठ महीने ही हुए थे कि अचानक उसने छुट्टी वाले दिन मुझे एक रेस्टोरेंट में बुलाया और बताया कि वह हमारी कम्पनी से नौकरी छोड़ कर नॉएडा की एक बड़ी कम्पनी में ज्वाइन करने जा रही है | मैं कुछ बोल पाता उससे पहले ही उसने दूसरा झटका दिया कि वह दिल्ली से अकेली नॉएडा रहने जा रही है | उस दिन उसने मुझे पहली बार बताया कि वह तलाकशुदा है | और जब वह अपने बारे में सब कुछ बता रही थी तो मुझ से एक गलती हो गई | मैंने उसे पहली बार इतने नजदीक से देखा था इसलिए मैं उसकी बातों को सुनने की बजाय उसकी सुन्दरता में खो गया | इससे नाराज हो वह वहाँ से चली गई | उसके बाद उसने मुझ से काफी दिन तक बात नहीं की | मैं हर रोज उसे फ़ोन मिलाता लेकिन वह फोन ही नहीं उठती थी | ऐसा काफी दिन तक चलता रहा | फिर एक दिन उसने मेरा फ़ोन उठा ही लिया और हमारा आपसी मेलजोल फिर से शुरू हो गया | उससे मिल कर मुझे पता लगा कि वह भी मुझे चाहने लगी है” |
कुणाल आगे कुछ और बोल पाता इससे पहले ही रीना बोल उठी “कुणाल कोई नई बात बता | यह तो तू हर बार जब किसी लड़की से मिलता है तो यही कहता है कि मैं उसे चाहने लगा हूँ और वो......”,रीना इससे आगे कुछ और बोल पाती | कुणाल गुस्से में जोर से बोला “रीना हर बात में मज़ाक करना अच्छी बात नहीं है | और मैं तुमसे बात नहीं कर रहा हूँ | मैं अपने भाई को यह सब सुना रहा हूँ | कृपा कर तुम चुप बैठो” | कुणाल का ऐसा रूप देख कर कार की पिछली सीट पर बैठी रीना सकपका कर चुपचाप पीछे हो कर बैठ जाती है | कुणाल गौरव की तरफ देखता है लेकिन वह ऐसे जाहिर करता है जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं | वह चुपचाप गाड़ी चलाता रहता है |
*
अभी भी बाहर हल्की बारिश हो रही थी | गाड़ी गीली सड़क पर सरपट भागी चली जा रही थी | रीना और कुणाल दोनों ही खिड़की से बाहर होती बारिश को देख रहे थे | गौरव शीशे से कभी रीना को तो कभी कुणाल को देखते हुए चुपचाप गाड़ी चला रहा था | रीना के चेहरे से नाराजगी साफ़ दिख रही थी और कुणाल के अंदर हलचल मची हुई थी लेकिन फिर भी वह उसे दबाये चुपचाप बैठा था | गौरव मंद-मंद मुस्कुराता हुआ कुणाल के बोलने का इन्तजार कर रहा था |
कुणाल हाथ में पहनी घड़ी देख कर बोला “भाई बस दस मिन्ट में सिम्मी के घर पहुँच जाएंगे” |
गौरव मुस्कुराते हुए बोला “ठीक है | हम लोग लगभग समय पर ही पहुँच रहे हैं” |
“मेरा ये मतलब नहीं था”, कुणाल झुंझलाते हुए बोला |
“फिर क्या कहना चाहता है” |
“मेरी समस्या का तो हल मिला नहीं” |
“भाई समस्या है कहाँ ये तो बता” |
“अभी मैंने बताई तो है” |
गौरव मुस्कुराते हुए बोला “देख भाई तूने अभी तक जो कुछ भी बताया है उसमें तो कोई समस्या नहीं है | जो असली बात है वो बता | तभी तेरी समस्या का कोई हल निकल सकता है” |
“वो भाई रीना बैठी है” |
गौरव शीशे में रीना को देखता है | रीना गौरव को देख कर मुस्कुरा देती है | उसे मुस्कुराता देख गौरव, कुणाल को देख कर बोला “क्यों आज तुझे रीना से क्या प्रॉब्लम हो गई | वैसे तो कॉलेज में जब भी मैं नहीं होता था तो तू अपनी सब बातें रीना से कर लिया कर लेता था” |
“वो तो ठीक है | लेकिन ये बात कुछ अलग है” |
“खुल कर बोल | कहना क्या चाहता है | मुश्किल कहाँ है | जब तक बताएगा नहीं तो मैं हल कैसे दे पाऊंगा” |
कुणाल सकपकाते हुए बोला “पहले इसे बोल कि ये बीच में नहीं बोलेगी और मज़ाक नहीं बनाएगी” |
गौरव शीशे से पीछे रीना को देख बनावटी गुस्से से बोला “रीना तुम बीच में कुछ नहीं बोलोगी | देख नहीं रही कि भाई कितनी मुश्किल में है” |
यह सुन कर रीना की हँसी छूट जाती है | वह अपनी हँसी पर काबू करते हुए बोली “लो मैंने अपने कान बंद कर लिए हैं | कुणाल तूने जो बोलना है बोल” |
कुणाल मुँह बिचकाते हुए बोला “देख ले कैसे एक्टिंग कर रही है | ठीक है मैं नहीं बोलता” |
गौरव कुणाल के कंधे पर हाथ रख कर दबाते हुए बोला “यार बच्चों जैसी बातें क्यों कर रहा है | मैं कह रहा हूँ न कि अब वो बीच में कुछ नहीं बोलेगी तो मतलब नहीं बोलेगी | जल्दी-जल्दी बोल सिम्मी का घर आने वाला है” |
“भाई मुझे तान्या से प्यार हो गया.......”, यह सुन कर गौरव और रीना एक साथ बीच में ही बोल उठे “क्या” | कुणाल फिर से मुँह बिचकाते हुए बोला “देखा फिर बीच में बोली” |
गौरव मुस्कुराते हुए बोला “भाई ऐसा झटका देगा तो कोई भी बोल पड़ेगा | खैर अब ये बता कि प्यार ही तेरी समस्या है या कुछ और” |
“भाई कई समस्याएं हैं | पहली तो हल हो गई है लेकिन उस हल से और भी बड़ी समस्या पैदा हो गई है” |
“वो तू बाद में बताना | पहले वो समस्या बोल जो तेरे दिमाग को परेशान कर रही है” |
“भाई पहली तो वो डिवोरसी है | दूसरी वह मुझसे तीन साल बड़ी है और तीसरी वो सिख है” |
रीना के मुँह से अचानक “क्या” निकल जाता है |
गौरव उसकी बात को नजरअंदाज करते हुए बोला “अब वो बोल जो समस्या हल भी हो गई और नहीं भी हुई” |
“तुम लोग गालियाँ तो नहीं दोगे” |
“अबे कुछ छुपा रखा होगा तो गालियाँ तो क्या मारेंगे भी” |
“तान्या MBA है और हमारी कम्पनी में जूनियर मैनेजर थी और अब वह असिस्टेंट मैनेजर के पद पर काम कर रही है | इस समय उसकी तनख्वाह साठ हजार है | मेरे लिए यह बहुत बड़ी परेशानी की बात थी लेकिन अब इसका हल तो मिल गया है लेकिन इसके बावजूद एक परेशानी और खड़ी हो गई है” |
रीना बोली “हल क्या मिला” |
“उस हल के कारण ही तो परेशानी हो रही है | अब मुझे दिल्ली से बाहर जाना पड़ेगा” |
“क्यों ऐसा क्या हो गया है”, रीना हैरान होते हुए बोली |
“देखो मैंने पहले ही बोला था कि न तो तुम गालियाँ दोगे और न ही हाथापाई करोगे” |
गौरव हँसते हुए बोला “भाई तेरा समय खराब है | इसमें हम क्या कर सकते हैं” |
कुणाल हैरान होते हुए बोला “वो कैसे”?
“तूने ध्यान नहीं दिया कि हम सिम्मी के घर पहुँच गए हैं और अब हम फ्री हैं कुछ भी करने के लिए”|
“ठीक है फिर मैं नहीं बताता” |
रीना बोली “बोलना तो नहीं चाहिए लेकिन बोलना ही पड़ेगा कि बताएगा तो तेरा बाप भी” |
“I.....I देखो मारना नहीं... I have cleared my Bank’s Probationery Officer e……”, बात पूरी होने से पहले ही गौरव और रीना कुणाल पर टूट पड़ते हैं |
कुणाल दरवाज़ा खोल कर सिम्मी के घर की ओर दोड़ पड़ता है | रीना और गौरव भी जल्दी से उतर कर कुणाल के पीछे-पीछे तेज क़दमों से चलते हुए रीना जोर से बोली “बेटा यहाँ तुझे कोई नहीं बचा पाएगा | भाग कितना भागेगा”, कहते हुए हँस देती है |
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