Anu aur Manu Part-15 books and stories free download online pdf in Hindi

अणु और मनु - भाग - 15

रात के दो बज रहे हैं | तेज हवा के साथ होती तेज बारिश अभी थोड़ी देर पहले ही रुकी है | तेज हवा की वजह से दिल्ली यूनिवर्सिटी में सड़क किनारे लगे खम्बों की लाइट बुझ गई थी | थोड़ी देर पहले आये तूफ़ान का अब नामोनिशान भी नहीं दिख रहा था | चारों तरफ पसरा अँधेरा और तूफ़ान से बाद की डरावनी शान्ति को चीरती कुत्तों के रुक-रुक कर रोने की आवाज वातावरण और भी भयावह बना रही थी | सड़कों के किनारे सोने वाले भिखारी तूफानी बारिश की वजह से सड़क किनारे बने बस स्टॉप की छत के नीचे बेखबर पसरे पड़े थे | तभी अचानक एक आदमी भागता हुआ आता है और किसी चीज से टकरा कर गिर जाता है | उसके कपड़े पसीने से पूरे भीगे हुए थे | गिरने के बाद वह उठता है और फिर गिर जाता है | उस अँधेरे में वह किसी नुकीली चीज से टकराता है जिसकी वजह से उसके कोहनी के पास से खून निकलने लगता है | वह उसकी परवाह किये बिना फिर से लड़खड़ाते हुए भागने लगता है लेकिन फिर वह रुक कर बस स्टॉप पर लेटे आठ-दस भिखारियों को देखता है | और भाग कर उन्हीं भिखारियों में घुस कर एक भिखारी के साथ चादर ओढ़ कर लेट जाता है | जैसे ही वह लेटता है दो आदमी हाथ में रिवाल्वर लिए भागते हुए उसी ओर आते हैं |

पहला हाँफते हुए दूसरे आदमी से बोला “कहाँ गया साला | यहाँ तो दूर-दूर तक दिख ही नहीं रहा है” |

दूसरा आदमी पहले के पास आ कर बोला “तूने उसे इसी तरफ आते देखा था”|

“हाँ, हाँ, वो आया तो इसी तरफ ही था” |

“तो वो हवा हो गया क्या” |

दूर से आती एक आवाज सुन वह दोनों उसी ओर भागने लगते हैं | वह लेटा व्यक्ति उन्हें भागता देख कर भी चुप-चाप लेटा रहता है | वह बस स्टॉप चौराहे से लगभग बीस मीटर की दूरी पर ही था | उस के पीछे भागने वाले वह दोनों आदमी अगले चौराहे तक पहुँच जाते है | जैसे ही वह चौराहे पर पहुँचते हैं उनके पास एक सफेद रंग की कार आकर खड़ी हो जाती है | वह दोनों उस गाड़ी में बैठे व्यक्ति से बात करने लगते हैं | लेटे हुए आदमी को अपने पास वाले चौराहे की तरफ से पुलिस के सायरन की आवाज सुनाई पड़ती है | धीरे-धीरे वह सायरन की आवाज पास आने लगती है | वह उठ कर देखता है तो उसे सड़क पर पुलिस की गश्त करने वाली गाड़ी की लाईट दिखने लगती है | दोनों चौराहों के बीच की दूरी लगभग डेढ़ सौ मीटर की रही होगी | लेटा आदमी यह सोच कर उठता है कि उसके पीछे पड़े आदमियों को उसके पास पहुँचने में जितना समय लगेगा उससे बहुत कम समय उसे अपने पास वाले चौराहे पर पहुँच कर पुलिस की आती गश्ती गाड़ी के पास पहुँचने में लगेगा | अगर वह उस गाड़ी तक पहुँच गया तो शायद उसकी जान बच जाए | यह सोच वह उठ कर चौराहे की तरफ भाग पड़ता है | उसे भागता देख वह दोनों आदमी मुड़ कर उसकी तरफ देखते हैं | गाड़ी में बैठा आदमी भी बिजली की तेजी से दरवाज़ा खोलता है और बाहर निकल के खड़ा हो जाता है | वह तीनों अपनी-अपनी रिवाल्वर निकलते हैं और निशाना साध कर भागते आदमी पर एक के बाद एक गोली दाग देते हैं |

भागने वाला आदमी लगभग पुलिस की गाड़ी के पास पहुँचते ही गोली के वार से गिर जाता है | गोलीयों की आवाज पूरे वातावरण को हिला कर रख देती है | पुलिस की गाड़ी चला रहा कांस्टेबल गिरते आदमी को देख और गोलियों की आवाज सुन जोर से ब्रेक मारता है | फिर भी वह गाड़ी रुकते-रुकते चौराहा पार कर जाती है | पुलिस की गाड़ी पीछे आती है और सड़क पर लेटे आदमी के पास रुक जाती है | पुलिस की गाड़ी को रुकते देख सामने वाले दूसरे चौराहे पर खड़े तीनो आदमी जल्दी से गाड़ी में बैठते हैं और तेजी से गाड़ी चलाते हुए भाग जाते हैं | उन्हें भागता देख गाड़ी से उतरने वाले पुलिसकर्मी सारा माजरा समझ जाते हैं |

एक पुलिसकर्मी सड़क पर लेटे आदमी के पास पहुँच कर उसे हिलाता है | गाड़ी से उतरने वाला दूसरा पुलिसकर्मी गाड़ी में बैठे ड्राईवर से बोला “अरे टोर्च तो दियो | देखें यो मर गया है कि जिन्दा है” |

पहले वाला बोला “जनाब साँस तो चल रही है” |

ड्राइविंग सीट पर बैठा पुलिसकर्मी जल्दी से टोर्च लेकर गाड़ी से उतरते हुए टोर्च की रौशनी लेटे आदमी पर डालता है | पहला पुलिसकर्मी बोला “जनाब एक गोली तो इसकी कोहनी को छीलते हुए निकल गई है और एक गोली इसके बाएं कंधे में धंस गई है | तीसरी शायद इसे लगी नहीं है | यो डर के शायद बेहोश हो गया है” |

दूसरा पुलिसकर्मी तीसरे को बोला “गाड़ी के बारे में वायरलेस पर बता कर साहिब को भी फ़ोन कर | जब तक हम इसे गाड़ी में डालते हैं” |

बस स्टॉप पर सोये भिखारी भी गोली की आवाज से डर कर उठ जाते हैं | वह डरते हुए एक-एक कर पुलिस की गाड़ी के पास आकर खड़े हो जाते हैं | उन्हें देख पहला पुलिसकर्मी बोला “अबे सालो देख क्या रहे हो | यहाँ कोई तमाशा लगा है क्या” | उसकी कर्कश आवाज सुन वह लोग वापिस बस स्टॉप की तरफ चल देते हैं | उन्हें वापिस जाता देख दूसरा पुलिसकर्मी बोला “अबे जा कहाँ रहे हो | इसे गाड़ी में क्या तुम्हारा बाप डालेगा | जल्दी करो नहीं तो यह मर जाएगा” | यह सुन चार लोग भाग कर आते हैं और उस लेटे आदमी के हाथ और पैर पकड़ कर गाड़ी में डाल देते हैं | गाड़ी में उस आदमी को डालते ही तीनो पुलिसकर्मी भाग कर गाड़ी में बैठते हैं और गाड़ी स्टार्ट कर अस्पताल की ओर चल देते हैं |

*

आज आख़िरी पेपर था | गौरव एग्जाम के बाद गाड़ी में आ कर बैठ जाता है | वह अभी रीना का इन्तजार कर ही रहा था कि अचानक पास की कार के पीछे से मोहित तेजी से निकल कर गौरव की कार का दरवाज़ा खोल कर पीछे की सीट पर लेट जाता है | यह सब इतनी तेजी से होता है कि गौरव कुछ समझ पाता इससे पहले ही मोहित लेटे हुए बोला “भाई फटाफट यहाँ से निकल | यार मेरी जान बचा ले | भाई जल्दी कर | कोई यहाँ आ जाए इससे पहले प्लीज् यहाँ से निकल ले” | मोहित की बात सुन कर गौरव कार स्टार्ट कर तेजी से पीछे की ओर ले गाड़ी को सड़क पर दौड़ा देता है |

मोहित “भाई पीछे की ओर मत देख | यहाँ कोई भी आसपास हो सकता है” |

“कौन है आस-पास और तू कहाँ जाना चाहता है” ?

“भाई मुरथल की ओर चल | वो ही जगह उन लोगों की पहुँच से बाहर है | मैं कुछ दिन के लिए दादा-दादी के पास रुक जाता हूँ” |

गाड़ी चलाते हुए गौरव सोच नहीं पा रहा था कि वह क्या करे कहाँ जाए | उसे बार-बार अप्पा की बात याद आ रही थी | पीछे लेटा मोहित पसीने से लथपथ अपनी साँस पर काबू पाने की कोशिश कर रहा था | गाड़ी चलाते हुए गौरव ने सोचते हुए गम्भीर भाव से बोला “भाई अगर वो लोग तेरे पीछे लगे हुए हैं तो उनके पास मेरी गाड़ी का नंबर भी अवश्य होगा | ऐसे में हमारा मुरथल जाना दादा-दादी को भी मुसीबत में डाल सकता है” |

मोहित रुआंसे स्वर में बोला “भाई बता मैं क्या करूँ | मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है | कौन लोग हैं जो मेरे पीछे पड़े हैं मुझे खुद ही पता नहीं है | वह क्यों मेरे पीछे पड़े हैं मैं ये भी नहीं जानता | कल रात मेरे एक दोस्त पर हमला हो गया है | दो-तीन दिन से कुछ लोग उसकी तलाश में घूम रहे थे | कल रात को मौका मिलते ही उन्होंने उसे गोली मार दी है और अब शायद मेरी बारी है” |

गौरव गुस्से में बोला “मैं तेरी कहानी बाद में सुनूंगा अभी तो ये बता जाना कहाँ है”|

“भाई तू ही देख जो तुझे ठीक लगता है” |

“ऐसा है अगर तुझे मुझ पर भरोसा है तो जो मैं कहूँगा तू वो करेगा” |

“भाई अगर तुझ पर भरोसा नहीं होता तो मैं तेरे पास क्यों आता” |

गौरव भर्राये स्वर में बोला “भरोसा तो तूने हम सब दोस्तों का तोड़ दिया है | हम सब तुझे आगाह करते रहे लेकिन तूने किसी की नहीं मानी और देख ले तू आज किस दलदल में फंस गया है” |

मोहित गौरव की बात अनसुनी कर अटकते हुए बोला “भाई मेरे पास जो भी पैसे थे वह सब खत्म हो गये हैं | मुझे.... थोड़े.... से पैसे दे दे | मैं कल से भूखा हूँ”, कह कर मोहित रोने लगता है |

गौरव उसकी परिस्थिति को भांपते हुए दुःखी हो अपनी पेंट की जेब से पर्स निकाल कर पर्स में जितने भी पैसे थे सारे मोहित की तरफ बढ़ाते हुए बोला “ले और मैं अब जो भी बोल रहा हूँ वो कर” | मोहित काँपते हाथों से पैसे ले कर अपनी जेब में रखते हुए बिना कुछ बोले फिर से सीट पर पसर जाता है | मोहित की हालत देख गौरव गाड़ी एक खाली सड़क पर खड़ी कर बोला “भाई मैं तेरे लिए कुछ खाने के लिए ले कर आता हूँ”, लेकिन मोहित कुछ नहीं बोलता | गौरव ने मोहित को कई बार पुकारा जब वह नहीं बोला तो वह गाड़ी से उतर कर पीछे का दरवाजा खोल कर उसे कई बार हिलाता है | कहीं मर तो नहीं गया गौरव हैरान परेशान हो उसे कई थप्पड़ मारता है | मोहित को हिलता देख गौरव की जान में जान आती है | शायद भूख और थकावट की वजह से वह बेहोश हो गया होगा सोच वह गाड़ी का दरवाजा बंद कर वहीं खड़ा हो जाता है | अचानक गौरव के चेहरे पर चमक आ जाती है | वह जेब से फ़ोन निकाल कर अप्पा को फ़ोन मिला कर उन्हें सब बताता है | उनसे बात करने के बाद वह फ़ोन रख कर फिर से गाड़ी स्टार्ट करता है और गाड़ी मोड़ कर गुड़गांव की ओर चल देता है |

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