अणु और मनु - भाग -14 Anil Sainger द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अणु और मनु - भाग -14

“अप्पा मेरी गाड़ी ख़राब हो गई है | क्या आप मुझे कॉलेज छोड़ देंगे”, गौरव अपने अप्पा को अपनी गाड़ी में बैठ कर ऑफिस जाते देख कर बोला |

“हाँ, हाँ क्यों नहीं”|

“ठीक है | मैं अपनी गाड़ी से बैग लेकर आया”, कह कर गौरव भाग कर जाता है और बैग लेकर जैसे ही आकर बैठता है | अक्षित गाड़ी स्टार्ट कर चल देता है |

कुछ देर की चुप्पी के बाद गाड़ी चलाते हुए अक्षित बोला “गौरव मैं तुमसे कुछ बात करने की सोच ही रहा था | अच्छा हुआ कि तुम्हारी गाड़ी खराब हो गई” |

“क्या बात है अप्पा” |

“बेटा तुम्हें याद ही होगा कि पिछले महीने मैं उन दो आतंकवादियों से मिलने गया था जो मेरे भाषण के समय ह्यूमन बम बन कर आये थे” |

“हाँ, हाँ मुझे याद है” |

“बेटा मैं उसी विषय में तुमसे बात करना चाहता था” |

“उस विषय में मुझ से...... मैं कुछ समझा नहीं” |

“बेटा वह दोनों लड़के मासूम हैं लेकिन पैसे की भूख और बिना मेहनत के बड़ा आदमी बनने की सोच ने उन्हें इतने बड़े जंजाल में फंसा दिया” |

“वह कैसे” ?

“वह जल्द पैसा कमाने के चक्कर में ड्रग्स सप्लाई के धंधे में फंसे और धंसते ही चले गये | क्योंकि ड्रग्स के धंधे में पैसा है और आतंक फैलाने वाले अब उसी पैसे और ड्रग्स सप्लाई के नेटवर्क को आतंक फैलाने में प्रयोग करने लगे हैं | इसमें कुछ तो वो लोग हैं जो ड्रग्स लेते हैं और कुछ वो लोग हैं जो पैसे की चमक से इस ओर आ फंसते हैं | आज आतंक फैलाना भी एक धंधा बन गया है | ड्रग्स का धंधा हो या फिर आतंक का इनमें आने का रास्ता तो है लेकिन निकलने का नहीं” |

“धर्म को पहले ही जोड़ा जा चूका है और अगर यह भी होने लगा है | फिर तो आने वाले समय में तो कुछ बहुत ही बड़ा होने वाला है” |

“लगता तो कुछ ऐसा ही है” |

“ले.....किन आप मुझ से इस विषय में क्यों बात करना चाहते थे” |

“बेटा हो सकता है मैं गलत सोच रहा हूँ लेकिन मुझे लगता है कि तुम्हारे कॉलेज में भी ड्रग्स का धंधा हो रहा है” |

“अप्पा आपको अगर लगता है या ऐसी सोच आई है तो वो गलत नहीं हो सकती” |

“नहीं बेटा ऐसा जरूरी नहीं है | मैं कोई भगवान् नहीं हूँ कि मुझे जो कुछ भी एहसास हो वो हमेशा सच ही हो” |

“अप्पा यह तो हो ही नहीं सकता कि आपको एहसास हो और वो गलत हो | आप को जो भी एहसास या सोच आती है | उसको बोलने से पहले आप कई बार तोलते हैं फिर बोलते हैं” |

“अच्छा हुआ मैंने तुम से इस विषय में बात कर ली | कम से कम आज यह तो पता लगा कि मुझे तुम्हारी माँ के बाद तुम भी अच्छी तरह से समझने लगे हो” |

“अच्छा आप इस बात को छोड़िये | आप कहीं यह तो नहीं कहना चाहते कि मोहित इस में शामिल है” |

“बहुत अच्छे | तुम तो अपनी माँ से भी आगे निकल गए हो” |

“नहीं अप्पा | मैं आप और अम्मी के बराबर कभी भी नहीं हो सकता” |

“मुझे जो एहसास हुआ मैंने तुम्हें बता दिया | अब उसे जांचना तुम्हारा काम है” |

“अप्पा आप खाली इस विषय के लिए ही मुझ से बात तो नहीं करना चाहते होंगे | कुछ और बात भी होगी”|

“हाँ है तो सही” |

“फिर बोलिए न” |

“वह दोनों लड़के जब दिल्ली आ कर रुके तो उनकी यहाँ कई लड़को के साथ अच्छी-खासी दोस्ती हो गई थी | मुझे लगता है उन दोस्तों में से एक मोहित भी था” |

“लेकिन अप्पा मोहित इतना नहीं गिर सकता है” |

“बस मैं यही तुम से कहना चाहता हूँ कि अभी कुछ समय के लिए तुम मोहित से दूर रहो” |

“लेकिन क्यों”?

“इसलिए कि जब तक पुलिस के हाथ मोहित तक पहुँचेंगे उससे पहले ही वह माफिया ग्रुप मोहित पर हमला बोल देगा क्योंकि वही एक कड़ी है जो दिल्ली के सम्पर्क के बारे में बता सकता है” |

“लेकिन अप्पा आप ही कहते हैं कि हमें परिवर्तन लाना है और वह परिवर्तन घर से ही शुरू होता है | अप्पा वो मेरा दोस्त है | वह भटक गया है और इस भटकन की वजह से ही वो आज इस मुसीबत के दल-दल में फंस गया है | ऐसे में मैं उसका साथ नही दूंगा तो और कौन देगा” |

“तुम्हारी बात तो सही है कि तुम्हें उसका साथ देना चाहिए | लेकिन अभी नहीं क्योंकि अभी उसे अपनी करनी कर फल भुगतने दो | उसे तुम्हारी तुम्हारे दोस्तों और मेरी जरुरत पड़ेगी तब अवश्य देंगे | चिंता मत करो हम उसे निकाल लेंगे लेकिन पहला कदम उसे ही उठाना होगा” |

“मुझे क्या करना है” |

“कुछ नहीं बस उससे दूर रहो और इन्तजार करो | जब समय आएगा तो मैं तुम्हें बता दूंगा” |

“ठीक है अप्पा” |

“लो तुम्हारा कॉलेज भी आ गया” |

“O.K. अप्पा बाय”, गौरव गाड़ी रुकते ही उतरते हुए बोला |

*

रीना ऑटो से उतरती है और कॉलेज के बाहर पार्किंग में गौरव की गाड़ी खड़ी न देख कर जल्दी से गौरव को फ़ोन मिलाती है | “कहाँ हो”, गौरव के फ़ोन उठाते ही वह बोली |

“बस मैं अभी कॉलेज पहुँचा ही हूँ” |

“लेकिन तुम्हारी गाड़ी तो दिख नहीं रही है” |

“वो आज मेरी गाड़ी ख़राब हो गई थी | अप्पा अभी कॉलेज छोड़ कर गए हैं”, गौरव सामने से आती रीना को देख फ़ोन रख देता है | रीना जैसे ही गौरव को देखती है तो दौड़ कर गौरव के पास आकर बोली “गौरव मैं एक बात कहना चाहती हूँ” |

“बोलो क्या कहना चाहती हो” |

“नहीं कुछ नहीं | तुम मानोगे नहीं | कहने का कोई फ़ायदा नहीं” |

“मैडम जी बोलो तो सही कि आज सुबह-सुबह क्या ऐसी नई सोच आ गई है” |

“मेरा दिल आज क्लास में जाने को नहीं है” |

“क्यों ऐसा क्या हो गया”, कह कर गौरव रीना को ध्यान से देखता है तो उसे महसूस होता है कि आज उसका पूरा शरीर चहक रहा है | आज उसका दिमाग, सोच और शरीर तीनो उसके बस में नहीं लग रहे हैं | गौरव अभी यह सोच ही रहा था कि रीना शर्माते हुए बोली “इस हफ्ते हमारी क्लासेज खत्म हो जाएंगी और फिर एग्जाम आ जाएंगे | बस यही कुछ दिन बाकी हैं | इसके बाद तो कॉलेज की जिन्दगी एक सपने-सी लगेगी | कौन कहाँ होगा क्या जाने” |

“तुम ऐसा क्यों सोचती हो | हम लोग मिलते रहेंगे” |

“ऐसे हर रोज तो नहीं मिल पाएंगे” |

“हाँ यह बात तो है” |

गौरव की बात सुन रीना चहकते हुए बोली “फिर चलें कहीं लॉन्ग ड्राइव पर” |

“लॉन्ग ड्राइव पर, लेकिन मेरी गाड़ी तो खराब............” |

रीना सिर पर हाथ मारते हुए बोली “ओह हाँ अभी तो तुमने बताया था”| गौरव रीना का मुरझाया चेहरा देख कर बोला “चलो ऐसा करते हैं कि तुम मेरे साथ घर चलो | मैंने सुबह ही मैकेनिक को फ़ोन कर दिया था कि वह आकर गाड़ी देख जाए | मेरे हिसाब से तो गाड़ी की बैटरी डाउन हो गई थी | उसे फ़ोन करके पूछ लेते हैं | हो सकता है उसने ठीक कर दी हो” |

“तुम सचमुच मेरे साथ चलने को तैयार हो”, रीना खुश होते हुए बोली |

गौरव रीना की बात सुन चुटकी लेते हुए बोला “कुणाल और वैशाली को भी बुला लो | सारे इकठ्ठे चलते हैं | बहुत मज़ा आएगा” |

“जी नहीं | मैं किसी से बात नहीं करुँगी | कोई हमारे साथ नहीं जाएगा | अगर चलना है तो बोलो | नहीं तो रहने दो” |

“क्या बात है | इरादा क्या है” |

रीना गौरव की बात को नजरअंदाज करते हुए बोली “चलें” |

“जी | जैसी मैडम की इच्छा”, कह कर गौरव रीना को इशारे से ऑटो स्टैंड की ओर चलने का इशारा करता है |

*

गाड़ी जैसे ही दिल्ली से बाहर निकली तो पिछले आधे घंटे से चुपचाप बैठी रीना से रहा नहीं गया और बोल ही पड़ी “अगर तुम्हारा दिल नहीं था तो फिर क्यों आये” | गाड़ी चलाते हुए गौरव हैरानी से रीना को देखता है | गौरव को इस तरह देखते हुए रीना बोली “इस में हैरान होने की क्या बात है | इस तरह तो मैं किसी ड्राईवर के साथ भी जा सकती थी” |

गौरव हँसते हुए बोला “मैडम आप ही नहीं बोल रही हैं मैं तो वैसे ही कम बोलता हूँ | और तुम्हारे सामने तो मेरी वैसे भी बोलती बंद हो जाती है”|

रीना रूठने का नाटक करते हुए बोली “तुम ही तो कहते हो कि तुम सिर्फ़ अपनों से ही ज्यादा बात करते हो वरना तो चुप ही रहना पसंद करते हो” |

“वैसे तुम पिछले तीन साल में मुझसे व मेरी आदतों से काफ़ी वाकिफ़ हो गई हो | बात तो तुम सही कह रही हो | लेकिन गाड़ी में तो हम दोनों ही हैं” |

“मैंने जो बोला तुमने उसका जवाब नहीं दिया” |

“जी मैडम मैंने उसी का जवाब दिया है” |

“मतलब मैं अपनों में शामिल नहीं हूँ” |

“जी मैडम मैंने तो ऐसा कुछ नही कहा है” |

रीना गुस्से में बोली “मेरा नाम मैडम नहीं रीना है” |

“अच्छा जी मैंने तो पहली बार ये नाम सुना है” |

रीना गुस्से में बोली “गौरव मेरा दिमाग खराब करने आये हो या....” |

गौरव हँसते हुए बोला “यार तुम ही कुछ नहीं बोल रहीं थीं इसीलिए मैं भी चुप था | मुझे तुम बोलते हुए बहुत अच्छी लगती हो | बस इसी समय का तो इन्तजार था” |

रीना शर्माते हुए बोली “मुझे तुम बोलते हुए अच्छे लगते हो” |

“अरे यार एक समय में एक की ही इच्छा पूरी हो सकती है | अब बताओ कि मैं तुम्हारी करूँ या तुम मेरी” |

रीना मुस्कुराते हुए बोली “थैंक्स कि मैंने कहा और तुम मान गए और आज मेरे साथ दिन बिताने को तैयार हो गये” |

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “तुमने पहले कभी ऐसा कुछ कहा ही नहीं” | यह सुन कर रीना शर्माते हुए गाड़ी की खिड़की से बाहर देखने लगती है | कुछ देर बाहर देखने के बाद नजरें झुका कर बोली “आज हम इस तरफ कहाँ जा रहे हैं” |

“दिल्ली जयपुर रोड पर दिल्ली से लगभग सौ किलोमीटर दूर नीमराना है और वहाँ नीमराना फोर्ट है जोकि आजकल एक होटल में तब्दील हो चुका है | हम वहीं जा रहे हैं” |

“कोई ख़ास बात” |

“आज पहली बार तुमने ऐसी इच्छा जाहिर की है तो मैंने सोचा कि क्यों न इसको यादगार बनाया जाए | बस इतनी ही ख़ास बात है”|

रीना खुश होते हुए बोली “ये इतनी सी बात नहीं है मेरे लिए तो ये बहुत ही ख़ास बात है” |

गौरव रीना के गले में बायाँ हाथ रख कंधे से अपनी ओर हल्का-सा खींचते हुए बोला “रीना जी इसमें ख़ास बात क्या है | आप के अच्छे विचारों की इज्जत मैं नहीं करूँगा तो और कौन करेगा” |

रीना गौरव का हाथ अपने कंधे से हटा कर अपने हाथ में लेते हुए बोली “क्या बात है ऐसे शयराना अंदाज | कुछ नशा किया है क्या”|

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “आप साथ में हैं तो किसी और नशे की क्या जरूरत है” |

“वाह ! वाह क्या बात है | गौरव, गौरव मैं तुम से कुछ कहना चाहती हूँ” |

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “तुम धरती में बीज डालो तो वह अंकुरित होगा या नहीं तुम्हें नहीं पता होता | तुम्हें उस बीज को अंकुरित होने का समय तो देना ही पड़ता है | तुम चाहो कि कल ही वह अंकुरित हो जाए तो तुम्हारा ऐसा चाहना ही गलत है | उस बीज को अंकुरित होने के लिए तुम्हें सिंचाई, वातावरण और समय या सब्र तीनो देने होंगे | जब उस में से अंकुर निकलेंगे तब तुम्हें उसका ख्याल रखना होगा | जब वह अंकुर पौधे में परिवर्तित होगा तो तुम्हें पहले से थोड़ा ज्यादा ख्याल रखना होगा ताकि वह पेड़ समय पर बन सके | ध्यान रहे कि ज्यादा ख्याल रखने से वह पौधा जल्दी पेड़ नहीं बनेगा | ध्यान रखते हुए यदि तुमने उस पौधे की ज्यादा कांट-छांट कर दी तो वह पौधा पेड़ बनने में ज्यादा समय लगाएगा | और हो सकता है कि वह पेड़ बन ही न पाए | लेकिन जब वह पेड़ बन जाएगा तो वह अपने बूते पर खड़ा हो जाएगा | फिर तुम्हें उसका ख्याल रखने की जरूरत नहीं | अब वह पेड़ तुम्हारा खुद ही ख्याल रखेगा |

ऐसे ही हमारे सम्बन्ध हैं | इन सम्बन्धो में प्रैक्टिकल एप्रोच यानी व्यवहारिक कार्य प्रणाली के साथ भावना रखना जरूरी है | लेकिन यदि सिर्फ भावना या भावनात्मक यानी इमोशनल कार्य प्रणाली रखेंगे तो आप व्यवहारिक कार्य प्रणाली से दूर हो जाएंगे | क्योंकि भावनाओं की कोई सीमा नहीं होती | भावनाओं में ज्यादा बहोगे तो वह उस सम्बन्ध पर बोझ के समान होगा या यूँ कहें कि तुमने पौधे की ज्यादा कांट-छांट कर दी | ऐसे में या तो उस सम्बन्ध में टूटन आ जाएगी या फिर वह सम्बन्ध ही टूट जाएगा | अपनी भावनाओं को दूसरे पर थोपो नहीं उसे भी और तुम खुद भी अपनी जिन्दगी जीयो | अगर बीज है और जरूर फूटेगा | अगर बीज है ही नहीं या तुम्हारा है ही नहीं तो तुम्हें मिलेगा ही नहीं | तुम......”, इससे आगे गौरव कुछ और बोल पाता | गौरव का फ़ोन बज उठा | गौरव अपना फ़ोन रीना को देते हुए बोला “देखो किसका है” |

रीना लगभग सिसकते हुए बोली “कुणाल का है” | यह सुनते ही गौरव शीशे में पीछे देखते हुए गाड़ी की स्पीड कम करते हुए सड़क के किनारे ला कर गाड़ी खड़ी कर देता है | वह रीना से फ़ोन लेकर बोला “हाँ कुणाल बोलो क्या बात है” | दूसरी तरफ से कुणाल बोला “भाई कहाँ है” |

“बोल क्या बात है” |

“भाई मोहित की माँ का एक्सीडेंट हो गया है” |

“ओह ! कैसे कब हुआ” ?

“मोहित का एक दोस्त आया है | वह बता रहा है” |

“वो क्या तेरे सामने खड़ा है” |

“हाँ वह यहीं है”|

“उससे मेरी बात करा” |

“हेलो” |

“भाई साहिब आप कौन बोल रहे हैं” |

“जी मैं मोहित का दोस्त बोल रहा हूँ | मैं आगरे से आया हूँ | मुझे मोहित की दादी ने भेजा है | उन्होंने बताया था कि वह इस कॉलेज में पढ़ता है और आप लोगों का ख़ास दोस्त है | अगर आपको मोहित के बारे में कुछ भी पता है तो कृपा कर बता दें ताकि हम उसे अपने साथ ले जा सकें | उसकी माँ की हालत काफ़ी खराब है और आप तो जानते ही होंगे की घर पर दादी के इलावा कोई नहीं है” |

“ये तो बहुत ही दुःख की बात है लेकिन दोस्त वह तो पिछले आठ-दस दिन से कॉलेज आया ही नहीं है | उसका कमरा भी बंद है | हमने तो यही सुना था कि वह अपने घर गया हुआ है” |

“यह आपको किसने बताया” |

“उसके पड़ोसी से ही पता लगा था” |

“अच्छा ठीक है | फिर हम वहीं किसी से पता करते हैं | आप अपना नंबर दे दें | हम आपके कांटेक्ट में रहेंगे” |

“दोस्त आप अपना नंबर मेरे दोस्त को बता दो हम आपसे उसकी माँ का हाल भी पूछते रहेंगे और अगर हमें मोहित के बारे में कुछ भी पता लगेगा तो आपको बता देंगे” |

“चलिए ठीक है मैं दे देता हूँ”, कह कर वह व्यक्ति फ़ोन काट देता है | फ़ोन रखते ही रीना बोली “क्या हुआ” |

गौरव कुछ सोचते हुए बोला “कोई मोहित का दोस्त कॉलेज आया है और बोल रहा है कि मोहित की माँ का एक्सीडेंट हो गया है और उसकी माँ काफी सीरियस है | मोहित का कहीं भी पता नहीं लग रहा है | वह उसे दूढ़ते हुए ही यहाँ पहुँचा है” |

“ओह यह तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई है | फिर तो हमें आगरा जाना चाहिए | अगर मोहित नहीं है तो हम लोग तो हैं | ऐसे में हमें वहाँ होना चाहिए | चलो वापिस चलो | हम अभी चलते.....”, रीना आगे कुछ बोल पाती इससे पहले ही गौरव का फ़ोन फिर से बज उठता है | गौरव फ़ोन उठा कर बोला “हाँ कुणाल बोलो” |

कुणाल “यार ये तो बहुत ही बुरा हुआ | और देख वो साला पता नहीं कहाँ गायब है | ऐसे में हमें उसके परिवार के साथ होना चाहिए | तू कहाँ है | चल अभी चलते हैं” |

गौरव गंभीर स्वर में बोला “वो बन्दा चला गया” |

“हाँ वो चला गया” |

“मैंने उसे बोला था कि वह अपना फ़ोन नंबर तुझे दे जाए | दे गया क्या” |

“नहीं तो | उसने तेरे से बात की और फ़ोन काट कर मुझे दिया और चला गया” |

“बस तो ठीक है जैसा मैं समझ रहा था वैसा ही हुआ | कुछ नहीं हुआ उसकी माँ को | तू चिंता मत कर | वो हमें बेवकूफ़ बना रहा था” |

“पर यार कोई ऐसे झूठ क्यों बोलेगा | और वो भी माँ के लिए” |

“भाई तू तो जानता है न मोहित के दोस्त कैसे-कैसे हैं | वो कुछ भी कह सकते हैं | उन्हें मोहित के बारे में पता करना है | इसके लिए वह कुछ भी कह सकते हैं” |

“पर यार यह बात सच भी तो हो सकती है” |

“तेरे साथ कोई और भी है क्या” |

“नहीं” |

“बस तो जो मैं कह रहा हूँ वही सच है | इस बात को यहीं भूल जा और किसी से भी करने की कोई जरूरत नहीं है | अगर कभी मोहित मिल भी जाए तो उससे भी करने की जरूरत नहीं है | बाकी जब मिलेंगे तब मैं तुझे सब समझा दूंगा | हाँ एक बात और, किसी को यह भी मत बताना कि मैंने ऐसा कहा है | कोई और ऐसा ही कुछ कहे तो अफ़सोस कर चुप कर जाना |

“ठीक है ऐसा ही करूँगा | लेकिन तू ऐसा कैसे कह सकता है” |

“अब फ़ोन रख और भूल जा जो भी हुआ”, कह कर गौरव फ़ोन रख देता है | फ़ोन रखते ही रीना बोली “तुम ऐसा कैसे इतने विश्वास से कह सकते हो” | यह बात सुन कर गौरव रीना को आज सुबह अप्पा से हुई सारी बात बता देता है | गौरव गाड़ी चलाते हुए सोच रहा था कि ‘मोहित ने कैसे अपनी जिन्दगी बर्बाद कर ली है | आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही होगी जो उसे इस दलदल में घसीट लाई | आजतक उसने अपने बारे में कुछ बताया ही नहीं | जो भी उसे पता है वह कुणाल से ही मालूम हुआ | मोहित तो हर बार यह कह कर टाल जाता है कि वह कुछ गलत कर ही नहीं रहा है तो बताए क्या.....’ |

इधर रीना गाड़ी से बाहर देखती हुई यह सोच रही थी कि ‘वह आज यह सोच कर गौरव के साथ अकेले आई कि वह अपने प्यार का इजहार करेगी | लेकिन गौरव ने तो उसे कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया | शायद वह समझ गया था कि मेरे दिल में क्या चल रहा है और मैं क्या बोलने वाली हूँ | आज तो वैसे कमाल ही हो गया जब गौरव ने बिना किसी हील-हुज्जत के मेरे साथ जाने को ‘हाँ’ कर दी | कहीं कुछ तो है | उसने जो भी बातें कहीं उससे तो यही लगता है कि वह इस बात से तो इनकार नहीं कर रहा है कि प्यार का बीज पड़ चुका है | मुझे तो लगता है कि वह यह कहने की कोशिश कर रहा था कि इस बीज को अंकुरित हो पौधा और पौधे को पेड़ बनने दो | कहीं न कहीं वह यह कहना चाहता था कि समय तो अवश्य लगेगा लेकिन यह बीज पेड़ जरूर बनेगा | वैसे तो उसकी बातों और हरकतों से तो यही लगता है कि वह बोले या न बोले लेकिन अंदर ही अंदर मुझ से प्यार तो करता है | मुझे उसे और अपने प्यार दोनों को समय देना चाहिए ताकि एक दिन वो खुद मुझे बोले कि वो मुझ से प्यार करता है | मैं तो उसका जिन्दगी भर इन्तजार कर सकती हूँ | वो कहता है न कि समय चाहिए या हर बात में समय लगता है तो मैं अपनी पूरी जिन्दगी का समय उसको दूंगी | वो आएगा और एक दिन खुद बोलेगा और उसे बोलना ही पड़ेगा.....’,रीना की सोच गौरव की आवाज सुन टूटती है | वह बोली “तुमने कुछ बोला क्या” |

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “रीना जी हर काम में या हर बात में समय लगता है” |

रीना हैरान थी कि इसे कैसे पता लगा कि मैं क्या सोच रही थी | इसने इस समय, समय की ही बात क्यों की | क्या यह मेरे दिल की हर बात पढ़ सकता है | अगर पढ़ सकता है तो ये क्यों नहीं समझता कि मैं इससे प्यार करती हूँ | अगर ये पढ़ सकता है तो इसका मतलब तो ये भी है कि ये मुझ से कितना प्यार करता है | प्यार करने वाले ही एक दूसरे की बातें बिना बोले ही समझ जाते हैं | रीना फिर से गौरव की आवाज सुन अपनी सोच से बाहर आते हुए बोली “क्या बोला आपने” | यह सुन कर गौरव रीना को देख कर मुस्कुरा भर देता है | रीना गौरव को मुस्कुराते हुए देख मुस्कुरा कर गौरव का कान पकड़ते हुए बोली “क्या हुआ तुम ऐसे क्यों देख रहे हो और बोलो क्या बोल रहे थे”|

“मैं बोल रहा था कि समय कैसे बीतता है पता ही नहीं लगता देखो हम पहुँच भी गए हैं” |

“अच्छा जी”, कह कर रीना बाहर ध्यान से देखती है तो उसे महसूस होता है कि उसने ध्यान ही नहीं दिया | वह लोग असल में ही नीमराना पहुँच गये थे | गौरव गाड़ी पार्किंग में लगा कर कार से बाहर निकलते हुए रीना को उतरने का इशारा करते हुए उतर जाता है | रीना गाड़ी से बाहर आकर एक अंगड़ाई लेते हुए गौरव के पीछे चल देती है |

गौरव और रीना दोनों नीमराना में दो घंटे रहते हैं | नीमराना से वापिस आते हुए रीना फिर से यादों में खो जाती है कि आज का दिन कितना अच्छा गुजरा है | आज दो-तीन बार गौरव ने फोर्ट में घूमते हुए मेरा हाथ भी पकड़ा | वह जब मेरा हाथ पकड़ कर चलते हुए वहाँ के बारे में बता रहा था तो मेरा ध्यान उसकी बातों पर कम और उसपर ज्यादा था | दिल तो यही चाह रहा था कि ये पल कभी खत्म ही न हों | आज पहली बार गौरव ने कई किस्से अपने परिवार और बचपन के सुनाए | वह आज एक अलग ही मूड में लग रहा था | गौरव को समझने का आज बहुत ही अच्छा मौका मिला | काश कि मैंने गौरव से पहले भी ऐसा कहा होता...........सोचते-सोचते रीना सो जाती है | गौरव गाड़ी चलाते हुए बेसुध सोई रीना को बार-बार देखते हुए मुस्कुराता रहा था |

✽✽✽