आजादी - 6 राज कुमार कांदु द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

आजादी - 6



राहुल ने कई बाल्टी पानी लाकर भोजनालय के सामने रखा पानी का बड़ा ड्रम भर दिया । अब तक तक कई खेप पानी लाने के कारण राहुल बेहद थक गया था । बाल्टी ड्रम के पास रखके राहुल थोड़ी देर के लिए बाहर पड़ी एक कुर्सी पर बैठ गया ।
अभी वह ठीक से बैठा भी नहीं था कि मालिक की कर्कश आवाज ने उसे उठने पर मजबुर कर दिया ” ज्यादा थक गया क्या ? कि शादी में आया है ? चल उठ के प्याज छिल डाल सब ! ”

मरता क्या न करता ? राहुल उठ कर प्याज के ढेर के पास बैठ कर प्याज छिलने लगा । एक आदमी पहले ही बैठा प्याज छिल रहा था । प्याज छिलते हुए राहुल सोचने लगा ‘ मैं क्यों कर रहा हूँ यह सब ? और उसकी डांट भी क्यों सुन रहा हूँ ? क्या मैं यहाँ नौकरी कर रहा हूँ ? ‘ लेकिन फिर अगले ही पल उसके मन ने जवाब दिया ‘ ठीक है लेकिन अगर तू यह नहीं करेगा तो फिर आखिर रहेगा कहाँ ? खायेगा क्या ? इसके बारे में भी सोचा है ? ‘
प्याज छीलते हुए उसकी नजर सड़क की दूसरी तरफ एक दीवार पर लगे पोस्टर पर पड़ी । पोस्टर पर एक गरीब मजदुर से लग रहे बच्चे की तस्वीर थी और उसके नीचे बड़े अक्षरों में लीखा था ‘ बचपन बचाओ ! ‘ फिर उसके नीचे बारीक़ अक्षरों में लीखा था ‘ बाल मजदुरी कानूनन अपराध है ‘ ।
पोस्टर पढ़कर राहुल के होठों पर मुस्कान तैर गयी क्यूंकि स्टेशन से आते हुए उसने देखा था सभी भोजनालयों और चायवालों के यहाँ छोटे छोटे बच्चे काम कर रहे थे । और तो और वह स्वयं भी काम करने को मजबूर था ।
इधर कल्पना और विनोद पुलीस स्टेशन में रपट लिखा रहे थे । उनका नाम और पता दर्ज करने के बाद हवलदार ने उनकी शिकायत लिखनी शुरू की ।
विनोद के बताये अनुसार शिकायत दर्ज करने के बाद हवलदार ने रजिस्टर से नजरें हटाते हुए विनोद की ओर घूर कर देखा । उसके देखने मात्र से ही विनोद के शरीर में सिहरन सी हो गयी । हवलदार ने पुछा ” हूँ ! तो आप बता रहे हो आपको बताये बीना आपका लड़का कहीं चला गया है । ”
विनोद ने शालीनता से जवाब दिया ” जी साहब ! सुबह घर से स्कूल के लिए निकला लेकिन वह स्कूल नहीं गया । ”
” तुमको कैसे मालूम कि वो स्कूल नहीं गया ? ”
” हमारे पड़ोस के शर्माजी ने उसको रेलवे स्टेशन पर बैठे देखा था । तब वह स्कूल के ड्रेस में नहीं था । ”
” रेलवे स्टेशन पर देखा था तो उसको रोका क्यूँ नहीं ? जाने क्यूँ दिया ? ”
” तब शर्माजी को क्या पता था कि वह घर से भाग रहा है ? ”
” ठीक है । तुम्हें कब पता चला कि वह भाग गया है ?

” साहब ! हमने नहीं बताया कि वह भाग गया है । स्कूल छूटने के बाद भी जब वह घर नहीं आया तो राहुल की माँ ने शाम को स्कूल जाकर पता किया । वहाँ से पता चला कि राहुल तो स्कूल आया ही नहीं था । सुबह शर्माजी ने बताया कि राहुल उनसे स्टेशन पर मीला था तब हमने अंदाजा लगाया कि वह कहीं चला गया है । ”

” अंदाजा लगाने से काम नहीं चलेगा । ऐसा भी तो हो सकता है कि किसीने उसको बहकाया हो या किसीने उसका अपहरण कर लिया हो । हाँ ! किसीका फोन आया था ? ”

” जी नहीं ! ”

” अच्छा ! ये बताओ ! तुम्हारी किसी से कोई दुश्मनी कोई अफेयर वगैरह हो तो बता दो । जांच में आसानी हो जाएगी । जल्दी हो जायेगा । ”

” नहीं साहब ! ऐसा कुछ भी नहीं है । हम लोग सीधे सादे लोग हैं । ”

” जितना पुछा जा रहा है उतना ही बताओ । मुझे तो शक लग रहा है कि लडके के गायब होने में तुम दोनों में से किसी एक का हाथ है । अपना प्रेम प्रसंग छिपाने के लिए लडके को गायब कराके अब लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए कहानी गढ़ रहे हो । अगर ऐसा कुछ है तो पहले ही सच सच बता दो । मैं बड़े साहब से बोलकर तुम्हारी सजा कम करवा दूंगा ।”

सुनकर विनोद का दिल किया कि अपने बाल नोंच ले लेकिन विवश था । बोला ” नहीं साहब ! भला हम ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं ? राहुल हमारा एकलौता लड़का है ।”

” ठीक है ! तुम्हारी शिकायत दर्ज हो गयी है । हम देखते हैं हम क्या कर सकते हैं । ”

” तो मैं कब आऊं साहब ! पूछने के लिए ? ”

” अब तुम्हारी शिकायत बड़े साहब के यहाँ जाएगी । फिर वो तय करेंगे क्या करना है । अपना फोन नंबर लिखा दो जैसे ही कुछ पता चलेगा हम फोन करके तुम्हें बता देंगे । तुम्हें भी कुछ पता चले या किसीका भी फोन आये तुरंत ही हमें बताना है । समझे ! अब तुम जा सकते हो । ”

पुलीस स्टेशन से बाहर आकर विनोद और कल्पना और भी परेशान हो उठे थे । उन्हें पुलिस स्टेशन का कोई अनुभव नहीं था सो असहज होना अवश्यम्भावी था । शर्माजी को सारी बात बताते हुए विनोद ने कहा ” जिस उम्मीद से यहाँ आये थे लगता नहीं है कि पुलीस कोई कार्रवाई करेगी । हवलदार ने रजिस्टर में शिकायत दर्ज करने के बाद जो उलटी सीधी बातें की मेरा तो दिमाग ही ख़राब हो गया । बेशरम को हम पर ही इल्जाम लगाते शर्म भी नहीं आई । ”
विनोद की बात सुनकर शर्माजी मुस्कराए बीना न रह सके और फिर उसे समझाते हुए बोले ” भाईसाहब ! आप बिलकुल भी चिंता ना करो । शिकायत दर्ज करते हुए ऐसे उलटे सीधे सवाल पूछना उनकी कार्यशैली में शामिल होता है । कभी कभी ऐसेही सवालों में अपराधी उलझ कर हकीकत बयान भी कर देते हैं । उनका काम है सभी पर शक करना और फिर सभी तथ्यों की विवेचना करने के बाद ये जांच की दिशा तय करते हैं और जांच आगे बढ़ाते हैं । तुम फ़िक्र न करो ।बहुत जल्द ही बड़े साहब को शिकायत दिखाकर इस पर कार्रवाई शुरू हो जाएगी । रूखापन तो इनके स्वभाव में ही होता है इसकी परवाह नहीं करनी चाहिए । ये पुलिसवाले आम लोगों की शिकायत दर्ज करके उनके ऊपर अहसान कर रहे हैं ऐसा जताने का कोई मौका नहीं छोड़ते । इनकी भी मज़बूरी है । अगर ये लोग ऐसी हरकतें न करें तो फिर इनको दक्षिणा ही कौन दे और क्यों दे ? जो अभी अभी आपने इन्हें दिया है । समझे ! ”
जैसे सारी बात समझ में आ गयी हो विनोद ने ऐसा ही दर्शाया जबकि वास्तव में उसका ध्यान शर्माजी के प्रवचन की तरफ बिलकुल भी नहीं था । उसके दिमाग में तो बस राहुल ही घूम रहा था । पता नहीं कहाँ होगा ? कैसा होगा ? क्या खाया होगा ? इत्यादि अनगिनत सवाल उसके जेहन में घुमड़ रहे थे जिनका वह जवाब तलाशने की कोशिश कर रहा था पर अभी तक कामयाब नहीं हो पाया था ।
बाहर आकर ऑटो पकड़ कर तीनों अपने घर पर आ गए ।

क्रमशः