वो दौर - भाग-2 Priya Saini द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वो दौर - भाग-2

पायल के बारे में आपने बहुत कुछ जाना होगा पिछले भाग में आइये पढ़ते है आगे की कहानी। आख़िर क्या सज़ा मिली पायल को जानते है। कैसे बदली उसकी ज़िन्दगी।
पायल के पिता ने पायल को पढ़ाई बन्द करके घर के काम करने को बोला। क्या सच में पायल की इतनी बड़ी ग़लती थी कि उसे पढ़ाई करने से रोका जाए? पिता जी बोलते हैं, आज से तुम्हारी पढ़ाई बन्द, क्यों तुम पर रुपया बर्बाद करें जब तुम्हें यही करना है। पायल ने अपनी सफ़ाई देनी चाही तो उस पर पिता जी बोलते है कि ज़्यादा पसन्द है वो लड़का तो तुम्हारी अभी शादी करा दें उस लड़के से। बात करलो उस लड़के से शादी के लिए। हम करा देते है तुम्हारी शादी। क्या आपको नहीं लगता इसमें शादी की बात नहीं होनी चाहिए थी। दोस्ती को दोस्ती की तरह देखा जा सकता था पर नहीं। अंतत पायल रोने लगी और माफ़ी माँगते हुए बोली, आज के बाद नहीं होगा ऐसा, वो किसी लड़के से बात नहीं करेगी बस उसकी पढ़ाई न रोकी जाए। काफ़ी गुस्से के बाद पिता जी इस बात पर राज़ी हुए की ये घटना दुबारा नहीं होनी चाहिए। पायल ने भी स्वीकार किया नहीं होगी अब ये घटना।
शायद वो घटना फिर कभी न हुई पर उसका पायल के दिमाग पर क्या प्रभाव पड़ा। क्या वो सकारात्मक था या इससे और ज़्यादा नकारात्मकता मन में घर कर गई?
सुना था उस दौर की दोस्ती या मोहब्बत को समझ पाना बहुत कठिन होता है। शायद सच ही है। आगे क्या हुआ, क्या पायल ने सच में दोस्ती तोड़ दी अनुज से या घर से छुप कर फिर सब होने लगा।
अगले ही दिन पायल ने अपनी आप बीती अनुज को बताई और उससे बात करने को मना करके चली गई। फिर दुबारा कभी अनुज का कोई मैसेज नहीं आया, कोई हँसी-मजाक वाला भी नहीं। पायल और अनुज दोनों ही अपनी-अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ गए। शायद इस घटना के बाद अनुज ने रिया को भी कभी अपने दिल की बात नहीं बताई। सब अपनी-अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ने लगे।
पायल ने बहुत बार सुना कि बेटा ये सब करने की तुम्हारी उम्र नहीं है। पहले पढ़ाई करो, ज़िन्दगी में कुछ बन जाओ फिर जिससे कहोगे उससे शादी करा देंगें। पर कितनी सच्चाई छुपी होती है इस बात में। क्या सही उम्र है प्यार की? प्यार करना चाहिए या नहीं उसका फ़ैसला किसे करना चाहिए? प्यार करने वालों को, घर वालों को या समाज को।
पायल ने अपनी पढ़ाई पूरी की। पायल ने नौकरी करना भी शुरु किया। नौकरी के दौरान पायल की दोस्ती साथ में काम करने वाले एक लड़के देव से हुई। थोड़े ही दिनों में दोस्ती प्यार में बदल गई और दोनों ने शादी करने का फ़ैसला किया। परन्तु देव की जाती अलग थी। सामान्य सा देखने वाला देव पायल से बेइंतहा मोहब्बत करता था। देव ने पायल को अपना सब कुछ मान लिया। शादी के लिए देव ने अपने घर वालों को भी राज़ी कर लिया पर क्या अब पायल के माता-पिता इस रिश्ते को स्वीकार करेंगें? नहीं, पयाल के माता-पिता ने इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किया। पायल के लाख समझाने पर भी वह नहीं माने और अंत में बोल ही दिया, "या तो ये लड़का या हम"। बेचारी पायल जानती थी अगर उसने देव को चुना तो सारे समाज में माता-पिता की इज़्ज़त नहीं रह पाएगी और माँ-बाप को चुना तो देव की नज़रों में धोखा होगा, प्यार की कसमें जो खाई थी दोनों ने। पायल तो दोनों का साथ चाहती थी दोनों के बीच वो किसी एक को कैसे चुन ले? पायल हार गई इस समाज के आगे, सिर झुका लिया उसने वक़्त के आगे। मजबूती के साथ पहाड़ सी खड़ी लड़की आज टूट गई, उसके अपनों के हाथों।
क्या पायल की समस्या का कोई समाधान है? अगर आप पायल की जगह होते तो क्या करते??? अपनी राय जरूर बताएं।