रिश्ता एक कागज का । - 4 Dhruv oza द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

रिश्ता एक कागज का । - 4

(निशांत अपने डेस्क पे वर्क कर रहा होता है तभी एक पार्सल एक गार्ड के तरफ़ से मिलता है)

शंकर - अरे निशांत क्या मंगाया यार, भाभी के लिए गिफ्ट मंगाया क्या ?

निशांत - नही यार ये ऐसा कुछ नही है , हा गिफ्ट कह सकते हो लेकिन ये क्यारा ओर मेरे दोनो के लिए है ।

शंकर - अच्छा क्या है बताना ,

निशांत - अरे अभी टाइम नही है तू जा अपना काम कर टाइम आने पे तुजे पता चल जाएगा।

शंकर - अरे यार काम खत्म हो गया है मेरा , अच्छा ये छोड़ चल चाय पीने चलते है , कितने दिन हो गए साथ मे चाय पिये हुए ।

निशांत - हा ठीक है पांच मिनिट रुक में ये एक फ़ाइल खत्म करलू ।

(दोनो ऑफिस के नीचे एक टी-स्टोल पे खड़े है हाथ मे चाय का प्याला लिए)

शंकर - अरे यार निशांत मेने सुना है तेरा प्रमोशन होने वाला है ?

निशांत - अच्छा तुजे कैसे पता चला? मुजे तो किसीने बताया नही अभी तक।

शंकर - अरे वो धनंजय हेना उसने बताया, वो कल में उसके कॉम्प्यूटरका सॉफ्टवेर उपडेट करने उसकी डेस्क पर गया था, कुछ क्रेक हो गया था तो उसने वहां बताया,

निशांत - अच्छा और उसको कैसे पता चला इसके बारे में ?

शंकर - अरे यार क्या तुजे दिखता नही क्या, वो मेडम का कितना चहिता है , दोनो साथ मे ऑफिस आते है साथ मे जाते है , तो मेडम के पास ये इन्फॉर्मेशन होगी वही से पता चला होगा , मुजे ना लगता है कभी कभी की मेडम का ओर उसके बीच ना कुछ है ।

निशांत - क्या तुभी शंकर कुछ सोच तो लिया कर कहा वो बच्चा ओर कहा मेडम क्या कुछ भी उड़ाता रहता है, फर्क देखा है दोनों में, बाकी सब छोड़ लेकिन उम्र का फर्क तो देखता,

शंकर - अरे अब बस हा; तेरे ओर भाभी के बीच नही है क्या फर्क, यार अबना इन चीज़ों का कोई फर्क नही रहा,

निशांत - यार तू नही समझेगा फर्क रोज़ पड़ता है और रोज़ में जीता हु उसके साथ, इसीलिए तो उसे वो सब देने की कोशिश करता हु ताकि उसे ये फर्क महसूस ना हो कभी, शादी के बाद आजतक एक ऐसा दिन नही गया जब इसका ख्याल नही आता,

ओर में जानता हु की वो भी ये सोचती तो ज़रूर होगी, लेकिन यार आजतक मुजे ये समज में नही आया के इतनी आसानी से वो ये रिश्ते के लिए मान कैसे गयी, क्या कभी उसने सोचा नही होगा कि पंद्रह साल का फर्क है ।
शंकर - तू ना एक काम कर आज भाभी को ये पूछ ही लेना ठीक है और जब वो तुजे बतादे तो मुजे भी बता देना अब चल ऊपर मुजे फिर घर के लिए निकलना भी है ।

(निशांत ओर क्यारा साथ मे दो कप चाय और टेरेस पर दो कुर्शीओ के साथ)

क्यारा - अच्छा निशांत एक बात बताओ आप ओर साहब अपने कोनसे सपने के बारे में बात कर रहे थे उस दिन ।

निशांत - अरे वो कुछ नही बस ऐसे ही था, कुछ खास नही उन्होंने मुजे तुमसे मिलाया बस उसीका शुक्रिया बोल रहा था ।
लेकिन मुजे तुमसे कुछ पूछना है ,

क्यारा - हा पूछो ।

निशांत - क्या था ऐसा की मुज जैसे आदमी को चुन लिया ?

आई मीन तुमने ये नही सोचा कि तुम्हे मुझसे भी कोई अच्छा मिल सकता है ?

क्यारा - (हस्ते हुए ) जनाब बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी, लोग बे-वजह उदासी का सबब पूछेंगे ।

छोड़ो क्या आप ये सब सोच रहे हो, आप अच्छे हो इसलिए बस ।

निशांत - ठीक है तुम नही बताना चाहती तो कोई बात नही, लेकिन कुछ तो है । और में इंतेज़ार करूँगा ।

क्यारा - अरे नही ऐसा कुछ नही है , ओर अब चलो मुजे नीचे जाना है रात के खाने तैयारी भी तो करनी है माँ को भूख बर्दास्त नही होती जानते हैना आप , तो चलो में जाति हु आप बेठो ।

(निशांत वही पे अपनी चाय का प्याला हाथ मे लिए उस खाली कुर्शी को देखते हुए सोच में बैठा रहा )

(एक शक्स रात को दरवाजा खटखटाता है और क्यारा उठकर दरवाजा खोलती है)

निशांत - अरे केयूर तुम इस वक़्त यहां , आओ आओ अंदर आ जाओ ।

केयूर - हा वो कुछ काम था तो चला आया कल से फिर में साईट में बिजी हो जाऊंगा तो शायद वक़्त ना मील पाई,

मेने डिस्टर्ब तो नही किया ना आप लोगो को ?

निशांत - अरे नही यार , क्यारा ये मेरा दोस्त है केयूर सिविल इंजीनियर है ।

क्यारा - नमस्ते , आप बैठिये में पानी लेकर आती हु,

केयूर - नही भाभी पानी नही चाहिए बस निशांत का थोड़ा काम था ।

निशांत - हा बोलना एक काम कर चल उपर ही बैठके बात करते है ।

केयूर - हा ठीक है,

क्यारा - ठीक है आप जाइये में चाय बनाती हु , चाय तो पियेंगे ना आप ।

केयूर - ठीक है भाभी चाय के मना नही करूंगा।

(केयूर ओर निशांत उपर छत पे लगे जुले पे बैठते है, ओर केयूर कुछ डॉक्यूमेंट निशांत के हाथ मे देता है)

निशांत - अरे यार तुजे पता हेना मेने क्यारा को अभी तक कुछनही बताया है , तू मरवा देता यार आज मुजे , अच्छा अब तू रुक में रूम मेसे वो पेपर भी ले आता हूं और पेन भी ।

(निशांत कुछ पेपर पे अपने दस्तखत करता है और केयूर को देता है)

निशांत - ये ले सब पेपर अच्छे से देखले और कही दस्तखत करने हो तो अभी बोलदे ।

केयूर - नही भाई अब बस , कल से काम शुरू हो रहा है और ये सब पेपर कल जिल्ला पंचायत में जमा करवा दूंगा ओर फीस भी ।

निशांत - थैंक यू यार इतनी हेल्प करने के लिए , ओर हां में साइट पर नही आऊंगा तू ही सब देख लेना ओर कागज़ में कोई कमी हो तो मुजे बात देना तू इतनी हेल्प कर रहा है कि तुजे क्या कहूं ।

केयूर - यार दोस्त हु तेरा अब मुजे भी तू थैंक यू कहेगा , एक लाफा खायेगा समजा , ओर अब पार्टी कब दे रहा है शादी की ये बता ।

(इतने में क्यारा चाय लेकर आती है और पार्टी वाली बात सुन लेती है )

क्यारा - ये बिल्कुल सही कहा भाई आपने , मेने भी कई बार पूछा इनको की अपने दोस्त सबको एक पार्टी तो देदो लेकिन ये हमेशा टाल ही देते है , अब बताईये निशांतजी अब क्या कहेंगे ?

निशांत - (हस्ते हुए) यार बड़ी पार्टी प्लान कर रहा हु सबके लिए बस एक काम है जो खत्म हो जाये उसीका वेइट कर रहा हु ।