बेताल वेबसिरिज़ रिव्यू Simran Jatin Patel द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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बेताल वेबसिरिज़ रिव्यू

कास्ट: विनीत कुमार सिंह, अहाना कुमरा, मंजरी पुपाला, सुचित्रा पिल्लई, जितेंद्र जोशी
डायरेक्शन: पैट्रिक ग्राहम और निखिल महाजन
प्रोडक्शन: रेड चिलीज़ एन्टरटेनमेंट
अवधि: 4 एपिसोड (प्रत्येक 45 मिनट)

भाषा: हिंदी
स्ट्रीमिंग: नेटफ्लिक्स

प्लॉट: निलजा गांव के लोगों को विस्थापित करने के लिए कमांडो का एक दस्ता तैनात किया जाता है। आदिवासी जाने से इनकार करते हैं और उनकी जबरन निकासी एक प्राचीन अभिशाप और एक जोम्बी हमले का खुलासा करती है।

कहानी: वेबसिरिज़की शरुआत होती है कुछ आदिवासियों के द्वारा किये जाने वाले एक रिच्युअल से। जिसमे लाल साड़ी पहने हुए एक औरत दिखाई जाती है जो पथ्थर से बनी शैतानी मूर्ति से बात करती है, तब ही वोह अपना आपा खो बैठती है और सिन वहीं पे कट हो जाता है।
वही दूसरे सिन में जंगल के बीच गांव के पास बनी एक बंध टनल को दिखाया गया है, जिसे एक रॉड बनाने केलिए खोलना आवश्यक था। पर गांववालो का मानना था कि उस टनल में कुछ शाप से पीड़ित लोग बंध है, जो बहार आ जायेंगे तो तबाही का जाएगी।

पर रॉड कॉन्ट्रेक्टर कुछ भी करके वोह रॉड बनाना चाहता है, जिस केलिए वोह कोई भी हथकंडा अपनाने से परहेज़ नहीं करता। गांववालो को नक्सली बनाकर वोह आर्मी के हाथों उन्हें गांव से खदेड़ने की सोच बना लेता है, जिससे उसका रास्ता आसान हो जाये।

कहानी में आगे इंडियन आर्मी के कुछ चुनिंदा सिपाहियों का एक दस्ता देखने को मिलता है, जिसे वेबसिरिज़ में बाज़ नाम से बुलाया गया है। इस दस्ते की कमांड इन चीफ है त्यागी और इसे लीड कर रहा है एक जांबाज़ ऑफिसर विक्रम सिरोही। विक्रम के भूतकालमें कुछ ऐसा हुआ है जिससे वोह आज तक नहीं उबर शका।


इस दस्ते में तीन और ऑफिसर पे ज्यादा फोकस किया गया है जिसने नाम अकबर, हक, और आहू है।

कॉन्ट्रेक्टर मुधलकर त्यागी को पैसो की लालच देकर अपना काम करवाने केलिए मना लेता है। त्यागी अपने सिपाहियो से बोलकर उनसे गांव खाली करवाने में कामयाब रहती है, अब आखरी काम बचा था वोह था टनल के आगे खड़े दसेक आदिवासियों को रास्ते से दूर करना। त्यागी औऱ मुधलकर मिकलर सिपाहियों से उन निर्दोष गांववालों पर गोलियां चलवाने में कामयाब रहते है। जिसमें वह लाल साड़ी पहने औरत भी मारी जाती है। अब उस घटना के सिर्फ दो गवाह बचे थे, जो पति-पत्नी थे।

यहाँ तक तो सबकुछ ठीक चल रहा था पर जब टनल का मुहाने को ब्लास्ट से उड़ाकर कॉन्ट्रैक्टर के आदमी अंदर जाते है तो अंदर कुछ ऐसा होता है के अंदर जानेवाले लोगो मे से सिर्फ एक जना बहार आ पाता है, और वह भी बहार आते ही दम तोड़ देता है।

आखिरकार अंदर क्या हुआ था? गांववाले सही थे के उस टनल में कुछ शापित लोग है? बाज़ के सिपाहियो को त्यागी और मधुलकर के इरादों के बारे में पता चल पाएगा? ऐ जानने केलिए आपको ए वेबसिरिज़ देखनी पड़ेगी।

समीक्षा: शाहरुख खान की रेड चिलीज एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित नेटफ्लिक्स की ज़ॉम्बी सीरीज़ 'बेताल', एक मील के निशान से चूक गई। सुहानी कंवर और निखिल महाजन के साथ पैट्रिक ग्राहम द्वारा लिखित और निर्देशित बेताल किसी भी तरह का तनाव, भय या रोमांच पैदा करने में विफल रहता है।

यह सब एक राजमार्ग घोटाले से शुरू होता है और आपको उम्मीद बंधती है कि यह एक सामान्य ज़ोंबी श्रृंखला से अधिक होगी, लेकिन यह नहीं है। दृश्य हमेशा के लिए खींचते हैं, कहानी दफ्तरी है (ब्रिटिश लाश अपराधी हैं) और निष्पादन, भूलने योग्य। श्रृंखला एक काल्पनिक डरावनी दुनिया बनाने में विफल रहती है।

श्रृंखला में एक दृश्य है जहां एक अनैतिक चरित्र वास्तव में बिजली और पैसे के लिए एक ज़ोंबी के साथ बातचीत करता है, उम्मीद है कि नैतिक है! हल्दी पाउडर के साथ आदिवासी बंदूक के साथ कमांडो की तुलना में अधिक चतुर हैं। आप आश्चर्यचकित हैं कि आदिवासी किस तरह से मुम्बईया गालियों का सामना करते हैं जैसे कि 'लग गइ हम सब का ’।

उत्पादन मूल्य समान रूप से औसत है। गहरे जंगल, पुरातन सुरंग, प्राचीन मंदिर और पुरानी विक्टोरियन संरचनाएं एक अच्छी थ्रिलर सेटिंग बना सकती हैं, लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। यह सब एक औसत स्टूडियो अनुभव देता है। साथ ही कुछ डायलॉगमें ऐसी बातें भी समझाई जाती हैं जो फिजूल है। उदाहरण के लिए, सुरंगों में प्रवेश करते समय, कमांडो को बताया जाता है - "नाइट विज़न चालु कारो।" वोह तो करेगा ही, उसमे बताने की क्या जरूरत?

इंडियन मायथोलॉजी केरेक्टर विक्रम और बेताल से इंस्पायर ऐ वेबसिरिज़ जैसी बनी है उससे कई अच्छी बनाई जा सकती थी। फिर भी कुछ छोटे-मोटे जम्प स्केयर और अच्छी एक्टिंग की बजह से ऐ वेबसिरिज़ वन टाइम वॉच तो है। हॉरर जोम्बी में ऐ पहली इंडियन सीरीज़ है, इसलिए इसमे जो गलतियां हुई है उससे कुछ अच्छा सीखकर आगे के समय में एक बढ़िया वेबसिरिज़ बने ऐसी उम्मीद रखते है

इस वेबसिरिज़ मे विक्रम सिरोही के किरदार में मुक्काबाज़ फ़ेम विनीत कुमार सिंह का काम आला दर्जे का है। ऑफिसर आहुवालिया के किरदार में आहना कुमरा और पुनिया के किरदार में मंजरी पूपाला का काम भी सराहनीय है। त्यागी के रोल में सुचित्रा पिल्लई और मधुलकर के रोल में जितेन्द्र जोशी को टोटली वेस्ट किया गया है।

अब टेक्निकल पासो की बात करे तो मायथोलॉजी पर बेज़ प्लॉट को छोड़कर वेबसिरिज़ में सबका काम औसतन या उससे भी कम है। केमेरा वर्क और कॉस्च्यूम डिज़ाइन बहुत की कमजोर है। सबसे बड़ी कमजोरी है पेट्रिक ग्रेहाम का डायरेक्शन। घुल जैसी ऐंटी आर्मी वेबसिरिज़ बनाने वाले पेट्रिक ने इस वेबसिरिज़ मे भी इंडियन आर्मी को नीचा बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उपरसे अच्छी खासी स्टोरी को बिना सर पैर वाले सीन डालकर बेहूदा बना दिया है।

इस वेबसिरिज़ के मेकर्स पर वेबसिरिज़ बनने से पहले स्क्रिप्ट चोरी करने का इल्जाम लग चुका है, जो आगे जा के सुलझ गया था। रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट की बार्ड ऑफ ब्लड के बाद ऐ दूसरी वेबसिरिज़ है। इस वेबसिरिज़ के टोटल आठ एपिसोड आने वाले थे, पर सिर्फ चार एपिसोड टेलीलास्ट हुए है। जिसका मतलब है की दूसरी सीज़न जल्द ही आने वाली है।

शी, मिसिज़ सीरियल किलर और गिल्टी जैसी घटिया वेबसिरिज़ बनाने के बाद नेट फ्लिक्स इंडिया की बेताल से जो भी उम्मीद थी वोह पेट्रिक ग्रेहाम के कमजोर डायरेक्शन ने धूल में मिला दी है।

बेताल वेबसिरिज़ को में पांच में से दो स्टार दूंगी, और आपसे इतना ही कहूंगी के आप चाहे तो इसे एकबार देख शकते है।

-सिमरन पटेल