बात तब की है जब हम ८ कक्षा में थे. में एक लड़की को पसंद करता था ओर वो मेरी दोस्त थी पर उसे ये बात पता नही थी, में अकसर उसके साथ बात करने के बहाने ढूंढता उसके पास से कोई पुस्तक मांगना या कुछ चीज मांगना उसे वापस देने जाना ऐसे ही बहनो में उसके साथ बात कर लिया करता।
ये तो अब हर दिन का था के ये सब करना ओर उसको देखने के लिए घर से जल्दी निकलजाना ओर उसके घर की तरफ वाला रास्ता लेना.जब वो घर से निकले तो उसके पीछे पीछे जाना. ये अब मेरा रोज का हो गया था फिर जब हमारी छुट्टी हो तो सबसे पहले क्लास से बाहर जाना ओर फिरसे उसका इंतज़ार करना ओर उसको घर तक छोड़ने जाना.में उसके कॉलोनी के दरवाजे तक जाता पर वहां से कभी आगे नई बढ़ पाया में बस वही तक उसको छोड़ने जाता ओर मुजे ये सब अच्छा लगता. पर ये बात उसे नही पता थी की में हर दिन उनके पीछे जाता हु ।
एक दिन मेरे दोस्त ने कहाँ के जब तुजे इतनी ही पसंद है तो तू उसे ये बात बोल क्यों नई देता. मेने कहा पर कहु कैसे ओर कहु तो कहु क्या ?. बस यही सवाल है दोस्त ने कहा के तू उसे कितने दिनों से उसको पसंद करता है बस वही बोल दे के तू उसे पसंद करता है फिर जो भी होगा वो देखा जाएगा पर उसने मना कर दिया तो, तो क्या जैसे अभी चल रहा है वैसे चलने देना तू उनको घर तक छोड़ने जाना ओर क्या मेने ये बात सोची काफी तो लगा के अब बोलदेता हु में उसे अपने दिल की बात मेने उसे बस उसे कितना पसंद करता हु ये बोलने के लिए कितनी बार प्रैक्टिस की एल ही लाइन में बार बार दोहराता रहा, ओर मुजे लगा के अगले दिन में उसे बोल दूंगा।
अगले दिन भी वही सब में उसके घर की तरफ जाता हु उसका इंतक़ज़ार करता हु पर आज वो आई ना वक़्त हो गया पता नही क्यों मुजे लगा सायद वो चली गई. तो में अपनी साईकल लेके जल्दी से स्कूल पहोचता हु मेने उसे प्राथना हॉल में काफी ढूंढा पर वो ना दिखी. फिर जब हमारी ब्रेक हुई तो मेने उसकी एके दोस्त को पूछा के आज रिया नई आई दिख नही रही वो पूछने लगी क्यो काम था, मेने कहा हा वो उसके पास से कुछ नोट लेने थे, उसने कहा है वो तो अपने मामा के यहां गई है कुछ काम से अब तो वो २ दिन बाद आएगी अगर चाहिए तो मेरे नोट्स ले जा सकते हो मेने कहा अरे नई चलेगा बाद में मिलता हु कहके निकल गया.।
अब मे उसका ई इंतज़ार करने लगा के कब आये ओर उसे ये बात कब बताऊ, पता है के वो घर नही है फिरभी में आज उसके घर तक गया उसको देखने के लिये. ओर फिर वह से स्कूल वहा दोस्त ने पूछा क्या हुआ,बताई अपने दिल की बात ? मेने कहा नही यार वो अपने मामा के यहाँ है मेने सोचा था के कल बता दूँगा पर वो आई ना. अरे कोई नई जब आये तब बोल देना इतना इंतज़ार किया तो २ दिन ज्यादा करलो उसमे क्या,ओर अब ये दो दिन भी निकल गए ओर वो वापस आ गई है में उसके घर की तरफ पहोच गया हु ओर वो आज मुजे दिखि में सोचने लगा कह तो कैसे कहु ओर यही बात सोचने में हम स्कूल पहोच गए ओर प्राथना हॉल में बैठे है जैसे ही सब खत्म होता है में उसके पास जाके बात करता हु मेने कहा केसी हो, २दिन स्कूल ना आई उसने कहा मामा के।घर गई थी कुछ काम था इस लिए. ओर अब हमारी परीक्षा आ रही है तुमने तैयारी सरु की ? मेने मना कर दिया नही अभी नही पर अब करूँगा ठीक है ओर आगे में कुछ बोलू उतने में मिस.प्रिया रिया को ओर मुजे कहती है क्लास में जाओ बाद में बात कर लेना, ठीक है बाद मिलता हु कहके अपनी क्लास में चला जाता हु.
ओर शाम को जब में उसका इंतज़ार कर रहा था वो आई मेने उसके साथ चलने लगा ओर कहा के अगर ये २ दिन के नोट्स चाहिए तो ले लेना मेने बनाये है ओर ऐसे बात सरु की घर तक काफी बाते की उसने कहा अरे तुमें घर नही जाना क्या मेने कहा जाना है पर एक बात करनी है तुमसे. उसने कहा है बोलो बस अब ये उसने कहा तो में उसको कहने जा रहा था की मुजे तुम अच्छी लगती हो ओर में तुमे पसंद करता हु. पर उस वक़्त पता नही क्यों मुजे लगा आस पास कुछ भी नही चल रहा, मेरे दिल की धड़कन मुजे सुनाई देने लगी थी, मेरे दिमाग ने काम करना बंध कर दिया था मेरे पैर कांप रहे थे ओर में उस वक़्त में.. में.. में..... से आगे बढ़ ही नई पा रहा था. वो बोल रही थी हा आगे, पर में आगे बढ़ ही नही पा रहा था ओर मानो उसे पता था में के में क्या कहने वाला हु.ऐसा लग रहा था पर में तो में से आगे बढ़ ही नही रहा था जैसे में उसे कहने की कोशिस में बस में....में... पर अटक जाता था फिर न जाने क्या हुआ मेने बोल दिया के में तुमसे गणित शिखना चाहता हु. उसने कहा बस यही कहना था कब से. मेने कहा हा बस यही कहना था पर जो कहना था वो में ना कह पाया ओर वहां से घर चला गया.
फिर हम हर दिन मिलने लगे ओर छुट्टी होने के बाद में उसके साथ उसको घर तक छोड़ने जाता ओर हम काफी सारी बाते करते ओर बस स्कूल से उसको घर तक छोड़ने जाता वो पल उसके साथ बिताया हर वक़्त मुजे याद है, हा कभी कभी लगता था उसे वो बात बोल देनी चाहिए थी पर ना बोल पाया पर जो भी हो मुजे तो उसे घर तक छोड़ने जाना भी अच्छा लगता था.