जिम्मेदारी - 2 VANDANA VANI SINGH द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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जिम्मेदारी - 2

सुमन से पहले उनके पाती बीमार थे उनका ऑपरेशन हुआ था । कुछ दवाई के कारण उनका दिमागी संतुलन बिगड़ गया था। राकेश इक सरकारी डफ्तर में काम करते उनकी दैनिक दिनचर्या और दफ्तर जाना अना इसके अलावा उनपर कोई भी जिम्मेदरी नहीं सारा कम सुमन सम्भाल लेती। जब राकेश दिमागी संतुलन बिगड़ा तो सुमन थोड़ा टूट गई और डर गई कि वह कैसे संभाले गी सारा कुछ अगर उसे दफ्तर भी जाना पड़ा।।अलग अलग डाक्टरों को दिखाया गया राकेश को ठीक होने में समय लग गया।।
सुमन काफी कमजोर हो गई उन दिनों , उसी बीच सुमन को बुखार रहने लग गया था ।
वह राकेश का इलाज कराए या खुदका ये वह समझ नहीं पा रही की दवाई लेती तो उन्हें आराम हो जाता जब राकेश पूरी तरह ठीक हो गया ।तब सुुमन ने इक डाक्टर को दिखाया तो पता चला कि उनको कुछ पेट कीी प्रॉब्लम तब उन्होंने अपना चेकअप करवाया उसमें समझ ना आने के कारण उनकी बड़े़ हॉस्पिटल मैं दिखायाा गय तो पता चला की उनको कैंसर हो गया है ,जिसके ठीक कोो उपाय नहीं है । लेकिन दवाई चलाना पड़ेगा जिस इनको दर्द ना हो जितने दिन जीवित रहे इनका इलाज यू चलता रहे जिस से इनका बुखार भी ठीक रहेगा और ये आराम से रह पायेगी , बाते डाक्टर ने कहीं थी ।। सुमन को पता था कि उनको सिर्फ बुखार नहीं कैंसर भी हो गया है और ये ठीक भी नहीं होता है लेकिन इंतेज़ार तो इस बात का था कि वो कैसे इन बातो को अपने बच्चों को बताए कुछ दिनों बाद बच्चो को पता चला मधु को जैसे किसी ने बुरे सपने की बात कही हो लेकिन ये बात रोकने के लिए और सबको संभालने के लिए ये बात हुई कि कुछ लोग ठीक भी ही जाते है और भी ठीक हो जाऊंगी। और भी भाई बहन थे लेकिन सबकी सदी हो जाने के कारण सारी जिम्मेदारी मधु के ऊपर थी । सुमन ये चाहती थी कि मधु की सदी उनके सामने हो जाए तो वो अराम से मर पायेगी बिमारी में क्या हो कुछ पता नहीं । लड़के देखे जाने लगे लेकिन कोई ठीक लड़का ना मिलने कारण सुमन की इच्छा अधूरी रह गई। अब सुमन दिन और जर जर हुई जा रही थी,शरीर में कहीं मास जैसे बचा ही ना हो वो जैसे किसी स्वापन में किसी को बुला रही है। हर रोज कोई नया वेक्ती आता और नई आस बांधा जाता लेकन होनी को को टॉल सकता हैं ये भी समय आया कि सुमन किसी को पहचान भी नही पा रही थी।और वो दिन भी आ गया जिसको सोच कर आज भी रूह काप जाती है। जब सुमन को जूस पिलाया गया सुबह तो सुमन पी नहीं पाई और थोड़ी देर में उनके सांस खतम हो गया उनके साथ लगता था कि पूरा घर खतम हो जायेगा कोई जिंदा ना पाचेगा । लेकिन जो डालता वही हिम्मत देता है मधु ने अपना घर की जिम्मेारियां पूरी करते हुए अपनी पढ़ाई शुरू की ओर सारा कुछ सम्भल गया।।।
Thanks to reading my story