jimmedari - 2 books and stories free download online pdf in Hindi जिम्मेदारी - 2 (11) 1.4k 5.7k सुमन से पहले उनके पाती बीमार थे उनका ऑपरेशन हुआ था । कुछ दवाई के कारण उनका दिमागी संतुलन बिगड़ गया था। राकेश इक सरकारी डफ्तर में काम करते उनकी दैनिक दिनचर्या और दफ्तर जाना अना इसके अलावा उनपर कोई भी जिम्मेदरी नहीं सारा कम सुमन सम्भाल लेती। जब राकेश दिमागी संतुलन बिगड़ा तो सुमन थोड़ा टूट गई और डर गई कि वह कैसे संभाले गी सारा कुछ अगर उसे दफ्तर भी जाना पड़ा।।अलग अलग डाक्टरों को दिखाया गया राकेश को ठीक होने में समय लग गया।। सुमन काफी कमजोर हो गई उन दिनों , उसी बीच सुमन को बुखार रहने लग गया था ।वह राकेश का इलाज कराए या खुदका ये वह समझ नहीं पा रही की दवाई लेती तो उन्हें आराम हो जाता जब राकेश पूरी तरह ठीक हो गया ।तब सुुमन ने इक डाक्टर को दिखाया तो पता चला कि उनको कुछ पेट कीी प्रॉब्लम तब उन्होंने अपना चेकअप करवाया उसमें समझ ना आने के कारण उनकी बड़े़ हॉस्पिटल मैं दिखायाा गय तो पता चला की उनको कैंसर हो गया है ,जिसके ठीक कोो उपाय नहीं है । लेकिन दवाई चलाना पड़ेगा जिस इनको दर्द ना हो जितने दिन जीवित रहे इनका इलाज यू चलता रहे जिस से इनका बुखार भी ठीक रहेगा और ये आराम से रह पायेगी , बाते डाक्टर ने कहीं थी ।। सुमन को पता था कि उनको सिर्फ बुखार नहीं कैंसर भी हो गया है और ये ठीक भी नहीं होता है लेकिन इंतेज़ार तो इस बात का था कि वो कैसे इन बातो को अपने बच्चों को बताए कुछ दिनों बाद बच्चो को पता चला मधु को जैसे किसी ने बुरे सपने की बात कही हो लेकिन ये बात रोकने के लिए और सबको संभालने के लिए ये बात हुई कि कुछ लोग ठीक भी ही जाते है और भी ठीक हो जाऊंगी। और भी भाई बहन थे लेकिन सबकी सदी हो जाने के कारण सारी जिम्मेदारी मधु के ऊपर थी । सुमन ये चाहती थी कि मधु की सदी उनके सामने हो जाए तो वो अराम से मर पायेगी बिमारी में क्या हो कुछ पता नहीं । लड़के देखे जाने लगे लेकिन कोई ठीक लड़का ना मिलने कारण सुमन की इच्छा अधूरी रह गई। अब सुमन दिन और जर जर हुई जा रही थी,शरीर में कहीं मास जैसे बचा ही ना हो वो जैसे किसी स्वापन में किसी को बुला रही है। हर रोज कोई नया वेक्ती आता और नई आस बांधा जाता लेकन होनी को को टॉल सकता हैं ये भी समय आया कि सुमन किसी को पहचान भी नही पा रही थी।और वो दिन भी आ गया जिसको सोच कर आज भी रूह काप जाती है। जब सुमन को जूस पिलाया गया सुबह तो सुमन पी नहीं पाई और थोड़ी देर में उनके सांस खतम हो गया उनके साथ लगता था कि पूरा घर खतम हो जायेगा कोई जिंदा ना पाचेगा । लेकिन जो डालता वही हिम्मत देता है मधु ने अपना घर की जिम्मेारियां पूरी करते हुए अपनी पढ़ाई शुरू की ओर सारा कुछ सम्भल गया।।। Thanks to reading my story ‹ पिछला प्रकरणजिम्मेदारी - 1 Download Our App अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी VANDANA VANI SINGH फॉलो उपन्यास VANDANA VANI SINGH द्वारा हिंदी लघुकथा कुल प्रकरण : 2 शेयर करे आपको पसंद आएंगी जिम्मेदारी - 1 द्वारा VANDANA VANI SINGH NEW REALESED Horror Stories द्रोहकाल जाग उठा शैतान - 42 Jaydeep Jhomte Moral Stories उजाले की ओर –संस्मरण Pranava Bharti Anything मेरे मन की आवाज दिनेश कुमार कीर Short Stories गोकुल का चिंटू यादव Vijay Sanga Horror Stories भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 30 Jaydeep Jhomte Motivational Stories सोने के कंगन - भाग - ८ Ratna Pandey Adventure Stories तेरा मेरा ये रिश्ता - 1 Saloni Agarwal Drama Shyambabu And SeX - 2 Swatigrover Mythological Stories राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 10 Kishanlal Sharma Fiction Stories अमावस्या में खिला चाँद - 8 Lajpat Rai Garg